मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया
“परम रुद्र सुपरकंप्यूटर और एचपीसी प्रणाली के साथ, भारत कंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है”
“तीन सुपरकंप्यूटर भौतिकी से लेकर पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान तक उन्नत अनुसंधान में मदद करेंगे”
“कंप्यूटिंग क्षमता आज डिजिटल क्रांति के इस युग में राष्ट्रीय क्षमता का पर्याय बन रही है”
“शोध के माध्यम से आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान हमारा मंत्र बन गया है”
“विज्ञान का महत्व केवल आविष्कार और विकास में ही नहीं, बल्कि अंतिम व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत वाले तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित किए। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत स्वदेशी रूप से विकसित इन सुपरकंप्यूटरों को अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने के लिए पुणे, दिल्ली और कोलकाता में तैनात किया गया है। प्रधानमंत्री ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार एक हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का भी उद्घाटन किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि वाला है और यह अनुसंदान और विकास को प्राथमिकता देकर देश को प्रगति की ओर ले जाने का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का भारत संभावनाओं के अनंत क्षितिज में नए अवसर तलाश रहा है।” प्रधानमंत्री ने भारत के वैज्ञानिकों द्वारा तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर विकसित किए जाने और दिल्ली, पुणे एवं कोलकाता में उनकी स्थापना का उल्लेख किया। उन्होंने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ के उद्घाटन के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने पूरे वैज्ञानिक समुदाय, इंजीनियरों और सभी नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में युवाओं को 100 दिनों के अलावा 25 अतिरिक्त दिन दिए जाने को याद करते हुए तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर देश के युवाओं को समर्पित किए। उन्होंने कहा कि ये सुपरकंप्यूटर देश के युवा वैज्ञानिकों को ऐसी अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान एवं ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान में सहायता के लिए इसके उपयोग पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे क्षेत्र ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भविष्य की कल्पना करते हैं।

प्रधानमंत्री ने अनुसंधान, आर्थिक विकास, राष्ट्र की सामूहिक क्षमता, आपदा प्रबंधन, जीवन में आसानी, कारोबारी सुगमता आदि के अवसरों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा कंप्यूटिंग क्षमताओं पर प्रत्यक्ष निर्भरता को रेखांकित करते हुए कहा, "डिजिटल क्रांति के युग में, कंप्यूटिंग क्षमता राष्ट्रीय क्षमता का पर्याय बन रही है।" उन्होंने कहा कि ऐसे उद्योग इंडस्ट्री 4.0 में भारत के विकास का आधार बनते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की हिस्सेदारी बिट्स और बाइट्स तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसका टेराबाइट्स और पेटाबाइट्स तक विस्तार होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का यह अवसर इस बात का प्रमाण है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज का भारत केवल शेष विश्व की क्षमताओं की बराबरी करने से संतुष्ट नहीं रह सकता, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से मानवता की सेवा करना अपना दायित्व समझता है। प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे ऐतिहासिक अभियानों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत का मंत्र है अनुसंधान के माध्यम से आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान।” उन्होंने भारत की भावी पीढ़ियों में वैज्ञानिक सोच को मजबूत करने के लिए स्कूलों में 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब बनाने, स्टेम (एसटीईएम) विषयों में शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि और इस वर्ष के बजट में 1 लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान कोष का भी उल्लेख किया। उन्होंने भारत को अपने नवाचारों के साथ 21वीं सदी की दुनिया में सशक्त बनाने के उद्देश्य के बारे में भी बताया।

अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर उद्योगों सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत द्वारा की गई प्रगति पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारत साहसिक निर्णय नहीं ले रहा है या नई नीतियां पेश नहीं कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण ताकत बन गया है।" साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने सीमित संसाधनों के साथ वही उपलब्धि हासिल की है, जबकि अन्य देशों ने अपनी सफलता पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। श्री मोदी ने गर्व के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने की भारत की हालिया उपलब्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि अंतरिक्ष अन्वेषण में देश की दृढ़ता और नवाचार का प्रमाण है। श्री मोदी ने अंतरिक्ष में भारत के भविष्य के लक्ष्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “भारत का गगनयान मिशन केवल अंतरिक्ष तक पहुंचने के लिए नहीं है; बल्कि यह हमारे वैज्ञानिक सपनों के असीम ऊंचाइयों तक पहुंचने से जुड़ा है।” उन्होंने 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के पहले चरण के लिए सरकार द्वारा हाल ही में दी गई मंजूरी का भी उल्लेख किया, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत का प्रभाव बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने आज की दुनिया में सेमीकंडक्टर के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "सेमीकंडक्टर दुनिया में विकास का एक अनिवार्य तत्व बन गए हैं।" उन्होंने इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 'भारत सेमीकंडक्टर मिशन' के शुभारंभ का उल्लेख किया और कम अवधि में मिले सकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपना सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बना रहा है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने तीन नए "परम रुद्र" सुपरकंप्यूटर की शुरुआत का भी उल्लेख किया, जो भारत के बहुआयामी वैज्ञानिक विकास को और अधिक समर्थन देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर जोर देते हुए कहा कि सुपर कंप्यूटर से क्वांटम कंप्यूटिंग तक भारत की यात्रा देश के शानदार विजन का परिणाम है। उन्होंने बताया कि पहले सुपर कंप्यूटर केवल कुछ देशों के डोमेन में थे, लेकिन भारत 2015 में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के शुभारंभ के साथ अब वैश्विक स्तर पर सुपरकंप्यूटर के लीडर्स की क्षमताओं की बराबरी कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश क्वांटम कंप्यूटिंग में अग्रणी स्थिति में आ रहा है, जहां राष्ट्रीय क्वांटम मिशन इस अत्याधुनिक तकनीक में भारत की स्थिति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि इस उभरती हुई तकनीक से दुनिया को बदलने, आईटी क्षेत्र, विनिर्माण, एमएसएमई और स्टार्टअप में अभूतपूर्व बदलाव होने, नए अवसर पैदा होने और भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति में पहुंचने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान का वास्तविक उद्देश्य केवल नवाचार और विकास नहीं, बल्कि आम आदमी की आकांक्षाओं को पूरा करना भी है। डिजिटल अर्थव्यवस्था और यूपीआई का उदाहरण देते हुए, श्री मोदी ने बताया कि भारत जहां उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है, वहीं यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि यह तकनीक गरीबों को सशक्त बनाती रहे। उन्होंने हाल ही में लॉन्च किए गए ‘मिशन मौसम’ के बारे में भी बात की, जिसका उद्देश्य देश को मौसम के लिए तैयार और जलवायु के मामले में स्मार्ट बनाना है। उन्होंने कहा कि हाई-परफॉरमेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) सिस्टम और सुपर कंप्यूटर के आने से भारत में बेहद स्थानीय स्तर पर मौसम पूर्वानुमान की क्षमता बढ़ेगी और अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव हो सकेगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि दूरदराज के गांवों में सुपर कंप्यूटर द्वारा मौसम और मिट्टी का विश्लेषण केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह हजारों लोगों के जीवन में एक बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा, "सुपर कंप्यूटर यह सुनिश्चित करेंगे कि छोटे से छोटे किसान को भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ज्ञान तक पहुंच मिले, जिससे उन्हें अपनी फसलों के बारे में सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। समुद्र में जाने वाले मछुआरों को भी लाभ होगा क्योंकि इन प्रौद्योगिकियों से जोखिम कम होंगे और बीमा योजनाओं के बारे में जानकारियां मिलेंगी।" पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब एआई और मशीन लर्निंग से संबंधित मॉडल बनाने में सक्षम होगा, जिससे सभी हितधारकों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सुपर कंप्यूटर बनाने की भारत की क्षमता राष्ट्रीय गौरव का विषय है और इसका लाभ आम नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन तक पहुंचेगा, जिससे भविष्य में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई और मशीन लर्निंग के इस युग में सुपर कंप्यूटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने इसकी तुलना 5जी तकनीक और मोबाइल फोन के निर्माण में भारत की सफलता से की, जिसने देश में डिजिटल क्रांति को बढ़ावा दिया है और हर नागरिक के लिए तकनीक सुलभ बना दी है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की मेक इन इंडिया पहल आम नागरिकों को भविष्य की तकनीकी प्रगति के लिए तैयार करेगी, जहां सुपरकंप्यूटर नए शोध को बढ़ावा देंगे और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए नई संभावनाएं खोलेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ये प्रौद्योगिकियां आम लोगों के जीवन में वास्तविक लाभ लाएंगी, जिससे वे बाकी दुनिया के साथ तालमेल बिठा सकेंगे।

संबोधन को समाप्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने इन उपलब्धियों के लिए नागरिकों और राष्ट्र को बधाई दी और युवा शोधकर्ताओं को इन उन्नत सुविधाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जिससे विज्ञान के क्षेत्र में नए क्षेत्र खुलेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव वर्चुअल रूप से उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सुपरकंप्यूटिंग तकनीक के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत स्वदेशी रूप से विकसित लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत के तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित किए। इन सुपरकंप्यूटरों को अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने के लिए पुणे, दिल्ली और कोलकाता में तैनात किया गया है। पुणे में विशाल मीटर रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी), फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) और अन्य खगोलीय घटनाओं का पता लगाने के लिए सुपरकंप्यूटर का लाभ उठाएगा। दिल्ली में अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (आईयूएसी) पदार्थ/भौतिक विज्ञान और परमाणु भौतिकी जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा। कोलकाता में एस. एन. बोस केंद्र भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देगा।

प्रधानमंत्री ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार एक हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का भी उद्घाटन किया। इस परियोजना में 850 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो मौसम संबंधी अनुप्रयोगों के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दो प्रमुख स्थलों, पुणे में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्लएफ) में स्थित, इस एचपीसी प्रणाली में असाधारण कंप्यूटिंग क्षमता है। नई एचपीसी प्रणाली को 'अर्का' और 'अरुणिका' नाम दिया गया है, जो सूर्य के साथ उनके संबंध को दर्शाता है। ये ऊंचे रिजॉल्यूशन वाले मॉडल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, गरज, ओलावृष्टि, भीषण गर्मी, सूखे और अन्य मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों की सटीकता और समय के अनुमान में खासा सुधार करेंगे।

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