भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था की मूल योजना 'अमृत काल विज़न 2047' का अनावरण
23,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया
गुजरात के दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण में टूना टेकरा डीप ड्राफ्ट टर्मिनल की आधारशिला रखी
समुद्री क्षेत्र में वैश्विक और राष्ट्रीय भागीदारी के लिए 300 से अधिक समझौता ज्ञापन समर्पित किए
"बदलती विश्व व्यवस्था में दुनिया नई उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रही है"
सरकार का 'समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह' का विज़न जमीनी स्तर पर क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है"
"हमारा मंत्र है मेक इन इंडिया - मेक फॉर द वर्ल्ड''
''हम ऐसे भविष्य की ओर अग्रसर हैं जहां हरित धरती का माध्यम नीली अर्थव्यवस्था होगी''
''भारत अपने अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से वैश्विक क्रूज केंद्र बनने की ओर अग्रसर है"
"निवेशकों के लिए विकास, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और मांग का संयोजन एक अच्छा अवसर है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुंबई में आज ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया। उन्होंने 'अमृत काल विजन 2047' का भी अनावरण किया जो भारतीय समुद्री क्षेत्र के लिए नीली अर्थव्यवस्था की मूल योजना (ब्लूप्रिंट) है। इस भविष्यवादी योजना के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने 23,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया, राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी। ये परियोजनाएं भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए 'अमृत काल विजन 2047' से जुड़ी हैं। यह शिखर सम्मेलन देश के समुद्री क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है।

 

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण में मौजूद सभी लोगों का स्वागत किया। उन्होंने 2021 में शिखर सम्मेलन को याद करते हुए कहा कि कैसे उस वक्त पूरी दुनिया कोविड महामारी की अनिश्चितताओं से जूझ रही थी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आज एक नई विश्व व्यवस्था आकार ले रही है। बदलती विश्व व्यवस्था में प्रधानमंत्री ने विशेष तौर पर कहा कि दुनिया नई उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से जूझ रही दुनिया में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा। वैश्विक व्यापार में समुद्री मार्गों की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कोरोना के बाद की आज की दुनिया में एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत की समुद्री क्षमताओं से हमेशा दुनिया को फायदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए उठाए गए व्यवस्थित कदमों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे पर ऐतिहासिक जी20 सर्वसम्मति के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जैसे अतीत के सिल्क रूट ने कई देशों की अर्थव्यवस्था बदल दी, वैसे ही यह गलियारा भी वैश्विक व्यापार की तस्वीर बदल देगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत अगली पीढ़ी के बड़े बंदरगाह, इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, द्वीप विकास, अंतर्देशीय जलमार्ग और मल्टी-मॉडल हब जैसे कार्य किए जाएंगे, जिससे व्यावसायिक लागत और पर्यावरण को क्रमिक नुकसान में कमी आएगी और इससे लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार होगा तथा रोजगार सृजित होंगे। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि निवेशकों के पास इस अभियान का हिस्सा बनने और भारत से जुड़ने का एक शानदार अवसर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि आज का भारत अगले 25 वर्षों में एक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उन्होंने भारत के समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले दशक में भारत में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हो गई है, और बड़े जहाजों के लिए जहाज पर से माल उतारने और लादने का समय 2014 में 42 घंटे की तुलना में अब 24 घंटे से भी कम हो गया है। उन्होंने बंदरगाह से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नई सड़कों के निर्माण का भी उल्लेख किया और तटीय बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सागरमाला परियोजना की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से रोजगार के अवसर और जीवन की सुगमता कई गुना बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का 'समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह' का विज़न जमीनी स्तर पर क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। उन्होंने कहा कि 'उत्पादकता के लिए बंदरगाह' के मंत्र को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। श्री मोदी ने बताया कि सरकार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रभावी बनाकर आर्थिक उत्पादकता बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत में तटीय शिपिंग मोड का भी आधुनिकीकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में तटीय कार्गो यातायात दोगुना हो गया है, जिससे लोगों को लागत प्रभावी लॉजिस्टिक विकल्प मिल रहा है। भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास के संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जलमार्गों की कार्गो हैंडलिंग में चार गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने पिछले 9 साल में लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत के सुधार का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने जहाज निर्माण और मरम्मत क्षेत्र में सरकार के फोकस के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भारत की क्षमता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत अगले दशक में शीर्ष पांच जहाज निर्माण देशों में से एक बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा मंत्र 'मेक इन इंडिया - मेक फॉर द वर्ल्ड' है। उन्होंने बताया कि सरकार समुद्री समूहों के माध्यम से इस क्षेत्र के सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए काम कर रही है। कई स्थानों पर जहाज निर्माण एवं मरम्मत केन्द्र विकसित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि जहाज रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में भारत पहले से ही दूसरे स्थान पर है। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए नेट-जीरो रणनीति के जरिए भारत के प्रमुख बंदरगाहों को कार्बन-मुक्‍त बनाने के प्रयास के बारे में भी जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि ''हम ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं जहां हरित धरती का माध्यम नीली अर्थव्यवस्था होगी'' ।

प्रधानमंत्री ने बताया कि समुद्री क्षेत्र के बड़े खिलाड़ियों को देश में प्रवेश करने के लिए भारत में काम चल रहा है। उन्होंने अहमदाबाद में गिफ्ट (जीआईएफटी) सिटी का उल्लेख किया जिसने एक ही समय में छूट की पेशकश करते हुए एक वित्तीय सेवा के रूप में जहाज पट्टे की शुरुआत की है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दुनिया की 4 वैश्विक जहाज पट्टे देने वाली कंपनियों ने भी गिफ्ट आईएफएससी के साथ पंजीकरण कराया है। उन्होंने इस शिखर सम्मेलन में उपस्थित अन्य जहाज पट्टे देने वाली कंपनियों से भी गिफ्ट आईएफएससी में शामिल होने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने बताया कि, "भारत में विशाल समुद्र तट, मजबूत नदी परितंत्र और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हैं, जो समुद्री पर्यटन के लिए नई संभावनाएं पैदा करती है।" उन्होंने भारत में लगभग 5 हजार साल पुरानी विश्व धरोहर लोथल डॉकयार्ड का जिक्र किया और इसे 'नौवहन का पालना' कहा। उन्होंने बताया कि इस विश्व धरोहर को संरक्षित करने के लिए मुंबई के पास लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर भी बनाया जा रहा है और साथ ही उन्होंने इसके पूरा होने पर नागरिकों से इसे देखने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने भारत में समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दुनिया की सबसे लंबी नदी क्रूज सेवा का उल्लेख किया। उन्होंने मुंबई में बनने वाले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल और विशाखापत्तनम तथा चेन्नई में आधुनिक क्रूज़ टर्मिनलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत अपने अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे की बदौलत वैश्विक क्रूज केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां विकास, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और मांग का खास संयोजन है। श्री मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब भारत 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने दुनिया भर के निवेशकों को भारत आने और इसके विकास पथ में शामिल होने के लिए खुला निमंत्रण दिया।

इस अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक मूल योजना (ब्लूप्रिंट) 'अमृत काल विजन 2047' का भी अनावरण किया। इस मूल योजना में बंदरगाह सुविधाओं को बढ़ाने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से रणनीतिक पहल की रूपरेखा तैयार की गई है। इस भविष्यवादी योजना के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने 23,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन, राष्ट्र को समर्पित और शिलान्यास किया, जो भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए 'अमृत काल विजन 2047' के साथ जुड़ी है।

प्रधानमंत्री ने गुजरात में दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण में टूना टेकरा ऑल वेदर डीप ड्राफ्ट टर्मिनल की आधारशिला रखी। इस पर 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। इस अत्याधुनिक ग्रीनफील्ड टर्मिनल को पीपीपी मोड में विकसित किया जाएगा। इसके एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है, जो 18,000 बीस फुट समकक्ष इकाइयों (टीईयू) से अधिक के अगली पीढ़ी के जहाजों का प्रबंधन करेगा और यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) के माध्यम से भारतीय व्यापार के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री ने समुद्री क्षेत्र में वैश्विक और राष्ट्रीय भागीदारी के लिए 7 लाख करोड़ से अधिक के 300 से अधिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी समर्पित किए।

यह शिखर सम्मेलन देश का सबसे बड़ा समुद्री कार्यक्रम है और इसमें यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया (मध्य एशिया, मध्य पूर्व और बिम्सटेक क्षेत्र सहित) के देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुनिया भर से मंत्री भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से सीईओ, व्यापारिक हस्तियां, निवेशक, अधिकारी और अन्य हितधारक भी भाग लेंगे। इसके अलावा, शिखर सम्मेलन में कई भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व भी मंत्रियों और अन्य गणमान्य हस्तियों द्वारा किया जाएगा।

इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाएगा जिसमें भविष्य के बंदरगाहों,; डीकार्बोनाइजेशन; तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन; जहाज निर्माण; मरम्मत और पुनर्चक्रण; वित्त, बीमा और मध्यस्थता; समुद्री समूह; नवाचार एवं प्रौद्योगिकी; समुद्री सुरक्षा और संरक्षा; और समुद्री पर्यटन शामिल हैं। यह शिखर सम्मेलन देश के समुद्री क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करता है।

पहला मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन 2016 में मुंबई में आयोजित किया गया था जबकि दूसरा समुद्री शिखर सम्मेलन वर्चुअल तरीके से 2021 में आयोजित किया गया था।

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."