Quoteप्रधानमंत्री मोदी प्रवासी भारतीय दिवस-2017 में सम्मिलित हुए
Quoteविदेश में रहने वाले भारतीय केवल संख्या शक्ति के रूप में महत्वपूर्ण नहीं हैं, उनके योगदान के लिए उनका सम्मान किया जाता है: प्रधानमंत्री
Quoteभारतीय समुदाय उत्कृष्ठ भारतीय संस्कृति, लोकाचार और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है: प्रधानमंत्री
Quoteविदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों के साथ संबंध स्थापित करना बेहद महत्वपूर्ण रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteविदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों की सुरक्षा हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री

महानुभावों और प्रिय दोस्तों, सबसे पहले मैं पुर्तगाल के पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, श्री मारियो सोरेस जो पुर्तगाल के एक महान नेता और एक वैश्विक स्टेट्समैन हैं, के निधन पर पुर्तगाल के लोगों एवं सरकार को हमारी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।

वह पुर्तगाल और भारत के बीच के राजनयिक संबंधों की पुनः स्थापना के वास्तुकार थे। हम दुख की इस घड़ी में पुर्तगाल के साथ खड़े हैं।

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महामहिम, सूरीनाम के उप राष्ट्रपति, श्री माइकल अश्विन अदिन
महामहिम पुर्तगाल के प्रधानमंत्री, डॉ एंटोनियो कोस्टा,
कर्नाटक के राज्यपाल, श्री वजूभाई वाला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री, श्री सिद्धारमैया जी,

माननीय मंत्री, भारत और विदेश से गणमान्य व्यक्तियों, और सबसे महत्वपूर्ण, विदेशी में भारतीयों की वैश्विक परिवारों।

इस 14वें प्रवासी भारतीय दिवस पर आप सभी का स्वागत करना मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है। आज आप में से हजारों लोगों ने हमारे साथ होने के लिए दूर भूमि से यात्रा की है और लाखों लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इस दिन को एक महान प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी जी की घर वापसी के रूप में चिंह्ति किया गया है।

यह एक ऐसा पर्व है जिस में होस्ट भी आप ही है, गेस्ट भी आप ही हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें अपनी विदेश में रहने वाली संतान से मिलने का अवसर है।

अपनों को अपनों से मिलना, अपने लिए नहीं सबके लिए मिलना इस पर्व की असली पहचान, आन बान शान जो कुछ भी है आप सब लोग हैं। आप का इस पर्व में सम्मिलित होना हमारे लिए बहुत बहुत गर्व की बात है। आप सब का तहे दिल से स्वागत है।

हम इस पर्व को खूबसूरत शहर बेंगलुरू में मना रहे हैं।

मैं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जी और उनकी पूरी सरकार को इस पर्व के आयोजन में अपनी सहायता देने और इसे एक बड़ी सफलता बनाने के लिए शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।

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यह मेरे लिए विशेष रूप से खुशी की बात है कि मुझे पुर्तगाल के महामहिम प्रधानमंत्री, सूरीनाम के उप राष्ट्रपति, मलेशिया एवं मॉरीशस के माननीय मंत्रियों का स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ।

उनकी उपलब्धियां, नाम जिसे उन्होंने समाज एवं विश्वभर में कमाया है, हम सभी के लिए एक महान प्रेरणा है। यह विश्वभर में भारतीय मूल के लोगों की सफलता, महिमा और उद्यम को भी दर्शाता है।

30 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। उनकी मेहनत, अनुशासन, कानून अनुसरणता और शांतिप्रिय प्रकृति विदेशों में अन्य आप्रवासी समुदायों के लिए रोल मॉडल हैं।

आप की प्रेरणा कई प्रकार की है, आपके उद्देश्य अनेक हैं, आपके मार्ग भिन्न भिन्न हैं, हर किसी की मंजिल अलग है लेकिन हम सबके भीतर एक ही भाव विश्व है और वो भाव जगत है भारतीयता।

भारतीय प्रवासी जहां भी रहे उन्होंने उस धरती को उन्होंने कर्मभूमि माना, और जहां से आए हैं, उसे मर्मभूमि माना है।

आज आप उस कर्मभूमि की सफलताओं को, उसकी गठरी बांध करके उस मर्मभूमि में पधारे हैं जहाँ से आपको, आपके पूर्वजों को अविरत प्रेरणा मिलती रही है।

भारतीय प्रवासी जहां रहे वहां का विकास किया है और जहां के हैं वहां भी अपना अप्रतिम रिश्ता जोड़कर करके रखा है। जितना हो सका उतना योगदान दिया है।

 

दोस्तों,

मेरी सरकार के लिए और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए, प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संलग्नता प्राथमिकता का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है।

मैं विदेशों - यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, कतार, सिंगापूर, फिजी, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, केन्या, मॉरीशस, सेशल्स, मलेशिया में अपनी यात्रा के दौरान हमारे हजारों भाईयों और बहनों से मिला हूं और उनसे बात की है। हमारे निरंतर और व्यवस्थित पहुंच के परिणामस्वरूप, भारत के सामाजिक और आर्थिक बदलाव के साथ और अधिक बड़े पैमाने पर और गहराई से जुड़ने के लिए प्रवासी भारतीयों में नई ऊर्जा, गहरी इच्छा और मजबूत मुहिम है।

प्रवासी भारतीयों द्वारा लगभग सालाना उनहत्तर बिलियन डॉलर के विप्रेषण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अमूल्य योगदान दिया है।

  • प्रवासी भारतीयों में देश के विकास के लिए अदम्य इच्छाशक्ति है;
  • वे देश की प्रगति में सहयात्री हैं, को ट्रैवलर हैं;
  • हमारी विकास यात्रा में आप हमारे एक मूल्यवान साथी हैं, पार्टनर हैं, स्टेक होल्डर हैं।

कभी चर्चा हुआ करती थी, ब्रेन ड्रेन की, हर कोई सवाल पूछता था और मैं उस समय लोगों को कहता था, तब तो न मुख्यमंत्री था न प्रधानमंत्री था, जब लोग कहते थे की ब्रेन ड्रेन हो रहा है, तो मैं कह रहा था की क्या बुद्धू लोग ही यहाँ बचे हैं क्या?

लेकिन आज मैं बड़े विश्वास के साथ कहना चाहता हूँ, हम लोग जो ब्रेन ड्रेन की चर्चा करते थे, वर्तमान सरकार की पहल, ब्रेन गेन के लिए हैं।

हम ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलना चाहते हैं और वो सब आप सबकी सहभागिता से ही संभव होने वाला है और हो के रहने वाला है, ये मेरा विश्वास है।

एनआरआई और पीआईओ ने अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

उनमें, उच्च नेता, ख्याति के वैज्ञानिक, बेहतरीन डॉक्टर, प्रतिभाशाली शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री, संगीतकार, प्रसिद्ध परोपकारी, पत्रकार, बैंकर्स, इंजीनियर और वकील शामिल हैं।

और, माफ करना, क्या मैंने हमारे प्रसिद्ध सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों का उल्लेख किया था?

कल, 30 प्रवासी भारतीयों को दोनों, भारत एवं विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति जी से प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्राप्त होगा।

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दोस्तों,

उनकी पृष्ठभूमि और पेश की परवाह किए बिना, सभी विदेशी भारतीयों का कल्याण और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इस के लिए, हम हमारी प्रशासनिक व्यवस्था के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहे है। चाहे उनका पासपोर्ट गुम होने की बात हो, कानूनी सलाह, चिकित्सा सहायता, आश्रय, या यहां तक कि नश्वर शरीर को भारत परिवहित करने की बात हो, मैंने सभी भारतीय दूतावासों को विदेश में भारतीय नागरिकों की समस्याओं का समाधान तीव्रता से करने के निर्देश दिए हैं।

विदेशों में भारतीय नागरिकों की जरूरतों के लिए हमारी प्रतिक्रिया को पहुंच, संवेदनशीलता, गति और मुस्तैदी से परिभाषित किया गया है।

.भारतीय दूतावासों द्वारा 24/7 हेल्प लाइन्स;

भारतीय नागरिकों के साथ ’ओपन हाउस’ बैठकें; कांसुलर शिविर; पासपोर्ट सेवाओं के लिए ट्विटर सेवा; और तत्काल पहुँच के लिए सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग; कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें हमने यह स्पष्ट संदेश देने के लिए रखा है कि जब भी आपको जरूरत हो, हम आपके लिए यहां हैं।

विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हम पासपोर्ट का कलर नहीं देखते हैं, खून का रिश्ता सोचते हैं।

भारतीय नागरिकों के सामने आने वाली संकट की स्थितियों में, हम उनकी सुरक्षा, बचाव एवं देश प्रत्यावर्तन को सुनिश्चित करने के लिए पहुंच चुके हैं।

विशेष रूप से, हमारी विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी, सोशल मीडिया का प्रयोग करके विदेशों में व्यथित भारतीयों तक पहुंचने में सक्रिय हैं।

जुलाई 2016 में ऑपरेशन ’संकट मोचन’ के तह, हमने 48 घंटे के भीतर दक्षिण सूडान से एक सौ पचास से अधिक भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

हम लोग छोटे थे तो सुनते थे, मामा का घर कितना दूर, तो बोले - दिया जले उतना दूर।

भारत कितना दूर उसको लगना चाहिए, दिया जले उतना दूर, इतनी निकटता उसको महसूस होनी चाहिए, दुनिया के किसी भी देश में क्यों ना रहता हो, उसको ये अपनापन महसूस होना चाहिए।

विदेशों में आर्थिक अवसर तलाशने वाले कार्यकर्ताओं के लिए, हम अधिकतम सरलीकरण प्रदान करने और न्यूनतम असुविधा को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहें है।

हमारा आदर्श वाक्य हैः "सुरक्षित जाएँ, प्रशिक्षित जाएँ, विश्वास के साथ जाएँ"

इस के लिए, हमने अपनी प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है और भारतीय श्रमिकों की उत्प्रवास की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।

लगभग छह लाख प्रवासियों को पंजीकृत भर्ती एजेंटों के माध्यम से विदेशों में रोजगार के लिए उत्प्रवास क्लीयरेंस ऑनलाइन प्रदान किया गया है।

ई-माइग्रेट पोर्टल पर विदेशी नियोक्ताओं के ऑनलाइन पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है।

भारतीय प्रवासियों की शिकायतों, मसलों और याचिकाओं को ई-माइग्रेट और एमएडीएडी प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन संबोधित किया जा रहा है।

हम भारत में अवैध रूप से भर्ती एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी कर रहे हैं।

अवैध एजेंटों के खिलाफ सीबीआई या राज्य पुलिस द्वारा अभियोजन प्रतिबंधों; और भर्ती एजेंटों द्वारा बैंक गारंटी की राशि को 20 लाख से 50 लाख तक बढ़ाना; इस दिशा में हमारे कुछ कदम हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय कमगार बेहतर आर्थिक अवसरों का लाभ उठा सके, हम जल्द ही कौशल विकास प्रोग्राम - प्रवासी कौशल विकास योजना को शुरू करेंगे - जो विदेशों में रोजगार तलाशने वाले भारतीय युवाओं को लक्षित करेगी।

जो पहली बार विदेश जाते हैं, ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, अगर उनका वहां के देश की आवश्यकता के अनुसार यहीं पर उसका पंद्रह दिन या एक महीने का कोर्स हो, स्किल डेवलपमेंट हो। मान लीजिये वो किसी देश में हाउस-कीपिंग के काम के लिए जा रहा है, अगर यहाँ उसकी ट्रेनिंग होगी तो बड़े विश्वास के साथ जाएगा और इसलिए ये प्रवासी कौशल विकास योजना, भारत से बाहर जाने वाले लोग एक वैल्यू एडेड अवस्था मैं जाएँ, जिसके कारण एक नया विश्वास पैदा हो, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं और उस से मुझे लगता है जो गरीब तबके के लोग छोटे-छोटे काम करने के लिए जा रहे हैं, उनको ज्यादा लाभ होगा। कुछ लोगों को, उस देश के कुछ सेंटेंसेस हैं, कुछ उस देश के मैनर्स हैं, कुछ कल्चरल चीज़ें सीखनी जरूरी होती हैं, वो भी कितने ही पढ़े लिखे व्यक्ति क्यों ना हों, उसको काम आती हैं, उस पर भी हम बल दे रहे हैं, जिसको हम सॉफ्ट-स्किल कहते हैं। तो ऐसी व्यवस्थाएं जिसके कारण भारत का व्यक्ति, विश्व में पैर रखते ही उसको कुछ भी पराया ना लगे, औरों को भी वो अपना लगे, और उसका आत्म-विश्वास उन उचाईयों को पार करने वाला हो जैसे वो सालों से उस भूमि को जानता है, उस भूमि को जानता है, वो तुरंत ही अपने आप को सेट कर सकता है। उस रूप में उसकी चिंता-व्यवस्था हम कर रहे हैं।

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दोस्तो।

हमारा इंडियन डिस्पोरा के साथ विशेष संबंध है जो गिरमिटिया देशों - तो अपने मूल स्थानों से गहराई और भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं - में रह रहे हैं।

हम इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों (जो चार या पांच पीढ़ी पहले ही विदेश चले गए थे) के सामने ओसीआई कार्ड प्राप्त करने में आने वाली परेशानियों से अवगत हैं।

हम उनकी चिंताओं को मानते हैं और हमने इन मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रयास किए हैं।

मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि मॉरीशस के साथ शुरू करते हुए, हम नई प्रक्रियाओं और प्रलेखन आवश्यकताओं को डालने के लिए काम कर रहे हैं ताकि इस देश से गिरमिटियों के वंशज ओसीआई कार्ड के लिए पात्र हो सकें।

हम फिजी, रीयूनियन द्वीप समूह, सूरीनाम, गुयाना और अन्य कैरेबियन देशों में पीआईओ की कठिनाइयों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

पिछले प्रवासी भारतीय दिवस पर मेरे अनुरोध की तरह, मैं फिर से पीआईओ कार्ड धारकों को पीआईओ कार्ड को ओसीआई कार्ड में बदलने के लिए प्रोत्साहित करूंगा।

मैं बोलता रहता हूँ और आग्रह करता रहता हूँ लेकिन मुझे पता है कि आप काफी व्यस्त रहते है, और इसके लिए ये काम शायद रह जाता है। तो आपकी इस व्यस्तता को देखते हुए, मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमने बिना किसी जुर्माने के इस रूपांतरण की सीमा को 31 दिसंबर 2016 से 30 जून, 2017 तक कर दिया है।

इस साल पहली जनवरी से, दिल्ली और बेंगलुरु में हवाई अड्डों के साथ शुरुआत करके, हमने ओसीआई कार्ड धारकों के लिए हमारे हवाई अड्डों में इमीग्रेशन प्वांइट पर भी विशेष काउंटर स्थापित किए हैं।

दोस्तों,

आज, लगभग 7 लाख भारतीय छात्र विदेशों में शैक्षिक कार्यक्रम ग्रहण कर रहे हैं।

मुझे भली भाति ज्ञात है कि विदेश मे रह रहा हर भारतीय, भारत की प्रगति से जुड़ने के लिए आतुर है।

उनका ज्ञान-विज्ञान और भारत के ज्ञान का मिलन भारत को आर्थिक प्रगति को असीम उचाईयो पर ले जायेगा।

मेरा सदैव यह प्रयास और विश्वास रहा है कि सक्षम तथा सफल प्रवासियो को भारत की विकास गाथा से जुड़ने का सम्पूर्ण मौका मिलना चाहिए।

खास तौर से विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्रो में।

इसके लिए हमने कई कदम उठाए हैं।

उनमें से एक यह है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग विजिटिंग सहायक संयुक्त अनुसंधान संकाय या वज्र योजना को लांच करने जा रहा है जो एनआरआई और विदेशी वैज्ञानिक समुदाय को भाग लेने और भारत में अनुसंधान एवं विकास में योगदान करने में सक्षम बनाता है।

इस योजना के तहत, एक प्रवासी भारतीय भारत में एक संस्था में एक से तीन महीने के लिए काम कर सकता है।

और, वो भी अच्छी शर्तों पर।

किन्तु सब से महत्पूर्ण है कि प्रवासी भारतीय इसके द्वारा देश की प्रगति का एक अहम् हिस्सा बन सकता है।

दोस्तों,

यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत और विदेशी भारतीयों के बीच निरंतर का संबंध स्थिर और दोनों के लिए लाभप्रद होना चाहिए।

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, पिछले साल अक्टूबर में, महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर, मुझे दिल्ली में प्रवासी भारतीय केन्द्र का उद्घाटन करने का सम्मान मिला था।

यह केन्द्र प्रवासी भारतीय समुदाय को समर्पित है।

हम वैश्विक प्रवास अनुभवों, संघर्षों, उपलब्धियों और विदेशों में बसे भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतीक बनना चाहते हैं।

मुझे विश्वास है कि केन्द्र प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ अपनी संलग्नता को फिर से परिभाषित करने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों को एक निश्चित रूप देने के लिए एक और महत्वपूर्ण मंच बन जाएगा।

दोस्तो,

हमारे प्रवासी भारतीय कई पीढ़ीयो से विदेशो में है। हर पीढ़ी के अनुभव ने भारत को और सक्षम बनाया है। जैसे एक नए पौधे पर हमारे भीतर अलग से एक स्नेह उभर आता है, उसी तरह विदेश में रह रहे युवा भारतीय प्रवासी भी हमारे लिए अनमोल हैं, विशेष हैं।

हम प्रवासी भारतीयों की पीढ़ियों से, यंग प्रवासियों से करीबी और मजबूत और संपर्क और गहरा बनाना चाहते हैं।

भारतीय मूल के युवाओं को अपनी मातृभूमि की यात्रा करने और अपनी भारतीय जड़ों, संस्कृति, और विरासत के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करने के लिए - हमने सरकार के ‘भारत को जानें’ प्रोग्राम का विस्तार किया है, जिसके तहत पहली बार, युवा प्रवासी भारतीयों के छह समूह इस वर्ष भारत का दौरा कर रहे हैं।

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मुझे यह जानकर बेहद खुश हूं कि आज 160 युवा प्रवासी भारतीय प्रवासी भारतीय दिवस में भाग लेने के लिए यहां आए हैं। मैं इन युवा प्रवासियों का विशेष स्वागत करता हूं - मैं आशा करता हूं कि अपने अपने देशों को लौटकर, आप हमसे जुड़े रहेंगे, और बार बार भारत की यात्रा करेंगे।

पिछले साल, युवा प्रवासी भारतीयों के लिए "भारत को जानो" नामक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी के पहले संस्करण में 5000 से अधिक युवा एनआरआई और पीआईओ ने भाग लिया था।

इस वर्ष दूसरे संस्करण में, मुझे कम से कम पचास हजार युवा प्रवासी भारतीयों की भागीदारी देखने की उम्मीद है।

दोस्तो,

क्या आपै इस मिशन में मेरी मदद करेंगे?

क्या आप इस मिशन में मेरी मदद करेंगे?
क्या आप मेरे साथ काम करने के लिए तैयार हैं? तो फिर हम पचास हजार पर क्यों रूकें।

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दोस्तो,

आज भारत एक नयी प्रगतिशील दिशा की और अग्रसर है। ऐसी प्रगति जो न केवल आर्थिक है अपितु सामाजिक, राजनैतिक, और शासिकिय है।

आर्थिक क्षेत्र में, पीआईओ तथा एनआरआई के लिए एफडीआई पूरी तरह से उदार है। एफडीआई की मेरी दो परिभाषाएं हैं।

एक परिभाषा यह है, एफडीआई का मतलब है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। और दूसरी यह है कि सबसे पहले भारत विकास।

गैर-प्रत्यावर्तन के आधार पर पीआईओ द्वारा; और कंपनियों, ट्रस्टों एवं उनकी स्वामित्व साझेदारी द्वारा किया गया निवेश अब प्रवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश के सममूल्य परघरेलू निवेश माना जाता है।

हमारे कई ऐसा प्रोग्राम है, जैसे स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया, और स्टार्ट अप इंडिया, जिन से प्रवासी भारतीय भारत के सामान्य व्यक्ति के प्रगति से सीधा जुड़ सकते है।

यहां आप में से कई लोग हैं जो व्यापार और निवेश में योगदान करना चाहते हैं। अन्य स्वच्छ भारत, नमामि गंगे आदि में योगदान देकर समर्थन कर सकते हैं।

कुछ लोग भारत में स्वयं सेवा के लिए अपना मूल्यवान समय एवं प्रयास देकर, वंचित समूहों की मदद करके या विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण प्रोग्राम में योगदान देकर प्रेरित महसूस कर सकते हैं।

हम आपके उन सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं जो प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ भारत की भागीदारी को मजबूत कर रही है। मैं आपको प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में प्रदर्शनी का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित करता हूं जो आपको हमारे द्वारा कार्यान्वित प्रमुख प्रोग्रामों झलक देता है और दर्शाता है कि आप कैसे हमारे भागीदार बन सकते हैं।

दोस्तो,

यहाँ आने के बाद आपने सुना होगा, देखा होगा, हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ, काले धन के खिलाफ, करप्शन और ब्लैक मनी के खिलाफ एक बहुत बीड़ा उठाया है।

काला धन एवं भ्रष्टाचार, हमारी राजनीति, देश, समाज तथा शासन को धीरे धीरे खोखला करता रहा है। और ये दुर्भाग्य है कि काले धन के कुछ राजनैतिक पुजारी हमारे प्रयासों को जनता के विरोधी दर्शाते है।

भ्रष्टाचार और काले धन को समाप्त करने में, भारत सरकार की नीतियों का जो समर्थन प्रवासी भारतीयों ने किया है उसके लिए मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ, आपका साधुवाद करता हूँ, आपका धन्यवाद करता हूँ।

दोस्तो।

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि भारतीयों होने के नाते, हमारी एक साझी विरासत है जो हम सभी को एक साथ लाती है। और, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम विश्व में कहां हैं, यह एक आम बंधन है जो हमें मजबूत बनाता है।

और इस लिए मेरे प्यारे देशवासियोंए आपने जो सपने संजो कर रखे हुए हैंए आपके सपने हमारे संकल्प हैं। और हम सब मिल कर के उन सपनों को साकार करने के लिएए अगर व्यवस्था में बदलाव जरूरी होए अगर कानून.नियमों में बदलाव के जरूरत होए साहसिक कदम उठाने की जरूरत होए हर एक को साथ लेकर चलने के लिएए जो कुछ भी करना पड़ेए करने की आवश्यकता होए ये सब करते हुएए मैं विश्वास से कहता हूँए इक्कीसवीं सदीए हिंदुस्तान की सदी है।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!