प्रधानमंत्री ने भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 74वें और 75वें बैच और भूटान की रॉयल सिविल सेवा के अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की
"एनएसीआईएन का कार्य देश को एक आधुनिक इको-सिस्टम प्रदान करना है"
"श्री राम सुशासन के इतने बड़े प्रतीक हैं कि वे एनएसीआईएन के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा हो सकते हैं"
“हमने देश को जीएसटी के रूप में एक आधुनिक प्रणाली दी, आयकर को सरल बनाया और फेसलेस असेसमेंट की शुरुआत की, इन सुधारों से रिकॉर्ड कर संग्रह हुआ”
"हमने लोगों से जो भी लिया, हमने उन्हें लौटाया- यही सुशासन और राम राज्य का संदेश भी है"
"भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई सरकार की प्राथमिकता रही है"
"देश के गरीबों में इतनी ताकत है कि उन्हें संसाधन दे दिए जाएं तो वे गरीबी को हरा देंगे"
"वर्तमान सरकार के प्रयासों से पिछले 9 वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज आंध्र प्रदेश में श्री सत्य साईं जिले के पलासमुद्रम में राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नारकोटिक्स अकादमी के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। प्रधानमंत्री ने भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 74वें और 75वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ ही भूटान की रॉयल सिविल सेवा के अधिकारी प्रशिक्षुओं से भी बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पलासमुद्रम में राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नारकोटिक्स अकादमी के उद्घाटन के लिए सभी को बधाई दी। पलासमुद्रम क्षेत्र की खासियत पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आध्यात्मिकता, राष्ट्र निर्माण और सुशासन से जुड़ा है और भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं बाबा के जन्मस्थान, महान स्वतंत्रता सेनानी पद्म श्री कल्लूर सुब्बा राव, प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार दलवई चलपति राव और गौरवशाली विजयनगर साम्राज्य के सुशासन को प्रेरणा स्रोत के रूप में उल्लेख किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एनएसीआईएन का नया परिसर सुशासन के नए आयाम स्थापित करेगा और देश में व्यापार व उद्योग को बढ़ावा देगा।

आज तिरुवल्लुवर दिवस को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने महान तमिल संत को उद्धृत किया और करों को इकट्ठा करने में राजस्व अधिकारियों की भूमिका को रेखांकित किया, जिससे लोकतंत्र में लोगों का कल्याण होता है।

पीएम मोदी ने इससे पहले लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर का दौरा किया और रंगनाथ रामायण की चौपाइयां सुनीं। प्रधानमंत्री ने भक्तों के साथ भजन कीर्तन में हिस्सा लिया। इस मान्यता को ध्यान में रखते हुए कि राम जटायु संवाद नजदीक में ही हुआ था, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अयोध्या धाम में मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। उन्होंने इस पवित्र अवधि के दौरान मंदिर में आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया। देश में व्याप्त राम भक्ति के माहौल को स्वीकार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री राम की प्रेरणा भक्ति से परे है। उन्होंने कहा कि श्री राम सुशासन के इतने बड़े प्रतीक हैं कि वे एनएसीआईएन के लिए भी बहुत बड़ी प्रेरणा हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि राम राज्य का विचार ही सच्चे लोकतंत्र के पीछे की धारणा है। उन्होंने राम राज्य की विचारधारा के समर्थन के पीछे के कारण के रूप में महात्मा गांधी के जीवन के अनुभव पर प्रकाश डाला और एक ऐसे राष्ट्र के बारे में बात की जहां हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है और सभी को उचित सम्मान मिलता है। “यह राम राज्य के नागरिकों के बारे में कहा जाता है”, प्रधानमंत्री ने एक संस्कृत श्लोक का हवाला देते हुए कहा, “राम राज्य वासी (नागरिक), अपना सिर ऊंचा रखें और न्याय के लिए लड़ें, सभी के साथ समान व्यवहार करें, कमजोरों की रक्षा करें, धर्म को सर्वोच्च स्तर पर बनाए रखें। आप राम राज्य वासी हैं”। उन्होंने जोर देकर कहा कि राम राज्य की स्थापना इन चार स्तंभों पर की गई थी, जहां हर कोई अपना सिर ऊंचा करके और सम्मान के साथ चल सकता था, प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाता था, वंचितों की रक्षा की जाती थी और धर्म को सर्वाधिक महत्व दिया जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, "21वीं सदी में, इन आधुनिक संस्थानों के नियमों और विनियमों को लागू करने वाले प्रशासकों के रूप में, आपको इन चार लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन्हें ध्यान में रखना चाहिए।"

प्रधानमंत्री ने राम राज्य में कर प्रणाली के बारे में स्वामी तुलसीदास के वर्णन का भी उल्लेख किया। रामचरित मानस का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने कराधान के कल्याणकारी पहलू पर प्रकाश डाला और लोगों से प्राप्त कर का प्रत्येक पैसा लोगों के कल्याण में खर्च किया जाएगा ताकि समृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके। इसे और विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 साल में हुए टैक्स सुधारों के बारे में बात की। उन्होंने पहले के समय की गैर-पारदर्शी कर प्रणालियों को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देश को जीएसटी के रूप में एक आधुनिक प्रणाली दी और आयकर को सरल बनाया व फेसलेस असेसमेंट की शुरुआत की। इन सभी सुधारों के परिणामस्वरूप रिकॉर्ड कर संग्रह हुआ है।” उन्होंने कहा, 'हम विभिन्न योजनाओं के जरिए लोगों का पैसा लौटा रहे हैं।' उन्होंने बताया कि आईटी छूट की सीमा 2 लाख की आय से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है। 2014 के बाद टैक्स सुधारों से नागरिकों की लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की टैक्स बचत हुई है। उन्होंने कहा कि देश में करदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि उन्हें खुशी है कि उनके कर के पैसे का सदुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा, "हमने लोगों से जो भी लिया, हमने उन्हें लौटाया- यही सुशासन और राम राज्य का संदेश भी है"

प्रधानमंत्री ने राम राज्य में संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर विशेष ध्यान दिए जाने के बारे में भी प्रकाश डाला। विभिन्न परियोजनाओं को रोककर, उन्हें लटकाकर और उनकी दिशा मोड़कर देश को भारी नुकसान पहुंचाने वाली पिछली सरकारों की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने भगवान राम द्वारा बातचीत के दौरान भरत को ऐसी नुकसानदायक प्रवृत्तियों के प्रति आगाह किए जाने का उल्लेख किया और कहा, “मुझे विश्वास है कि आप समय बर्बाद किए बिना ऐसे कार्यों को जरtर पूरा करेंगे जिनमें लागत कम हो और अधिकतम लाभ मिले।” उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि पिछले 10 वर्षों के दौरान, वर्तमान सरकार ने लागत को ध्यान में रखा है और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया है।

एक बार फिर गोस्वामी तुलसीदास को उद्धृत करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसी प्रणाली बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया जो गरीबों की सहायता करे और अपात्र लोगों को बाहर कर दे। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में 10 करोड़ फर्जी नाम दस्तावेजों से बाहर किए गये हैं। उन्होंने कहा, “आज, प्रत्येक पैसा उस लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंचता है जो इसका पात्र है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई सरकार की प्राथमिकता रही है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस विश्वास के सकारात्मक परिणाम देश में किए गए विकास कार्यों में देखे जा सकते हैं। उन्होंने कल नीति आयोग द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के बारे में देश को अवगत कराया जिसमें यह कहा गया है कि वर्तमान सरकार के प्रयासों से पिछले 9 वर्षों के दौरान लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। इसे एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि बताते हुए, खासकर ऐसे देश में जहां दशकों से गरीबी उन्मूलन के नारे लगाए जाते रहे हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 2014 में सत्ता में आने के बाद से सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण को प्राथमिकता दिए जाने का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस देश के गरीबों को साधन और संसाधन दिए जाने पर वे गरीबी को हराने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा, “हम आज इसे वास्तविकता बनते हुए देख सकते हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार एवं स्वरोजगार तथा गरीबों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर खर्च किया। उन्होंने कहा, “जब गरीबों की क्षमता मजबूत हुई और उन्हें सुविधाएं प्रदान की गईं, तो वे गरीबी से बाहर आने लगे।” उन्होंने इसे 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक और अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा, “भारत में गरीबी कम की जा सकती है, यह हर किसी को एक नए विश्वास से भरने वाला है और देश का आत्मविश्वास बढ़ाने वाला है।” प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी में कमी आने का श्रेय नव-मध्यम वर्ग के उदय और मध्यम वर्ग के प्रसार को दिया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की दुनिया के लोगों को नव-मध्यम वर्ग के विकास की क्षमता और आर्थिक गतिविधियों में उनके योगदान का एहसास है। “ऐसे में, एनएसीआईएन को अपनी जिम्मेदारी अधिक गंभीरता से निभानी चाहिए।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भगवान राम के जीवन का चित्रण करते हुए अपने सबका प्रयास आह्वान को और विस्तार से बताया। उन्होंने रावण के खिलाफ लड़ाई में श्री राम द्वारा संसाधनों के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग और उन्हें एक विशाल शक्ति में परिवर्तित करने का स्मरण किया। उन्होंने अधिकारियों से राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का एहसास करने के लिए कहा और देश की आय, निवेश बढ़ाने व व्यापार करने में सुगमता बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।

समारोह में अन्य लोगों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, श्री एस. अब्दुल नजीर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी, केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष श्री संजय कुमार अग्रवाल उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सिविल सेवा क्षमता निर्माण के माध्यम से शासन में सुधार के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक कदम में, आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले के पालसमुद्रम में राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नारकोटिक्स अकादमी (एनएसीआईएन) के नए अत्याधुनिक परिसर की परिकल्पना और निर्माण कर स्थापित किया गया है। 500 एकड़ में फैली यह अकादमी अप्रत्यक्ष कराधान (सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वस्तु एवं सेवा कर) और नारकोटिक्स नियंत्रण प्रशासन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए भारत सरकार की सर्वोच्च संस्था है। राष्ट्रीय स्तर का विश्वस्तरीय प्रशिक्षण संस्थान भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय सहयोगी सेवाओं, राज्य सरकारों और भागीदार देशों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

इस नए परिसर के जुड़ने से, एनएसीआईएन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए नए जमाने की प्रौद्योगिकियों जैसे आग्मेन्टड और वर्चुअल रियलिटी, ब्लॉकचेन के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा।

With the addition of this new campus, the NACIN will focus on the use of new-age technologies such as Augmented & Virtual Reality, Blockchain as well as Artificial Intelligence and other emerging Technologies for training and capacity building.

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."