प्रधानमंत्री ने आज भूकंप प्रभावित तुर्किए और सीरिया में 'ऑपरेशन दोस्त' में शामिल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कर्मियों से बातचीत की।
कर्मियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भूकंप प्रभावित तुर्किए और सीरिया में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत किए गए शानदार कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा के बारे में विस्तार से चर्चा की। पीएम ने कहा कि तुर्किए और सीरिया में भारतीय दल ने हमारे लिए ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’, की भावना का प्रकटीकरण किया।
प्राकृतिक आपदा के समय जल्द प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 'गोल्डन ऑवर' का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तुर्किए में एनडीआरएफ की टीम जितनी जल्दी वहां पहुंची, इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा कि यह दल की तैयारी और प्रशिक्षण की कुशलता को दिखाता है।
प्राकृतिक आपदा के समय जल्द प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 'गोल्डन ऑवर' का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तुर्किए में एनडीआरएफ की टीम जितनी जल्दी वहां पहुंची, इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा कि यह दल की तैयारी और प्रशिक्षण की कुशलता को दिखाता है।
पीएम ने एक मां की तस्वीर की चर्चा की, जो टीम के सदस्यों का माथा चूमकर आशीर्वाद दे रही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों से बचाव और राहत कार्यों की आने वाली तस्वीरों को देखने के बाद हर भारतीय ने गर्व का अनुभव किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेजोड़ पेशेवर अंदाज के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं का जो समावेश किया गया, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब व्यक्ति अपना सब कुछ खो चुका होता है और सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में सेना के अस्पताल और हमारे कर्मियों ने जिस संवेदना से काम किया, वह भी प्रशंसनीय है।
गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद एक स्वयंसेवक के तौर पर अपने समय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने मलबे को हटाने और उसके नीचे दबे लोगों को ढूंढने के काम में आने वाली मुश्किलों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे पूरी चिकित्सा व्यवस्था तबाह हो गई थी क्योंकि भुज में अस्पताल ही ढह गया था। प्रधानमंत्री ने 1979 में मच्छु बांध त्रासदी को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'उन आपदाओं में अपने अनुभवों को याद करते हुए मैं आपकी कड़ी मेहनत, जज्बे और भावनाओं की सराहना करता हूं। आज, मैं आप सभी को सैल्यूट करता हूं।'
उन्होंने कहा कि जब कोई अपनी मदद खुद कर सकता है तो उन्हें आत्मनिर्भर कह सकते हैं लेकिन जब कोई दूसरों की मदद करने में सक्षम होता है तो वह निस्वार्थ होता है। उन्होंने कहा कि यह बात केवल व्यक्तियों पर ही नहीं, राष्ट्रों पर भी लागू होती है। इसलिए भारत ने बीते वर्षों में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ निस्वार्थ देश की पहचान को भी सशक्त किया है। यूक्रेन में तिरंगा की भूमिका का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'तिरंगा लेकर हम जहां भी पहुंचते हैं, वहां एक आश्वासन मिल जाता है कि अब भारत की टीमें आ चुकी हैं, हालात ठीक होना शुरू हो जाएंगे।' प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों के बीच तिरंगे को मिले सम्मान का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे ऑपरेशन गंगा के दौरान यूक्रेन में भारतीय नागरिकों के साथ-साथ दूसरे देशों के नागरिकों के लिए भी तिरंगा ढाल बना। इसी तरह, ऑपरेशन देवी शक्ति में अफगानिस्तान से भी बहुत विपरीत परिस्थितियों में हम अपनों को सकुशल लेकर वापस आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही प्रतिबद्धता कोरोना वैश्विक महामारी में दिखी। अनिश्चितता भरे माहौल में भारत ने एक-एक नागरिक को स्वदेश लाने का बीड़ा उठाया और जरूरतमंद देशों को दवाएं और वैक्सीन पहुंचाई।
प्रधानमंत्री ने 'ऑपरेशन दोस्त' के माध्यम से मानवता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, 'जब तुर्किए और सीरिया में भूकंप आया तो भारत सबसे पहले मदद लेकर पहुंचने वालों में से एक था।' उन्होंने नेपाल में भूकंप, मालदीव और श्रीलंका में संकट का उदाहरण दिया और कहा कि भारत सबसे पहले मदद के लिए आगे आया। उन्होंने कहा कि अब तो भारत की सेनाओं के साथ-साथ एनडीआरएफ पर भी देश के अलावा दूसरे देशों का भरोसा बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि बीते वर्षों में एनडीआरएफ ने देश के लोगों में एक बहुत अच्छी साख बनाई है। उन्होंने कहा, 'देश के लोग एनडीआरएफ पर विश्वास करते हैं।' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैसे ही एनडीआरएफ की टीम पहुंचती है लोगों की उम्मीद और विश्वास लौट आता है, यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी बल में कुशलता के साथ संवेदनशीलता जुड़ जाती है तो उस बल की ताकत कई गुना बढ़ जाती है।
आपदा के समय राहत और बचाव की भारत की क्षमता को मजबूत करने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राहत और बचाव दल की अपनी पहचान को सशक्त करना होगा। हमारी खुद की तैयारी जितनी बेहतर होगी, हम दुनिया की भी उतनी ही अच्छी तरीके से सेवा कर पाएंगे।' संबोधन के आखिर में प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ दल के प्रयासों और अनुभवों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भले ही वे वहां बचाव अभियान चला रहे थे लेकिन वह पिछले 10 दिनों से लगातार दिल और दिमाग से उनसे जुड़े हुए थे।
The efforts of entire team involved in rescue and relief measures during #OperationDost is exemplary. pic.twitter.com/xIzjneC1dH
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For us, the entire world is one family. #OperationDost pic.twitter.com/kVFeyrJZQ4
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Humanity First. #OperationDost pic.twitter.com/Aw8UMEvmmT
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India's quick response during the earthquake has attracted attention of the whole world. It is a reflection of the preparedness of our rescue and relief teams. #OperationDost pic.twitter.com/G4yfEnvlMK
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Wherever we reach with the 'Tiranga', there is an assurance that now that the Indian teams have arrived, the situation will start getting better. #OperationDost pic.twitter.com/npflxt29Kz
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India was one of the first responders when earthquake hit Türkiye and Syria. #OperationDost pic.twitter.com/Rmnmm6DrqT
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The better our own preparation, the better we will be able to serve the world. #OperationDost pic.twitter.com/pZYUE85Daa
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