महानुभावों और प्रिय दोस्तों, सबसे पहले मैं पुर्तगाल के पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, श्री मारियो सोरेस जो पुर्तगाल के एक महान नेता और एक वैश्विक स्टेट्समैन हैं, के निधन पर पुर्तगाल के लोगों एवं सरकार को हमारी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।
वह पुर्तगाल और भारत के बीच के राजनयिक संबंधों की पुनः स्थापना के वास्तुकार थे। हम दुख की इस घड़ी में पुर्तगाल के साथ खड़े हैं।
महामहिम, सूरीनाम के उप राष्ट्रपति, श्री माइकल अश्विन अदिन
महामहिम पुर्तगाल के प्रधानमंत्री, डॉ एंटोनियो कोस्टा,
कर्नाटक के राज्यपाल, श्री वजूभाई वाला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री, श्री सिद्धारमैया जी,
माननीय मंत्री, भारत और विदेश से गणमान्य व्यक्तियों, और सबसे महत्वपूर्ण, विदेशी में भारतीयों की वैश्विक परिवारों।
इस 14वें प्रवासी भारतीय दिवस पर आप सभी का स्वागत करना मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है। आज आप में से हजारों लोगों ने हमारे साथ होने के लिए दूर भूमि से यात्रा की है और लाखों लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इस दिन को एक महान प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी जी की घर वापसी के रूप में चिंह्ति किया गया है।
यह एक ऐसा पर्व है जिस में होस्ट भी आप ही है, गेस्ट भी आप ही हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें अपनी विदेश में रहने वाली संतान से मिलने का अवसर है।
अपनों को अपनों से मिलना, अपने लिए नहीं सबके लिए मिलना इस पर्व की असली पहचान, आन बान शान जो कुछ भी है आप सब लोग हैं। आप का इस पर्व में सम्मिलित होना हमारे लिए बहुत बहुत गर्व की बात है। आप सब का तहे दिल से स्वागत है।
हम इस पर्व को खूबसूरत शहर बेंगलुरू में मना रहे हैं।
मैं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जी और उनकी पूरी सरकार को इस पर्व के आयोजन में अपनी सहायता देने और इसे एक बड़ी सफलता बनाने के लिए शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
यह मेरे लिए विशेष रूप से खुशी की बात है कि मुझे पुर्तगाल के महामहिम प्रधानमंत्री, सूरीनाम के उप राष्ट्रपति, मलेशिया एवं मॉरीशस के माननीय मंत्रियों का स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ।
उनकी उपलब्धियां, नाम जिसे उन्होंने समाज एवं विश्वभर में कमाया है, हम सभी के लिए एक महान प्रेरणा है। यह विश्वभर में भारतीय मूल के लोगों की सफलता, महिमा और उद्यम को भी दर्शाता है।
30 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। उनकी मेहनत, अनुशासन, कानून अनुसरणता और शांतिप्रिय प्रकृति विदेशों में अन्य आप्रवासी समुदायों के लिए रोल मॉडल हैं।
आप की प्रेरणा कई प्रकार की है, आपके उद्देश्य अनेक हैं, आपके मार्ग भिन्न भिन्न हैं, हर किसी की मंजिल अलग है लेकिन हम सबके भीतर एक ही भाव विश्व है और वो भाव जगत है भारतीयता।
भारतीय प्रवासी जहां भी रहे उन्होंने उस धरती को उन्होंने कर्मभूमि माना, और जहां से आए हैं, उसे मर्मभूमि माना है।
आज आप उस कर्मभूमि की सफलताओं को, उसकी गठरी बांध करके उस मर्मभूमि में पधारे हैं जहाँ से आपको, आपके पूर्वजों को अविरत प्रेरणा मिलती रही है।
भारतीय प्रवासी जहां रहे वहां का विकास किया है और जहां के हैं वहां भी अपना अप्रतिम रिश्ता जोड़कर करके रखा है। जितना हो सका उतना योगदान दिया है।
दोस्तों,
मेरी सरकार के लिए और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए, प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संलग्नता प्राथमिकता का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है।
मैं विदेशों - यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, कतार, सिंगापूर, फिजी, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, केन्या, मॉरीशस, सेशल्स, मलेशिया में अपनी यात्रा के दौरान हमारे हजारों भाईयों और बहनों से मिला हूं और उनसे बात की है। हमारे निरंतर और व्यवस्थित पहुंच के परिणामस्वरूप, भारत के सामाजिक और आर्थिक बदलाव के साथ और अधिक बड़े पैमाने पर और गहराई से जुड़ने के लिए प्रवासी भारतीयों में नई ऊर्जा, गहरी इच्छा और मजबूत मुहिम है।
प्रवासी भारतीयों द्वारा लगभग सालाना उनहत्तर बिलियन डॉलर के विप्रेषण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अमूल्य योगदान दिया है।
- प्रवासी भारतीयों में देश के विकास के लिए अदम्य इच्छाशक्ति है;
- वे देश की प्रगति में सहयात्री हैं, को ट्रैवलर हैं;
- हमारी विकास यात्रा में आप हमारे एक मूल्यवान साथी हैं, पार्टनर हैं, स्टेक होल्डर हैं।
कभी चर्चा हुआ करती थी, ब्रेन ड्रेन की, हर कोई सवाल पूछता था और मैं उस समय लोगों को कहता था, तब तो न मुख्यमंत्री था न प्रधानमंत्री था, जब लोग कहते थे की ब्रेन ड्रेन हो रहा है, तो मैं कह रहा था की क्या बुद्धू लोग ही यहाँ बचे हैं क्या?
लेकिन आज मैं बड़े विश्वास के साथ कहना चाहता हूँ, हम लोग जो ब्रेन ड्रेन की चर्चा करते थे, वर्तमान सरकार की पहल, ब्रेन गेन के लिए हैं।
हम ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलना चाहते हैं और वो सब आप सबकी सहभागिता से ही संभव होने वाला है और हो के रहने वाला है, ये मेरा विश्वास है।
एनआरआई और पीआईओ ने अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
उनमें, उच्च नेता, ख्याति के वैज्ञानिक, बेहतरीन डॉक्टर, प्रतिभाशाली शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री, संगीतकार, प्रसिद्ध परोपकारी, पत्रकार, बैंकर्स, इंजीनियर और वकील शामिल हैं।
और, माफ करना, क्या मैंने हमारे प्रसिद्ध सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों का उल्लेख किया था?
कल, 30 प्रवासी भारतीयों को दोनों, भारत एवं विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति जी से प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्राप्त होगा।
दोस्तों,
उनकी पृष्ठभूमि और पेश की परवाह किए बिना, सभी विदेशी भारतीयों का कल्याण और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इस के लिए, हम हमारी प्रशासनिक व्यवस्था के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहे है। चाहे उनका पासपोर्ट गुम होने की बात हो, कानूनी सलाह, चिकित्सा सहायता, आश्रय, या यहां तक कि नश्वर शरीर को भारत परिवहित करने की बात हो, मैंने सभी भारतीय दूतावासों को विदेश में भारतीय नागरिकों की समस्याओं का समाधान तीव्रता से करने के निर्देश दिए हैं।
विदेशों में भारतीय नागरिकों की जरूरतों के लिए हमारी प्रतिक्रिया को पहुंच, संवेदनशीलता, गति और मुस्तैदी से परिभाषित किया गया है।
.भारतीय दूतावासों द्वारा 24/7 हेल्प लाइन्स;
भारतीय नागरिकों के साथ ’ओपन हाउस’ बैठकें; कांसुलर शिविर; पासपोर्ट सेवाओं के लिए ट्विटर सेवा; और तत्काल पहुँच के लिए सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग; कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें हमने यह स्पष्ट संदेश देने के लिए रखा है कि जब भी आपको जरूरत हो, हम आपके लिए यहां हैं।
विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हम पासपोर्ट का कलर नहीं देखते हैं, खून का रिश्ता सोचते हैं।
भारतीय नागरिकों के सामने आने वाली संकट की स्थितियों में, हम उनकी सुरक्षा, बचाव एवं देश प्रत्यावर्तन को सुनिश्चित करने के लिए पहुंच चुके हैं।
विशेष रूप से, हमारी विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी, सोशल मीडिया का प्रयोग करके विदेशों में व्यथित भारतीयों तक पहुंचने में सक्रिय हैं।
जुलाई 2016 में ऑपरेशन ’संकट मोचन’ के तह, हमने 48 घंटे के भीतर दक्षिण सूडान से एक सौ पचास से अधिक भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
हम लोग छोटे थे तो सुनते थे, मामा का घर कितना दूर, तो बोले - दिया जले उतना दूर।
भारत कितना दूर उसको लगना चाहिए, दिया जले उतना दूर, इतनी निकटता उसको महसूस होनी चाहिए, दुनिया के किसी भी देश में क्यों ना रहता हो, उसको ये अपनापन महसूस होना चाहिए।
विदेशों में आर्थिक अवसर तलाशने वाले कार्यकर्ताओं के लिए, हम अधिकतम सरलीकरण प्रदान करने और न्यूनतम असुविधा को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहें है।
हमारा आदर्श वाक्य हैः "सुरक्षित जाएँ, प्रशिक्षित जाएँ, विश्वास के साथ जाएँ"
इस के लिए, हमने अपनी प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है और भारतीय श्रमिकों की उत्प्रवास की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।
लगभग छह लाख प्रवासियों को पंजीकृत भर्ती एजेंटों के माध्यम से विदेशों में रोजगार के लिए उत्प्रवास क्लीयरेंस ऑनलाइन प्रदान किया गया है।
ई-माइग्रेट पोर्टल पर विदेशी नियोक्ताओं के ऑनलाइन पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है।
भारतीय प्रवासियों की शिकायतों, मसलों और याचिकाओं को ई-माइग्रेट और एमएडीएडी प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन संबोधित किया जा रहा है।
हम भारत में अवैध रूप से भर्ती एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी कर रहे हैं।
अवैध एजेंटों के खिलाफ सीबीआई या राज्य पुलिस द्वारा अभियोजन प्रतिबंधों; और भर्ती एजेंटों द्वारा बैंक गारंटी की राशि को 20 लाख से 50 लाख तक बढ़ाना; इस दिशा में हमारे कुछ कदम हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय कमगार बेहतर आर्थिक अवसरों का लाभ उठा सके, हम जल्द ही कौशल विकास प्रोग्राम - प्रवासी कौशल विकास योजना को शुरू करेंगे - जो विदेशों में रोजगार तलाशने वाले भारतीय युवाओं को लक्षित करेगी।
जो पहली बार विदेश जाते हैं, ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, अगर उनका वहां के देश की आवश्यकता के अनुसार यहीं पर उसका पंद्रह दिन या एक महीने का कोर्स हो, स्किल डेवलपमेंट हो। मान लीजिये वो किसी देश में हाउस-कीपिंग के काम के लिए जा रहा है, अगर यहाँ उसकी ट्रेनिंग होगी तो बड़े विश्वास के साथ जाएगा और इसलिए ये प्रवासी कौशल विकास योजना, भारत से बाहर जाने वाले लोग एक वैल्यू एडेड अवस्था मैं जाएँ, जिसके कारण एक नया विश्वास पैदा हो, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं और उस से मुझे लगता है जो गरीब तबके के लोग छोटे-छोटे काम करने के लिए जा रहे हैं, उनको ज्यादा लाभ होगा। कुछ लोगों को, उस देश के कुछ सेंटेंसेस हैं, कुछ उस देश के मैनर्स हैं, कुछ कल्चरल चीज़ें सीखनी जरूरी होती हैं, वो भी कितने ही पढ़े लिखे व्यक्ति क्यों ना हों, उसको काम आती हैं, उस पर भी हम बल दे रहे हैं, जिसको हम सॉफ्ट-स्किल कहते हैं। तो ऐसी व्यवस्थाएं जिसके कारण भारत का व्यक्ति, विश्व में पैर रखते ही उसको कुछ भी पराया ना लगे, औरों को भी वो अपना लगे, और उसका आत्म-विश्वास उन उचाईयों को पार करने वाला हो जैसे वो सालों से उस भूमि को जानता है, उस भूमि को जानता है, वो तुरंत ही अपने आप को सेट कर सकता है। उस रूप में उसकी चिंता-व्यवस्था हम कर रहे हैं।
दोस्तो।
हमारा इंडियन डिस्पोरा के साथ विशेष संबंध है जो गिरमिटिया देशों - तो अपने मूल स्थानों से गहराई और भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं - में रह रहे हैं।
हम इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों (जो चार या पांच पीढ़ी पहले ही विदेश चले गए थे) के सामने ओसीआई कार्ड प्राप्त करने में आने वाली परेशानियों से अवगत हैं।
हम उनकी चिंताओं को मानते हैं और हमने इन मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रयास किए हैं।
मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि मॉरीशस के साथ शुरू करते हुए, हम नई प्रक्रियाओं और प्रलेखन आवश्यकताओं को डालने के लिए काम कर रहे हैं ताकि इस देश से गिरमिटियों के वंशज ओसीआई कार्ड के लिए पात्र हो सकें।
हम फिजी, रीयूनियन द्वीप समूह, सूरीनाम, गुयाना और अन्य कैरेबियन देशों में पीआईओ की कठिनाइयों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पिछले प्रवासी भारतीय दिवस पर मेरे अनुरोध की तरह, मैं फिर से पीआईओ कार्ड धारकों को पीआईओ कार्ड को ओसीआई कार्ड में बदलने के लिए प्रोत्साहित करूंगा।
मैं बोलता रहता हूँ और आग्रह करता रहता हूँ लेकिन मुझे पता है कि आप काफी व्यस्त रहते है, और इसके लिए ये काम शायद रह जाता है। तो आपकी इस व्यस्तता को देखते हुए, मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमने बिना किसी जुर्माने के इस रूपांतरण की सीमा को 31 दिसंबर 2016 से 30 जून, 2017 तक कर दिया है।
इस साल पहली जनवरी से, दिल्ली और बेंगलुरु में हवाई अड्डों के साथ शुरुआत करके, हमने ओसीआई कार्ड धारकों के लिए हमारे हवाई अड्डों में इमीग्रेशन प्वांइट पर भी विशेष काउंटर स्थापित किए हैं।
दोस्तों,
आज, लगभग 7 लाख भारतीय छात्र विदेशों में शैक्षिक कार्यक्रम ग्रहण कर रहे हैं।
मुझे भली भाति ज्ञात है कि विदेश मे रह रहा हर भारतीय, भारत की प्रगति से जुड़ने के लिए आतुर है।
उनका ज्ञान-विज्ञान और भारत के ज्ञान का मिलन भारत को आर्थिक प्रगति को असीम उचाईयो पर ले जायेगा।
मेरा सदैव यह प्रयास और विश्वास रहा है कि सक्षम तथा सफल प्रवासियो को भारत की विकास गाथा से जुड़ने का सम्पूर्ण मौका मिलना चाहिए।
खास तौर से विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्रो में।
इसके लिए हमने कई कदम उठाए हैं।
उनमें से एक यह है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग विजिटिंग सहायक संयुक्त अनुसंधान संकाय या वज्र योजना को लांच करने जा रहा है जो एनआरआई और विदेशी वैज्ञानिक समुदाय को भाग लेने और भारत में अनुसंधान एवं विकास में योगदान करने में सक्षम बनाता है।
इस योजना के तहत, एक प्रवासी भारतीय भारत में एक संस्था में एक से तीन महीने के लिए काम कर सकता है।
और, वो भी अच्छी शर्तों पर।
किन्तु सब से महत्पूर्ण है कि प्रवासी भारतीय इसके द्वारा देश की प्रगति का एक अहम् हिस्सा बन सकता है।
दोस्तों,
यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत और विदेशी भारतीयों के बीच निरंतर का संबंध स्थिर और दोनों के लिए लाभप्रद होना चाहिए।
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, पिछले साल अक्टूबर में, महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर, मुझे दिल्ली में प्रवासी भारतीय केन्द्र का उद्घाटन करने का सम्मान मिला था।
यह केन्द्र प्रवासी भारतीय समुदाय को समर्पित है।
हम वैश्विक प्रवास अनुभवों, संघर्षों, उपलब्धियों और विदेशों में बसे भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतीक बनना चाहते हैं।
मुझे विश्वास है कि केन्द्र प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ अपनी संलग्नता को फिर से परिभाषित करने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों को एक निश्चित रूप देने के लिए एक और महत्वपूर्ण मंच बन जाएगा।
दोस्तो,
हमारे प्रवासी भारतीय कई पीढ़ीयो से विदेशो में है। हर पीढ़ी के अनुभव ने भारत को और सक्षम बनाया है। जैसे एक नए पौधे पर हमारे भीतर अलग से एक स्नेह उभर आता है, उसी तरह विदेश में रह रहे युवा भारतीय प्रवासी भी हमारे लिए अनमोल हैं, विशेष हैं।
हम प्रवासी भारतीयों की पीढ़ियों से, यंग प्रवासियों से करीबी और मजबूत और संपर्क और गहरा बनाना चाहते हैं।
भारतीय मूल के युवाओं को अपनी मातृभूमि की यात्रा करने और अपनी भारतीय जड़ों, संस्कृति, और विरासत के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करने के लिए - हमने सरकार के ‘भारत को जानें’ प्रोग्राम का विस्तार किया है, जिसके तहत पहली बार, युवा प्रवासी भारतीयों के छह समूह इस वर्ष भारत का दौरा कर रहे हैं।
मुझे यह जानकर बेहद खुश हूं कि आज 160 युवा प्रवासी भारतीय प्रवासी भारतीय दिवस में भाग लेने के लिए यहां आए हैं। मैं इन युवा प्रवासियों का विशेष स्वागत करता हूं - मैं आशा करता हूं कि अपने अपने देशों को लौटकर, आप हमसे जुड़े रहेंगे, और बार बार भारत की यात्रा करेंगे।
पिछले साल, युवा प्रवासी भारतीयों के लिए "भारत को जानो" नामक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी के पहले संस्करण में 5000 से अधिक युवा एनआरआई और पीआईओ ने भाग लिया था।
इस वर्ष दूसरे संस्करण में, मुझे कम से कम पचास हजार युवा प्रवासी भारतीयों की भागीदारी देखने की उम्मीद है।
दोस्तो,
क्या आपै इस मिशन में मेरी मदद करेंगे?
क्या आप इस मिशन में मेरी मदद करेंगे?
क्या आप मेरे साथ काम करने के लिए तैयार हैं? तो फिर हम पचास हजार पर क्यों रूकें।
दोस्तो,
आज भारत एक नयी प्रगतिशील दिशा की और अग्रसर है। ऐसी प्रगति जो न केवल आर्थिक है अपितु सामाजिक, राजनैतिक, और शासिकिय है।
आर्थिक क्षेत्र में, पीआईओ तथा एनआरआई के लिए एफडीआई पूरी तरह से उदार है। एफडीआई की मेरी दो परिभाषाएं हैं।
एक परिभाषा यह है, एफडीआई का मतलब है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। और दूसरी यह है कि सबसे पहले भारत विकास।
गैर-प्रत्यावर्तन के आधार पर पीआईओ द्वारा; और कंपनियों, ट्रस्टों एवं उनकी स्वामित्व साझेदारी द्वारा किया गया निवेश अब प्रवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश के सममूल्य परघरेलू निवेश माना जाता है।
हमारे कई ऐसा प्रोग्राम है, जैसे स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया, और स्टार्ट अप इंडिया, जिन से प्रवासी भारतीय भारत के सामान्य व्यक्ति के प्रगति से सीधा जुड़ सकते है।
यहां आप में से कई लोग हैं जो व्यापार और निवेश में योगदान करना चाहते हैं। अन्य स्वच्छ भारत, नमामि गंगे आदि में योगदान देकर समर्थन कर सकते हैं।
कुछ लोग भारत में स्वयं सेवा के लिए अपना मूल्यवान समय एवं प्रयास देकर, वंचित समूहों की मदद करके या विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण प्रोग्राम में योगदान देकर प्रेरित महसूस कर सकते हैं।
हम आपके उन सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं जो प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ भारत की भागीदारी को मजबूत कर रही है। मैं आपको प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में प्रदर्शनी का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित करता हूं जो आपको हमारे द्वारा कार्यान्वित प्रमुख प्रोग्रामों झलक देता है और दर्शाता है कि आप कैसे हमारे भागीदार बन सकते हैं।
दोस्तो,
यहाँ आने के बाद आपने सुना होगा, देखा होगा, हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ, काले धन के खिलाफ, करप्शन और ब्लैक मनी के खिलाफ एक बहुत बीड़ा उठाया है।
काला धन एवं भ्रष्टाचार, हमारी राजनीति, देश, समाज तथा शासन को धीरे धीरे खोखला करता रहा है। और ये दुर्भाग्य है कि काले धन के कुछ राजनैतिक पुजारी हमारे प्रयासों को जनता के विरोधी दर्शाते है।
भ्रष्टाचार और काले धन को समाप्त करने में, भारत सरकार की नीतियों का जो समर्थन प्रवासी भारतीयों ने किया है उसके लिए मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ, आपका साधुवाद करता हूँ, आपका धन्यवाद करता हूँ।
दोस्तो।
अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि भारतीयों होने के नाते, हमारी एक साझी विरासत है जो हम सभी को एक साथ लाती है। और, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम विश्व में कहां हैं, यह एक आम बंधन है जो हमें मजबूत बनाता है।
और इस लिए मेरे प्यारे देशवासियोंए आपने जो सपने संजो कर रखे हुए हैंए आपके सपने हमारे संकल्प हैं। और हम सब मिल कर के उन सपनों को साकार करने के लिएए अगर व्यवस्था में बदलाव जरूरी होए अगर कानून.नियमों में बदलाव के जरूरत होए साहसिक कदम उठाने की जरूरत होए हर एक को साथ लेकर चलने के लिएए जो कुछ भी करना पड़ेए करने की आवश्यकता होए ये सब करते हुएए मैं विश्वास से कहता हूँए इक्कीसवीं सदीए हिंदुस्तान की सदी है।
बहुत बहुत धन्यवाद।
PM begins address, condoles death of Mario Soares, architect of the re-establishment of diplomatic relations btw India and Portugal #PBD2017 pic.twitter.com/IpMGiULJEh
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
It is a great pleasure for me to welcome all of you on this 14th Pravasi Bharatiya Diwas: PM @narendramodi #PBD2017 @PBDConvention
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
Indians abroad are valued not just for their strength in numbers. They are respected for the contributions they make: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
The Indian diaspora represents the best of Indian culture, ethos and values: PM @narendramodi #PBD2017 @PBDConvention
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
Engagement with the overseas Indian community has been a key area of priority: PM @narendramodi @PBDConvention #PBD2017
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
Remittance of close to sixty nine billion dollars annually by overseas Indians makes an invaluable contribution to the Indian economy: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
NRIs and PIOs have made outstanding contributions to their chosen fields: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
The welfare and safety of all Indians abroad is our top priority: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
The security of Indian nationals abroad is of utmost importance to us: PM @narendramodi @PBDConvention #PBD2017
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
EAM @SushmaSwaraj has particularly been proactive and prompt in reaching out to distressed Indians abroad using social media: PM at #PBD2017
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
For those workers who seek economic opportunities abroad, our effort is to provide maximum facilitation and ensure least inconvenience: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
I would again encourage all PIO Card holders to convert their PIO Cards to OCI Cards: PM @narendramodi @PBDConvention #PBD2017
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
PM: We will shortly launch a skill devt program - the Pravasi Kaushal Vikas Yojana - targeted at Indian youth seeking overseas employment pic.twitter.com/4VJbL4CWE2
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM: Starting w/ Mauritius, we are working to put in place procedures so that descendants of Girmitiyas could become eligible for OCI Cards pic.twitter.com/wGng9BjFj9
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM: We remain committed to addressing similar difficulties of PIOs in Fiji, Reunion Islands, Suriname, Guyana and other Caribbean States. pic.twitter.com/KTd9yYKQEv
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
We welcome all your efforts that seek to strengthen India’s partnership with the overseas Indian community: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 8, 2017
PM: We have extended the deadline for PIO card conversions to OCI from 31 December 2016, until June 30, 2017 without any penalty.
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM: From1st of January this year, beginning with Delhi & Bengaluru, we have set up special counters at immig'n points for OCI cardholders
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM speaks of how overseas Indians in the scientific field can share their knowledge and expertise through programmes like VAJRA schemes pic.twitter.com/slIa8rnZcF
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM on the Pravasi Bharatiya Kendra: We want it to become a symbol of global migration, achievements & aspirations of the Diaspora.
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM: A special welcome to the young Pravasis – I hope that on returning to your respective countries, you will remain connected with us pic.twitter.com/QeESshH9qm
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017
PM concludes: Whether knowledge, time or money, we welcome your contribut'ns that strengthen India’s partnership w/ overseas community pic.twitter.com/eibfXZYbZD
— Vikas Swarup (@MEAIndia) January 8, 2017