प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट का अनावरण किया
पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की ‘अष्टलक्ष्मी’ है: प्रधानमंत्री
अष्टलक्ष्मी महोत्सव पूर्वोत्तर क्षेत्र के उज्जवल भविष्य का उत्सव है। यह विकास के नूतन सूर्योदय का उत्सव है, जो विकसित भारत के मिशन को गति देने वाला है: प्रधानमंत्री
हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को भावना, अर्थव्यवस्था और इकोलॉजी की त्रिवेणी से जोड़ रहे हैं: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि आज बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा बनाया गया संविधान, जिसने 75 वर्ष पूरे किये, सभी नागरिकों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। श्री मोदी ने भारत के सभी नागरिकों की ओर से बाबा साहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

यह कहते हुए कि भारत मंडपम पिछले दो वर्षों के दौरान जी20 की बैठक के सफल आयोजन सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का साक्षी रहा है, श्री मोदी ने कहा कि आज का कार्यक्रम और भी विशेष है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने पूरी दिल्ली को पूर्वोत्तर भारत के विविधता भरे रंगों से इन्द्रधनुषी बना दिया है। यह बताते हुए कि पहला अष्टलक्ष्मी महोत्सव अगले तीन दिनों तक मनाया जाएगा, श्री मोदी ने कहा कि यह कार्यक्रम पूरे पूर्वोत्तर भारत के सामर्थ्य को देश और दुनिया के सामने प्रदर्शित करेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में व्यापार से जुड़े कई समझौते होंगे और संस्कृति, व्यंजन एवं अन्य आकर्षणों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न उत्पादों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यह कार्यक्रम लोगों को विभिन्न उपलब्धियां हासिल करने वाले लोगों, जिनमें पद्म पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं, की उपलब्धियों से भी प्रेरित करेगा। इस आयोजन को अनोखा और अपनी तरह का पहला आयोजन बताते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह आयोजन पूर्वोत्तर भारत में निवेश के बड़े अवसरों के द्वार खोलेगा। उन्होंने कहा कि यह दुनिया भर के निवेशकों के साथ-साथ किसानों, श्रमिकों और शिल्पकारों के लिए एक बेहतरीन अवसर है। यह कहते हुए कि इस कार्यक्रम में लगी प्रदर्शनियों ने पूर्वोत्तर भारत की विविधता और सामर्थ्य को प्रदर्शित किया है, श्री मोदी ने अष्टलक्ष्मी महोत्सव के आयोजकों, पूर्वोत्तर भारत के लोगों और निवेशकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 100 से 200 वर्षों के दौरान, हम सभी ने पश्चिमी दुनिया का उभार देखा है और आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक, हर स्तर पर दुनिया में पश्चिमी क्षेत्र की एक छाप रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने भी संयोगवश अपनी विकास गाथा में पश्चिमी क्षेत्र का प्रभाव और उसकी भूमिका देखी है। श्री मोदी ने कहा कि पश्चिम-केन्द्रित कालखंड के बाद, 21वीं सदी पूर्व, यानी एशिया और भारत की है। श्री मोदी ने अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत की विकास गाथा पूर्वी भारत और विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की भी होगी। उन्होंने कहा कि बीते दशकों में, भारत ने मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों को उभरते हुए देखा है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आने वाले दशकों में भारत को गुवाहाटी, अगरतला, इंफाल, ईटानगर, गंगटोक, कोहिमा, शिलांग और आइजोल जैसे शहरों का नया सामर्थ्य दिखेगा और अष्टलक्ष्मी जैसे आयोजन इसमें एक प्रमुख भूमिका निभायेंगे।

भारतीय परंपरा की बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी लक्ष्मी को सुख, आरोग्य और समृद्धि की देवी कहा जाता है। देवी लक्ष्मी के आठ रूपों को गिनाते हुए, उन्होंने कहा कि जब भी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, तो उनके सभी आठ रूपों को पूजा जाता है। श्री मोदी ने कहा कि इसी तरह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के इन आठ राज्यों में अष्टलक्ष्मी के आठ रूपों का प्रतिनिधित्व है।

यह बताते हुए कि पहला रूप आदि लक्ष्मी का है, श्री मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र के हर राज्य में आदि संस्कृति का सशक्त विस्तार है। यह कहते हुए कि पूर्वोत्तर भारत का प्रत्येक राज्य अपनी परंपरा और संस्कृति का उत्सव मनाता है, प्रधानमंत्री ने मेघालय के चेरी ब्लॉसम महोत्सव, नागालैंड के हॉर्नबिल महोत्सव, अरुणाचल के ऑरेंज महोत्सव, मिजोरम के चापचर कुट महोत्सव, असम के बिहू, मणिपुरी नृत्य को गिनाया और कहा कि पूर्वोत्तर भारत में भरपूर विविधता है।

देवी लक्ष्मी के दूसरे रूप - धन लक्ष्मी की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में खनिज, तेल, चाय बागानों और जैव-विविधता के अदभुत संगम के साथ प्रचुर प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वहां नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में अपार संभावनाएं हैं और “धन लक्ष्मी” का यह आशीर्वाद पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक वरदान है।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि देवी लक्ष्मी के तीसरे रूप - धान्य लक्ष्मी की पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष कृपा है, श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और पोषक अनाजों के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि सिक्किम के भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य होने पर हमें गर्व है। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में उगाए जाने वाले चावल, बांस, मसाले और औषधीय पौधे वहां की कृषि की शक्ति के साक्षी हैं। उन्होंने कहा कि आज का भारत स्वस्थ जीवन शैली और पोषण से संबंधित जो समाधान दुनिया को देना चाहता है, उसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है।

अष्टलक्ष्मी के चौथे रूप - गज लक्ष्मी के बारे में बात करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि देवी गज लक्ष्मी कमल पर बैठी हैं और उनके चारों ओर हाथी हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में विशाल जंगल, काजीरंगा, मानस-मेहाओ जैसे राष्ट्रीय उद्यान और अन्य वन्यजीव अभयारण्य हैं। उन्होंने आगे कहा कि वहां अद्भुत गुफाएं और आकर्षक झीलें हैं। श्री मोदी ने कहा कि गजलक्ष्मी के आशीर्वाद में पूर्वोत्तर क्षेत्र को दुनिया का सबसे शानदार पर्यटन स्थल बनाने का सामर्थ्य है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र रचनात्मकता और कौशल के लिए जाना जाता है, जिसका प्रतिनिधित्व अस्तलक्ष्मी के पांचवें रूप - संतान लक्ष्मी द्वारा किया जाता है और इसका संबंध उत्पादकता एवं रचनात्मकता से है। उन्होंने कहा कि असम के मुगा सिल्क, मणिपुर के मोइरांग फी, वांखेई फी, नागालैंड के चखेशांग शॉल जैसे हथकरघा एवं हस्तशिल्प का कौशल हर किसी का दिल जीत लेगा। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे दर्जनों भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाले उत्पाद हैं, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के शिल्प एवं रचनात्मकता को दर्शाते हैं।

अष्टलक्ष्मी की छठी लक्ष्मी-वीर लक्ष्मी, जो साहस और शक्ति के संगम का प्रतीक हैं, की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूर्वोत्तर क्षेत्र महिलाओं की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने मणिपुर के नुपी लान आंदोलन का उदाहरण दिया, जिसने नारी शक्ति को दर्शाया। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं ने जिस तरह गुलामी के विरुद्ध बिगुल फूंका, वह भारत के इतिहास में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज रहेगा। उन्होंने कहा कि लोक कथाओं से लेकर हमारे स्वतंत्रता संग्राम तक रानी गाइदिनल्यू, कनकलता बरुआ, रानी इंदिरा देवी, लालनु रोपिलियानी जैसी बहादुर महिलाओं ने पूरे देश को प्रेरित किया है। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की बेटियां आज भी इस परंपरा को समृद्ध कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं की उद्यमशीलता ने पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक ऐसी मजबूती दी है, जिसका कोई मुकाबला नहीं है।

यह बताते हुए कि अष्टलक्ष्मी की सातवीं लक्ष्मी - जय लक्ष्मी यश और कीर्ति प्रदान करती हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज, भारत के प्रति पूरी दुनिया की अपेक्षाओं में पूर्वोत्तर क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि जहां भारत अपनी संस्कृति और व्यापार की वैश्विक कनेक्टिविटी पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, वहीं पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के असीम अवसरों से जोड़ता है।

अष्टलक्ष्मी की आठवीं लक्ष्मी - विद्या लक्ष्मी, जो ज्ञान और शिक्षा की प्रतीक हैं, का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी सिलचर, एनआईटी मेघालय, एनआईटी अगरतला और आईआईएम शिलांग जैसे आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा के कई प्रमुख केन्द्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को अपना पहला एम्स पहले ही मिल चुका है जबकि देश का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय मणिपुर में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र ने देश को मैरी कॉम, बाइचुंग भूटिया, मीराबाई चानू, लवलीना, सरिता देवी जैसे कई महान खिलाड़ी दिए हैं। श्री मोदी ने कहा कि आज पूर्वोत्तर क्षेत्र ने भी प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टार्ट-अप, सेवा केंद्रों और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और इनमें हजारों युवा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल का एक प्रमुख केन्द्र बन रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “अष्टलक्ष्मी महोत्सव पूर्वोत्तर क्षेत्र के उज्जवल भविष्य का उत्सव है।" उन्होंने कहा कि यह विकास के नूतन सूर्योदय का उत्सव है, जो विकसित भारत के मिशन को गति देगा। श्री मोदी ने कहा कि आज पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश को लेकर काफी उत्साह है और पिछले दशक में हम सभी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकास की अद्भुत यात्रा देखी है। इस यात्रा को आसान नहीं बताते हुए, श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों को भारत की विकास गाथा से जोड़ने के लिए हरसंभव कदम उठाया है। यह कहते हुए कि सीटों और वोटों की कम संख्या होने के कारण पिछली सरकारों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ही थी जिसने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए पहली बार एक अलग मंत्रालय बनाया।

इस बात पर जोर देते हुए कि पिछले दशक में सरकार ने दिल्ली और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के बीच की दूरी कम करने के लिए अथक प्रयास किए हैं, श्री मोदी ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रियों ने 700 से अधिक बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया है और लोगों के साथ लंबा समय बिताया है। इसने सरकार और पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं उसके विकास के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया था। उन्होंने कहा कि इससे वहां विकास को अद्भुत गति मिली है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए 1990 के दशक में बनाई गई एक नीति, जिसके तहत केंद्र सरकार के 50 से अधिक मंत्रालयों को अपने बजट का 10 प्रतिशत हिस्सा पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश करना था, का हवाला देते हुए श्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने 1990 के दशक की तुलना में पिछले 10 वर्षों में बहुत अधिक अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में ही उपरोक्त योजना के तहत उत्तर पूर्व में पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रति वर्तमान सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए पीएम- डिवाइन, विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना और नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड जैसी कई विशेष योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से रोजगार के कई नये अवसर पैदा हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की औद्योगिक सामर्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उन्नति योजना भी शुरू की है। उन्होंने कहा कि जब नए उद्योगों के लिए बेहतर माहौल बनेगा, तो नई नौकरियां भी पैदा होंगी। यह कहते हुए कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र भारत के लिए नया है, श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने इस नए क्षेत्र को गति देने के लिए असम को चुना है। उन्होंने कहा कि जब पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऐसे नए उद्योग स्थापित होंगे, तो देश और दुनिया के निवेशक वहां नई संभावनाएं तलाशेंगे।

श्री मोदी ने कहा, “हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को भावना, अर्थव्यवस्था और इकोलॉजी की त्रिवेणी से जोड़ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार न केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है, बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत नींव भी रख रही है। यह बताते हुए कि पिछले दशकों में कई राज्यों में ट्रेन सुविधाओं के अभाव के साथ कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने 2014 के बाद भौतिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर काफी ध्यान केन्द्रित किया। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और वहां के लोगों के जीवन की गुणवत्ता, दोनों में सुधार आया। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने कई वर्षों से लंबित परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी तेजी लायी है। बोगी-बील पुल का उदाहरण देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अब धेमाजी और डिब्रूगढ़ के बीच की यात्रा काफी समय से लंबित बोगी-बील पुल के पूरा होने से पहले दिनभर की यात्रा की तुलना में केवल एक या दो घंटे में की जा सकती है।

श्री मोदी ने कहा, “पिछले दशक में लगभग पांच हजार किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं पूरी की गई हैं।” उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में सीमा सड़कों जैसी परियोजनाओं ने सशक्त सड़क संपर्क का विस्तार किया है। यह तथ्य को याद करते हुए कि भारत ने पिछले वर्ष जी-20 के दौरान दुनिया के सामने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (आई-मैक) का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था, श्री मोदी ने कहा कि आई-मैक भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को दुनिया से जोड़ेगा।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई गुना बढ़ी रेल कनेक्टिविटी का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल से जोड़ने का काम पूरा होने वाला है। उन्होंने कहा कि पहली वंदे भारत ट्रेन का परिचालन भी पूर्वोत्तर में शुरू हो गया है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दस वर्षों में, पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवाई अड्डों और उड़ानों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर जलमार्ग बनाने का काम चल रहा है, जबकि सबरूम लैंडपोर्ट से भी जल कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है।

यह बताते हुए कि मोबाइल और गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है, श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के हर राज्य को नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड से जोड़ा जा रहा है और 1600 किलोमीटर से अधिक लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी ध्यान केन्द्रित कर रही है और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में 2600 से अधिक मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में 13 हजार किलोमीटर से अधिक का ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। श्री मोदी इस बात से प्रसन्न थे कि 5जी कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों तक पहुंच गई है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामाजिक बुनियादी ढांचे में किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं के निर्माण के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों का विस्तार भी किया गया है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र के लाखों मरीजों को मुफ्त इलाज मिला है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने आयुष्मान वय वंदना कार्ड लागू किया है, जो 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त इलाज सुनिश्चित करेगा।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी के अलावा वहां की परंपरा, वस्त्र और पर्यटन पर भी बल दिया है। उन्होंने कहा कि इसका फायदा यह हुआ है कि लोग अब बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक्सप्लोर करने के लिए आगे आ रहे हैं। यह कहते हुए कि पिछले दशक में पूर्वोत्तर क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गई है, श्री मोदी ने कहा कि निवेश और पर्यटन में वृद्धि के कारण नए व्यवसाय एवं रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे से एकीकरण तक, कनेक्टिविटी से निकटता तक, आर्थिक से भावनात्मक तक, इस पूरी यात्रा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार की एक बड़ी प्राथमिकता अष्टलक्ष्मी राज्यों के युवा हैं और वे हमेशा विकास चाहते हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि पिछले दशक में पूर्वोत्तर क्षेत्र के हर राज्य में स्थायी शांति के लिए अभूतपूर्व जन समर्थन देखा गया, श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण हजारों युवाओं ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया और विकास का नया रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में, पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई ऐतिहासिक शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और विभिन्न राज्यों के बीच सीमा विवाद को हल करने की दिशा में भी बेहद सौहार्दपूर्ण तरीके से आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा, इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंसा के मामलों में काफी हद तक कमी आई है। यह बताते हुए कि कई जिलों से एएफएसपीए हटा दिया गया है, श्री मोदी ने कहा कि हमें मिलकर अष्टलक्ष्मी का नया भविष्य लिखना है और इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है।

प्रधानमंत्री ने आकांक्षा जताई कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पाद दुनिया के हर बाजार तक पहुंचें और इसी दिशा में एक जिला एक उत्पाद अभियान के तहत हर जिले के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव में लगी ग्रामीण हाट बाजार की प्रदर्शनियों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई उत्पाद देखे जा सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, “मैं पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों के लिए वोकल फॉर लोकल के मंत्र को बढ़ावा देता हूं।” उन्होंने कहा कि उन्होंने विदेशी मेहमानों के सामने पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों पेश करने की कोशिश की है और इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र की अद्भुत कला एवं शिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। श्री मोदी ने नागरिकों से पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने का आग्रह किया।

श्री मोदी ने लोगों को गुजरात के पोरबंदर में आयोजित होने वाले माधवपुर मेले में शामिल होने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि माधवपुर मेला भगवान कृष्ण और पूर्वोत्तर क्षेत्र की बेटी देवी रुक्मिणी के विवाह के उत्सव का प्रतीक है। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी लोगों से 2025 में इस मेले में शामिल होने का आग्रह किया। अपने भाषण का समापन करते हुए, श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि भगवान कृष्ण और अष्टलक्ष्मी के आशीर्वाद से, भारत निश्चित रूप से 21वीं सदी में पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास के नए प्रतिमान स्थापित करते हुए देखेगा।

केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री, डॉ. माणिक साहा, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कॉनराड संगमा, सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार इस कार्यक्रम में अन्य गणमान्य लोगों के साथ उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

अष्टलक्ष्मी महोत्सव एक तीन-दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव है, जो पहली बार 6 से 8 दिसंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में मनाया जा रहा है। यह पूर्वोत्तर भारत के उस विशाल सांस्कृतिक भंडार पर प्रकाश डालता है, जो पारंपरिक कला, शिल्प और सांस्कृतिक प्रथाओं की एक श्रृंखला को एक साथ लाता है।

पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस महोत्सव में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। इस महोत्सव में कारीगर प्रदर्शनियां, ग्रामीण हाट, राज्य विशिष्ट मंडप और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रमुख क्षेत्रों पर तकनीकी सत्र भी होंगे। प्रमुख आयोजनों में निवेशक गोलमेज सम्मेलन और खरीदार-विक्रेता बैठकें शामिल हैं, जिन्हें इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क, साझेदारी और संयुक्त पहल को बनाने एवं उन्हें मजबूत करने के एक अनूठे अवसर के रूप में तैयार किया गया है।

इस महोत्सव में डिज़ाइन कॉन्क्लेव और फैशन शो भी होंगे, जो राष्ट्रीय मंच पर पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध हथकरघा एवं हस्तशिल्प परंपराओं को प्रदर्शित करेंगे। इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए, यह महोत्सव पूर्वोत्तर भारत के संगीत के जीवंत कार्यक्रमों और स्थानीय व्यंजनों को भी प्रदर्शित करेगा।

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Naming the islands in Andaman and Nicobar after our heroes is a way to ensure their service to the nation is remembered for generations to come: PM
December 18, 2024
Nations that remain connected with their roots that move ahead in development and nation-building: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi today remarked that naming the islands in Andaman and Nicobar after our heroes is a way to ensure their service to the nation is remembered for generations to come. He added that nations that remain connected with their roots that move ahead in development and nation-building.

Responding to a post by Shiv Aroor on X, Shri Modi wrote:

“Naming the islands in Andaman and Nicobar after our heroes is a way to ensure their service to the nation is remembered for generations to come. This is also part of our larger endeavour to preserve and celebrate the memory of our freedom fighters and eminent personalities who have left an indelible mark on our nation.

After all, it is the nations that remain connected with their roots that move ahead in development and nation-building.

Here is my speech from the naming ceremony too. https://www.youtube.com/watch?v=-8WT0FHaSdU

Also, do enjoy Andaman and Nicobar Islands. Do visit the Cellular Jail as well and get inspired by the courage of the great Veer Savarkar.”