प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रैंड चैलेंज वार्षिक बैठक 2020 में मुख्य भाषण दिया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि भविष्य का आकार उन समाजों द्वारा निर्धारित होगा जो विज्ञान और नवाचार में निवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि लघु अवधि के दृष्टिकोण के बजाय अग्रिम निवेश करते हुए सही समय पर विज्ञान और नवाचार के लाभों को हासिल जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन नवाचारों की यात्रा को सहयोग एवं सार्वजनिक भागीदारी द्वारा अवश्य आकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान को बखारी में रखने से वह कभी समृद्ध नहीं होगा और ग्रैंड चैलेंज कार्यक्रम ने इस लोकाचार को अच्छी तरह से समझा है। उन्होंने इस कार्यक्रम के व्यापक विस्तार की सराहना की। वैश्विक स्तर पर इससे कई देश जुड़े और उन्होंने रोगाणुरोधी प्रतिरक्षा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, कृषि, पोषण, वाश (जल, साफ सफाई एवं स्वच्छता) आदि तमाम समस्याओं का निराकरण किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी ने हमें टीम वर्क के महत्व का एहसास कराया है। उन्होंने कहा कि बीमारियों की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती और वह धर्म, नस्ल, लिंग या रंग के आधार पर भेदभाव नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों में कई संचारी और गैर-संचारी रोग शामिल हैं जो लोगों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एक मजबूत एवं जीवंत वैज्ञानिक समुदाय और अच्छे वैज्ञानिक संस्थान भारत की सबसे बड़ी संपत्ति हैं, खासकर पिछले कुछ महीनों के दौरान कोविड-19 के खिलाफ जंग इसका अहसास हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने क्षमता निर्माण से लेकर चमत्कार तक हासिल किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आम लोगों द्वारा सशक्त एवं संचालित दृष्टिकोण के कारण बड़ी आबादी होने के बावजूद कोविड-19 की मृत्यु दर काफी कम है। उन्होंने आज कहा कि रोजाना मामलों की संख्या में गिरावट हो रही है, मामलों की वृद्धि दर घट रही है और हमारे यहां रोगियों के ठीक होने की दर 88 प्रतिशत की एक उच्चतम स्तर पर है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि भारत लचीला लॉकडाउन अपनाने वाले पहले देशों में शामिल था, वह मास्क के उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले पहले देशों में शामिल था, उसने प्रभावी तौर पर कॉन्टेक्ट- ट्रेसिंग पर सक्रियता से काम करना शुरू किया और उसने रैपिड एंटीजन टेस्ट की जल्द शुरुआत की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब कोविड के लिए टीका विकसित करने वाले देशों में सबसे आगे है। उन्होंने घोषणा की कि हमारे देश में 30 से अधिक स्वदेशी टीके विकसित किए जा रहे हैं और उनमें से तीन उन्नत चरण में हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक व्यवस्थित टीका वितरण प्रणाली स्थापित करने पर पहले से ही काम कर रहा है और हमारे नागरिकों के टीकाकरण को सुनिश्चित करने में डिजिटल स्वास्थ्य आईडी के साथ इस डिजीटल नेटवर्क का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत कम कीमत पर गुणवत्तायुक्त दवाओं और टीकों का उत्पादन करने की अपनी स्थापित क्षमता के लिए जाना जाता है। वैश्विक स्तर पर टीकाकरण के लिए 60 प्रतिशत से अधिक टीके का उत्पादन भारत में किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने अनुभव और अनुसंधान प्रतिभा के साथ वैश्विक स्वास्थ्य सेवा संबंधी प्रयासों के केंद्र में होगा और वह अन्य देशों को इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने पिछले 6 वर्षों के दौरान उठाए गए कई कदमों का उल्लेख किया जैसे बेहतर स्वच्छता, बेहतर स्वच्छता, अधिक शौचालय कवरेज आदि। इन सबने एक बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था स्थापित करने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं, गरीबों और वंचितों को काफी मदद मिली है और बीमारियों में कमी आई है। उन्होंने सरकार के उन प्रयासों का उल्लेख किया जिनसे बीमारियों को कम करने और गांवों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में मदद मिली है। इन प्रयासों में हरेक परिवार को नल के जरिये पेयजल उपलब्ध कराना, ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करना और विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आदि शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत सशक्तिकरण और सामूहिक कल्याण के लिए सहयोग की भावना का विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस विचार-विमर्श के काफी फलदायक और उत्पादक होने की कामना करते हुए इस ग्रैंड चैलेंजिंग प्लेटफॉर्म से कई रोमांचक और उत्साहजनक नए समाधान दिखने की उम्मीद जताई।
The future will be shaped by societies that invest in science and innovation.
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
But, this cannot be done in a short-sighted manner.
One has to invest in science and innovation well in advance.
That is when we can reap benefits at the right time: PM
The journey to these innovations must be shaped by collaboration and public participation.
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
Science will never prosper in silos.
The Grand Challenges Programme has understood this ethos well.
The scale of this programme is commendable: PM
In India, we have a strong & vibrant scientific community.
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
We also have good scientific institutions.
They have been India’s greatest assets, specially during the last few months, while fighting COVID-19.
From containment to capacity building, they have achieved wonders: PM
Today, we are seeing a decline in the number of cases per day and the growth rate of cases.
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
India has one of the highest recovery rates of 88 percent: PM
This happened because:
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
India was one of the first countries to adopt a lockdown.
India was one of the first to encourage the usage of masks.
India actively began to work on effective contact-tracing.
India was one of the earliest to deploy the rapid antigen tests: PM
We have made many interventions which are contributing to a better healthcare system.
— PMO India (@PMOIndia) October 19, 2020
Take sanitation.
Improved cleanliness.
More toilet coverage.
Who does this help the most?
It helps the poor and under-privileged.
It leads to a reduction in diseases: PM