उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित होगा”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) परिसर के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर (एनएएससी) के सुब्रमण्यम हॉल में ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्घाटन किया। दो दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में उत्पादकों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों के बीच मोटे अनाज के प्रचार और जागरूकता, मोटे अनाज की मूल्य श्रृंखला का विकास, मिलेट के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलू, बाजार संपर्क, अनुसंधान और विकास आदि जैसे श्री अन्न से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी सह क्रेता-विक्रेता बैठक मंडप का उद्घाटन किया और उसका दौरा भी किया। उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने भारतीय मिलेट (श्री अन्न) स्टार्ट-अप कॉम्पेंडियम का शुभारंभ किया और मिलेट (श्री अन्न) के मानकों की पुस्तक का डिजिटल तरीके से विमोचन किया।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय नेताओं ने अपने संदेश दिए। इथियोपिया की राष्ट्रपति श्रीमती सहले-वर्क जेवडे ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए भारत सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस समय लोगों को खिलाने के लिए मिलेट एक सस्ता और पौष्टिक विकल्प है। उप-सहारा अफ्रीका में इथियोपिया एक महत्वपूर्ण मिलेट उत्पादक देश है। उन्होंने मिलेट के प्रसार के लिए नीतिगत तौर पर आवश्यकतानुसार जोर देते हुए उनके इकोसिस्टम के अनुसार फसलों की उपयुक्तता के अध्ययन की उपयोगिता पर जोर दिया।
गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली ने कहा कि भारत के नेतृत्व में मिलेट को बढ़ावा दिया जा रहा है और ऐसा करने में यह शेष दुनिया के उपयोग के लिए अपनी विशेषज्ञता भी दे रहा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष की सफलता सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में काफी मददगार साबित होगी। उन्होंने बताया कि गुयाना ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलेट को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता दी है। गुयाना विशिष्ट मिलेट उत्पादन के लिए 200 एकड़ भूमि निर्धारित करके बाजरा के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भारत के साथ सहयोग शुरू कर रहा है, जहां भारत प्रौद्योगिकी के साथ तकनीकी मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेगा।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन के आयोजन पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल वैश्विक भलाई के लिए एक आवश्यकता हैं, बल्कि वैश्विक भलाई के प्रति भारत की जिम्मेदारियों का प्रतीक भी हैं। संकल्प को सिद्धि के रूप में बदलने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि जब हम किसी संकल्प को आगे बढ़ाते हैं, तो उसे सिद्धि तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम होती है। भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘इंटरनेशनल मिलेट इयर’ घोषित किया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज विश्व जब ‘इंटरनेशनल मिलेट इयर’ मना रहा है, तो भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘ग्लोबल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस’ इसी दिशा का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें मिलेट्स की खेती, उससे जुड़ी अर्थव्यवस्था, हेल्थ पर उसके प्रभाव, किसानों की आय, ऐसे अनेक विषयों पर विचार मंथन सत्र में सभी विद्वान और अनुभवी लोग विचार विमर्श करने वाले हैं। इसमें ग्राम पंचायतें, कृषि केन्द्र, स्कूल-कॉलेज और एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ-साथ भारतीय दूतावास और कई देश भी हमारे साथ शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आज इस कार्यक्रम से 75 लाख से अधिक किसान वर्चुअली जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए एक स्मारक सिक्के और एक डाक टिकट के विमोचन के साथ-साथ बुक ऑफ मिलेट स्टैंडर्ड्स का विमोचन और आईसीएआर के भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान को वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में घोषित किया।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों से कार्यक्रम स्थल पर प्रदर्शनी देखने और एक ही जगह पर मिलेट्स की पूरी दुनिया को समझने, उसकी उपयोगिता को समझने, पर्यावरण के लिए, प्रकृति के लिए, स्वास्थ्य के लिए, किसानों की आय के लिए सभी पहुलओं को समझने के लिए एग्जीबिशन देखने का आग्रह किया। उन्होंने मिलेट से संबंधित उद्यमों और खेती के लिए स्टार्टअप लाने की युवाओं की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, "यह मिलेट के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक संकेत है।
प्रधानमंत्री ने विदेशी प्रतिनिधियों को मिलेट के लिए भारत की ब्रांडिंग संबंधी पहल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत में मिलेट्स या मोटे अनाज को अब श्री अन्न की पहचान दी गई है। उन्होंने विस्तार से बताया कि श्री अन्न केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा से परिचित लोग इस बात से अच्छी तरह अवगत है कि हमारे यहां किसी के आगे श्री ऐसे ही नहीं जुड़ता है और जहां श्री होती है, वहां समृद्धि भी होती है, और समग्रता भी होती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब श्री अन्न भी भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। इसमें गांव भी जुड़ा है, गरीब भी जुड़ा है।” उन्होंने कहा, “श्रीअन्न यानि देश के छोटे किसानों की समृद्धि का द्वार, श्रीअन्न यानि देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार, श्रीअन्न यानि देश के आदिवासी समाज का सत्कार, श्रीअन्न यानि कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार, श्रीअन्न यानि केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार, श्रीअन्न यानि क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने में मददगार।”
प्रधानमंत्री ने श्री अन्न को एक वैश्विक आंदोलन में बदलने के लिए सरकार के लगातार प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 2018 में मोटे अनाज को पोषक-अनाज घोषित किया गया था, जहां किसानों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करने से लेकर बाजार के प्रति रुचि पैदा करने तक सभी स्तरों पर काम किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटे तौर पर देश के 12-13 विभिन्न राज्यों में मोटे अनाज की खेती की जाती है, जहां प्रति व्यक्ति प्रति माह घरेलू खपत 3 किलोग्राम से अधिक नहीं थी, जबकि खपत आज बढ़कर 14 किलोग्राम प्रति माह हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि मिलेट्स फूड प्रॉडक्ट्स की बिक्री भी करीब 30 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अब जगह-जगह मिलेट कैफे नजर आने लगे हैं, मिलेट्स से जुड़ी रेसीपीज के सोशल मीडिया चैनल्स बन रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, "देश के 19 जिलों में मिलेट्स को ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट’ स्कीम के तहत भी सिलेक्ट किया गया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग 2.5 करोड़ छोटे किसान भारत में मिलेट्स के उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मिलेट्स, मानव और मिट्टी, दोनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की गारंटी देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “मिलेट्स की एक और ताकत पर जोर देना चाहता हूं। मिलेट्स की यह ताकत है - इसका क्लाइमेट रेसिलियंट होना। बहुत एडवर्स क्लाइमेटिक कंडीशंस में भी मिलेट्स का आसानी से उत्पादन हो जाता है। इसकी पैदावार में अपेक्षाकृत पानी भी कम लगता है, जिसमें वॉटर क्राइसिस वाली जगहों के लिए यह एक पसंदीदा फसल बन जाती है।” प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत का मिलेट मिशन - श्री अन्न का अभियान देश के 2.5 करोड़ किसानों के लिए वरदान साबित होगा।" उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार सरकार ने मोटे अनाज उगाने वाले 2.5 करोड़ छोटे किसानों की सुध ली है। यह देखते हुए कि मोटा अनाज अब प्रसंस्करण के बाद पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के माध्यम से दुकानों और बाजारों तक पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि श्री अन्न बाजार को बढ़ावा मिलने से इन 2.5 करोड़ छोटे किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि श्री अन्न पर काम कर रहे 500 से अधिक स्टार्टअप सामने आए हैं और पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में एफपीओ भी आगे आ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश में एक संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जा रही है, जहां छोटे गांवों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं श्री अन्न के उत्पाद बना रही हैं, जो मॉल और सुपरमार्केट में पहुंच रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत इस समय जी-20 का प्रेसिडेंट भी है। भारत का मोटो है- वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर पूरे विश्व को एक परिवार मानने की ये भावना, इंटरनेशनल मिलेट ईयर में भी झलकती है।” उन्होंने कहा, "विश्व के प्रति कर्तव्य भावना और मानवता की सेवा का संकल्प, सदैव भारत के मन में रहा है।" योग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम योग को लेकर आगे बढ़े तो हमने यह भी सुनिश्चित किया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए पूरे विश्व को उसका लाभ मिले। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज विश्व के 100 से अधिक देशों में योग को बढ़ावा दिया जा रहा है और विश्व के 30 से अधिक देशों ने आयुर्वेद को भी मान्यता प्रदान की है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इंटरनेशनल सोलर एलाइंस के रूप में आज भारत का यह प्रयास सस्टेनेबल प्लानेट के लिए एक प्रभावी मंच का काम कर रहा है, जहां 100 से अधिक देश आंदोलन में शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "आज चाहे लाइफ मिशन की अगुवाई हो, क्लाइमेट चेंज से जुड़े लक्ष्यों को समय से पहले हासिल करना हो, हम अपनी विरासत से प्रेरणा लेते हैं, समाज में बदलाव को शुरू करते हैं, और उसे विश्व कल्याण की भावना तक लेकर जाते हैं।” उन्होंने कहा कि यही आज भारत के ‘मिलेट मूवमेंट’ में भी दिख रहा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित ज्वार, बाजरा, रागी, साम, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू जैसे श्री अन्न का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मिलेट भारत में सदियों से जीवनशैली का हिस्सा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी कृषि पद्धतियों और श्री अन्न से संबंधित अपने अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है, जबकि अन्य देशों से भी सीख रहा है। उन्होंने उपस्थित मित्र राष्ट्रों के कृषि मंत्रियों से विशेष रूप से आग्रह किया कि इस दिशा में एक स्टेबल मैकेनिज्म डिवेलप किया जाना चाहिए और इस मैकेनिज्म से आगे चलकर, फील्ड से लेकर मार्केट तक, एक देश से दूसरे देश तक, एक नई सप्लाई चेन विकसित हो, ये हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मिलेट्स, मानव और मिट्टी, दोनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की गारंटी देते हैं। उन्होंने कहा कि मिलेट्स की एक और ताकत है - इसका क्लाइमेट रेसिलियंट होना, जिससे बहुत एडवर्स क्लाइमेटिक कंडीशंस में भी मिलेट्स का आसानी से उत्पादन हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसकी पैदावार में अपेक्षाकृत पानी भी कम लगता है, जिसमें वॉटर क्राइसिस वाली जगहों के लिए यह एक पसंदीदा फसल बन जाती है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स की एक बड़ी खूबी ये है कि इसे केमिकल के बिना भी प्राकृतिक तरीके से उगाया जा सकता है। यानी, मिलेट्स, मानव और मिट्टी, दोनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की गारंटी देते हैं।
प्रधानमंत्री ने आज की दुनिया में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि जब हम फूड सिक्योरिटी की बात करते हैं, तो हम जानते हैं कि आज दुनिया दो तरह की चुनौतियों से जूझ रही है। उन्होंने कहा, “एक तरफ ग्लोबल साउथ है, जो अपने गरीबों की फूड सिक्योरिटी को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी तरफ ग्लोबल नॉर्थ का हिस्सा है, जहां फूड हैबिट्स से जुड़ी बीमारियां एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं। यहां खराब पोषण एक बहुत बड़ा चैलेंज है। यानी, एक तरफ फूड सिक्योरिटी की समस्या, तो दूसरी तरफ फूड हैबिट्स की परेशानी!” प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीअन्न ऐसी हर समस्या का भी समाधान देते हैं, ज्यादातर मिलेट्स को उगाना आसान होता है, इसमें खर्च भी बहुत कम होता है, और दूसरी फसलों की तुलना में ये जल्दी तैयार भी हो जाता है। प्रधानमंत्री ने श्रीअन्न के लाभों के बारे में बताया कि इनमें पोषण तो ज्यादा होता ही है, साथ ही स्वाद में भी विशिष्ट होते हैं। ग्लोबल फूड सिक्योरिटी के लिए संघर्ष कर रहे विश्व में श्रीअन्न बहुत बड़ी सौगात की तरह हैं। इसी तरह, श्रीअन्न से फूड हैबिट्स की समस्या भी ठीक हो सकती है। हाइ फ़ाइबर वाले इन फूड्स को शरीर और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है। इनसे लाइफस्टाइल related बीमारियों को रोकने में बड़ी मदद मिलती है। यानी, पर्सनल हेल्थ से लेकर ग्लोबल हेल्थ तक, हमारी कई समस्याओं के हल हमें श्रीअन्न से हम जरूर रास्ता खोज सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मिलेट्स के क्षेत्र में काम करने के लिए हमारे सामने अभी अनंत संभावनाएं मौजूद हैं।” यह बताते हुए कि आज भारत में नेशनल फूड बास्केट में श्रीअन्न का योगदान केवल 5-6 प्रतिशत है, प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से इस योगदान को बढ़ाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया और हर साल प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि देश ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बूस्ट देने के लिए पीएलआई स्कीम भी शुरू की है। प्रधानमंत्री ने इस बात की आवश्यकता पर बल दिया कि इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेट सेक्टर को मिले, ज्यादा से ज्यादा कंपनियां मिलेट प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए आगे आयें, इस दिशा को, इस सपने को सिद्ध करना हमें सुनिश्चित करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने अपने यहां पीडीएस सिस्टम में श्री अन्न को शामिल किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि दूसरे राज्यों में भी इस तरह के प्रयास शुरू किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मिड डे मील में भी श्रीअन्न को शामिल करके हम बच्चों को अच्छा पोषण दे सकते हैं, खाने में नया स्वाद और विविधता जोड़ सकते हैं।
संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि इन सभी बिन्दुओं पर इस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से चर्चा होगी, और उन्हें इंप्लीमेंट करने का रोडमैप भी तैयार किया जाएगा। अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे अन्नदाता के, और हम सबके साझा प्रयासों से श्रीअन्न भारत की और विश्व की समृद्धि में नई चमक जोड़ेगा।"
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी और सुश्री शोभा करंदलाजे सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
भारत के प्रस्ताव के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के उत्सव को एक 'जन आंदोलन' बनाने और भारत को 'मिलेट का वैश्विक केंद्र' के रूप में स्थापित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश, किसान, स्टार्ट-अप, निर्यातक, किसान, उपभोक्ता और जलवायु के लिए मिलेट (श्री अन्न) के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने और प्रचार करने के लिए खुदरा व्यवसायों और अन्य हितधारकों को लगाया जा रहा है। भारत में ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का आयोजन इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
दो-दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में उत्पादकों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों के बीच बाजरा के प्रचार और जागरूकता; बाजरा की मूल्य श्रृंखला विकास; बाजरा के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलू; बाजार संबंध; अनुसंधान और विकास आदि जैसे मिलेट (श्री अन्न) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। सम्मेलन में विभिन्न देशों के कृषि मंत्री, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक, पोषण विशेषज्ञ, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, स्टार्ट-अप क्षेत्र के दिग्गज और अन्य हितधारक भाग लेंगे।
It is a matter of great honour for us that after India's proposal and efforts, the United Nations declared 2023 as 'International Year of Millets'. pic.twitter.com/BVCSVlqdoP
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023
In India, millets have been given the identity of Shree Anna. Here's why... pic.twitter.com/6QDN9WptbR
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023
श्रीअन्न भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। pic.twitter.com/Ooif8MK0Oq
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023
India is the President of G-20 at this time. Our motto is - 'One Earth, One Family, One Future.'
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023
This is also reflected as we mark the 'International Year of Millets.' pic.twitter.com/QOnbSF1htQ
Millets, मानव और मिट्टी, दोनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की गारंटी देते हैं। pic.twitter.com/0q00kq7seT
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023
Millets can help tackle challenges of food security as well as food habits. pic.twitter.com/VIyVDIWo5K
— PMO India (@PMOIndia) March 18, 2023