Quoteयूपीसीडा एग्रो पार्क करखियांव में बनास काशी संकुल दूध प्रसंस्करण यूनिट का उद्घाटन किया
Quoteएचपीसीएल के एलपीजी बॉटलिंग प्लांट, यूपीसीडा एग्रो पार्क में विभिन्न आधारभूत अवसंरचना कार्य और सिल्क फैब्रिक प्रिंटिंग कॉमन फैसिलिटी का उद्घाटन किया
Quoteअनेक सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
Quoteवाराणसी में अनेक शहरी विकास, पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
Quoteवाराणसी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) की आधारशिला रखी
Quoteबीएचयू में नए मेडिकल कॉलेज और नेशनल सेंटर ऑफ एजिंग की आधारशिला रखी
Quoteसिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम फेज-1 और डिस्ट्रिक्ट राइफल शूटिंग रेंज का उद्घाटन किया
Quote"दस वर्ष में बनारस ने मुझे बनारसी बना दिया है"
Quote"किसान और पशुपालक सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता"
Quote"बनास काशी संकुल 3 लाख से अधिक किसानों की आय को बढ़ावा देगा"
Quote"पशुपालन महिलाओं की आत्म-निर्भरता का एक बड़ा साधन है"
Quote"हमारी सरकार, खाद्य प्रदाता को ऊर्जा प्रदाता बनाने के साथ-साथ उर्वरक प्रदाता बनाने पर भी काम कर रही है"
Quote"आत्मनिर्भर भारत बनेगा विकसित भारत का आधार"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वाराणसी में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री वाराणसी के करखियावं में यूपीआईडीएस एग्रो पार्क में बनी बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की दूध प्रसंस्करण यूनिट बनास काशी संकुल देखने गए और गाय लाभार्थियों से बातचीत की। प्रदानमंत्री श्री मोदी ने रोजगार पत्र और जीआई-अधिकृत उपयोगकर्ता प्रमाण पत्र भी दिए। आज की विकास परियोजनाएं सड़क, रेल, विमानन, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, शहरी विकास और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की हैं।

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प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए काशी में एक बार फिर उपस्थित होने के लिए आभार व्यक्त किया और 10 वर्ष पहले शहर के सांसद के रूप में चुने जाने को याद किया। उन्होंने कहा कि इन दस वर्षों में बनारस ने उन्हें बनारसी बना दिया है। श्री मोदी ने काशी के लोगों के समर्थन और योगदान की सराहना की और कहा कि 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं के साथ एक नई काशी बनाने का अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि विकास परियोजनाएं रेल, सड़क, हवाई अड्डे से संबंधित, पशुपालन, उद्योग, खेल, कौशल विकास, स्वच्छता, स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता, पर्यटन और एलपीजी गैस से संबंधित हैं और इन परियोजनाओं से न केवल काशी, बल्कि पूरे पूर्वांचल क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी से जुड़ी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया और नागरिकों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने काशी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास परियोजनाओं के बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कल रात अतिथि गृह जाते समय अपनी सड़क यात्रा को याद किया और फुलवरिया फ्लाईओवर परियोजना के फायदों की जानकारी दी। उन्होंने बीएलडब्ल्यू से हवाई अड्डे तक की यात्रा में आसानी के सुधार का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कल रात गुजरात यात्रा से यहां पहुंचने के तुरंत बाद विकास परियोजना का निरीक्षण किया। प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में विकास को बढ़ावा देने के बारे में कहा कि सिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम फेज -1 और जिला राइफल शूटिंग रेंज से क्षेत्र के युवा एथलीटों को बहुत लाभ होगा।

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प्रधानमंत्री ने इससे पहले बनास डेयरी गए और कई पशुपालकों महिलाओं के साथ अपनी बातचीत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कृषि पृष्ठभूमि की महिलाओं की जागरूकता बढ़ाने के लिए 2-3 वर्ष पहले स्वदेशी नस्ल की गिर गाय दी गई थीं। यह देखते हुए कि गिर गायों की संख्या अब लगभग 350 तक पहुंच गई है, प्रधानमंत्री ने बताया कि वे साधारण गायों के 5 लीटर दूध की तुलना में 15 लीटर तक दूध देती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक गिर गाय 20 लीटर दूध दे रही है, जिससे महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय हो रही है और वे लखपति दीदी बन रही हैं। उन्होंने कहा, "यह देश में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 करोड़ महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।”

प्रधानमंत्री ने दो वर्ष पहले बनास डेयरी के शिलान्यास के कार्यक्रम को याद करते हुए कहा कि उस दिन दी गई गारंटी आज लोगों के सामने है। उन्होंने कहा कि बनास डेयरी सही निवेश के माध्यम से रोजगार सृजन का एक अच्छा उदाहरण है। बनास डेयरी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और रायबरेली से करीब 2 लाख लीटर दूध एकत्रित करती है। नए प्लांट के शुरू होने से बलिया, चंदौली, प्रयागराज और जौनपुर के पशुपालकों को भी लाभ होगा। परियोजना के अंतर्गत वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर और आजमगढ़ जिलों के 1000 से अधिक गांवों में नई दूध मंडियां बनाई जाएंगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि बनास काशी संकुल रोजगार के हजारों नए अवसर पैदा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, बनास काशी संकुल 3 लाख से अधिक किसानों की आय को बढ़ावा देगा। उन्होंने बताया कि यह इकाई अन्य डेयरी उत्पादों जैसे छाछ, दही, लस्सी, आइसक्रीम, पनीर और क्षेत्रीय मिठाइयां भी बनाएगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यह प्लांट बनारस की मिठाइयों को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने रोजगार के साधन के रूप में दूध के परिवहन और पशु पोषण उद्योग को बढ़ावा देने की भी बात की।

प्रधानमंत्री ने डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की प्रधानता को देखते हुए डेयरी नेतृत्व से पशुपालक बहनों के खातों में सीधे डिजिटल रूप से धन अंतरित करने की प्रणाली विकसित करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों की सहायता में पशुपालन की भूमिका को रेखांकित किया।

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प्रधानमंत्री ने अन्नदाता को ऊर्जा दाता से उर्वरकदाता बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने गोबर धन में अवसर की जानकारी दी और डेयरी में बायो सीएनजी और जैविक खाद बनाने के लिए प्लांट लगाने की बात की। गंगा नदी के तट पर प्राकृतिक खेती की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए प्रधानमंत्री ने गोबर धन योजना के अंतर्गत जैविक खाद की उपयोगिता को स्वीकार किया। एनटीपीसी द्वारा शहरी अपशिष्ट से चारकोल बनाने के संयंत्र में उपयोग का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने 'कचरा को कंचन' में बदलने की काशी की भावना की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान और पशुपालक सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। उन्होंने पिछली कैबिनेट बैठक में गन्ने के एफआरपी संशोधन को 340 रुपये प्रति क्विंटल करने और राष्ट्रीय पशुधन मिशन में संशोधन के साथ पशुधन बीमा कार्यक्रम को आसान बनाने की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि न केवल किसानों का बकाया चुकाया जा रहा है, बल्कि फसलों के दाम भी बढ़ाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने पिछली और वर्तमान सरकार की विचार प्रक्रिया के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए कहा, "आत्मनिर्भर भारत विकसित भारत की नींव बनेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आत्मनिर्भर भारत तभी साकार होगा जब देश में छोटी संभावनाओं को पुनर्जीवित किया जाएगा और छोटे किसानों, पशुपालकों, शिल्पकारों और छोटे और मध्यम उद्योगों को सहायता प्रदान की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि वोकल फॉर लोकल का आह्वान बाजार के उन छोटे लोगों के लिए एक विज्ञापन है जो टेलीविजन और समाचार पत्रों के विज्ञापनों पर खर्च नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, "मोदी खुद स्वदेशी सामान बनाने वालों का विज्ञापन करते हैं।" उन्होंने कहा, 'मोदी हर छोटे किसान और उद्योग के एम्बेसडर हैं, चाहे खादी का प्रचार हो, खिलौना बनाने वालों का हो, मेक इन इंडिया का काम हो या फिर देखो अपना देश हो।' उन्होंने कहा कि इस तरह के आह्वान का असर काशी में ही देखा जा सकता है, जहां विश्वनाथ धाम के कायाकल्प के बाद से 12 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं, जिससे आय और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। वाराणसी और अयोध्या के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा प्रदान किए गए इलेक्ट्रिक नौका के शुभारंभ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यह आगंतुकों को एक विशिष्ट अनुभव देगा।

प्रधानमंत्री ने पहले के समय में वंशवाद की राजनीति, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के दुष्प्रभावों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कुछ वर्गों द्वारा काशी के युवाओं की छवि खराब करने की भी आलोचना की। उन्होंने युवाओं के विकास और वंशवाद की राजनीति के बीच विरोधाभास पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन शक्तियों में काशी और अयोध्या के नए स्वरूप के प्रति घृणा का भी उल्लेख किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा “ मोदी का तीसरा कार्यकाल भारत की क्षमताओं को विश्व में सबसे आगे लाएगा और भारत का आर्थिक, सामाजिक, सामरिक और सांस्कृतिक क्षेत्र नई ऊंचाइयों पर होगा।” प्रधानमंत्री ने भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए पिछले 10 वर्षों में 11 वें स्थान से विश्व की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में छलांग लगाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत अगले 5 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। प्रदानमंत्री श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि डिजिटल इंडिया, सड़कों चौड़ा करने, रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और वंदे भारत, अमृत भारत तथा नमो भारत ट्रेनों जैसे विकास कार्यों को अगले 5 वर्षों में गति दी जाएगी। मोदी ने कहा, 'पूर्वी भारत को विकसित भारत का विकास इंजन बनाने की मोदी की गारंटी।' उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र विकास से वंचित रहा है। प्रधानमंत्री ने वाराणसी से औरंगाबाद तक छह लेन के राजमार्ग के पहले चरण के उद्घाटन के बारे कहा कि आने वाले 5 वर्षों में वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे के पूरा होने से यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच की दूरी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा, "भविष्य में बनारस से कोलकाता तक यात्रा का समय लगभग आधा होने जा रहा है।”

प्रधानमंत्री ने आने वाले 5 वर्षों में काशी के विकास के नए आयामों का अनुमान व्यक्त किया। उन्होंने काशी रोपवे और हवाई अड्डे की क्षमता में तेजी से वृद्धि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि काशी देश में एक महत्वपूर्ण खेल नगरी के रूप में उभरेगा। उन्होंने काशी को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भी स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि अगले 5 साल में काशी रोजगार और कौशल का केंद्र बनेगा। इस दौरान नेशनल इंस्टीट्यूशन ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी कैंपस भी बनकर तैयार होगा, जिससे क्षेत्र के युवाओं और बुनकरों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। पिछले एक दशक में हमने काशी को स्वास्थ्य और शिक्षा के केंद्र के रूप में एक नई पहचान दी है। अब इसमें एक नया मेडिकल कॉलेज भी जुड़ने जा रहा है। बीएचयू में नेशनल सेंटर ऑफ एजिंग के साथ ही आज 35 करोड़ रुपये की कई डायग्नोस्टिक मशीनों और उपकरणों का लोकार्पण किया गया। अस्पताल से जैव-जोखिम कचरे से निपटने के लिए एक सुविधा भी विकसित की जा रही है।

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संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी और उत्तर प्रदेश का तीव्र विकास जारी रहना चाहिए और काशी के प्रत्येक निवासी से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "अगर देश और विश्व को मोदी की गारंटी पर इतना विश्वास है, तो यह आपके स्नेह और बाबा के आशीर्वाद के कारण है।”

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री श्री महेंद्र नाथ पांडे और बनास डेयरी के अध्यक्ष श्री शंकरभाई चौधरी भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने वाराणसी में सड़क संपर्क को और बढ़ाने के लिए जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी उनमें एनएच -233 के घरगरा-पुल-वाराणसी सेक्सन के चार लेन सहित एनएच -56 के सुल्तानपुर-वाराणसी खंड को चार लेन बनाना, पैकेज-1; राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के वाराणसी-औरंगाबाद सेक्सन के पहले चरण को छह लेन का बनाना; एनएच-35 पर पैकेज-1 वाराणसी-हनुमान सेक्सन को चार लेन का बनाना; और बाबतपुर के निकट वाराणसी-जौनपुर रेल सेक्सन पर आरोबी बनाना शामिल है। उन्होंने वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे पैकेज-1 के निर्माण की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए सेवापुरी में एचपीसीएल की एलपीजी बॉटलिंग प्लांट; यूपीसीडा एग्रो पार्क करखियांव में बनास काशी संकुल दूध प्रसंस्करण यूनिट; यूपीसीडा एग्रो पार्क, करखियांव में विभिन्न बुनियादी ढांचे के कार्य; और बुनकरों के लिए सिल्क फैब्रिक प्रिंटिंग कॉमन फैसिलिटी सेंटर का उद्घाटन किया।

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प्रधानमंत्री ने वाराणसी में कई शहरी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें रमना में एनटीपीसी द्वारा शहरी अपशिष्ट से चारकोल संयंत्र; सीस-वरुणा क्षेत्र में जल आपूर्ति नेटवर्क का उन्नयन; और एसटीपी और सीवरेज पंपिंग स्टेशनों की ऑनलाइन प्रवाह निगरानी और एससीएडीए ऑटोमेशन शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के सौंदर्यीकरण के लिए अनेक परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिसमें तालाबों के कायाकल्प और पार्कों के पुनर्विकास की परियोजनाएं और 3 डी शहरी डिजिटल मानचित्र और डेटाबेस के डिजाइन और विकास शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने वाराणसी में पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन से संबंधित कई परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में पंचकोशी परिक्रमा मार्ग और पवन पथ के पांच पड़ाव पर दस आध्यात्मिक यात्राओं के साथ सार्वजनिक सुविधाओं का पुनर्विकास; वाराणसी और अयोध्या के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा प्रदान किए गए इलेक्ट्रिक कटमरैन नौका का शुभारंभ; और सात चेंज रूम, फ्लोटिंग जेट्टी और चार सामुदायिक जेट्टी हैं। इलेक्ट्रिक कटमरैन हरित ऊर्जा के उपयोग के साथ गंगा में पर्यटन के अनुभव को बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री ने विभिन्न शहरों में आईडब्ल्यूएआई के तेरह सामुदायिक जेट्टी और बलिया में त्वरित पोंटून खोलने की व्यवस्था की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने वाराणसी के प्रसिद्ध कपड़ा क्षेत्र को प्रोत्साहन प्रदान करते हुए वाराणसी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) की आधारशिला रखी। नया संस्थान ट्क्सटाइल क्षेत्र की शिक्षा और प्रशिक्षण अवसंरचना को मजबूत करेगा।

वाराणसी में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने वाराणसी में एक नए मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी। उन्होंने बीएचयू में नेशनल सेंटर ऑफ एजिंग की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने शहर में खेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में सिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम फेज -1 और जिला राइफल शूटिंग रेंज का उद्घाटन किया।

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साइप्रस और भारत के बीच व्यापक साझेदारी के कार्यान्वयन पर जॉइंट डिक्लरेशन
June 16, 2025

ऐतिहासिक यात्रा और स्थायी साझेदारी

साइप्रस के राष्ट्रपति श्री निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने 15 से 16 जून, 2025 तक भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की साइप्रस की आधिकारिक यात्रा के दौरान उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी की यह यात्रा पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और दोनों देशों के बीच गहरी और स्थायी मित्रता की पुष्टि करती है। श्री मोदी की यह यात्रा न केवल एक साझा इतिहास का जश्न है, बल्कि एक संयुक्त रणनीतिक दृष्टि और आपसी विश्वास तथा सम्मान में निहित एक दूरगामी साझेदारी का जश्न है।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की, जो साइप्रस और भारत के बीच बढ़ते व्यापक सहयोग को दर्शाती है। उन्होंने आर्थिक, तकनीकी और जन-जन के बीच संबंधों में हाल की प्रगति का स्वागत किया।

अपने मूल्यों, हितों, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और दूरदर्शिता के बढ़ते तालमेल को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्षों ने प्रमुख क्षेत्रों में इस साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। साइप्रस और भारत ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता में योगदान देने वाले विश्वसनीय और अपरिहार्य भागीदारों के रूप में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

वे निम्नलिखित संयुक्त घोषणा पर सहमत हुए:

साझा मूल्य और वैश्विक प्रतिबद्धताएं

दोनों नेताओं ने शांति, लोकतंत्र, कानून के शासन, प्रभावी बहुपक्षवाद और सतत विकास के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, जिसमें नेविगेशन की स्वतंत्रता और संप्रभु समुद्री अधिकारों के संबंध में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) पर विशेष जोर दिया गया। नेताओं ने सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की।

नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भीतर समन्वय को मजबूत करने की अपनी मंशा व्यक्त की और 2024 एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपिया) राष्ट्रमंडल महासागर घोषणा को लागू करने पर मिलकर काम करने के बारे में सहमति व्यक्त की, जिसमें महासागर शासन को वैश्विक स्थिरता और सशक्तता के एक स्तंभ के रूप में उजागर किया गया। इस संदर्भ में, राष्ट्रमंडल महासागर संबंधी देशों के मंत्रियों की पहली बैठक अप्रैल 2024 में साइप्रस में आयोजित की गई थी, जिसमें राष्ट्रमंडल सदस्य देशों में स्थायी महासागर शासन को आगे बढ़ाने और क्षमता को मजबूत करने के लिए ब्लू चार्टर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भी की गई थी।

दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा की, जिसमें इसे और अधिक प्रभावी, कुशल और समकालीन भू-राजनीतिक चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तरीके शामिल हैं। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता के क्रम में आगे बढ़ने के लिए समर्थन व्यक्त किया, और पाठ-आधारित वार्ता की ओर बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। साइप्रस ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर प्रतिनिधि चरित्र को बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दोहराया।

दोनों पक्ष बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे की उम्मीदवारी का समर्थन करने सहित संयुक्त राष्ट्र में घनिष्ठ सहयोग और एक-दूसरे का समर्थन करने पर सहमत हुए।

राजनीतिक वार्ता

दोनों पक्ष नियमित तौर पर राजनीतिक वार्ता आयोजित करने और विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय को सुव्यवस्थित करने तथा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए साइप्रस के विदेश मंत्रालय और भारत के विदेश मंत्रालय के बीच मौजूदा द्विपक्षीय प्रणालियों का इस्तेमाल करने पर सहमत हुए। उपरोक्त सक्षम मंत्रालय दोनों देशों के सक्षम अधिकारियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में तैयार की जाने वाली कार्य योजना में शामिल सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कार्यान्वयन का अवलोकन और निगरानी करेंगे।

संप्रभुता और शांति के लिए समर्थन

साइप्रस और भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित प्रयासों को फिर से शुरू करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की, ताकि संयुक्त राष्ट्र के सहमत ढांचे और प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार, राजनीतिक समानता के साथ द्वि-क्षेत्रीय, द्वि-सामुदायिक संघ के आधार पर साइप्रस से संबंधित समस्याओं का व्यापक और स्थायी समाधान प्राप्त किया जा सके।

भारत ने साइप्रस की स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता के लिए अपने अटूट और निरंतर समर्थन को दोहराया। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने सार्थक वार्ता को कार्यान्वित करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सुरक्षा, रक्षा और संकट के समय सहयोग

साइप्रस और भारत ने अंतरराष्ट्रीय और सीमापार आतंकवाद सहित सभी रूपों और प्रतिरूपों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की मुक्त स्वर में निंदा की, और शांति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाले हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

साइप्रस ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता और अटूट समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने हाल ही में भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमलों में नागरिकों की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के प्रति अपने शून्य-सहिष्णुता के दृष्टिकोण को दोहराया, किसी भी परिस्थिति में ऐसे कृत्यों के लिए किसी भी औचित्य को अस्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

नेताओं ने सभी देशों से दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया और सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद की निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को बाधित करने, सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने, आतंकवादी ढांचे को खत्म करने और आतंकवाद के अपराधियों को तुरंत न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक, समन्वित और निरंतर दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने सहयोगात्मक, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रणाली के साथ काम करने के महत्व पर जोर दिया।

दोनों नेताओं ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के भीतर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने 1267 यूएनएससी प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादियों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा नामित आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं, संबंधित प्रॉक्सी समूहों, सुविधाकर्ताओं और प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के माध्यम से आतंकवादी वित्तपोषण चैनलों को बाधित करने के लिए सक्रिय उपाय जारी रखने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश में उभरती चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, नेताओं ने रणनीतिक स्वायत्तता, रक्षा संबंधी तत्परता और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।

वे साइबर सुरक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देने के साथ अपने संबंधित रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग के माध्यम से अपने रक्षा और सुरक्षा को लेकर सहयोग को और भी अधिक मजबूत करने पर सहमत हुए।

भारत और साइप्रस दोनों को नौसेना की सशक्त परंपराओं वाले समुद्री राष्ट्रों के रूप में मान्यता देते हुए, नेताओं ने समुद्री क्षेत्र को शामिल करने के लिए सहयोग का विस्तार करने पर भी चर्चा की। वे भारतीय नौसैनिक जहाजों द्वारा अधिक नियमित बंदरगाह की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु प्रोत्साहित करेंगे और समुद्री क्षेत्र संबंधी जागरूकता और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संयुक्त समुद्री प्रशिक्षण और अभ्यास के अवसरों का पता लगाएंगे।

उस भावना में, और मौजूदा वैश्विक संकटों के मद्देनजर, दोनों पक्षों ने आपातकालीन तैयारी और संकट के प्रति समन्वित कार्रवाई में सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। पिछले सफल प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, नेताओं ने निकासी और खोज और बचाव (एसएआर) कार्यों में समन्वय को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की।

कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय सहयोग

साइप्रस और भारत क्षेत्रों के बीच पुल के रूप में काम करने की रणनीतिक दृष्टि साझा करते हैं। दोनों नेताओं ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के महत्व को एक परिवर्तनकारी, बहु-नोडल पहल के रूप में दर्शाया जो शांति, आर्थिक एकीकरण और सतत विकास को बढ़ावा देता है। आईएमईसी को रचनात्मक क्षेत्रीय सहयोग के उत्प्रेरक के रूप में देखते हुए, उन्होंने पूर्वी भूमध्य सागर और व्यापक मध्य-पूर्व में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया और भारतीय प्रायद्वीप से व्यापक मध्य-पूर्व से यूरोप तक गहन जुड़ाव और अंतर्संबंध के विभिन्न उपायों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।

यूरोप में प्रवेश द्वार के रूप में साइप्रस की भूमिका और, इस संदर्भ में, ट्रांसशिपमेंट, भंडारण, वितरण और रसद के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में सेवा करने की इसकी संभावना को पहचानते हुए, उन्होंने साइप्रस में भारतीय शिपिंग कंपनियों की उपस्थिति स्थापित करने की संभावना का स्वागत किया, आर्थिक और रसद संबंधों को और मजबूत करने के साधन के रूप में साइप्रस-आधारित और भारतीय समुद्री सेवा प्रदाताओं को शामिल करते हुए संयुक्त उद्यमों के माध्यम से समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित किया।

यूरोपीय संघ-भारत की रणनीतिक भागीदारी

2026 की शुरुआत में साइप्रस द्वारा यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता किए जाने की संभावना को देखते हुए, दोनों नेताओं ने यूरोपीय संघ-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने कॉलेज ऑफ कमिश्नर की भारत की महत्वपूर्ण यात्रा को याद किया और पहली भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक वार्ता के शुभारंभ और व्यापार, रक्षा और सुरक्षा, समुद्री, संपर्क, स्वच्छ और हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित यात्रा के दौरान पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में पहले से ही हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

साइप्रस ने अध्यक्षता के दौरान यूरोपीय संघ और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया। दोनों पक्षों ने इसकी महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक क्षमता को पहचानते हुए इस वर्ष के अंत तक यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते के समापन का समर्थन करने की तत्परता व्यक्त की। उन्होंने यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के माध्यम से मौजूदा कार्यों के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया और इस प्रमुख वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 2025 के रणनीतिक रोडमैप से परे एक दूरदर्शी एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

व्यापार, नवाचार, प्रौद्योगिकी और आर्थिक अवसर

साइप्रस और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक पूरकता को पहचानते हुए, नेताओं ने व्यापार, निवेश और विज्ञान, नवाचार और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाकर आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।

सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, दोनों नेताओं ने कहा कि वे भारत आने वाले साइप्रस के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करेंगे, जिसमें व्यापार प्रतिनिधि शामिल होंगे, साथ ही निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए साइप्रस-भारत व्यापार मंच का आयोजन भी किया जाएगा। दोनों नेताओं ने रणनीतिक आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर साइप्रस-भारत व्यापार गोलमेज सम्मेलन को भी संबोधित किया।

दोनों नेताओं ने अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देने, स्टार्टअप, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने और संबंधित समझौता ज्ञापन को समाप्त करने के उद्देश्य से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार के आदान-प्रदान का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की।

आवागमन, पर्यटन और जन-जन के बीच संबंध

दोनों नेताओं ने जन-जन के बीच संबंधों को आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक संपदा और गुणक के रूप में मान्यता दी। दोनों पक्ष 2025 के अंत तक मोबिलिटी पायलट प्रोग्राम व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए काम करेंगे।

दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक मूल्य तथा जन-जन के बीच संबंधों के माध्यम से आपसी समझ को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वे पर्यटन को बढ़ाने और साइप्रस और भारत के बीच सीधे हवाई संपर्क की स्थापना के अवसरों का पता लगाने के साथ-साथ साझा भागीदारों के माध्यम से हवाई मार्गों को बढ़ाने के लिए सहमत हुए, ताकि यात्रा को आसान बनाया जा सके और द्विपक्षीय आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा सके।

भविष्य: 2025-2029 कार्य योजना

यह संयुक्त घोषणापत्र साइप्रस और भारत के बीच रणनीतिक संबंधों की पुष्टि करता है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग में चल रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और विश्वास व्यक्त किया कि यह साझेदारी आगे भी जारी रहेगी, तथा अपने क्षेत्रों और उससे परे शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देगी।

नेताओं ने साइप्रस के विदेश मंत्रालय और भारत के विदेश मंत्रालय की देखरेख में अगले पांच वर्षों के लिए साइप्रस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को दिशा देने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने पर सहमति व्यक्त की।