प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुंबई (महाराष्ट्र) में भारतीय रिजर्व बैंक के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम आरबीआई@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। श्री मोदी ने भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) के 90 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 अप्रैल, 1935 को अपना परिचालन शुरू किया था और आज यह अपने 90वें वर्ष में प्रवेश कर गया है।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपने अस्तित्व के 90 वर्ष पूरे होने पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरबीआई ने आजादी से पहले और बाद के दोनों ही युग देखे हैं और इसने अपने पेशेवर रूख और प्रतिबद्धता के आधार पर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने आरबीआई के 90 वर्ष पूरे होने पर बैंक के सभी कर्मचारियों को बधाई दी। आरबीआई के वर्तमान कर्मचारियों को भाग्यशाली मानते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज तैयार की गई नीतियां आरबीआई के अगले दशक को आकार प्रदान करेंगी। अगले 10 वर्ष आरबीआई को उसके शताब्दी वर्ष में ले जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अगला दशक विकसित भारत के संकल्पों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।" तेज गति से विकास तथा विश्वास और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आरबीआई की प्राथमिकता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बैंक के लक्ष्यों और संकल्पों की पूर्ति के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।
देश की जीडीपी और अर्थव्यवस्था में मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के समन्वय के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 में आरबीआई के 80 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को याद किया और उस समय देश की बैंकिंग प्रणाली के सामने आई एनपीए और स्थिरता जैसी चुनौतियों और समस्याओं का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि वहां से शुरू करके आज हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां भारतीय बैंकिंग प्रणाली को विश्व की एक मजबूत और टिकाऊ बैंकिंग प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उस समय की लगभग बहुत कमजोर बैंकिंग प्रणाली अब लाभ में है और रिकॉर्ड क्रेडिट दर्शा रही है।
प्रधानमंत्री ने इस बदलाव के लिए नीति, आशयों और निर्णयों की स्पष्टता को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, "जहां इरादे ठीक होते हैं, वहां परिणाम भी सही होते हैं।" सुधारों के व्यापक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने मान्यता, समाधान और पुनर्पूंजीकरण की रणनीति पर कार्य किया है। कई शासन-संबंधी सुधारों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सहायता के लिए 3.5 लाख करोड़ का पूंजी सम्मिश्रण किया गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि केवल दिवाला और दिवालियापन संहिता ने 3.25 लाख करोड़ रुपये के ऋणों का समाधान किया है। उन्होंने देश को यह भी बताया कि 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक के डिफाल्ट वाले 27,000 से अधिक आवेदनों को आईबीसी के तहत प्रवेश से पहले ही सुलझा लिया गया है। वर्ष 2018 में बैंकों का सकल एनपीए जो 11.25 प्रतिशत था वह सितंबर 2023 में घटकर 3 प्रतिशत से भी नीचे आ गया। उन्होंने कहा कि दोहरी बैलेंस शीट (तुलन पत्र) की समस्या अब अतीत की समस्या है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बदलाव के लिए आरबीआई के योगदान की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यद्पि आरबीआई से संबंधित चर्चाएं अक्सर वित्तीय परिभाषाओं और जटिल शब्दावली तक ही सीमित होती हैं, लेकिन आरबीआई में किए जाने वाले कार्य सीधे आम नागरिकों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकार के केंद्रीय बैंकों, बैंकिंग प्रणालियों और अंतिम पंक्ति में खड़े लाभार्थियों के बीच जुड़ाव पर प्रकाश डाला और गरीबों के वित्तीय समावेशन का उदाहरण दिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश के 52 करोड़ जनधन खातों में से 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। उन्होंने कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र में वित्तीय समावेशन के प्रभाव का भी उल्लेख किया, जहां 7 करोड़ से अधिक किसानों, मछुआरों और पशु मालिकों की पीएम किसान क्रेडिट कार्ड तक पहुंच है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिला है। पिछले 10 वर्षों में सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा मिलने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सहकारी बैंकों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने यूपीआई के माध्यम से हुए 1200 करोड़ से अधिक के मासिक लेनदेन का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इससे यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मंच बन गया है। प्रधानमंत्री ने सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा पर किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों ने एक नई बैंकिंग प्रणाली, अर्थव्यवस्था और मुद्रा अनुभव के सृजन को सक्षम बनाया है।
प्रधानमंत्री ने अगले 10 वर्षों के लक्ष्यों के लिए स्पष्टता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देते हुए कैशलेस अर्थव्यवस्था के बारे में आए परिवर्तनों पर ध्यान दिये जाने पर जोर दिया। उन्होंने वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
भारत जैसे बड़े देश की विविध बैंकिंग जरूरतों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने 'ईज़ ऑफ डुईंग बैंकिंग' को बेहतर बनाने और जन-जन की आवश्यकता के अनुरूप सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की भूमिका पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने देश के तीव्र और सतत विकास में आरबीआई की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में नियम-आधारित अनुशासन और राजकोषीय रूप से विवेकपूर्ण नीतियों के समावेश में आरबीआई की उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए बैंकों को सरकार के समर्थन का आश्वासन दिया और सक्रिय कदम उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों का अग्रिम अनुमान लगाने के लिए भी कहा। प्रधानमंत्री ने आरबीआई को मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का अधिकार देने जैसे मुद्रास्फीति-नियंत्रण उपायों का भी उल्लेख किया और इस संबंध में मौद्रिक नीति समिति के प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सक्रिय मूल्य निगरानी और राजकोषीय समेकन जैसे कदमों ने कोरोना के कठिन समय के दौरान भी मुद्रास्फीति को सामान्य स्तर पर बनाए रखा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर किसी देश की प्राथमिकताएं स्पष्ट हों तो उसे कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा वित्तीय विवेक पर ध्यान देने और आम नागरिकों के जीवन को प्राथमिकता देने का उदाहरण दिया, जिसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलकर आज देश के विकास को गति प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे समय में नए रिकॉर्ड स्थापित कर रही है जब विश्व के कई देश अभी भी महामारी के आर्थिक झटके से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने भारत की सफलताओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने में आरबीआई की भूमिका का उल्लेख किया। किसी भी विकासशील देश के लिए मुद्रास्फीति नियंत्रण और विकास के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि आरबीआई इसके लिए एक मॉडल बन सकता है और विश्व के नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है। इससे पूरे वैश्विक दक्षिण क्षेत्र का भी समर्थन किया जा सकता है।
यह देखते हुए कि भारत आज विश्व का सबसे युवा देश है, प्रधानमंत्री ने युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में आरबीआई द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उल्लेख किया। उन्होंने देश में नए क्षेत्रों को खोलने के लिए सरकार की नीतियों को श्रेय दिया, जिससे आज के युवाओं के लिए अनेक अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने हरित ऊर्जा क्षेत्रों के विस्तार का उदाहरण दिया और सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इथेनॉल सम्मिश्रण का उल्लेख किया। उन्होंने स्वदेशी 5जी तकनीक और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते हुए निर्यात का भी उल्लेख किया। एमएसएमई के भारत के विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़ बनने के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने एमएसएमई को समर्थन देने के लिए कोविड महामारी के दौरान क्रेडिट गारंटी योजना के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला। उन्होंने नए क्षेत्रों से जुड़े युवाओं के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई को पुरानी नीतियों से हटकर नई नीतियां लाने पर जोर दिया।
21वीं सदी में नवाचार के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने अपनी टीमों के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और कार्य के लिए कर्मियों की पहचान के संबंध में आने वाले प्रस्तावों के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने बैंकरों और नियामकों से अंतरिक्ष और पर्यटन जैसे नए और पारंपरिक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। उन्होंने विशेषज्ञों की राय का उल्लेख करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में अयोध्या विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों को श्रेय देते हुए कहा कि इनसे छोटे व्यवसायों और रेहड़ी-पटरी वालों की वित्तीय क्षमता में पारदर्शिता आई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस जानकारी का उपयोग उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अगले 10 वर्षों में भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाने पर भी जोर दिया ताकि वैश्विक मुद्दों के प्रभाव को कम किया जा सके। श्री मोदी ने कहा कि आज भारत वैश्विक जीडीपी वृद्धि में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक विकास का इंजन बन गया है। उन्होंने पूरे विश्व में रुपये को अधिक सुलभ और स्वीकार्य बनाने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने अत्याधिक आर्थिक विस्तार और बढ़ते हुए कर्ज की प्रवृत्तियों पर भी बात की और यह बताया कि अनेक देशों के निजी क्षेत्र के कर्ज ने उनकी जीडीपी को दोगुना कर दिया है। उन्होंने कहा कि कई देशों का कर्ज का स्तर विश्वमें नकारात्मक प्रभाव पैदा रहा है। प्रधानमंत्री ने आरबीआई को भारत की विकास क्षमताओं और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस बारे में एक अध्ययन करने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्त पोषण के लिए एक मजबूत बैंकिंग उद्योग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एआई और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों द्वारा लाए गए परिवर्तनों के साथ-साथ बढ़ती डिजिटल बैंकिंग प्रणाली में साइबर सुरक्षा के महत्व पर ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने दर्शकों से फिन-टेक नवाचार के आलोक में बैंकिंग प्रणाली की संरचना में आवश्यक परिवर्तनों के बारे में विचार करने के लिए कहा क्योंकि आगे नए वित्तपोषण, संचालन और व्यवसाय मॉडल की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री ने यह निष्कर्ष निकाला कि वैश्विक चैंपियंस से लेकर रेहड़ी-पटरी वालों, अत्याधुनिक क्षेत्रों से लेकर पारंपरिक क्षेत्रों तक की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना विकसित भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आरबीआई विकसित भारत के बैंकिंग दृष्टिकोण की समग्र सराहना के लिए एक उपयुक्त निकाय है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैंस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार एवं केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री श्री भागवत किशनराव कराड और श्री पंकज चौधरी तथा आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
Today, India's banking system is strong as well as sustainable. pic.twitter.com/Gikk1iPxg2
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नीयत सही, तो नतीजे सही। pic.twitter.com/RWC2V5Jjqp
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Enhancing 'Ease of Doing Banking' is crucial. pic.twitter.com/4YOyowK1vo
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जिस देश की priorities स्पष्ट हों, उसे progress करने से कोई नहीं रोक सकता: PM @narendramodi pic.twitter.com/sT4j2Ue5Et
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India is one of the youngest countries in the world today. RBI has an important role in fulfilling the aspirations of the youth. pic.twitter.com/MbyWCnni2i
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The government is making record investment on innovation. pic.twitter.com/iecxTomjvS
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