5800 सौ करोड़ रुपये से अधिक की अनेक वैज्ञानिक परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित की
होमी भाभा कैंसर हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर, विशाखापत्तनम, वुमेन एंड चिल्ड्रेन कैंसर हॉस्पिटल बिंल्डिंग, नवी मुंबई राष्ट्र को समर्पित की
नेशनल हैड्रॉन बीम थेरेपी सुविधा तथा रेडियोलॉजिकल रिसर्च यूनिट, नवी मुंबई राष्ट्र को समर्पित की
फिशन, मोलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा मुम्बई और रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट प्लांट, विशापत्तनम राष्ट्र को समर्पित किया
होमी भाभा कैंसर हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर, जतनी, टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल मुंबई के प्लैटिनम जुबली ब्लॉक की आधारशिला रखी
लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैवीटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी-इंडिया (एलआईजीओ-इंडिया) की आधारशिला रखी
25वें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर स्मारक टिकट और सिक्का जारी किया
“मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकता जब अटल जी ने भारत के सफल परमाणु परीक्षण की घोषणा की”
“अटल जी के शब्दों में, हम अपनी यात्रा में कभी रुके नहीं हैं और कभी भी अपने मार्ग में आने वाली किसी चुनौती के सामने समर्पण नहीं किया”
“हमें राष्ट्र को विकसित और आत्मनिर्भर बनाना होगा।”
आज के बच्चों और युवाओं का जुनून, ऊर्जा तथा सामर्थ्य भारत की बड़ी शक्ति है
“भारत के टिंकर-प्रेन्योर शीघ्र ही विश्व के अग्रणी इंटर प्रेन्योर होंगे”
“आज का भारत उस प्रत्येक दिशा में आगे बढ़ रहा है जो टेक लीडर बनने के लिए आवश्यक है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के साथ 11 से 14 मई तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के 25वें वर्ष के समारोह का प्रारंभ भी हुआ। इस गौरवपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री ने 5800 करोड़ रुपये से अधिक की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति से जुड़ी अनेक परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित कीं। यह देश में वैज्ञानिक संस्थानों को मज़बूत बनाने के प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है।

जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई, उनमें लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी-इंडिया (एलआईजीओ-इंडिया), हिंगोली; होमी भाभा कैंसर एंड रिसर्च सेंटर, जतनी, ओड़िशा तथा टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल मुंबई का प्लैटीनम जुबली ब्लॉक शामिल हैं।

राष्ट्र को समर्पित परियोजनाओं में फीशन मोलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा, मुंबई; रेयर अर्थ पर्मानेंट मैग्नेट प्लांट, विशाखापत्तनम; नेशनल हैड्रॉन बीम थेरेपी सुविधा, नवी मुंबई; रेडियोलॉजिकल रिसर्च यूनिट, नवी मुंबई; होमी भाभा कैंसर हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर, विशाखापत्तनम; तथा वूमेन एंड चिल्ड्रन कैंसर हॉस्पीटल बिल्डिंग नवी मुंबई शामिल हैं।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में हाल की वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी प्रगति दिखा रहे एक्सपो का भी उद्घाटन किया और एक्सपो को देखा। उन्होंने इस अवसर पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।

प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 11 मई भारत के इतिहास के सर्वाधिक प्रतिष्ठित दिनों में से एक है। उन्होंने कहा कि आज वह दिन है जब भारत के वैज्ञानिकों ने एक शानदार उपलब्धि प्राप्त की, जिसने पूरे देश को गौरवान्वित किया। प्रधानमंत्री ने कहा—“मैं उस दिन को नहीं भूल सकता जब अटल जी ने भारत के सफल परमाणु परीक्षण की घोषणा की थी।” उन्होंने कहा कि पोखरण परमाणु परीक्षण ने न केवल भारत को अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं को सिद्ध करने में सहायता की, बल्कि राष्ट्र के वैश्विक कद को भी बढ़ावा दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी के शब्‍दों में कहूं तो- “अपनी यात्रा में हम कभी रुके नहीं और कभी भी अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती के सामने समर्पण नहीं किया।” प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर प्रत्येक नागरिक को बधाई दी।

आज उद्घाटन की गई परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने मुंबई में नेशनल हैड्रॉन बीम थेरेपी सुविधा और रेडियोलॉजीकल रिसर्च यूनिट, फिशन मॉलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा, विशाखापत्तनम में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट प्लांट तथा विभिन्न कैंसर अनुसंधान अस्पतालों का उल्लेख किया और कहा कि यह परमाणु प्रौद्योगिकी की सहायता से देश की प्रगति को बढ़ावा देगा। एलआईजीओ-इंडिया की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे 21वीं सदी की अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहलों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि वेधशाला विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान के नये अवसर प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि आज अमृतकाल के प्रारंभिक दौर में 1947 के लक्ष्य हमारे सामने स्पष्ट हैं। प्रधानमंत्री ने विकास, नवाचार और सतत विकास लक्ष्यों के लिए एक समावेशी इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हमें राष्ट्र को विकसित और आत्मनिर्भर बनाना होगा। उन्होंने प्रत्येक कदम पर प्रद्यौगिकी के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि भारत इस संबंध में समग्र तथा 360 डिग्री दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा-“भारत प्रौद्योगिकी को देश की प्रगति का एक साधन मानता है न कि प्रभुत्व जताने का अपना साधन।”

आज के कार्यक्रम के विषय ‘स्कूल टू स्टार्टअप्स-इग्नाइटिंग यूथ माइंड्स टू इनोवेट’ की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का भविष्य आज के युवाओं और बच्चों द्वारा निर्धारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज बच्चों और युवाओं का जुनून, ऊर्जा तथा क्षमताएं भारत की बड़ी शक्ति है। प्रधानमंत्री ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत करते हुए ज्ञान के साथ-साथ ज्ञान के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि भारत ज्ञानवान समाज के रूप में विकसित हो रहा है, यह समान बल के साथ कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने युवाओं के मस्तिष्क को प्रज्वलित करने के लिए पिछले नौ वर्षों के दौरान देश में बनाई गई सुदृढ़ नींव के बारे में विस्तार से बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 700 जिलों में 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब इनोवेशन नर्सरी बन गई हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से 60 प्रतिशत लैब सरकारी और ग्रामीण स्कूलों में हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि अटल टिंकरिंग लैब में 12 लाख से अधिक नवाचार योजनाओं पर 75 लाख से अधिक विद्यार्थी श्रमपूर्वक काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह युवा वैज्ञानिकों के स्कूल से बाहर निकलने और देश के दूरवर्ती कोनों तक पहुंचने का संकेत है तथा इस बात पर बल देता है कि यह हर किसी का कर्तव्य है कि वे उनका साथ दें, उनकी प्रतिभा का पोषण करें एवं उनके विचारों को लागू करने में उनकी सहायता करें। उन्होंने अटल इनोवेशन सेंटर (एआईसी) में इन्क्यूबेट किये गये सैकड़ों स्टार्टअप का उल्लेख किया और कहा कि यह न्यू इंडिया की नई प्रयोगशाला के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के टिंकर-प्रेन्योर शीघ्र ही विश्व के अग्रणी उद्यमी बन जाएंगे।

कठिन परिश्रम के महत्व पर महर्षि पतंजलि को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद किये गये उपायों के फलस्वरूप विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि स्टार्टअप इंडिया अभियान, डिज़िटल इंडिया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भारत को इस क्षेत्र में नई ऊंचाइयां प्राप्त करने में मदद करती है। प्रधानमंत्री ने बताया-“पेटेंट की संख्या दस वर्ष पहले के प्रतिवर्ष 4,000 से बढ़कर आज 30,000 से अधिक हो गई है। इसी अवधि में डिज़ाइनों का पंजीकरण 10,000 से बढ़कर 15,000 हो गया है। ट्रेड मार्क की संख्या 70,000 से कम से बढ़कर 2,50,000 से अधिक हो गयी है।” श्री मोदी ने कहा कि आज का भारत उस प्रत्येक दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो टेक लीडर बनने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देश में टेक इन्क्यूबेशन सेंटरों की संख्या 2014 के 150 से बढ़कर आज 650 से अधिक हो गयी है। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत का ग्लोबल इनोवशन इंडेक्स रैंक 81वें स्थान से चालीसवें स्थान पर पहुंच गया है, जहां देश के युवा स्वयं के डिजिटल उद्यम और स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 से तुलना करते हुए कहा कि देश में स्टार्टअप की संख्या लगभग 100 से बढ़कर 1 लाख हो गई है और इसने भारत को विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बना दिया है। भारत की क्षमता और प्रतिभा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वृद्धि ऐसे समय में हुई जब विश्व आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहा है। यह रेखांकित करते हुए कि वर्तमान समय नीति निर्माताओं, वैज्ञानिक समुदायों, देश भर में फैली अनुसंधान प्रयोगशालाओं और निजी क्षेत्र के लिए अत्यधिक मूल्यवान है, प्रधानमंत्री ने कहा कि यद्यपि स्कूल टू स्टार्टअप यात्रा विद्यार्थियों द्वारा की जाएगी लेकिन ये हितधारक हैं जो उन्हें हर समय मार्गदर्शन और प्रोत्साहित करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस उद्देश्य के लिए अपना पूरा समर्थन दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम प्रौद्योगिकी के सामाजिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते हैं तो प्रौद्योगिकी सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली उपकरण बन जाती है। यह असंतुलन को दूर करने तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए उपकरण बन जाती है। प्रधानमंत्री ने वह समय याद किया जब प्रौद्योगिकी साधारण नागरिकों की पहुंच से बाहर थी और डेबिट-क्रेडिट कार्ड जैसी चीजें स्टेटस सिंबल थीं। लेकिन आज यूपीआई अपनी सादगी के कारण एक नया नॉर्मल बन गया है। आज भारत सबसे अधिक डेटा यूज करने वाले देशों में शामिल है। ग्रामीण यूजरों की संख्या ने शहरी यूजरों को पीछे छोड़ दिया है। जैम ट्रिनिटी, जीईएम पोर्टल, कोविन पोर्टल, ई-एनएएम प्रौद्योगिकी को समावेश का एजेंट बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के सही उपयोग से समाज को नई शक्ति मिलती है, आज सरकार जीवन के सभी चरण के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन जन्म प्रमाणपत्र, ई-पाठशाला और दीक्षा ई-लर्निंग प्लेटफार्म, छात्रवृति पोर्टल, नौकरी की अवधि के दौरान यूनिवर्सल एक्सेस नंबर, चिकिउ

त्सा उपचार के लिए ई-संजीवनी और वृद्धजनों के लिए जीवन प्रमाण ऐसे समाधान जीवन के हर कदम पर नागरिक की सहायता कर रहे हैं। उन्होंने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने तथा जीवन की सुगमता बढ़ाने के उदाहरण के रूप में आसान पासपोर्ट, डीजी यात्रा, डीजी लॉकर पहल के बारे में भी बात की।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत के युवा इस गति की बराबरी करने और इसे पार करने में देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने नये गेम चैंजर के रूप में उभरे आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) उपकरणों, स्वस्थ्य क्षेत्र में असीम संभावनाओं तथा ड्रोन प्रौद्योगिकी और थेरेक्यूटिक क्षेत्र में हो रहे नये नवाचारों का उल्लेख किया और कहा कि भारत को इस तरह की क्रांतिकारी तकनीक में नेतृत्व करना चाहिए। आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के भारत के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए आईडीईएक्स का उल्लेख किया और प्रसन्नता व्यक्त की कि रक्षा मंत्रालय ने आईडीईएक्स से 350 करोड़ रुपये से अधिक के 14 नवाचार खरीदे हैं। प्रधानमंत्री ने आई-क्रियेट तथा डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं जैसी पहलों के बारे में कहा कि इन प्रयासों को एक नई दिशा दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष क्षेत्र में नये सुधारों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत एक वैश्विक गेम चैंजर के रूप में उभर रहा है। उन्होंने एसएसएलवी तथा पीएसएलवी कक्षीय प्लेटफार्मों जैसी प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में युवाओं और स्टार्टअप के लिए नये अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया और कोडिंग, गेमिंग तथा प्रोग्रामिंग क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाने पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने ऐसे समय में पीएलआई योजना जैसी नीति स्तरीय पहलों पर भी प्रकाश डाला जब भारत सेमीकंडक्टर जैसे नये अवसरों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने नवाचार और सुरक्षा में हैकथॉन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार लगातार हैक्थॉन संस्कृति को प्रोत्साहित कर रही है, जहां विद्यार्थी नई चुनौतियों का सामना करते हैं। उन्होंने इसके लिए सहायता देने और एक ढांचा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि अटल टिंकरिंग लैब से निकले युवाओं के लिए एक संस्थागत प्रणाली बनाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा “क्या हम इस तरह देश में विभिन्न क्षेत्रों में 100 प्रयोगशालाओं की पहचान कर सकते हैं, जिन्हें युवाओं द्वारा संचालित किया जाना चाहिए?” स्वच्छ ऊर्जा और प्राकृतिक खेती के विशेष फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह इन संभावनाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तथा केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

महाराष्ट्र के हिंगोली में विकसित होने वाला एलआईजीओ-इंडिया विश्व में गिने-चुने लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी में से एक होगा। यह 4 किमी भुजा लम्बाई का एक अत्यंत संवेदनशील इंटरफेरोमीटर है जो ब्लैक होल तथा न्यूट्रन स्टार जैसे विशाल खगोल भौतिकी वस्तुओं के विलय के दौरान उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों की सैंसिंग करने में सक्षम है। एलआईजीओ-इंडिया अमेरिका में संचालित दो वेधशालाओं- हैनफोर्ड वाशिंगटन में और दूसरा लिविंगस्टन लूसियाना में- के साथ सिंक्रोनाइजेशन में काम करेगा।

रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट का उत्पादन मुख्य रूप से विकसित देशों में होता है। रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट उत्पादन की सुविधा विशाखापत्तनम में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के परिसर में विकसित की गई है। यह सुविधा स्वदेशी प्रौद्योगिकी के आधार पर और स्वदेशी संसाधनों से निकाली गई स्वदेशी दुर्लभ पृथ्वी सामग्री का उपयोग करके स्थापित की गई है। इस सुविधा के साथ भारत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट उत्पादन करने की क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा।

टाटा मेमोरियल सेंटर, नवी मुंबई की नेशनल हैड्रॉन बीम थेरेपी सुविधा एक अत्याधुनिक सुविधा है जो आसपास की सामान्य संरचनाओं को न्यूनतम डोज़ के साथ ट्यूमर को विकिरण की अत्यधिक सटीक डिलीवरी करने के लिए काम करती है। लक्षित टिशू को डोज़ की सटीक डिलीवरी विकिरण चिकित्सा के प्रारम्भिक और विलंबित दुष्प्रभावों को कम करती है।

फिशन मोलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के ट्रॉम्बे परिसर में स्थित है। मोलिब्डेनम-99 टेक्नेटियम-99 एम का मूल है, जिसका उपयोग कैंसर, हृदय रोग आदि की प्रारम्भिक पहचान के लिए 85 प्रतिशत से अधिक इमेजिंग प्रक्रियाओं में किया जाता है। आशा है कि इस सुविधा से प्रति वर्ष लगभग 9 से 10 लाख रोगियों की स्कैनिंग होगी।

अनेक कैंसर अस्पतालों और सुविधाओं की आधारशिला और समर्पण देश के विभिन्न क्षेत्रों में विश्व स्तरीय कैंसर देखभाल के प्रावधान को विकेंद्रीकृत करेगा और बढ़ाएगा।

अटल नवाचार मिशन और अन्य घटक

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023 के कार्यक्रम और समारोहों में अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) पर विशेष ध्यान दिया गया है। एआईएम मंडप इस वर्ष के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के विषय पर प्रकाश डालते हुए अनेक नवाचारी परियोजनाओं को दिखाएगा और आगंतुकों को लाइव टिंकरिंग सत्रों को देखने, टिंकरिंग गतिविधियों में शामिल होने और स्टार्टअप के उत्कृष्ट नवाचारों और उत्पादों को देखने का अवसर प्रदान करेगा। एआर/वीआर, डिफेंस टेक, डिजीयात्रा, टेक्सटाइल और लाइफ साइंसेज आदि जैसे कई सहयोग क्षेत्रों के साथ।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में भारत में हुई वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को दिखाने वाले एक्सपो का भी उद्घाटन किया। वह इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी करेंगे।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को सम्मानित करने के लिए की थी, जिन्होंने भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए काम किया और मई 1998 में पोखरण परीक्षणों के सफल संचालन को सुनिश्चित किया। तब से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस प्रत्येक वर्ष 11 मई को मनाया जाता है। यह प्रत्येक वर्ष एक नई और अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है- 'स्कूल टू स्टार्टअप्स-इग्नाइटिंग यंग माइंड्स टू इनोवेशन' है।

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PM meets eminent economists at NITI Aayog
December 24, 2024
Theme of the meeting: Maintaining India’s growth momentum at a time of Global uncertainty
Viksit Bharat can be achieved through a fundamental change in mindset which is focused towards making India developed by 2047: PM
Economists share suggestions on wide range of topics including employment generation, skill development, enhancing agricultural productivity, attracting investment, boosting exports among others

Prime Minister Shri Narendra Modi interacted with a group of eminent economists and thought leaders in preparation for the Union Budget 2025-26 at NITI Aayog, earlier today.

The meeting was held on the theme “Maintaining India’s growth momentum at a time of Global uncertainty”.

In his remarks, Prime Minister thanked the speakers for their insightful views. He emphasised that Viksit Bharat can be achieved through a fundamental change in mindset which is focused towards making India developed by 2047.

Participants shared their views on several significant issues including navigating challenges posed by global economic uncertainties and geopolitical tensions, strategies to enhance employment particularly among youth and create sustainable job opportunities across sectors, strategies to align education and training programs with the evolving needs of the job market, enhancing agricultural productivity and creating sustainable rural employment opportunities, attracting private investment and mobilizing public funds for infrastructure projects to boost economic growth and create jobs and promoting financial inclusion and boosting exports and attracting foreign investment.

Multiple renowned economists and analysts participated in the interaction, including Dr. Surjit S Bhalla, Dr. Ashok Gulati, Dr. Sudipto Mundle, Shri Dharmakirti Joshi, Shri Janmejaya Sinha, Shri Madan Sabnavis, Prof. Amita Batra, Shri Ridham Desai, Prof. Chetan Ghate, Prof. Bharat Ramaswami, Dr. Soumya Kanti Ghosh, Shri Siddhartha Sanyal, Dr. Laveesh Bhandari, Ms. Rajani Sinha, Prof. Keshab Das, Dr. Pritam Banerjee, Shri Rahul Bajoria, Shri Nikhil Gupta and Prof. Shashwat Alok.