कोच्चि-मंगलुरु गैस पाइपलाइन इस बात का उदाहरण है कि विकास को प्राथमिकता दें, तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं : प्रधानमंत्री
हर देशवासी को पर्याप्त, सस्ता, प्रदूषण रहित ईंधन मिले, बिजली मिले, सरकार इसके लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है: प्रधानमंत्री
1987 से 2014 तक भारत में 15 हजार किमी नैचुरल गैस पाइपलाइन बनी, आज देशभर में 16,000 किमी से ज्यादा नई गैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है: प्रधानमंत्री
ब्लू इकोनॉमी आत्मनिर्भर भारत का एक बहुत बड़ा स्रोत बनने वाला है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन देश को समर्पित की। यह आयोजन “एक देश-एक गैस ग्रिड” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस अवसर पर कर्नाटक तथा केरल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन केरल तथा कर्नाटक दोनों राज्यों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि आज दो राज्य प्राकृतिक गैस पाइपलाइन से जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पाइपलाइन का दोनों राज्यों के आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गैस आधारित अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार करना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी कारण सरकार “एक देश-एक गैस ग्रिड” को प्रोत्साहित कर रही है।

प्रधानमंत्री ने पाइपलाइन के लाभ की चर्चा करते हुए कहा कि यह पाइपलाइन दोनों राज्यों में लोगों के जीवन यापन को बेहतर और आसान बनायेगी तथा दोनों राज्यों के गरीब, मध्यमवर्गीय तथा उद्यमी लोगों के खर्च में कमीलाएगी। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन अनेक शहरों में गैस वितरण प्रणाली का आधार बन जाएगी और इन शहरों में सीएनजी आधारित परिवहन प्रणाली का आधार बनाएगी। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन मंगलौर रिफाइनरी को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगी और दोनों राज्यों में प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण में कटौती का प्रत्यक्ष प्रभाव लाखों पौधे लगाने जैसे पर्यावरण पर पड़ेगा और इससे लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा और उनके स्वास्थ्य संबंधी खर्च में कमी होगी। उन्होंने कहा कि कम प्रदूषण तथा स्वच्छ वायु से शहर में अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि पाइपलाइन बनने से 1.2 मिलियन मानव दिवस का रोजगार सृजन हुआ है। इसके चालू हो जाने के बाद रोजगार तथा स्व-रोजगार काइकोसिस्टम विकसित होगा जिससे उर्वरक, पेट्रो रसायन तथा विद्युत क्षेत्र को मदद मिलेगी। इससे देश के लिए हजारों करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वभर के विशेषज्ञ कहते हैं कि 21वीं शताब्दी में जो देश कनेक्टिविटी तथा स्वच्छ ऊर्जा पर बल देगा, वह नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटीके मामले में जिस गति से काम हो रहा है वैसी गति पहले के दशकों में कभी नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले 27 वर्षों में केवल 15 हजार किलोमीटर गैस पाइपलाइन बिछाई गई। अब देश भर में 16,000 किलोमीटर से अधिक पाइपलाइन बिछाई जा रही है और यह काम अगले 5-6 वर्षों में पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सीएनजी ईंधन स्टेशन, पीएनजी कनेक्शन तथा एलपीजी कनेक्शन जिस तरह बढ़ाए गए वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि इन बढ़े हुए कनेक्शनों से मिट्टी तेल के अभाव में कमी आई है और अनेक राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने आपको मिट्टी तेल मुक्त घोषित कर दिए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार ने तेल और गैस क्षेत्र में अनेक सुधार कार्यक्रम चलाए हैं, जिसमें खोज और उत्पादन, प्राकृतिक गैस मार्केटिंग और वितरण को कवर किया गयाहै। उन्होंने घोषणा की कि सरकार की योजना “एक देश-एक गैस ग्रिड” के लक्ष्य को हासिल करने तथा गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने की है,क्योंकि गैस के अनेक पर्यावरण लाभ हैं। उन्होंने कहा कि सरकारने भारत के ऊर्जा बाजार में प्राकृतिक गैस में छह प्रतिशत के योगदान को 15 प्रतिशत करने के लिए नीतिगत कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि गेल की कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को समर्पित किया जाना “एक देश-एक गैस ग्रिड” की दिशा में हमारी यात्रा का हिस्सा है। स्वच्छ ऊर्जा बेहतर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पाइपलाइन से स्वच्छ ऊर्जा पहुंच में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं की तैयारी के प्रयास किए जा रहे हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ओर जहां प्राकृतिक गैस पर फोकस किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर, ऊर्जा स्रोतों को विविध बनाया जा रहा है। उन्होंने इस सिलसिले में गुजरात में प्रस्तावित विश्व के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र का उदाहरण दिया और जैव ईंधन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चावल तथा गन्ने से इथनॉल निकालने के लिए काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि दस वर्षों में पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सभी नागरिकों को रियायती, प्रदूषण मुक्त ईंधन तथा बिजली उपलब्ध कराने के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, केरल तथा अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तटीय राज्यों में नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए व्यापक योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण स्रोत होगी। बंदरगाहों तथा तटीय सड़कों को कनेक्ट किया जा रहा है और इसका फोकस मल्टीमोड कनेक्टिविटी पर है। हम अपने तटीय क्षेत्र को जीवन यापन की सुगमता तथा व्यावसायिक सुगमता के रोल मॉडल में बदलने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने तटीय क्षेत्रों के मछुआरा समुदाय की चर्चा की जो न केवल समुद्री धन पर निर्भर हैं बल्कि इसके रक्षक भी। सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इन कदमों में गहरे समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की सहायता, अलग मछली पालन विभाग, किफायती ऋण प्रदान करना तथा मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है। इससे उद्यमियों तथा सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने हाल में लॉन्च की गई 20 हजार करोड़ रुपए की मत्स्य संपदा योजना की भी चर्चा की। इस योजना से केरल तथा कर्नाटक में लाखों मछुआरे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। भारत मछली उत्पाद निर्यात में तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत को गुणवत्ता सम्पन्न सी फूड प्रोसेसिंग हब में बदलने के सभी कदम उठाए जा रहे हैं। भारत समुद्री शैवाल की बढ़ती मांग पूरी करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है, क्योंकि किसानों को समुद्री शैवाल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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प्रधानमंत्री ने रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद करने के लिए अब्दुल्ला अल-बरून और अब्दुल लतीफ अल-नसेफ की प्रशंसा की
December 21, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद और प्रकाशन करने के लिए अब्दुल्ला अल-बरून और अब्दुल लतीफ अल-नसेफ की प्रशंसा की है।

प्रधानमंत्री ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा:

"मुझे रामायण और महाभारत के अरबी अनुवाद देखकर बहुत खुशी हुई। मैं अब्दुल्ला अल-बरून और अब्दुल लतीफ अल-नसेफ की उनके अनुवाद और प्रकाशन के प्रयासों की सराहना करता हूँ। उनके प्रयास वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टता को उजागर करते हैं।"

"يسعدني أن أرى ترجمات عربية ل"رامايان" و"ماهابهارات". وأشيد بجهود عبد الله البارون وعبد اللطيف النصف في ترجمات ونشرها. وتسلط مبادرتهما الضوء على شعبية الثقافة الهندية على مستوى العالم."