“भारत वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और विरासत सरंक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है”
“भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिन्दु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है”
“प्राचीन विरासत की कलाकृतियों की वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है”
“मोइदम, पूर्वोत्तर से यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान बनाने वाली पहली प्रविष्टि अपने अनूठेपन के कारण विशेष है”
“भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है। भारत की विरासत एक विज्ञान भी है”
“भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता, ये सामान्य इतिहास बोध से कहीं ज्यादा प्राचीन और व्यापक हैं”
“भारत का दुनिया से स्पष्ट आह्वान है कि वे एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना के विस्तार के लिए एकजुट हों”
“भारत का तो विजन है- विकास भी, विरासत भी”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया। विश्व धरोहर समिति की बैठक हर साल होती है और यह विश्व धरोहर से जुड़े सभी मामलों के प्रबंधन तथा विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों के बारे में निर्णय लेने के लिए उत्तरदायी होती है। भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रदर्शित विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी नागरिकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्व धरोहर समिति की बैठक ऐसे पावन दिन पर शुरू हो रही है और भारत पहली बार इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने दुनिया भर से आए सभी गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों, विशेष रूप से यूनेस्को की महानिदेशक सुश्री ऑड्रे अज़ोले का हार्दिक स्वागत किया और विश्वास व्यक्त किया कि विश्व धरोहर समिति की बैठक भारत में होने वाली अन्य वैश्विक बैठकों की तरह इतिहास में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।

विदेश से वापस लाई गई कलाकृतियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में 350 से अधिक विरासत वस्तुओं को वापस लाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "प्राचीन विरासत कलाकृतियों की यह वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है।" उन्होंने प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में बढ़ते अनुसंधान और पर्यटन के अवसरों के बारे में भी बताया।

विश्व धरोहर समिति की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम की मेजबानी करना भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूर्वोत्तर भारत के ऐतिहासिक मोइदम को यूनेस्को की लोकप्रिय विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए नामित किया गया है। श्री मोदी ने कहा, "यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल है और सांस्कृतिक विश्व धरोहर का दर्जा पाने वाला पूर्वोत्तर भारत का पहली विरासत है।" उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सूची में स्थान पाने के बाद मोइदम अपने अद्वितीय सांस्कृतिक महत्व के कारण और अधिक लोकप्रिय हो जाएगा तथा अधिक आकर्षण प्राप्त करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर से आए विशेषज्ञों की मौजूदगी इस सम्मेलन की संभावनाओं और क्षमताओं को दर्शाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस सम्मेलन का आयोजन उस भूमि पर हो रहा है जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। यह देखते हुए कि विश्व में विरासत के विभिन्न केंद्र हैं, प्रधानमंत्री ने भारत के प्राचीन युगों पर प्रकाश डाला और कहा, “भारत इतना प्राचीन है कि वर्तमान समय का हर बिंदु इसके गौरवशाली अतीत का प्रतिबिंब है।” भारत की राजधानी नई दिल्ली का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हजारों साल पुरानी विरासत का केंद्र है और यहां हर कदम पर विरासत और इतिहास देखने को मिलता है। उन्होंने 2000 साल पुराने लौह स्तंभ का उदाहरण दिया जो जंग रोधी है और अतीत में भारत की धातुकर्म क्षमता की झलक देता है। उन्होंने कहा, “भारत की विरासत केवल इतिहास ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विरासत अद्भुत इंजीनियरिंग की यात्रा की गवाह है, क्योंकि उन्होंने 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 8वीं शताब्दी के केदारनाथ मंदिर का उल्लेख किया, जो सर्दियों के दौरान लगातार बर्फबारी के कारण आज भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थान बना हुआ है। उन्होंने राजा चोल द्वारा निर्मित दक्षिण भारत में बृहदेश्वर मंदिर और उसके अद्भुत वास्तुशिल्प लेआउट और मूर्ति का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के धोलावीरा और लोथल का भी उल्लेख किया। धोलावीरा, 3000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक प्राचीन शहरी नियोजन और जल प्रबंधन प्रणालियों के लिए प्रसिद्ध है। इसी तरह, लोथल में दुर्ग एवं लोअर प्लानिंग के लिए अद्भुत योजना थी तथा सड़कों और नालियों का एक विस्तृत नेटवर्क था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि "भारत का इतिहास और इतिहास की समझ सामान्य बोध से अधिक पुरानी और विस्तृत है, जिसके कारण तकनीकी विकास और नई खोजों के साथ अतीत को देखने के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।" उन्होंने उत्तर प्रदेश के सिनौली में खोजों का उल्लेख किया, जहां ताम्र युग की खोज सिंधु घाटी सभ्यता के बजाय वैदिक युग के अधिक निकट है। उन्होंने 4000 साल पुराने घोड़े से चलने वाले रथ की खोज के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी खोजें इस बात पर जोर देती हैं कि भारत को जानने के लिए पूर्वाग्रह-मुक्त नई अवधारणाओं की आवश्यकता है, उन्होंने उपस्थित लोगों को इस नई सोच का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया।

विरासत के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "विरासत केवल इतिहास नहीं है। बल्कि मानवता की साझी चेतना है। जब भी हम ऐतिहासिक स्थलों को देखते हैं, तो यह हमारे मन को वर्तमान भू-राजनीतिक कारकों से ऊपर उठाता है।" उन्होंने लोगों को विश्व के कल्याण के लिए विरासत की इस क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि दिलों को जोड़ा जा सके। श्री मोदी ने कहा, "यह दुनिया के लिए भारत का स्पष्ट आह्वान है कि वे एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना का विस्तार एवं पर्यटन को प्रोत्साहित करने और 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के माध्यम से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एकजुट हों।"

विकास की दिशा में विरासत की अनदेखी किए जाने के समय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत का विजन विकास भी, विरासत भी है। पिछले 10 वर्षों के दौरान विरासत पर गर्व करने के संकल्प पर विस्तार से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, श्री राम मंदिर, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक परिसर जैसे अभूतपूर्व कदमों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "विरासत को लेकर भारत का यह संकल्प पूरी मानवता की सेवा की भावना से जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति सिर्फ अपने बारे में नहीं, बल्कि हम सबके बारे में बात करती है।"

वैश्विक कल्याण में भागीदार बनने के भारत के प्रयास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की वैज्ञानिक विरासत योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर अपनाने का उल्लेख किया। उन्होंने भारत द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की थीम- एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य को भी याद किया। भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दृष्टिकोण के अनुरूप प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन तथा मिशन लाइफ जैसी पहलों पर बात की।

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत वैश्विक धरोहरों के संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी मानता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसीलिए हम भारतीय विरासत के साथ-साथ वैश्विक दक्षिण के देशों में विरासत संरक्षण के लिए सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कंबोडिया में अंकोर वाट, वियतनाम में चाम मंदिर और म्यांमार के बागान में स्तूप जैसे विरासत स्थलों का उल्लेख किया और घोषणा की कि भारत यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा जिसका उपयोग क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए किया जाएगा। उन्होंने रेखांकित किया कि यह धन वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में युवा पेशेवरों के लिए विश्व विरासत प्रबंधन में एक सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी शुरू किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योग वैश्विक विकास में एक बड़ा कारक बनेगा।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने सभी विदेशी अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों से भारत का भ्रमण करने का आग्रह किया और उनकी सुविधा के लिए प्रतिष्ठित विरासत स्थलों की यात्रा श्रृंखला के बारे में बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत में ये अनुभव आपकी इस यात्रा को यादगार बनाएंगे।

इस अवसर पर केन्द्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, यूनेस्को की महानिदेशक सुश्री ऑड्रे अजोले और विश्व धरोहर समिति के अध्यक्ष श्री विशाल शर्मा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेज़बानी कर रहा है। यह बैठक 21 से 31 जुलाई 2024 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगी। विश्व धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है और यह विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेने के लिए उत्तरदायी होती है। इस बैठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने के प्रस्ताव, मौजूदा 124 विश्व धरोहर संपत्तियों की संरक्षण रिपोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधियों के उपयोग आदि पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे।

विश्व धरोहर समिति की बैठक के साथ-साथ विश्व धरोहर युवा पेशेवरों का मंच और विश्व धरोहर स्थल प्रबंधकों का मंच भी आयोजित किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, भारत मंडपम में भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रदर्शनियां भी लगाई जा रही हैं। रिटर्न ऑफ ट्रेजर्स प्रदर्शनी में देश में वापस लाई गई कुछ कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। अब तक 350 से अधिक कलाकृतियां वापस लाई जा चुकी हैं। भारत के 3 विश्व धरोहर स्थलों- रानी की वाव, पाटन, गुजरात; कैलासा मंदिर, एलोरा गुफाएं, महाराष्ट्र; और होयसला मंदिर, हलेबिड, कर्नाटक के लिए नवीनतम एआर और वीआर तकनीकों का उपयोग करके एक शानदार अनुभव प्रदान किया जा रहा है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी सभ्यता, भौगोलिक विविधता, पर्यटन स्थलों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आधुनिक विकास को रेखांकित करने के लिए एक ‘अतुल्य भारत’ प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है।

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