प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज डोनी पोलो हवाई अड्डा, ईटानगर का उद्घाटन किया और 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो पावर स्टेशन भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस हवाई अड्डे का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने स्वयं फरवरी 2019 में किया था। इस दौरान कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद इस हवाई अड्डे का कार्य बहुत कम समय में पूरा किया गया है।
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अरुणाचल की अपनी निरंतर यात्राओं का स्मरण किया और आज के कार्यक्रम की व्यापकता को देखते हुए राज्य के विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश के लोगों की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के लोगों के खुशमिजाज लेकिन अनुशासित विशिष्टता की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने बदलती हुई कार्य संस्कृति का उल्लेख किया, जहां वे शिलान्यास करने के साथ-साथ स्वयं उसी परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करने की परंपरा को स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस हवाई अड्डे का शुभारंभ उन आलोचकों के लिए करारा जवाब है, जिन्होंने इस हवाई अड्डे के शिलान्यास को चुनावी हथकंडा बताने की पुरजोर कोशिश की थी। प्रधानमंत्री ने राजनीतिक टिप्पणीकारों से यह आग्रह किया कि वे नई सोच को अपनाए और राजनीतिक लाभ के चश्मे से राज्य के विकास को देखना बंद करें। उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात को पूरा किया कि इस समय न तो राज्य में चुनाव हो रहे हैं और न ही निकट भविष्य में कोई चुनाव होने जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता राज्य का विकास करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं दिन की शुरुआत उस राज्य से कर रहा हूं जहां से सूर्य का उदय होता है और दिन की समाप्ति सूर्य के डूबने के साथ दमन में करूंगा और इस बीच मैं काशी में भी रहूंगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के बाद भी लम्बी अवधि के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र को उदासीनता और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह अटल बिहारी वाजपेयी की ही सरकार थी जिसने इस क्षेत्र पर ध्यान देते हुए पूर्वोत्तर के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया था। बाद में विकास की गति थम गई लेकिन 2014 के बाद विकास का नया अध्याय शुरू हुआ। इससे पहले दूर-दराज के सीमावर्ती गांवों को अंतिम गांव माना जाता था लेकिन हमारी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों को देश का पहला गांव मानकर काम किया है। इसके परिणामस्वरूप पूर्वोत्तर का विकास सरकार की प्राथमिकता बन गया है। पर्यटन हो या व्यापार, टेलीकॉम हो या टेक्सरटाइल, पूर्वोत्तर को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी हो या कृषि उड़ान, हवाई अड्डा कनेक्टिविटी हो या बंदरगाह कनेक्टिविटी, सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास की प्राथमिकता निर्धारित की है। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों पर प्रकाश डालने के लिए देश के सबसे लंबे पुल, सबसे लंबे रेलमार्ग पुल, रेललाइन कनेक्टिविटी और राजमार्गों के रिकॉर्ड निर्माण करने के उदाहरण दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का एक नया युग है और आज का कार्यक्रम भारत के नए दृष्टिकोण का एक सटीक उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डोनी पोलो हवाई अड्डा अरुणाचल प्रदेश के लिए चौथा परिचालित हवाई अड्डा होगा, इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवाई अड्डों की कुल संख्या 16 हो जाएगी। 1947 से 2014 तक, इस पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल 9 हवाई अड्डे बनाए गए थे। लेकिन पिछले आठ वर्षों की छोटी सी अवधि में ही पूर्वोत्तर में सात हवाई अड्डे बनाए गए हैं। इस क्षेत्र में हवाई अड्डों का तेजी से विकास पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के बारे में प्रधानमंत्री के विशेष महत्व को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने वाली उड़ानों की संख्या भी दोगुनी हो गई है। श्री मोदी ने कहा कि डोनी पोलो हवाई अड्डा अरुणाचल प्रदेश के इतिहास और संस्कृति का साक्षी बन रहा है। इस हवाई अड्डे के नामकरण पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'डोनी' का अर्थ सूर्य है जबकि 'पोलो' का अर्थ है चंद्रमा। प्रधानमंत्री ने सूर्य और चंद्रमा की रोशनी की तुलना राज्य के विकास से करते हुए कहा कि हवाई अड्डे का विकास उतना ही जरूरी है जितना गरीबों का विकास।
अरुणाचल प्रदेश के ढांचागत विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने दूरदराज के दुर्गम क्षेत्रों में राजमार्ग निर्माण का उदाहरण दिया और कहा कि केंद्र सरकार निकट भविष्य में 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि खर्च करने जा रही है। प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने राज्य के दूर-दराज के इलाकों के साथ उचित संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि अरुणाचल में 85 प्रतिशत गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जुड़े हुए हैं। नए हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के विकास के साथ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इससे कार्गो सेवाओं के क्षेत्र में भी व्यापक अवसरों का सृजन होगा। जिसके परिणामस्वरूप राज्य के किसान अपनी उपज को बड़े बाजारों में बेच सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के किसान पीएम किसान निधि का लाभ उठा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने उस औपनिवेशिक कानून का स्मरण किया जिसने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को बांस की कटाई से रोक दिया था और उन्होंने कानून को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बांस राज्य की जीवनशैली का हिस्सा है और इसकी खेती से इस क्षेत्र के लोगों को पूरे भारत और दुनिया भर में बांस के उत्पादों का निर्यात करने में सहायता मिल रही है। उन्होंने कहा कि अब आप किसी भी अन्य फसल की तरह ही बांस की खेती, कटाई और बिक्री कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की यह प्राथमिकता है कि गरीब भी गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत करें। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने में पिछली सरकारों के प्रयासों की आलोचना की और कहा कि वर्तमान सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख तक का बीमा कवर उपलब्धा करवा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, मॉडल एकलव्य स्कूल और अरुणाचल स्टार्टअप नीति के भी उदाहरण दिए। वर्ष 2014 में शुरू हुई सौभाग्य योजना, सभी के लिए बिजली योजना पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के कई गांवों को आजादी के बाद पहली बार बिजली मिली है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि हम राज्य के हर घर और गांव में विकास को आगे बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं। उन्होंने वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज प्रोग्राम के तहत सभी सीमावर्ती गांवों को विकसित करने के बारे में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जिनसे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र से लोगों का पलायन भी कम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश के युवाओं को एनसीसी में शामिल करने के लिए राज्य में विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिससे राज्य के युवाओं में रक्षा प्रशिक्षण के साथ-साथ देश सेवा की भावना भी पैदा होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबके प्रयास के साथ मिलकर राज्य की डबल इंजन वाली सरकार अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री बी.डी.मिश्रा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
डोनी पोलो हवाई अड्डा, ईटानगर
पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए एक महत्वपूर्ण कदम में प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में पहले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे- 'डोनी पोलो हवाई अड्डा, ईटानगर' का उद्घाटन किया। इस हवाई अड्डे का यह नाम अरुणाचल प्रदेश की परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा सूर्य ('डोनी') और चंद्रमा ('पोलो') के लिए इसकी सदियों पुरानी स्वदेशी श्रद्धा को दर्शाता है।
यह हवाई अड्डा, अरुणाचल प्रदेश का पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है जिसे 690 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में विकसित किया गया है और इसके निर्माण पर 640 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। इस हवाई अड्डे में 2300 मीटर रनवे है और यह सभी प्रकार मौसम में संचालन के लिए उपयुक्त है। हवाई अड्डा टर्मिनल एक आधुनिक भवन है, जो ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा और संसाधनों के रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देती है।
ईटानगर में इस नए हवाई अड्डे के विकास से न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार होगा बल्कि यह व्यापार और पर्यटन के विकास के लिए एक प्रेरक के रूप में भी कार्य करेगा तथा इससे क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
पांच पूर्वोत्तर राज्यों- मिजोरम, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के हवाई अड्डों ने 75 सालों में पहली बार उड़ानें शुरू की हैं।
पूर्वोत्तर में विमानों की आवाजाही में भी वर्ष 2014 के बाद से 113 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो वर्ष 2014 में 852 प्रति सप्ताह से बढ़कर वर्ष 2022 में 1817 प्रति सप्ताह तक पहुंच गई है।
600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो पावर स्टेशन
8,450 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित और अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले में 80 किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैली इस परियोजना से अरुणाचल प्रदेश एक विद्युत सरप्लस राज्य बन जाएगा जिससे ग्रिड स्थिरता और एकीकरण के मामले में राष्ट्रीय ग्रिड को भी लाभ मिलेगा। यह परियोजना हरित ऊर्जा को अपनाने में अधिक हरित ऊर्जा अपनाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी
Our government's priority is development of the country, welfare of citizens. pic.twitter.com/9ROq1kjgIb
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Our government worked considering the villages in the border areas as the the first village of the country. pic.twitter.com/rsvfZxC3gg
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Today, Northeast gets top priority when it comes to development. pic.twitter.com/gXJKdFn242
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After 2014, a campaign to ensure electricity to every village was initiated. Several villages of Arunachal Pradesh have also benefited from this. pic.twitter.com/A5ne93KyDS
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It is our endeavour to strengthen the villages in border areas. pic.twitter.com/opsM2t6mLL
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