एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, सोशल कॉन्ट्रैक्ट के भागीदार के रूप में, नागरिक, सरकारों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने का काम सौंपते हैं, जो वे व्यक्तिगत रूप से हासिल नहीं कर सकते। हालांकि, सरकारी जवाबदेही इस कॉन्ट्रैक्ट में, स्वाभाविक रूप से गारंटी के अधीन नहीं है। ऐसे जटिल परिदृश्य में, प्रभावी नेतृत्व महत्वपूर्ण हो जाता है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी; मजबूत और प्रभावी नेतृत्व का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो अपने वादों को पूरा कर सकते हैं।


आगामी विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर राजस्थान के लोगों को लिखे एक पत्र में, पीएम मोदी ने राजस्थान के विशिष्ट इतिहास को याद किया। उन्होंने कहा कि राज्य का अतीत ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहां लोगों ने अपने वचन पर कायम रहने के लिए अपने जीवन तक का बलिदान दिया है। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने 'मोदी यानी हर गारंटी, पूरे होने की गारंटी' का नारा दिया।


‘मोदी की गारंटी’ आम जन की आकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उनकी सरकार के आख़िरी पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा करने के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। यह हमें एक ऐसी राजनीतिक घटना का साक्षी बनाती है, जिसका अब तक अभाव था, जहां वादों का अर्थ होता है, उन्हें सार्थक रूप से लागू करने की गारंटी।


इन गारंटियों का विस्तार सबसे बुनियादी जरूरतों तक फैला हुआ है। हम इस सच्चाई के साक्षी रहे हैं कि आजादी के लगातार सालाना जश्नों के बावजूद हमारे देश में ज्यादातर लोग अभी भी जीवन यापन के लिए बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। पिछले प्रयास एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण में विफल रहे हैं, जो समान रूप से समृद्ध और आंकडों के लिहाज से प्रेरक हो। हालांकि, 2014 की गर्मियों में बदलावों का एक सिलसिला शुरू हुआ, जिसने हमें उम्मीद दी और बुनियादी चिंताओं से परे सपने देखने का साहस दिया।


अव्वल तो हमें भारत के उस जबरदस्त बदलाव और प्रयास की सराहना करनी चाहिए, जो 60 के दशक में खाद्यान्न का शुद्ध आयातक होने से, आज दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों में से एक बना रहा है। हाल के वर्षों में, खाद्यान्न की पहुंच में सुधार और वंचित लोगों के लिए सुरक्षा कवच का विस्तार करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मध्य प्रदेश के रतलाम में एक रैली में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "कोविड के दौरान, गरीबों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वे अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे...तब मैंने फैसला किया कि मैं किसी भी गरीब को भूखा नहीं सोने दूंगा, इसलिए भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की।" इस योजना के तहत 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन मिलता है और इसे अगले पांच सालों के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, देश के अन्नदाताओं, किसानों को पीएम-किसान के माध्यम से अहम समर्थन दिया गया है, जो आज 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभान्वित करता है।


अध्ययनों के अनुसार, पीएम मोदी की वर्तमान सरकार के तहत 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं - यह एक ऐसी उपलब्धि है जो कभी पिछली सरकारों में लफ्फाजी और "गरीबी हटाओ" जैसे नारों तक सीमित थी। वंचितों के लिए प्रधानमंत्री की चिंता, उनके वर्षों के सार्वजनिक जीवन के अनुभव और देश भर में उनकी व्यापक यात्राओं से उपजी है। परिणामस्वरूप, स्वयं प्रधानमंत्री के शब्दों में, उनकी सरकार ने गरीबों को सेवाओं की घर-घर डिलीवरी को, अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में, सेवा की भावना के साथ अपना काम शुरू किया। हाल ही में शुरू की गई ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ इसी सोच के अनुरूप है। चूंकि यह ग्रामीण भारत की जटिल वास्तविकताओं से गुजरती है, इसलिए इस यात्रा का उद्देश्य आख़िरी छोर तक पहुंचना है और लोगों को उन विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना है जिनसे वे लाभान्वित हो सकते हैं। 25 जनवरी 2024 तक 2.55 लाख ग्राम पंचायतों और 3,600 शहरी स्थानीय निकायों को कवर करने की योजना के तहत यह पहल, एक तरह से इस देश के गरीबों, हमारी माताओं और बहनों, किसानों तथा इस देश के युवाओं के लिए ‘मोदी की गारंटी’ है।


यात्रा के शुभारंभ पर बोलते हुए, पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे उनकी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी है - सभी के लिए आवास की दिशा में एक अनूठी गारंटी। पीएम के अनुसार, आसान लक्ष्यों को चुनने के बजाय, लंबे समय से अटके मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की सोच ने सरकार को, वेलफेयर को रियलिटी बनाने में मदद की है। जो गांव पहले गुमनामी में जीने को अभिशप्त थे, उनका शत-प्रतिशत विद्युतीकरण इस सोच का एक सटीक उदाहरण है।


जीवन के लिए आवश्यक जरूरत पानी, भारत में करोड़ों परिवारों के लिए एक दूर की कल्पना बन गया था। आजादी के कई सालों बाद भी बीमारी और स्वास्थ्यगत मुश्किलों के दौरान पानी ढोने में महिलाएं सबसे आगे थीं। जबकि, प्रधानमंत्री ने हमेशा महिलाओं को भारत के विकास में समान भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया है, और उनकी सरकार का जल-जीवन मिशन इसका प्रमाण है। आज 13 करोड़ से अधिक नल-जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे कवरेज एक दशक पहले के केवल 17% से 70% परिवारों तक पहुंच गई है।"


स्वच्छता संकट का खामियाजा भुगतने में भी महिलाएं सबसे आगे रही हैं। 2014 से पहले, गांवों में स्वच्छता कवरेज केवल 40% था, जबकि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के रूप में सरकार के जीवंत प्रोत्साहन के बाद, देश 100% खुले में शौच मुक्त है। इसके अलावा, उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ एलपीजी कनेक्शन स्वीकृत होने के साथ धुआं रहित रसोई की सरकार की गारंटी सैचुरेशन के करीब है। आज भारत के लगभग 100% गांवों में एलपीजी कनेक्शन हैं, जबकि पहले यह संख्या 50-55% थी।


जैसा कि हम बिजली, पानी, आवास—अन्य बुनियादी मानवीय अधिकारों के बारे में बात करते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं—मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही हेल्थकेयर की रूपरेखा को फिर से परिभाषित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। आज ‘आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना’ हर साल 55 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी देती है। इस प्रभावशाली योजना के तहत लगभग 27.38 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। इसके अलावा, आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च को कम करने की कड़ी में, जन औषधि केंद्र, न्यूनतम 75% की छूट पर सस्ती लेकिन गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करते हैं, जिससे 23,000 करोड़ रुपये की बचत होती है। आज, चाइल्ड इम्यूनाइजेशन ने 6 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 100% और 17 राज्यों में 90% तक अपनी पहुंच बढ़ा दी है।

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