”आज जब भारत वैश्विक व्यापार का एक बड़ा केंद्र बन रहा है, हम देश की समुद्री शक्ति बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं”
‘बंदरगाहों, पोत परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग क्षेत्र में 'व्यवसायिक सुगमता' बढ़ाने के लिए पिछले 10 वर्षों में अनेक सुधार किए गए हैं"
"दुनिया वैश्विक व्यापार में भारत की क्षमता और स्थिति को पहचान रही है"
"समुद्री अमृत काल विजन विकसित भारत के लिए भारत के समुद्री कौशल को सुदृढ़ करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत करता है"
"कोच्चि में नया ड्राई डॉक भारत का राष्ट्रीय गौरव है"
"कोच्चि शिपयार्ड देश के शहरों में आधुनिक और हरित जल कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोच्चि, केरल में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की तीन प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया। आज उद्घाटन की गई परियोजनाओं में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में न्यू ड्राई डॉक (एनडीडी), सीएसएल की अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) और पुथुविपीन, कोच्चि में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का एलपीजी आयात टर्मिनल शामिल हैं। ये प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएं भारत के बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र को बदलने तथा इसमें क्षमता सृजन और आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप हैं।

 

प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए आज सुबह मंदिर में हुए भगवान गुरुव्यूरप्पन के दर्शन की बात की। उन्होंने अयोध्या धाम में महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन के अवसर पर अपने भाषण में रामायण से जुड़े केरल के पवित्र मंदिरों के उल्लेख का भी स्मरण किया। उन्होंने अयोध्या धाम में प्राण प्रतिष्ठा से कुछ दिन पहले रामास्वामी मंदिर में दर्शन करने में सक्षम होने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज सुबह केरल के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सुंदर प्रस्तुति ने केरल में अवध पुरी का अनुभव कराया।

प्रधानमंत्री ने अमृत काल के दौरान भारत को 'विकसित भारत' बनाने की यात्रा में प्रत्येक राज्य की भूमिका पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले के समय में भारत की समृद्धि में बंदरगाहों की भूमिका को याद किया और अब बंदरगाहों के लिए एक समान भूमिका की परिकल्पना की जब भारत नए कदम उठा रहा है और वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में सरकार कोच्चि जैसे बंदरगाह शहरों की शक्ति को बेहतर बनाने में जुटी है। उन्होंने सागरमाला परियोजना के अंतर्गत बंदरगाह क्षमता में वृद्धि, बंदरगाह अवसंरचना में निवेश और बंदरगाहों की बेहतर कनेक्टिविटी की जानकारी दी।
उन्होंने आज कोच्चि को मिले देश के सबसे बड़े ड्राई डॉक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और एलपीजी आयात टर्मिनल जैसी अन्य परियोजनाएं भी केरल और देश के दक्षिणी क्षेत्र में विकास को गति प्रदान देंगी। उन्होंने कोच्चि शिपयार्ड के साथ 'मेड इन इंडिया' विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नई सुविधाओं से शिपयार्ड की क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी।

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला और कहा कि इससे भारत के बंदरगाहों में नए निवेश आए हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय नाविकों से संबंधित नियमों में सुधार से देश में नाविकों की संख्या में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के भीतर अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग से यात्री और कार्गो परिवहन को बड़ा प्रोत्साहन मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबके प्रयास के बेहतर परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय बंदरगाहों ने पिछले 10 वर्षों में दो अंकों की वार्षिक वृद्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि 10 वर्ष पहले तक जहाजों को बंदरगाहों पर काफी लंबा इंतजार करना पड़ता था और उतारने में बहुत लंबा समय लगता था। श्री मोदी ने कहा कि आज स्थिति बदल गई है और जहाज टर्नअराउंड समय के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के संबंध में किए गए समझौतों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "दुनिया वैश्विक व्यापार में भारत की क्षमता और स्थिति को पहचान रही है।” श्री मोदी ने रेखांकित किया कि मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा भारत की तटीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर विकसित भारत के निर्माण को और मजबूत बनाएगा। प्रधानमंत्री ने हाल ही में शुरू किए गए समुद्री अमृत काल विजन का भी उल्लेख किया, जो विकसित भारत के लिए भारत के समुद्री कौशल को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करता है। उन्होंने देश में मेगा बंदरगाहों, जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत अवसंरचना निर्माण के लिए सरकार के प्रयासों को दोहराया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि नया ड्राई डॉक भारत का राष्ट्रीय गौरव है। इससे न केवल बड़े जहाजों को उतारा जा सकेगा बल्कि यहां जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत का काम भी संभव हो सकेगा, परिणामस्वरूप विदेशों पर निर्भरता कम होगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कोच्चि को भारत और एशिया के सबसे बड़े जहाज मरम्मत केन्द्र में बदल देगा। प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रांत के निर्माण में कई एमएसएमई के एक साथ आने की तुलना करते हुए इस तरह के विशाल जहाज निर्माण और मरम्मत सुविधाओं के उद्घाटन के साथ एमएसएमई के एक नए इकोसिस्टम के निर्माण में विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नया एलपीजी आयात टर्मिनल कोच्चि, कोयम्बटूर, इरोड, सेलम, कालीकट, मदुरै और त्रिची की एलपीजी आवश्यकताओं को पूरा करेगा, जबकि उद्योगों, अन्य आर्थिक विकास गतिविधियों तथा इन क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करने में भी सहायक होगा।

प्रधानमंत्री ने कोच्चि शिपयार्ड की हरित प्रौद्योगिकी क्षमताओं और 'मेक इन इंडिया' जहाजों को बनाने में इसकी प्रमुखता का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कोच्चि वाटर मेट्रो के लिए बनाए गए इलेक्ट्रिक जहाजों की भी प्रशंसा की। अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और गुवाहाटी के लिए इलेक्ट्रिक हाइब्रिड यात्री फेरी यहां बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "कोच्चि शिपयार्ड देश के शहरों में आधुनिक और हरित जल संपर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने नॉर्वे के लिए शून्य उत्सर्जन इलेक्ट्रिक कार्गो फेरी बनाने और विश्व के पहले हाइड्रोजन-ईंधन वाले फीडर कंटेनर पोत के काम की प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “कोच्चि शिपयार्ड भारत को हाइड्रोजन ईंधन आधारित परिवहन की ओर ले जाने के हमारे मिशन को और मजबूत बना रहा है। मुझे विश्वास है कि शीघ्र ही देश को स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल फेरी भी मिलेगी।”

प्रधानमंत्री ने नीली अर्थव्यवस्था और बंदरगाह आधारित विकास में मछुआरा समुदाय की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों में मछली उत्पादन और निर्यात में कई गुना वृद्धि का श्रेय प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत नई अवसंरचना परियोजनाओं के विकास, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए आधुनिक नौकाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी तथा किसानों की तरह मछली पालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड को दिया। उन्होंने कहा कि सरकार समुद्री खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत के योगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दे रही है, जिससे मछुआरों की आय में भारी वृद्धि होगी और उनका जीवन आसान होगा। प्रधानमंत्री ने केरल के निरंतर तीव्र विकास की कामना की और नई अवसंरचना परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई दी।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन, केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल उपस्थित थे।

पृष्ठभूमिः

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल), कोच्चि के वतर्मान परिसर में लगभग 1,800 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित न्यू ड्राई डॉक एक प्रमुख परियोजना है, जो न्यू इंडिया के इंजीनियरिंग कौशल को दिखाती है। 75/60 मीटर की चौड़ाई, 13 मीटर की गहराई तथा 9.5 मीटर तक के ड्राफ्ट के साथ यह 310 मीटर लंबा स्टेप्ड ड्राई डॉक इस क्षेत्र के सबसे बड़े समुद्री अवसंचनाओं में से एक है। नई ड्राई डॉक परियोजना में भारी ग्राउंड लोडिंग की सुविधा है जो भारत को 70,000 टन विस्थापन तक के भविष्य के विमानवाहक के साथ-साथ बड़े वाणिज्यिक जहाजों जैसी रणनीतिक संपत्तियों को संभालने के लिए उन्नत क्षमताओं के साथ जोड़ेगी जिससे आपातकालीन राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए विदेशी देशों पर भारत की निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

लगभग 970 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) परियोजना में 6000 टन की क्षमता वाला एक जहाज लिफ्ट सिस्टम, एक स्थानांतरण प्रणाली, छह वर्कस्टेशन और लगभग 1,400 मीटर की बर्थ है जो एक साथ 130 मीटर लंबाई के 7 जहाजों को समायोजित कर सकती है। आईएसआरएफ सीएसएल की वर्तमान जहाज मरम्मत क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करेगी और कोच्चि को वैश्विक जहाज मरम्मत केंद्र में बदलने की दिशा में एक कदम होगी।

कोच्चि के पुथुविपीन में लगभग 1,236 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इंडियन ऑयल का एलपीजी आयात टर्मिनल अत्याधुनिक सुविधा युक्त हैं। 15400 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता के साथ यह टर्मिनल क्षेत्र के लाखों घरों और व्यवसायों के लिए एलपीजी की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। यह परियोजना सभी के लिए सुलभ और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत के प्रयासों को और मजबूत करेगी।

 

इन 3 परियोजनाओं के चालू होने के साथ देश की जहाज निर्माण और मरम्मत क्षमताओं तथा सहायक उद्योगों सहित ऊर्जा अवसंरचना के विकास को बढ़ावा मिलेगा। परियोजनाएं एक्जिम व्यापार को बढ़ावा देंगी, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगी, आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी, आत्मनिर्भरता सृजन करेंगी और अनेक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अवसर पैदा करेंगी।

 

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