Quoteएम्स, गुवाहाटी और तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्र को समर्पित किया
Quote'आपके द्वार आयुष्मान' अभियान की शुरुआत की
Quoteअसम उन्नत स्वास्थ्य देखभाल नवाचार संस्थान की आधारशिला रखी
Quote"पिछले नौ वर्षों में पूर्वोत्तर में सामाजिक अवसंरचना में बहुत सुधार हुए हैं"
Quote"हम 'सेवा भाव' के साथ लोगों के लिए काम करते हैं"
Quote“पूर्वोत्तर के विकास के माध्यम से भारत का विकास के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं”
Quote"हमारी सरकारों में नीति, नीयत और निष्ठा किसी स्वार्थ से नहीं बल्कि- राष्ट्र प्रथम, देशवासी प्रथम की भावना से तय होती है"
Quote“जब वंशवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिरता की राजनीति हावी होने लगती है, तो विकास असंभव हो जाता है”
Quote“हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं से महिलाओं के स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिला है”
Quote“हमारी सरकार 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र का आधुनिकीकरण कर रही है”
Quote"भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में बदलाव का सबसे बड़ा आधार है, सबका प्रयास"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुवाहाटी, असम में 3,400 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री ने एम्स, गुवाहाटी और तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने उन्नत स्वास्थ्य देखभाल नवाचार संस्थान (एएएचआईआई) की आधारशिला भी रखी और पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) कार्ड वितरित करके 'आपके द्वार आयुष्मान' अभियान की शुरुआत की।

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सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने रोंगाली बिहू के शुभ अवसर पर लोगों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर की स्वास्थ्य अवसंरचना को नई ताकत मिली है, क्योंकि पूर्वोत्तर को अपना पहला एम्स मिला है और असम राज्य को तीन नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि आईआईटी, गुवाहाटी के सहयोग से उन्नत अनुसंधान के लिए 500 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की आधारशिला भी रखी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि असम के लाखों नागरिकों को आयुष्मान कार्ड वितरित करने के लिए मिशन मोड में काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर और मिजोरम जैसे पड़ोसी राज्यों के नागरिक भी आज की विकास परियोजनाओं का लाभ उठाएंगे। प्रधानमंत्री ने आज की परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने पिछले 8-9 वर्षों में पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयासों और सड़क, रेल और हवाई अड्डे की अवसंरचना में स्पष्ट सुधार का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भौतिक अवसंरचना के साथ-साथ सामाजिक अवसंरचना को भी इस क्षेत्र में बहुत बढ़ावा दिया गया है, क्योंकि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभूतपूर्व तरीके से विस्तार किया गया है। प्रधानमंत्री ने अपनी पिछली यात्रा के दौरान कई मेडिकल कॉलेज राष्ट्र को समर्पित किये थे और आज उन्होंने एम्स और तीन मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया है। प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में रेल-सड़क संपर्क में लगातार सुधार से चिकित्सा सुविधाओं और मरीजों को मिले समर्थन को भी रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे श्रेय लेने की भूख और पिछली सरकारों की जनता पर हावी होने की भावना ने देश को असहाय बना दिया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि आम जनता भगवान का रूप होती है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर के प्रति अलगाव की भावना पैदा की थी और इसे मुख्य भूमि से बहुत दूर समझा था। प्रधानमंत्री ने बताया कि लेकिन वर्तमान सरकार, सेवा-भाव के साथ आयी है जो पूर्वोत्तर को बहुत सुगम बनाता है और निकटता की भावना कभी समाप्त नहीं होती है।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि पूर्वोत्तर के लोगों ने अपने भाग्य और विकास की कमान संभाली है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पूर्वोत्तर के विकास के माध्यम से भारत का विकास, के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। विकास के इस अभियान में केंद्र सरकार मित्र और सेवक के रूप में साथ दे रही है।

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क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वंशवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिरता की राजनीति हावी होने लगती है, तो विकास असंभव हो जाता है। ऐसा हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के साथ हुआ। उन्होंने 50 के दशक में स्थापित एम्स का उदाहरण देकर इसे विस्तार से बताया कि देश के अन्य हिस्सों में एम्स खोलने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद, प्रधानमंत्री ने कहा कि बाद के वर्षों में प्रयास नहीं हुए और केवल 2014 के बाद, इन मुद्दों का वर्तमान सरकार द्वारा समाधान किया गया। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में सरकार ने 15 एम्स पर काम शुरू किया है और उनमें से अधिकांश में उपचार और शिक्षण कार्य शुरू हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "एम्स गुवाहाटी भी इस बात का उदाहरण है कि हमारी सरकार सभी संकल्पों को पूरा करती है।"

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि पिछली सरकारों की नीतियों ने देश में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की कमी पैदा की और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के सामने एक दीवार खड़ी कर दी। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में, सरकार ने देश में चिकित्सा अवसंरचना और चिकित्सा कर्मियों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। चिकित्सा अवसंरचना के क्षेत्र में हुए विकास पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले के दशक के केवल 150 मेडिकल कॉलेजों की तुलना में, पिछले 9 वर्षों में लगभग 300 मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई और उपचार कार्य शुरू हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश में एमबीबीएस सीटों की संख्या पिछले 9 वर्षों में दोगुनी होकर लगभग 1 लाख हो गयी है, जबकि पीजी सीटों में 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि देश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना के साथ, आरक्षण भी सुनिश्चित किया गया है, ताकि पिछड़े परिवारों के युवा डॉक्टर बनने के अपने सपनों को पूरा कर सकें। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस वर्ष के बजट में 150 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों के निर्माण की भी घोषणा की गयी है। प्रधानमंत्री ने कहा, पूर्वोत्तर में सीटों की संख्या के साथ-साथ क्षेत्र में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी पिछले 9 वर्षों में दोगुनी हो गई है, जबकि कई नए संस्थानों के लिए कार्य प्रगति पर हैं।

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प्रधानमंत्री ने चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हुए ठोस काम का श्रेय केंद्र में मजबूत और स्थिर सरकार को दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार की नीति, नीयत और निष्ठा स्वार्थ से नहीं, बल्कि 'देश प्रथम-देशवासी प्रथम' की भावना से तय होती है। उन्होंने कहा कि इसलिए सरकार का ध्यान वोट बैंक पर नहीं, बल्कि नागरिकों की समस्याओं को कम करने पर है। प्रधानमंत्री ने एक गरीब परिवार में चिकित्सा उपचार के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी की पीड़ा के बारे में बात की और कहा कि आयुष्मान योजना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करती है। इसी तरह 9000 जन औषधि केंद्र किफायती दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की कीमत की ऊपरी सीमा तय करने और हर जिले में मुफ्त डायलिसिस केंद्रों का भी उल्लेख किया। 1.5 लाख से अधिक आरोग्य कल्याण केंद्र शीघ्र निदान और बेहतर उपचार के लिए महत्वपूर्ण परीक्षण सुविधा प्रदान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान देश और गरीबों की एक प्रमुख चिकित्सा चुनौती का भी समाधान कर रहा है। स्वच्छता, योग और आयुर्वेद के माध्यम से निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करने से स्वास्थ्य में सुधार होगा और बीमारी को रोका जा सकेगा।

सरकारी योजनाओं की सफलताओं को प्रतिबिंबित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वे लोगों की सेवा करने का अवसर पाकर धन्य महसूस करते हैं। उन्होंने आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि यह गरीबों के लिए एक सहायता प्रणाली बन गई है, जिससे उन्हें 80,000 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली है। उन्होंने मध्यम वर्ग को 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद करने का श्रेय जन औषधि केंद्रों को दिया। उन्होंने आगे कहा कि स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की लागत में कमी के कारण गरीब और मध्यम वर्ग को हर साल 13,000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है, जबकि मुफ्त डायलिसिस की सुविधा से गरीब किडनी मरीजों को 500 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लगभग 1 करोड़ आयुष्मान भारत कार्ड सौंपने का अभियान असम में भी शुरू हो गया है, जो उन्हें और अधिक पैसे की बचत करने में मदद करेगा।

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प्रधानमंत्री ने महिलाओं के कल्याण के लिए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में किए गए उपायों के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अपने स्वास्थ्य पर खर्च करने के प्रति महिलाओं की पारंपरिक अनिच्छा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शौचालय के प्रसार ने उन्हें कई बीमारियों से बचाया और उज्ज्वला योजना ने उन्हें धुएं से संबंधित समस्याओं से बचाने में मदद की। जल जीवन मिशन ने जलजनित बीमारियों से बचाने में मदद की और मिशन इंद्रधनुष ने गंभीर बीमारियों के लिए मुफ्त टीकाकरण कर उन्हें सुरक्षित किया। आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और राष्ट्रीय पोषण अभियान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब सरकार संवेदनशील होती है और गरीबों के प्रति सेवा की भावना होती है, तो ऐसे काम होते हैं।

श्री मोदी ने कहा, "हमारी सरकार 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र का भी आधुनिकीकरण कर रही है।" उन्होंने आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य अभियान और डिजिटल स्वास्थ्य आईडी का उल्लेख किया, जो एक क्लिक से नागरिकों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाएगा और अस्पताल की सेवाओं में सुधार करेगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि अब तक 38 करोड़ स्वास्थ्य आईडी जारी किये जा चुके हैं और 2 लाख से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं और 1.5 लाख स्वास्थ्य कर्मियों का सत्यापन किया जा चुका है। ई-संजीवनी की बढ़ती लोकप्रियता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने योजना के माध्यम से 10 करोड़ ई-परामर्श पूरा करने की उपलब्धि का उल्लेख किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बदलाव का सबसे बड़ा आधार है, सबका प्रयास।" उन्होंने कोरोनावायरस संकट के दौरान सबका प्रयास की भावना को याद किया और कहा कि दुनिया के सबसे बड़े, सबसे तेज और सबसे प्रभावी कोविड टीकाकरण अभियान की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और फार्मास्युटिकल क्षेत्र के योगदान का उल्लेख किया, जिसके कारण मेड इन इंडिया टीकों को बहुत कम समय में दूर-दराज के स्थानों तक पहुंचाने में सफलता मिली। प्रधानमंत्री ने कहा, “इतना बड़ा महायज्ञ तभी सफल होता है, जब सबका प्रयास और सबका विश्वास हो।“ उन्होंने सबका प्रयास की भावना के साथ आगे बढ़ने और स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत के मिशन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सभी से आग्रह करते हुए अपने संबोधन का समापन किया।

असम के राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया, असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार, असम सरकार के मंत्री और अन्य इस अवसर पर उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

एम्स, गुवाहाटी का शुभारम्भ, असम राज्य और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह देश भर में स्वास्थ्य-अवसंरचना को मजबूत करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। मई 2017 में इस अस्पताल की आधारशिला भी प्रधानमंत्री ने रखी थी। 1120 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित एम्स गुवाहाटी, 30 आयुष बिस्तरों सहित 750 बिस्तरों की क्षमता वाला एक अत्याधुनिक अस्पताल है। इस अस्पताल से पूर्वोत्तर के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी और हर साल 100 एमबीबीएस छात्रों को वार्षिक तौर पर प्रवेश मिलेगा।

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प्रधानमंत्री ने देश को तीन मेडिकल कॉलेज अर्थात नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज, नलबाड़ी; नागांव मेडिकल कॉलेज, नागांव और कोकराझार मेडिकल कॉलेज, कोकराझार भी राष्ट्र को समर्पित किया, जिन्हें क्रमशः लगभग 615 करोड़ रुपये, 600 करोड़ रुपये और 535 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में 500 बिस्तरों वाला शिक्षण अस्पताल संलग्न है, जिनमें आपातकालीन सेवाओं, आईसीयू सुविधाओं, ओटी और डायग्नोस्टिक सुविधाओं सहित ओपीडी/आईपीडी सेवाओं की सुविधा है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की वार्षिक प्रवेश क्षमता 100 एमबीबीएस छात्रों की होगी।

प्रधानमंत्री द्वारा 'आपके द्वार आयुष्मान' अभियान का औपचारिक शुभारंभ, कल्याणकारी योजनाओं के सन्दर्भ में 100 प्रतिशत की पूर्णता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंचने के उनके दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक कदम है। प्रधानमंत्री ने तीन प्रतिनिधि लाभार्थियों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) कार्ड भी वितरित किए, जिसके बाद राज्य के सभी जिलों में लगभग 1.1 करोड़ एबी-पीएमजेएवाई कार्ड वितरित किए जायेंगे।

असम उन्नत स्वास्थ्य देखभाल नवाचार संस्थान (एएएचआईआई) का शिलान्यास, स्वास्थ्य-संबंधी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है। देश में स्वास्थ्य सेवा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश प्रौद्योगिकियां आयात और एक अलग संदर्भ में विकसित की जाती हैं, जो भारतीय परिवेश में संचालन के लिए अत्यधिक महंगी और जटिल होती हैं। एएएचआईआई की परिकल्पना उपरोक्त संदर्भ में की गई है और यह इस तरह काम करेगा कि 'हम अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढ़ लें'। एएएचआईआई को लगभग 546 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा और यह दवा तथा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अत्याधुनिक आविष्कारों और अनुसंधान एवं विकास की सुविधा प्रदान करेगा, स्वास्थ्य से संबंधित देश की समस्याओं की पहचान करेगा और उन समस्याओं के समाधान के लिए नई तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा।

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  • Jitendra Kumar May 16, 2025

    🙏🙏🙏
  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • VIKRAM SINGH RATHORE August 31, 2024

    bjp
  • Reena chaurasia August 27, 2024

    bjp
  • keka chatterjee February 19, 2024

    #Bharot mata ki joy
  • keka chatterjee February 19, 2024

    seva hi songothon hu.🙏🚩🕉❤🇮🇳
  • Shirish Tripathi October 11, 2023

    विश्व गुरु के पथ पर अग्रसर भारत 🇮🇳
  • Sandi surendar reddy April 28, 2023

    jayaho modi
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भारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: पीएम मोदी
August 07, 2025
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया: प्रधानमंत्री
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने जैव विविधता से आगे बढ़कर जैव-सुख की दूरदर्शी अवधारणा दी: प्रधानमंत्री
Quoteभारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार ने किसानों की शक्ति को देश की प्रगति की आधारशिला के रूप में मान्यता दी है: प्रधानमंत्री
Quoteखाद्य सुरक्षा की विरासत पर निर्माण करते हुए, हमारे कृषि वैज्ञानिकों के लिए अगला लक्ष्य सभी के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन जी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद जी, मैं देख रहा हूं स्वामीनाथन जी के परिवार से भी सभी जन यहां मौजूद हैं, मैं उनको भी प्रणाम करता हूं। सभी साइंटिस्ट्स, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं रहता, किसी एक भू-भाग तक सीमित नहीं रहता। प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया। देश की खाद्य सुरक्षा को, फूड सेक्योरिटी को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। उन्होंने वो चेतना जागृत की, जो आने वाली कई सदियों तक भारत की नीतियां और प्राथमिकताओं को दिशा देती रहेगी। मैं आप सभी को स्वामीनाथन जन्मशताब्दी समारोह की शुभकामनाएं देता हूं।

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साथियों,

आज 7 अगस्त, नेशनल हैंडलूम डे भी है। पिछले 10 सालों में हैंडलूम सेक्टर को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है। मैं आप सभी को, हैंडलूम सेक्टर से जुड़े लोगों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई वर्षों पुराना था। गुजरात की पहले की स्थितियां बहुत लोगों को पता हैं, पहले वहां सूखे और चक्रवात की वजह से कृषि पर काफी संकट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा था। जब मैं मुख्यमंत्री था, तो उसी दौरान हमने सॉयल हेल्थ कार्ड योजना पर काम शुरू किया। मुझे याद है, प्रोफेसर स्वामीनाथन ने उसमें बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया था। उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया, हमारा मार्गदर्शन किया। उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता भी मिली। करीब 20 साल हुए, जब मैं तमिलनाडु में उनके रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर पर गया था। साल 2017 में मुझे उनकी लिखी किताब ‘द क्वेस्ट फॉर अ वर्ल्ड विदआउट हंगर’ उसको रिलीज करने का मौका मिला था। साल 2018 में जब वाराणसी में International Rice Research Institute के Regional Centre का उद्घाटन हुआ, तो भी उनका मार्गदर्शन हमें मिला। उनसे हुई हर मुलाकात मेरे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस होती थी, उन्होंने एक बार कहा था, science is not just about discovery, but delivery. और उन्होंने इसे अपने कार्यों से सिद्ध किया। वो केवल रिसर्च नहीं करते थे, बल्कि खेती के तौर-तरीके बदलने के लिए किसानों को प्रेरित भी करते थे। आज भी भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में उनकी अप्रोच, उनके विचार हर तरफ नजर आते हैं। वो सही मायने में मां भारती के रत्न थे। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि डॉ. स्वामीनाथन को हमारी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया। लेकिन उनकी पहचान हरित क्रांति से भी आगे बढ़कर थी। वो खेती में chemical के बढ़ते प्रयोग और monoculture farming के खतरों से किसानों को लगातार जागरूक करते रहे। यानी एक तरफ वो ग्रेन प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, और साथ ही उन्हें environment की, धरती मां की भी चिंता थी। दोनों के बीच संतुलन साधने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए उन्होंने एवरग्रीन रेवोल्यूशन का कॉन्सेप्ट दिया। उन्होंने बायो-विलेज का कॉन्सेप्ट दिया, जिसके जरिए गांव के लोगों और किसानों का सशक्तिकरण हो सकता है। उन्होंने कम्युनिटी सीड बैंक, और अपॉरचुनिटी क्रॉप्स जैसे आइडियाज को बढ़ावा दिया।

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साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन मानते थे कि क्लाइमेट चेंज और न्यूट्रीशन की चुनौती का हल उन्हीं फसलों में छुपा है, जिन्हें हमने भुला दिया है। ड्राउट- टॉलरेन्स और सॉल्ट टॉलरेन्स पर उनका फोकस था। उन्होंने मिलेट्स-श्रीअन्न पर उस समय काम किया, जब मिलेट्स को कोई पूछता नहीं था। डॉ. स्वामीनाथन ने वर्षों पहले ये सुझाव दिया था कि मैंग्रोव की जेनेटिक क्वालिटी को धान में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। इससे फसलें भी जलवायु के अनुकूल बनेंगी। आज जब हम climate adaptation की बात करते हैं, तो महसूस होता है कि वो कितना आगे की सोचते थे।

साथियों,

आज दुनियाभर में बायोडायवर्सिटी को लेकर चर्चा होती है, इसे सुरक्षित रखने के लिए सरकारें अनेक कदम उठा रही हैं। लेकिन डॉ. स्वामीनाथन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बायोहैप्पीनेस का आइडिया दिया। आज हम यहां इसी आइडिया को सेलीब्रेट कर रहे हैं। डॉ. स्वामीनाथन कहते थे कि बायोडायवर्सिटी की ताकत से हम स्थानीय लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, local resources के इस्तेमाल से लोगों के लिए आजीविका के नए साधन बना सकते हैं। और जैसा उनका व्यक्तित्व था, अपने आइडियाज को वो जमीन पर उतारने में माहिर थे। अपने रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा उन्होंने नई खोजों का लाभ किसानों तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया। हमारे छोटे किसान, हमारे मछुआरे भाई-बहन, हमारे ट्राइबल कम्यूनिटी, इन सबको उनके प्रयासों से बहुत लाभ हुआ है।

साथियों,

आज मुझे इस बात की विशेष खुशी है कि प्रोफेसर स्वामीनाथन की विरासत को सम्मान देने के लिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस शुरू हुआ है। ये इंटरनेशनल अवॉर्ड विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्होंने फूड सिक्योरिटी की दिशा में बड़ा काम किया है। फूड एंड पीस, भोजन और शांति का रिश्ता जितना दार्शनिक है, उतना ही प्रैक्टिकल भी है। हमारे यहां, उपनिषदों में कहा गया है- अन्नम् न निन्द्यात्, तद् व्रतम्। प्राणो वा अन्नम्। शरीरम् अन्नादम्। प्राणे शरीरम् प्रतिष्ठितम्। अर्थात्, हमें अन्न की, अनाज की अवहेलना या उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। प्राण अर्थात् जीवन, अन्न ही है।

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इसलिए साथियों,

अगर अन्न का संकट पैदा होता है, तो जीवन का संकट पैदा होता है। और जब हजारों लाखों लोगों के जीवन का संकट बढ़ता है, तो वैश्विक अशांति भी स्वभाविक है। इसलिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस बहुत ही अहम है। मैं यह पहला अवार्ड पाने वाले नाइजीरिया के टैलेंटेड साइंटिस्ट प्रोफेसर आडेनले, उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज भारतीय कृषि जिस ऊंचाई पर है, वो देखकर डॉ. स्वामीनाथन जहां भी होंगे, उन्हें गर्व होता होगा। आज भारत दूध, दाल और जूट के प्रॉडक्शन में नंबर वन है। आज भारत चावल, गेहूं, कपास, फल और सब्ज़ी के उत्पादन में नंबर टू पर है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिश प्रोड्यूसर भी है। पिछले साल भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा food grain production किया है। ऑयल सीड्स में भी हम रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सभी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।

साथियों,

हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के, और मछुवारे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाना, इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है। सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को पीएम कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से दूर किया गया है। 10 हजार FPOs के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है, Co-operatives, और self-help groups को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। e-NAM की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है। PM किसान संपदा योजना ने नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, भंडारण के अभियान को भी गति दी है। हाल ही में पीएम धन धान्य योजना को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन 100 डिस्ट्रिक्ट को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी का भारत विकसित होने के लिए पूरे जी-जान से जुटा है। और ये लक्ष्य, हर वर्ग, हर प्रोफेशन के योगदान से ही हासिल होगा। डॉ. स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए, अब देश के वैज्ञानिकों के पास एक बार फिर इतिहास रचने का मौका है। पिछली पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने food security सुनिश्चित की। अब nutritional security पर फोकस करने की आवश्यकता है। हमें बायो-फोर्टिफाइड और न्यूट्रीशन से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो। केमिकल का उपयोग कम हो, नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा मिले, इसके लिए हमें अधिक तत्परता दिखानी होगी।

साथियों,

क्लाइमेट चेंज से जुड़ी चुनौतियों से आप भली-भांति परिचित हैं। हमें climate-resilient crops की ज्यादा से ज्यादा वैरायटीज को विकसित करना होगा। ड्राउट-tolerant, heat-resistant और flood-adaptive फसलों पर फोकस करना होगा। फसल चक्र कैसे बदला जाए, किस मिट्टी के लिए क्या उपयुक्त है, उस पर अधिक रिसर्च होनी चाहिए। इसके साथ ही, हमें सस्ते सॉइल टेस्टिंग टूल्स और nutrient management के तरीके, उसको भी विकसित करने की आवश्यकता है।

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साथियों,

हमें solar-powered micro-irrigation की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्कता है। ड्रिप सिस्टम और प्रिसिशन इरिगेशन को हमें ज्यादा व्यापक और असरदार बनाना होगा। क्या हम सैटेलाइट डेटा, AI और मशीन लर्निंग को जोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जो उपज का पूर्वानुमान दे सके, कीटों की निगरानी कर सके, और बुवाई के लिए गाइड कर सके? क्या हर जिले में ऐसा real-time decision support system पहुंचाया जा सकता है? आप सभी एग्री-टेक startups को भी निरंतर गाइड करते रहिए। आज बड़ी संख्या में innovative युवा खेती की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं। अगर आप, जो अनुभवी लोग हैं, आप अगर लोग उन्हें गाइड करेंगे, तो उनके बनाए प्रोडक्ट ज्यादा प्रभावशाली होंगे, और यूजर फ्रेंडली होंगे।

साथियों,

हमारे किसान और हमारे किसान समुदायों के पास पारंपरिक ज्ञान का खजाना है। Traditional Indian agricultural practices, और modern science को जोड़कर एक holistic knowledge base तैयार किया जा सकता है। Crop diversification भी आज एक national priority है। हमें अपने किसानों को बताना होगा कि इसका क्या महत्व है। हमें समझाना होगा कि इससे क्या फायदे होंगे, साथ ही ये भी बताना होगा कि ऐसा ना करने पर क्या नुकसान होंगे। और इसके लिए आप बहुत बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

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साथियों,

पिछले साल जब मैं 11 अगस्त को यहां पूसा कैंपस में आया था, तो कहा था कि एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को लैब से लैंड तक पहुंचाने के लिए प्रयास बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि मई-जून के महीने में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया गया। पहली बार देश के 700 से ज्यादा जिलों में वैज्ञानिकों की करीब 2200 टीमों ने भाग लिया, 60 हजार से ज्यादा कार्यक्रम किए, इतना ही नहीं, करीब-करीब सवा करोड़ जागरूक किसानों के साथ सीधा संवाद किया। हमारे वैज्ञानिकों का ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचने का ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है।

साथियों,

डॉ.एम. एस. स्वामीनाथन ने हमें सिखाया था कि खेती सिर्फ फसल की नहीं होती, खेती लोगों की जिंदगी होती है। खेत से जुड़े हर इंसान की गरिमा, हर समुदाय की खुशहाली और प्रकृति की सुरक्षा, यही हमारी सरकार की कृषि नीति की ताकत है। हमें विज्ञान और समाज को एक धागे में जोड़ना है, छोटे किसान के हितों को सर्वोपरि रखना है, और खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त करना है, Empower करना है। हम इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें, डॉ. स्वामीनाथन की प्रेरणा हम सभी के साथ है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस समारोह की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।