प्रधानमंत्री ने महाकुंभ मेला 2025 के लिए विकास कार्यों का निरीक्षण किया
प्रधानमंत्री ने कुंभ सहायक चैटबॉट का शुभारंभ किया
महाकुंभ हमारी आस्था, आध्यात्म और संस्कृति का दिव्य पर्व है: प्रधानमंत्री
प्रयाग एक ऐसा स्थान है जहां हर कदम पर पुण्य क्षेत्र हैं: प्रधानमंत्री
कुंभ मनुष्य की आंतरिक चेतना का नाम है: प्रधानमंत्री
महाकुंभ एकता का महायज्ञ है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगभग 5500 करोड़ रुपए की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संगम की पावन भूमि प्रयागराज को नमन किया और महाकुंभ में भाग लेने वाले संतों और साध्वियों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। श्री मोदी ने कर्मचारियों, श्रमिकों और सफाई कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से महाकुंभ को सफल बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े समागमों में से एक है जहां 45 दिनों तक चलने वाले महायज्ञ के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है और इस अवसर के लिए एक नया शहर बसाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज की धरती पर एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगले वर्ष होने वाला महाकुंभ, देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नए शिखर पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि एकता के ऐसे महायज्ञ की चर्चा पूरी दुनिया में होगी। उन्होंने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए लोगों को शुभकामनाएं दीं।

भारत को पवित्र स्थलों और तीर्थों की भूमि बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा और कई अन्य असंख्य नदियों की भूमि है। प्रयाग को इन नदियों के संगम, संग्रह, समागम, संयोजन, प्रभाव और शक्ति के रूप में वर्णित करते हुए, कई तीर्थ स्थलों के महत्व और उनकी महानता के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयाग सिर्फ तीन नदियों का संगम नहीं है, बल्कि उससे भी कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रयाग के बारे में कहा जाता है कि यह एक पवित्र समय होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सभी दिव्य शक्तियां, अमृत, ऋषि और संत प्रयाग में उतरते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसके बिना पुराण अधूरे रह जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसकी स्तुति वेदों की ऋचाओं में की गई है।

श्री मोदी ने कहा कि प्रयाग एक ऐसी जगह है, जहां हर कदम पर पवित्र स्थान और पुण्य क्षेत्र हैं। प्रयागराज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने एक संस्कृत श्लोक पढ़ा और इसे समझाते हुए कहा कि त्रिवेणी का प्रभाव, वेणीमाधव की महिमा, सोमेश्वर का आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपस्थली, भगवान नागराज वसु जी की विशेष भूमि, अक्षयवट की अमरता और ईश्वर की कृपा यही हमारे तीर्थराज प्रयाग को बनाती है। उन्होंने आगे बताया कि प्रयागराज एक ऐसी जगह है, जहां ‘धर्म’, ‘अर्थ’, ‘काम’ और ‘मोक्ष’ चारों तत्व उपलब्ध हैं। प्रयागराज आने के लिए नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज सिर्फ एक भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह आध्यात्मिकता का अनुभव करने की जगह है। उन्होंने पिछले कुंभ के दौरान संगम में पवित्र डुबकी लगाए जाने को याद किया और आज यह अवसर मिलने का भी उल्‍लेख किया। आज हनुमान मंदिर और अक्षयवट में दर्शन और पूजा के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने श्रद्धालुओं की आसान पहुँच के लिए हनुमान कॉरिडोर और अक्षयवट कॉरिडोर के विकास के बारे में जानकारी दी और सरस्वती कूप के पुनर्विकास परियोजना के बारे में भी जानकारी ली। श्री मोदी ने आज के हजारों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई भी दी।

श्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ हमारी आस्था, आध्यात्म और संस्कृति के दिव्य पर्व की विरासत की जीवंत पहचान है। उन्होंने कहा कि हर बार महाकुंभ धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला के दिव्य समागम का प्रतीक होता है। प्रधानमंत्री ने संस्कृत के श्लोक का पाठ करते हुए कहा कि संगम में डुबकी लगाना करोड़ों तीर्थ स्‍थलों की यात्रा के बराबर है। उन्होंने कहा कि पवित्र डुबकी लगाने वाला व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आस्था का यह शाश्वत प्रवाह विभिन्न सम्राटों और राज्यों के शासनकाल, यहां तक ​​कि अंग्रेजों के निरंकुश शासन के दौरान भी कभी नहीं रुका और इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि कुंभ किसी बाहरी ताकतों द्वारा संचालित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मनुष्य की अंतरात्मा की चेतना का प्रतिनिधित्व करता है, वह चेतना जो भीतर से आती है और भारत के हर कोने से लोगों को संगम के तट पर खींचती है। उन्होंने कहा कि गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकलते हैं और सामूहिकता और जनसमूह की ऐसी शक्ति शायद ही कहीं और देखने को मिलती है। श्री मोदी ने कहा कि एक बार महाकुंभ में आने के बाद हर कोई एक हो जाता है, चाहे वह संत हो, मुनि हो, ज्ञानी हो या आम आदमी हो और जाति-पंथ का भेद भी खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग एक लक्ष्य और एक विचार से जुड़ते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार महाकुंभ के दौरान विभिन्न राज्यों से अलग-अलग भाषा, जाति, विश्वास वाले करोड़ों लोग संगम पर एकत्र होकर एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि यही उनकी मान्यता है कि महाकुंभ एकता का महायज्ञ है, जहां हर तरह के भेदभाव का त्याग किया जाता है और यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सुंदर तस्वीर पेश करता है।

श्री मोदी ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा में कुंभ के महत्व पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह हमेशा से संतों के बीच महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों और चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श का मंच रहा है। उन्होंने कहा कि जब अतीत में आधुनिक संचार के माध्‍यम मौजूद नहीं थे, तब कुंभ महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों का आधार बन गया, जहां संत और विद्वान राष्ट्र के कल्याण पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए और वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया, जिससे देश की विचार प्रक्रिया को नई दिशा और ऊर्जा मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी कुंभ एक ऐसे मंच के रूप में अपना महत्व बनाए हुए है, जहां इस तरह की चर्चाएं जारी रहती हैं, जो पूरे देश में सकारात्मक संदेश भेजती हैं और राष्ट्रीय कल्याण पर सामूहिक विचारों को प्रेरित करती हैं। भले ही ऐसे समारोहों के नाम, उपलब्धि और मार्ग अलग-अलग हों, लेकिन उद्देश्य और यात्रा एक ही है। उन्होंने उल्‍लेख किया कि कुंभ राष्ट्रीय विमर्श का प्रतीक और भविष्य की प्रगति का एक प्रकाश स्तंभ बना हुआ है।

प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों द्वारा कुंभ और धार्मिक तीर्थयात्राओं की उपेक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन आयोजनों के महत्व के बावजूद, श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने इसके लिए भारत की संस्कृति और आस्था से जुड़ाव की कमी को जिम्मेदार ठहराया और नागरिकों को आश्वस्त किया कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर मौजूदा सरकार के तहत भारत की परंपराओं और आस्था के प्रति गहरा सम्मान है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें कुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करना अपनी जिम्मेदारी मानती हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें सुचारू तैयारी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। उन्होंने अयोध्या, वाराणसी, रायबरेली और लखनऊ जैसे शहरों से प्रयागराज की कनेक्टिविटी में सुधार करने पर विशेष बल दिया ताकि तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा आसान हो सके। प्रधानमंत्री ने भव्य आयोजन की तैयारी में कई सरकारी विभागों के सामूहिक प्रयासों की प्रशंसा की जो 'सरकार के समग्र' दृष्टिकोण को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का लक्ष्‍य विकास के साथ-साथ भारत की विरासत को समृद्ध करना भी है। उन्होंने देश भर में विकसित किए जा रहे विभिन्न पर्यटन सर्किटों का उल्लेख किया और रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बौद्ध सर्किट और तीर्थंकर सर्किट का उदाहरण दिया। स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार तीर्थ स्थलों पर सुविधाओं का विस्तार कर रही है। उन्होंने भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या के परिवर्तन पर प्रकाश डाला जिसने पूरे शहर का उत्‍थान किया है। उन्होंने विश्वनाथ धाम और महाकाल महालोक जैसी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया जिन्हें वैश्विक मान्यता मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्षय वट कॉरिडोर, हनुमान मंदिर कॉरिडोर और भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर इस दृष्टि को दर्शाते हैं जबकि सरस्वती कूप, पातालपुरी, नागवासुकी और द्वादश माधव मंदिर जैसे स्थलों को भी तीर्थयात्रियों के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने उल्‍लेख किया कि निषादराज की भूमि प्रयागराज ने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि भगवान राम और केवट का प्रसंग हमें प्रेरणा देता है। केवट ने भगवान राम के पैर धोए और उन्हें अपनी नाव से नदी पार करने में मदद की जो भक्ति और मित्रता का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रसंग से यह संदेश मिलता है कि भगवान भी अपने भक्त से मदद मांग सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि श्रृंगवेरपुर धाम का विकास इस मित्रता का प्रमाण है और भगवान राम और निषादराज की मूर्तियां आने वाली पीढ़ियों को सद्भाव का संदेश देती रहेंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भव्य कुंभ को सफल बनाने में स्वच्छता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में उचित स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम में तेजी लाई गई है और जागरूकता बढ़ाने के लिए गंगा दूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्र नियुक्त करने जैसी पहल शुरू की गई हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस बार कुंभ की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 15,000 से अधिक सफाई कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। उन्होंने इन कर्मचारियों के प्रति पहले से ही आभार व्यक्त किया और करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने में उनके समर्पण को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने भगवान कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने जूठी पत्‍तल उठाकर संदेश दिया कि हर काम महत्वपूर्ण है और कहा कि सफाई कर्मचारी अपने कार्यों से इस आयोजन की महानता को बढ़ाएंगे। उन्होंने 2019 के कुंभ के दौरान स्वच्छता के लिए मिली सराहना को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने सफाई कर्मचारियों के पैर धोकर अपना आभार व्यक्त किया, जो उनके लिए एक यादगार अनुभव है।

श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि कुंभ मेले से आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है जिस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता। उन्होंने कहा कि कुंभ से पहले भी इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगम के तट पर करीब डेढ़ महीने के लिए एक अस्थायी शहर बसाया जाएगा जिसमें रोजाना लाखों लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रयागराज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होगी। श्री मोदी ने कहा कि 6,000 से अधिक नाविक, हजारों दुकानदार और धार्मिक अनुष्ठानों और पवित्र स्नान में सहायता करने वालों के काम में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार के कई अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए व्यापारियों को दूसरे शहरों से माल लाना होगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ का असर आसपास के जिलों में भी महसूस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले तीर्थयात्री ट्रेन या हवाई सेवाओं का उपयोग करेंगे जिससे अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ न केवल समाज को मजबूत करेगा बल्कि लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी योगदान देगा।

श्री मोदी ने प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया जो आगामी महाकुंभ 2025 को आकार देगी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में, स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में वृद्धि हुई है और 2013 की तुलना में डेटा बहुत सस्ता है। उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप उपलब्ध होने के कारण, सीमित तकनीकी ज्ञान वाले लोग भी उनका आसानी से उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कुंभ के लिए पहली बार एआई और चैटबॉट तकनीक के उपयोग को चिह्नित करते हुए 'कुंभ सहायक' चैटबॉट के शुभारंभ का उल्‍लेख किया, जो ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और एकता के प्रतीक के रूप में कुंभ के सार को दर्शाने वाली फोटोग्राफी प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सुझाव दिया। सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की जाने वाली ये तस्वीरें, अनगिनत भावनाओं और रंगों को मिलाकर एक विशाल कैनवास तैयार करेंगी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आध्यात्मिकता और प्रकृति पर केंद्रित प्रतियोगिताओं के आयोजन का प्रस्ताव रखा, जो युवाओं के बीच कुंभ के आकर्षण को और बढ़ाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि महाकुंभ से निकलने वाली सामूहिक और आध्यात्मिक ऊर्जा विकसित भारत के प्रति राष्ट्र के संकल्प को और मजबूत करेगी। उन्होंने कुंभ स्नान को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की कामना की और गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम के माध्यम से मानवता के कल्याण की प्रार्थना की। अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों का प्रयागराज की पवित्र नगरी में स्वागत किया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री ब्रजेश पाठक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रयागराज की यात्रा की और संगम नोज व अक्षय वट वृक्ष पर पूजा-अर्चना की। उसके बाद हनुमान मंदिर और सरस्वती कूप में दर्शन-पूजन किया। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ प्रदर्शनी स्थल का भी दौरा किया।

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ 2025 के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें प्रयागराज में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 10 नए रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) या फ्लाईओवर, स्थायी घाट तथा रिवरफ्रंट सड़कें जैसी विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाएं शामिल हैं।

स्वच्छ और निर्मल गंगा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रधानमंत्री ने गंगा नदी की ओर जाने वाले छोटे नालों को रोकने, मोड़ने और उनकी सफाई करने की परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। उन्होंने पेयजल और बिजली से संबंधित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने प्रमुख मंदिर गलियारों का उद्घाटन किया जिसमें भारद्वाज आश्रम गलियारा, श्रृंगवेरपुर धाम गलियारा, अक्षयवट गलियारा, हनुमान मंदिर गलियारा आदि शामिल हैं। इन परियोजनाओं से मंदिरों तक श्रद्धालुओं की पहुंच आसान होगी और आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कुंभ सहायक चैटबॉट लॉन्च किया जो महाकुंभ मेला 2025 में श्रद्धालुओं को कार्यक्रमों के बारे में मार्गदर्शन और अपडेट प्रदान करेगा।

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भारत-श्रीलंका संयुक्त वक्तव्य: साझा भविष्य के लिए साझेदारी को बढ़ावा
December 16, 2024

16 दिसंबर 2024 को भारत की राजकीय यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायका की भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक में व्यापक और लाभदायक चर्चा हुई।

2. दोनों नेताओं ने इस बात की पुष्टि की, कि भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्तों, भौगोलिक निकटता और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है।

3. राष्ट्रपति दिसानायका ने 2022 में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान और उसके बाद श्रीलंका के लोगों को भारत द्वारा दिए गए मजबूत समर्थन की गहरी सराहना की। उन्होंने समृद्ध भविष्य, अधिक अवसरों और निरंतर आर्थिक विकास की श्रीलंकाई जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी गहन प्रतिबद्धता को याद करते हुए, इन उद्देश्यों की प्राप्ति में भारत के निरंतर समर्थन की आशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की 'पड़ोसी प्रथम' नीति और 'सागर' दृष्टिकोण में श्रीलंका के विशेष स्थान को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति दिसानायका को इस संबंध में भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।

4. दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ हुए हैं और इसका श्रीलंका के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दोनों नेताओं ने आगे सहयोग की संभावना पर जोर देते हुए भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की ताकि दोनों देशों के लोगों की भलाई के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापक साझेदारी हो सके ।

राजनीतिक आदान-प्रदान

5. दोनों नेताओं ने पिछले दशक में राजनीतिक वार्ताओं में हुई वृद्धि और द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए नेतृत्व और मंत्री स्तर पर राजनीतिक सहभागिता और तेज करने पर सहमति व्यक्त की।

6. दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और संस्थागत कामकाज पर अपनी सर्वोत्तम विशेषज्ञता साझा करने के लिए नियमित रूप से संसदीय स्तर के आदान-प्रदान के महत्व पर भी जोर दिया।

विकास संबंधी सहयोग

7. दोनों नेताओं ने श्रीलंका में विकास के लिए सहयोग में भारत की प्रभावशाली भूमिका की पुष्टि की। श्रीलंका के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रपति दिसानायका ने मौजूदा ऋण पुनर्गठन के बावजूद परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत के निरंतर समर्थन की सराहना की। उन्होंने उन परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता बढ़ाने के भारत के निर्णय को भी स्वीकृति दी जो मूल रूप से ऋण सहायता के माध्यम से शुरू की गई थी। इससे श्रीलंका पर ऋण का भार कम हो गया।

8. जनोन्मुखी विकास साझेदारी को और अधिक तीव्र बनाने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, दोनों नेताओं ने इन बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की:

i. भारतीय आवास परियोजना के चरण III और IV, 3 (तीन) द्वीप हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना और श्रीलंका भर में उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं जैसी चालू परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए मिलकर काम करना;

ii. भारतीय मूल के तमिल समुदाय, पूर्वी प्रांत और श्रीलंका में धार्मिक स्थलों के सौर विद्युतीकरण के लिए परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन की दिशा में पूर्ण समर्थन प्रदान करना;

iii. श्रीलंका सरकार की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार विकास साझेदारी के लिए नई परियोजनाओं और सहयोग के क्षेत्रों की पहचान।

प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण

9. दोनों नेताओं ने क्षमता निर्माण में श्रीलंका को सहायता प्रदान करने में भारत की भूमिका पर बल देते हुए और श्रीलंका में विभिन्न क्षेत्रों में उपयुक्त प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए:

i. भारत में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के माध्यम से पांच वर्षों की अवधि में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 1500 श्रीलंकाई सिविल सेवकों के लिए केंद्रित प्रशिक्षण आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की; और

ii. श्रीलंका की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अन्य क्षेत्रों के अलावा नागरिक, रक्षा और विधिक क्षेत्रों में श्रीलंकाई अधिकारियों के लिए और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अवसरों की तलाश करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

ऋण पुनर्गठन

10. राष्ट्रपति दिसानायका ने आपातकालीन वित्तपोषण और 4 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा सहायता सहित अद्वितीय और बहुआयामी सहायता के माध्यम से श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में भारत के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में भारत की महत्वपूर्ण सहायता पर आभार व्यक्त किया, जिसमें भारत ने आधिकारिक ऋणदाता समिति (OCC) के सह-अध्यक्ष के रूप में समय पर ऋण पुनर्गठन चर्चाओं को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मौजूदा ऋणों के तहत पूरी की गई परियोजनाओं के लिए श्रीलंका से देय भुगतानों का निपटान करने के लिए 20.66 मिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय सहायता देने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया, जिससे गंभीर समय पर ऋण का बोझ काफी कम हो गया। श्रीलंका के साथ घनिष्ठ और विशेष संबंधों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने जरूरत के समय और आर्थिक सुधार और स्थिरता तथा अपने लोगों की समृद्धि के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया। दोनों नेताओं ने अधिकारियों को ऋण पुनर्गठन पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर चर्चा को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।

11. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि विभिन्न क्षेत्रों में ऋण-संचालित मॉडल से निवेश-आधारित भागीदारी की ओर रणनीतिक बदलाव श्रीलंका में आर्थिक सुधार, विकास और समृद्धि के लिए एक अधिक स्थायी मार्ग सुनिश्चित करेगा।

संपर्क का निर्माण

12. दोनों नेताओं ने अधिक संपर्क के महत्व का उल्लेख किया और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के एक-दूसरे के पूरक होने की बात स्वीकार की जिसका उपयोग दोनों देशों के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए किया जा सकता है। इस संबंध में:

i. नागपट्टिनम और कांकेसंथुराई के बीच यात्री नौका सेवा की बहाली पर संतोष व्यक्त करते हुए, वे इस बात पर सहमत हुए कि अधिकारियों को रामेश्वरम और तलाईमन्नार के बीच यात्री नौका सेवा की शीघ्र बहाली की दिशा में काम करना चाहिए।

 ii. श्रीलंका में कांकेसंथुराई बंदरगाह के पुनर्वास पर संयुक्त रूप से काम करने की संभावना का पता लगाना, जिसे भारत सरकार की अनुदान सहायता से कार्यान्वित किया जाएगा।

 ऊर्जा विकास

13. दोनों नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए टिकाऊ, सस्ती और समय पर ऊर्जा संसाधनों की आवश्यकता पर बल देते हुए ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने और भारत और श्रीलंका के बीच चल रही ऊर्जा सहयोग परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन की दिशा में सुविधा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में दोनों नेताओं ने इन बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की:

 i. सामपुर में सौर ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाए जाएं और श्रीलंका की आवश्यकताओं के अनुसार इसकी क्षमता को और बढ़ाया जाए।

ii. कई प्रस्तावों पर विचार जारी रखा जाए जो चर्चा के विभिन्न चरणों में हैं, इनमें शामिल हैं:

(ए) भारत से श्रीलंका को एलएनजी की आपूर्ति।

(बी) भारत और श्रीलंका के बीच उच्च क्षमता वाले पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना

(सी) सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की आपूर्ति के लिए भारत से श्रीलंका तक बहु-उत्पाद पाइपलाइन के लिए भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच सहयोग

(घ) जीव-जंतुओं और वनस्पतियों सहित पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए पाक जलडमरूमध्य में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का संयुक्त विकास।

14. दोनों नेताओं ने त्रिंकोमाली टैंक फार्मों के विकास में चल रहे सहयोग को स्वीकृति देते हुए त्रिंकोमाली को क्षेत्रीय ऊर्जा और औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने में समर्थन देने का निर्णय किया।

जन-केंद्रित डिजिटलीकरण

15. राष्ट्रपति दिसनायका ने जन-केंद्रित डिजिटलीकरण में भारत के सफल अनुभव को स्वीकार करते हुए भारतीय सहायता से श्रीलंका में इसी तरह की प्रणालियों की स्थापना की संभावना तलाशने में अपनी सरकार की रुचि से अवगत कराया। भारत में जन-केंद्रित डिजिटलीकरण ने शासन में सुधार, सेवा वितरण में बदलाव, पारदर्शिता की शुरुआत और सामाजिक कल्याण में योगदान में मदद की है। प्रधान मंत्री मोदी ने इस संबंध में श्रीलंका के प्रयासों को पूरी तरह से समर्थन देने के लिए भारत की तैयारी से अवगत कराया। इस संदर्भ में दोनों नेता निम्नलिखित बिन्दुओं पर सहमत हुए:

i . जनता को सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने में सुधार के प्रयासों में देश की सहायता के लिए श्रीलंका विशिष्ट डिजिटल पहचान (एसएलयूडीआई) परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाना;

ii. भारत की सहायता से श्रीलंका में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को पूरी तरह से लागू करने के लिए सहयोग।

iii. भारत के पूर्व के अनुभव और प्रणालियों के आधार पर श्रीलंका में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) से जुड़े कार्यों के कार्यान्वयन की संभावना तलाशने के लिए संयुक्त कार्य समूह की स्थापना करना, जिसमें श्रीलंका में डिजिलॉकर के कार्यान्वयन पर चल रही तकनीकी चर्चाओं को आगे बढ़ाना शामिल है।

iv. दोनों देशों के लाभ के लिए और दोनों देशों की भुगतान प्रणालियों से संबंधित नियामक दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यूपीआई (UPI) डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ाकर डिजिटल वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देना।

v. श्रीलंका में समकक्ष प्रणालियों की स्थापना के लाभों की खोज करने के उद्देश्य से भारत के आधार मंच, जीईएम पोर्टल, पीएम गति शक्ति डिजिटल प्लेटफॉर्म, डिजिटलीकृत सीमा शुल्क और अन्य कराधान प्रक्रियाओं से सीख लेने के लिए द्विपक्षीय आदान-प्रदान जारी रखना।

शिक्षा और प्रौद्योगिकी

16. श्रीलंका में मानव संसाधन विकास में सहायता और नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, दोनों नेताओं ने इन बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की:

कृषि, जलीय कृषि, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सहयोग का विस्तार करने का प्रयास करना।
दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग की तलाश करना।
स्टार्ट-अप इंडिया और श्रीलंका की सूचना संचार प्रौद्योगिकी एजेंसी (ICTA) के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, जिसमें श्रीलंकाई स्टार्ट-अप के लिए मेंटरशिप भी शामिल है।
व्यापार और निवेश सहयोग

17. दोनों नेताओं ने भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (आईएसएफटीए) से दोनों देशों के बीच व्यापार साझेदारी में वृद्धि की सराहना की है। उन्होंने स्वीकार किया कि व्यापार संबंधों का और विस्तार करने की अपार संभावनाएं हैं। भारत में आर्थिक विकास की गति और अवसरों के साथ-साथ बढ़ते बाजार के आकार और श्रीलंका के लिए व्यापार और निवेश को बढ़ाने की इसकी क्षमता पर जोर देते हुए, दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि अब निम्नलिखित बिन्दुओं पर प्रतिबद्धता से व्यापार साझेदारी को और बढ़ाने का अवसर है:

i. आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौते पर चर्चा जारी रखना।

ii. दोनों देशों के बीच भारतीय रुपये और श्रीलंकाई मुद्रा (INR-LKR) में व्यापार समझौतों को बढ़ाना।

iii. श्रीलंका की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए वहां के प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करना।

 18. दोनों नेताओं ने प्रस्तावित द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौते को जल्द अंतिम रूप देने के लिए चर्चा जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।

कृषि एवं पशुपालन

19. दोनों नेताओं ने आत्मनिर्भरता और पोषण संबंधी सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से श्रीलंका में डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए चल रहे सहयोग की सराहना की।

 20. राष्ट्रपति दिसानायका द्वारा कृषि आधुनिकीकरण पर दिए गए जोर को ध्यान में रखते हुए, दोनों नेताओं ने श्रीलंका में कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास की संभावनाओं की जांच करने के लिए संयुक्त कार्य समूह की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की।

 सामरिक एवं रक्षा सहयोग

21. दोनों नेताओं ने यह माना कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित साझा हैं इसलिए आपसी विश्वास और पारदर्शिता पर आधारित नियमित संवाद और एक-दूसरे की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने स्वाभाविक साझेदार के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देशों के सामने आने वाली समान चुनौतियों को रेखांकित किया तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत, श्रीलंका का सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी है। राष्ट्रपति दिसानायका ने दोहराया कि श्रीलंका अपने क्षेत्र का उपयोग ऐसे किसी भी तरीके से नहीं होने देगा जो भारत की सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हानिकारक हो।

22. दोनों नेताओं ने प्रशिक्षण, विनिमय कार्यक्रमों, जहाज यात्राओं, द्विपक्षीय अभ्यासों और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता के लिए चल रहे रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए समुद्री और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

23. राष्ट्रपति दिसानायका ने समुद्री निगरानी के लिए डोर्नियर विमान देने तथा श्रीलंका में समुद्री बचाव और समन्वय केंद्र की स्थापना के माध्यम से भारत के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। यह श्रीलंका के लिए समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण अन्य सहायता है। उन्होंने मानवीय सहायता और आपदा राहत के क्षेत्र में श्रीलंका के लिए ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ के रूप में भारत की भूमिका की भी सराहना की। यह भी उल्लेख किया गया कि संदिग्धों के साथ बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले जहाजों को जब्त करने में भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं के सहयोग प्रयासों में हाल ही में मिली सफलता महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति दिसानायका ने इसके लिए भारतीय नौसेना के प्रति आभार व्यक्त किया।

 24. पक्के और विश्वसनीय भागीदार के रूप में, भारत ने श्रीलंका की रक्षा और समुद्री सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाने और उसकी समुद्री चुनौतियों का समाधान करने के लिए उसकी क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में आवश्यक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से उसके साथ मिलकर काम करने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता व्यक्त की।

25. आतंकवाद, मादक पदार्थों/मादक पदार्थों की तस्करी, धन शोधन जैसे विभिन्न सुरक्षा संबंधी खतरों का संज्ञान लेते हुए, दोनों नेताओं ने प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण तथा खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने में चल रहे प्रयासों को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में, वे इन बिन्दुओं पर सहमत हुए:


i. रक्षा सहयोग पर समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की संभावना का पता लगाना;

ii. जल विज्ञान (हाइड्रोग्राफी) में सहयोग को बढ़ावा देना;

iii. श्रीलंका की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि के लिए रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों का प्रावधान;

iv. संयुक्त अभ्यास, समुद्री निगरानी और रक्षा वार्ता और आदान-प्रदान के माध्यम से सहयोग को तेज करना;

 v. प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और कामकाज के सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के माध्यम से आपदा न्यूनीकरण, राहत और पुनर्वास पर श्रीलंका की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करना; तथा

 vi. श्रीलंकाई रक्षा बलों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में वृद्धि करना और जहां भी आवश्यक हो वहां उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

 सांस्कृतिक और पर्यटन विकास

 26. दोनों नेताओं ने अपनी सांस्कृतिक आत्मीयता, भौगोलिक निकटता और सभ्यतागत संबंधों पर जोर देते हुए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्वीकार किया। यह देखते हुए कि भारत, श्रीलंका के लिए पर्यटन का सबसे बड़ा स्रोत रहा है, दोनों नेताओं ने इसके लिए निम्नांकित बिन्दुओं पर प्रतिबद्धता व्यक्त की:

 i. चेन्नई और जाफना के बीच उड़ानों की सफल बहाली को ध्यान में रखते हुए, भारत और श्रीलंका के विभिन्न गंतव्यों के लिए हवाई संपर्क बढ़ाना।

ii. श्रीलंका में हवाई अड्डों के विकास पर चर्चा जारी रखना।

iii. श्रीलंका में पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारतीय निवेश को बढ़ावा देना।

iv. धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के विकास के लिए सुविधाजनक ढांचा स्थापित करना।

 मत्स्य पालन के मुद्दे

 27. दोनों नेताओं ने दोनों पक्षों के मछुआरों से जुड़े मुद्दों तथा आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मानवीय तरीके से इनका समाधान जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में, उन्होंने किसी भी आक्रामक व्यवहार या हिंसा से बचने के लिए उपाय करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कोलंबो में मत्स्य पालन पर संयुक्त कार्य समूह की छठी बैठक के हाल ही में संपन्न होने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि संवाद और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से इन मामलों पर दीर्घकालिक और परस्पर स्वीकार्य समाधान प्राप्त किया जा सकता है। भारत और श्रीलंका के बीच विशेष संबंधों को देखते हुए, उन्होंने अधिकारियों को इन मुद्दों के समाधान के लिए अपनी बातचीत जारी रखने का निर्देश दिया।

28. राष्ट्रपति दिसानायका ने प्वाइंट पेड्रो फिशिंग हार्बर के विकास, कराईनगर बोटयार्ड के पुनर्वास और भारतीय सहायता के माध्यम से जलीय कृषि में सहयोग सहित श्रीलंका में मत्स्य पालन के सतत और वाणिज्यिक विकास के लिए पहल पर भारत को धन्यवाद दिया।

 क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग

 29. दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा हित साझा हैं। उन्होंने द्विपक्षीय रूप से और मौजूदा क्षेत्रीय ढांचे के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में दोनों नेताओं ने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के आधार दस्तावेजों पर हाल ही में हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया, जिसका मुख्यालय कोलंबो में है। भारत ने सम्मेलन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में श्रीलंका को अपना समर्थन दोहराया।

 30. भारत ने आईओआरए की अध्यक्षता के लिए श्रीलंका को अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास के लिए आईओआरए सदस्य देशों द्वारा एक ठोस कार्य योजना की आवश्यकता पर जोर दिया।

31. दोनों नेताओं ने बिम्सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत करने और बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।

32. राष्ट्रपति दिसानायका ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए श्रीलंका के आवेदन के लिए प्रधानमंत्री मोदी से समर्थन का अनुरोध किया।

33. प्रधानमंत्री मोदी ने 2028-2029 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए श्रीलंका के समर्थन का स्वागत किया।

निष्कर्ष

34. दोनों नेताओं ने कहा कि सहमति के विचारों का प्रभावी और समय पर कार्यान्वयन जिसकी रूपरेखा पेश की गई है, उससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध गहरे होंगे और आपसी रिश्तों को मैत्रीपूर्ण तथा शिष्ट बनाने के लिए नए मानक में बदल देंगे। तदनुसार, नेताओं ने अधिकारियों को उन विषयों पर कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जिन पर सहमति बनी है और जहां आवश्यक हो, मार्गदर्शन प्रदान करने पर सहमत हुए। उन्होंने उन द्विपक्षीय संबंधों को गुणात्मक रूप से बढ़ाने के लिए नेतृत्व के स्तर पर बातचीत जारी रखने का संकल्प लिया जो पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं, श्रीलंका की सतत विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता में योगदान करते हैं। राष्ट्रपति दिसानायका ने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका की शीघ्र यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया।