भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 90 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में स्मारक सिक्का जारी किया
"आरबीआई हमारे देश के विकास की गति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है"
"आरबीआई ने आजादी से पहले और बाद के दोनों ही युग देखे हैं और इसने अपने पेशेवर रूख और प्रतिबद्धता के आधार पर पूरे विश्‍व में अपनी पहचान बनाई है"
"आज हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां भारतीय बैंकिंग प्रणाली को विश्‍व की एक मजबूत और टिकाऊ बैंकिंग प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है"
"सरकार ने मान्यता, समाधान और पुनर्पूंजीकरण की रणनीति पर काम किया है"
"सक्रिय मूल्य निगरानी और राजकोषीय समेकन जैसे उठाये गए कदमों ने कोरोना के कठिन समय के दौरान भी मुद्रास्फीति को सामान्‍य स्‍तर पर रखा है"
"आज भारत वैश्विक सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक विकास का इंजन बन गया है"
"आरबीआई विकसित भारत के बैंकिंग दृष्टिकोण की समग्र सराहना के लिए एक उपयुक्त निकाय है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुंबई (महाराष्ट्र) में भारतीय रिजर्व बैंक के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम आरबीआई@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। श्री मोदी ने भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) के 90 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 अप्रैल, 1935 को अपना परिचालन शुरू किया था और आज यह अपने 90वें वर्ष में प्रवेश कर गया है।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपने अस्तित्व के 90 वर्ष पूरे होने पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरबीआई ने आजादी से पहले और बाद के दोनों ही युग देखे हैं और इसने अपने पेशेवर रूख और प्रतिबद्धता के आधार पर पूरे विश्‍व में अपनी पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने आरबीआई के 90 वर्ष पूरे होने पर बैंक के सभी कर्मचारियों को बधाई दी। आरबीआई के वर्तमान कर्मचारियों को भाग्यशाली मानते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज तैयार की गई नीतियां आरबीआई के अगले दशक को आकार प्रदान करेंगी। अगले 10 वर्ष आरबीआई को उसके शताब्दी वर्ष में ले जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अगला दशक विकसित भारत के संकल्पों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।" तेज गति से विकास तथा विश्वास और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आरबीआई की प्राथमिकता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बैंक के लक्ष्यों और संकल्पों की पूर्ति के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

देश की जीडीपी और अर्थव्यवस्था में मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के समन्वय के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 में आरबीआई के 80 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित समारोह को याद किया और उस समय देश की बैंकिंग प्रणाली के सामने आई एनपीए और स्थिरता जैसी चुनौतियों और समस्याओं का भी स्‍मरण किया। उन्होंने कहा कि वहां से शुरू करके आज हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां भारतीय बैंकिंग प्रणाली को विश्‍व की एक मजबूत और टिकाऊ बैंकिंग प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उस समय की लगभग बहुत कमजोर बैंकिंग प्रणाली अब लाभ में है और रिकॉर्ड क्रेडिट दर्शा रही है।

प्रधानमंत्री ने इस बदलाव के लिए नीति, आशयों और निर्णयों की स्पष्टता को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, "जहां इरादे ठीक होते हैं, वहां परिणाम भी सही होते हैं।" सुधारों के व्यापक स्‍वरूप पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने मान्यता, समाधान और पुनर्पूंजीकरण की रणनीति पर कार्य किया है। कई शासन-संबंधी सुधारों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सहायता के लिए 3.5 लाख करोड़ का पूंजी सम्मिश्रण किया गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि केवल दिवाला और दिवालियापन संहिता ने 3.25 लाख करोड़ रुपये के ऋणों का समाधान किया है। उन्होंने देश को यह भी बताया कि 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक के डिफाल्‍ट वाले 27,000 से अधिक आवेदनों को आईबीसी के तहत प्रवेश से पहले ही सुलझा लिया गया है। वर्ष 2018 में बैंकों का सकल एनपीए जो 11.25 प्रतिशत था वह सितंबर 2023 में घटकर 3 प्रतिशत से भी नीचे आ गया। उन्होंने कहा कि दोहरी बैलेंस शीट (तुलन पत्र) की समस्या अब अतीत की समस्या है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बदलाव के लिए आरबीआई के योगदान की सराहना की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यद्पि आरबीआई से संबंधित चर्चाएं अक्सर वित्तीय परिभाषाओं और जटिल शब्दावली तक ही सीमित होती हैं, लेकिन आरबीआई में किए जाने वाले कार्य सीधे आम नागरिकों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकार के केंद्रीय बैंकों, बैंकिंग प्रणालियों और अंतिम पंक्ति में खड़े लाभार्थियों के बीच जुड़ाव पर प्रकाश डाला और गरीबों के वित्तीय समावेशन का उदाहरण दिया। उन्होंने यह भी उल्‍लेख किया कि देश के 52 करोड़ जनधन खातों में से 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। उन्होंने कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र में वित्तीय समावेशन के प्रभाव का भी उल्लेख किया, जहां 7 करोड़ से अधिक किसानों, मछुआरों और पशु मालिकों की पीएम किसान क्रेडिट कार्ड तक पहुंच है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिला है। पिछले 10 वर्षों में सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा मिलने का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सहकारी बैंकों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने यूपीआई के माध्यम से हुए 1200 करोड़ से अधिक के मासिक लेनदेन का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इससे यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मंच बन गया है। प्रधानमंत्री ने सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा पर किए जा रहे कार्यों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों ने एक नई बैंकिंग प्रणाली, अर्थव्यवस्था और मुद्रा अनुभव के सृजन को सक्षम बनाया है।

प्रधानमंत्री ने अगले 10 वर्षों के लक्ष्यों के लिए स्पष्टता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देते हुए कैशलेस अर्थव्यवस्था के बारे में आए परिवर्तनों पर ध्‍यान दिये जाने पर जोर दिया। उन्होंने वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

भारत जैसे बड़े देश की विविध बैंकिंग जरूरतों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने 'ईज़ ऑफ डुईंग बैंकिंग' को बेहतर बनाने और जन-जन की आवश्यकता के अनुरूप सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की भूमिका पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने देश के तीव्र और सतत विकास में आरबीआई की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने बैंकिंग क्षेत्र में नियम-आधारित अनुशासन और राजकोषीय रूप से विवेकपूर्ण नीतियों के समावेश में आरबीआई की उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए बैंकों को सरकार के समर्थन का आश्वासन दिया और सक्रिय कदम उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों का अग्रिम अनुमान लगाने के लिए भी कहा। प्रधानमंत्री ने आरबीआई को मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का अधिकार देने जैसे मुद्रास्फीति-नियंत्रण उपायों का भी उल्लेख किया और इस संबंध में मौद्रिक नीति समिति के प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्‍होंने कहा कि सक्रिय मूल्य निगरानी और राजकोषीय समेकन जैसे कदमों ने कोरोना के कठिन समय के दौरान भी मुद्रास्फीति को सामान्‍य स्तर पर बनाए रखा।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर किसी देश की प्राथमिकताएं स्पष्ट हों तो उसे कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा वित्तीय विवेक पर ध्यान देने और आम नागरिकों के जीवन को प्राथमिकता देने का उदाहरण दिया, जिसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलकर आज देश के विकास को गति प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे समय में नए रिकॉर्ड स्‍थापित कर रही है जब विश्‍व के कई देश अभी भी महामारी के आर्थिक झटके से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने भारत की सफलताओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने में आरबीआई की भूमिका का उल्‍लेख किया। किसी भी विकासशील देश के लिए मुद्रास्फीति नियंत्रण और विकास के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि आरबीआई इसके लिए एक मॉडल बन सकता है और विश्‍व के नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है। इससे पूरे वैश्विक दक्षिण क्षेत्र का भी समर्थन किया जा सकता है।

यह देखते हुए कि भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है, प्रधानमंत्री ने युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में आरबीआई द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उल्‍लेख किया। उन्होंने देश में नए क्षेत्रों को खोलने के लिए सरकार की नीतियों को श्रेय दिया, जिससे आज के युवाओं के लिए अनेक अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने हरित ऊर्जा क्षेत्रों के विस्तार का उदाहरण दिया और सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इथेनॉल सम्मिश्रण का उल्लेख किया। उन्होंने स्वदेशी 5जी तकनीक और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते हुए निर्यात का भी उल्‍लेख किया। एमएसएमई के भारत के विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़ बनने के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने एमएसएमई को समर्थन देने के लिए कोविड महामारी के दौरान क्रेडिट गारंटी योजना के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला। उन्होंने नए क्षेत्रों से जुड़े युवाओं के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई को पुरानी नीतियों से हटकर नई नीतियां लाने पर जोर दिया।

21वीं सदी में नवाचार के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने अपनी टीमों के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और कार्य के लिए कर्मियों की पहचान के संबंध में आने वाले प्रस्तावों के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने बैंकरों और नियामकों से अंतरिक्ष और पर्यटन जैसे नए और पारंपरिक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। उन्होंने विशेषज्ञों की राय का उल्‍लेख करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में अयोध्या विश्‍व का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनने जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों को श्रेय देते हुए कहा कि इनसे छोटे व्यवसायों और रेहड़ी-पटरी वालों की वित्तीय क्षमता में पारदर्शिता आई है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि इस जानकारी का उपयोग उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अगले 10 वर्षों में भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाने पर भी जोर दिया ताकि वैश्विक मुद्दों के प्रभाव को कम किया जा सके। श्री मोदी ने कहा कि आज भारत वैश्विक जीडीपी वृद्धि में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक विकास का इंजन बन गया है। उन्होंने पूरे विश्‍व में रुपये को अधिक सुलभ और स्वीकार्य बनाने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने अत्याधिक आर्थिक विस्तार और बढ़ते हुए कर्ज की प्रवृत्तियों पर भी बात की और यह बताया कि अनेक देशों के निजी क्षेत्र के कर्ज ने उनकी जीडीपी को दोगुना कर दिया है। उन्होंने कहा कि कई देशों का कर्ज का स्तर विश्‍वमें नकारात्मक प्रभाव पैदा रहा है। प्रधानमंत्री ने आरबीआई को भारत की विकास क्षमताओं और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस बारे में एक अध्ययन करने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्‍त पोषण के लिए एक मजबूत बैंकिंग उद्योग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एआई और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों द्वारा लाए गए परिवर्तनों के साथ-साथ बढ़ती डिजिटल बैंकिंग प्रणाली में साइबर सुरक्षा के महत्व पर ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने दर्शकों से फिन-टेक नवाचार के आलोक में बैंकिंग प्रणाली की संरचना में आवश्यक परिवर्तनों के बारे में विचार करने के लिए कहा क्योंकि आगे नए वित्तपोषण, संचालन और व्यवसाय मॉडल की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री ने यह निष्कर्ष निकाला कि वैश्विक चैंपियंस से लेकर रेहड़ी-पटरी वालों, अत्याधुनिक क्षेत्रों से लेकर पारंपरिक क्षेत्रों तक की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना विकसित भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि आरबीआई विकसित भारत के बैंकिंग दृष्टिकोण की समग्र सराहना के लिए एक उपयुक्त निकाय है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैंस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार एवं केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री श्री भागवत किशनराव कराड और श्री पंकज चौधरी तथा आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।