"अच्छी जानकारी वाला, बेहतर जानकारी वाला समाज हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए, इसके लिए हम सब मिलकर काम करें"
"अग्रदूत ने सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है"
"केंद्र और राज्य सरकार मिलकर, बाढ़ के दौरान असम के लोगों की मुश्किलें कम करने में जुटी हैं"
"भारतीय भाषा पत्रकारिता ने भारतीय परंपरा, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम और विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है"
"जन आंदोलनों ने असम की सांस्कृतिक विरासत और असमिया गौरव की रक्षा की, और अब जन भागीदारी की बदौलत असम विकास की नई गाथा लिख रहा है"
"इंटेलेक्चुअल स्पेस किसी विशेष भाषा को जानने वाले कुछ लोगों तक ही सीमित क्यों रहना चाहिए?"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अग्रदूत समाचारपत्र समूह के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा भी उपस्थित थे, जो अग्रदूत की स्वर्ण जयंती समारोह समिति के मुख्य संरक्षक हैं।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 'असम भाषा में पूर्वोत्तर की मजबूत आवाज' दैनिक अग्रदूत को बधाई दी और पत्रकारिता के माध्यम से एकता और सद्भाव के मूल्यों को जीवित रखने के लिए उनकी सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कनक सेन डेका के मार्गदर्शन में अग्रदूत ने सदैव राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा। उन्होंने कहा, इमरजेंसी के दौरान भी जब लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ, तब भी दैनिक अग्रदूत और डेका जी ने पत्रकारीय मूल्यों से समझौता नहीं किया। उन्होंने मूल्य आधारित पत्रकारिता की एक नई पीढ़ी का निर्माण किया।

प्रधानमंत्री ने सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि बीते कुछ दिनों से असम बाढ़ के रूप में बड़ी चुनौती और कठिनाइयों का सामना भी कर रहा है। असम के अनेक जिलों में सामान्य जीवन बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी टीम राहत और बचाव के लिए दिन-रात बहुत मेहनत कर रही है। प्रधानमंत्री ने असम के लोगों, अग्रदूत के पाठकों को इस बात का भरोसा दिलाया कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर, उनकी मुश्किलें कम करने में जुटी हैं।

प्रधानमंत्री ने भारतीय परंपरा, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम और विकास यात्रा में भारतीय भाषा पत्रकारिता के उत्कृष्ट योगदान के बारे में बताया। असम ने भारत में भाषा पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि राज्य पत्रकारिता की दृष्टि से एक बहुत ही जीवंत स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता 150 साल पहले असमिया भाषा में शुरू हुई और समय के साथ मजबूत होती गई।

प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि दैनिक अग्रदूत के पिछले 50 वर्षों की यात्रा असम में हुए बदलाव की कहानी सुनाती है। जन आंदोलनों ने इस बदलाव को साकार करने में अहम भूमिका निभाई है। जन आंदोलनों ने असम की सांस्कृतिक विरासत और असमिया गौरव की रक्षा की। और अब जन भागीदारी की बदौलत असम विकास की नई गाथा लिख रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब संवाद होता है, तब समाधान निकलता है। संवाद से ही संभावनाओं का विस्तार होता है। इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ज्ञान के प्रवाह के साथ ही सूचना का प्रवाह भी अविरल बहा और निरंतर बह रहा है। उन्होंने कहा, अग्रदूत उस परंपरा का हिस्सा है।

आजादी के 75 साल की पूर्व संध्या पर, प्रधानमंत्री ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि आजादी के 75 वर्ष जब हम पूरा कर रहे हैं, तब एक प्रश्न हमें जरूर पूछना चाहिए। इंटेलेक्चुअल स्पेस किसी विशेष भाषा को जानने वाले कुछ लोगों तक ही सीमित क्यों रहना चाहिए? उन्होंने आगे कहा कि ये सवाल सिर्फ इमोशन का नहीं है, बल्कि साइंटिफिक लॉजिक का भी है। इसे तीन औद्योगिक क्रांतियों पर शोध में पिछड़ने के एक कारण के रूप में देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड में भारतीय भाषाओं के विस्तार को रोका गया, और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, रिसर्च को इक्का-दुक्का भाषाओं तक सीमित कर दिया गया। भारत के बहुत बड़े वर्ग की उन भाषाओं तक, उस ज्ञान तक एक्सेस ही नहीं था। उन्होंने कहा कि यानि इंटेलेक्ट का, एक्सपर्टीज का दायरा निरंतर सिकुड़ता गया। जिससे इन्वेंशन और इनोवेशन का पूल भी लिमिटेड हो गया। चौथी औद्योगिक क्रांति में, भारत के लिए दुनिया का नेतृत्व करने का एक बड़ा अवसर है। यह अवसर हमारी डेटा पावर और डिजिटल इंक्लूजन के कारण है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, "कोई भी भारतीय बेस्ट इंफॉर्मेशन, बेस्ट नॉलेज, बेस्ट स्किल और बेस्ट अपॉर्चुनिटी से सिर्फ भाषा के कारण वंचित ना रहे, ये हमारा प्रयास है। इसलिए हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को प्रोत्साहन दिया।" प्रधानमंत्री ने मातृभाषा में ज्ञान के विषय पर कहा, "अब हमारा प्रयास है कि दुनिया की सर्वोत्तम सामग्री भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो। इसके लिए हम राष्ट्रभाषा अनुवाद मिशन पर काम कर रहे हैं। प्रयास यह है कि इंटरनेट, जो ज्ञान और सूचनाओं का एक विशाल भंडार है, प्रत्येक भारतीय द्वारा अपनी भाषा में उपयोग किया जा सके। उन्होंने हाल ही में लॉन्च किए गए यूनिफाइड लैंग्वेज इंटरफेस, भाषिणी प्लेटफॉर्म के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "करोड़ों भारतीयों को उनकी अपनी भाषा में इंटरनेट उपलब्ध कराना सामाजिक और आर्थिक हर पहलू से महत्वपूर्ण है।"

असम और पूर्वोत्तर की जैव-विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में संगीत की समृद्ध विरासत है और इसे बड़े पैमाने पर दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी के संबंध में पिछले 8 वर्षों के प्रयास असम की आदिवासी परंपरा, पर्यटन और संस्कृति के लिए बेहद फायदेमंद होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान में हमारे मीडिया ने जो सकारात्मक भूमिका निभाई है, उसकी पूरे देश और दुनिया में आज भी सराहना होती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसी तरह, अमृत महोत्सव में देश के संकल्पों में भी आप भागीदार बन सकते हैं।"

अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा, "अच्छी जानकारी वाला, बेहतर जानकारी वाला समाज हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए, इसके लिए हम सब मिलकर काम करें।"

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।