उन्होंने 'लचित बोरफुकन – असम्स हीरो हू हाल्टेड द मुगल्स' नामक पुस्तक का विमोचन किया
"लचित बोरफुकन का जीवन हमें 'राष्ट्र प्रथम' के मंत्र के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है"
"लचित बोरफुकन का जीवन हमें यह सिखाता है कि भाई-भतीजावाद और वंशवाद के बजाय देश सर्वोच्च होना चाहिए"
"संतों और ऋषियों ने अनादिकाल से ही हमारे राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है"
"लचित बोरफुकन जैसे बहादुरों ने यह दिखाया कि कट्टरता और आतंकी ताकतें नष्ट हो जाती हैं लेकिन भारतीय जीवन का अमर प्रकाश सदैव शाश्वत रहता है"
"भारत का इतिहास विजयी होने का है, यह अनगिनत महापुरुषों के पराक्रम के बारे में है"
“दुर्भाग्य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया गया जो गुलामी के दौरान एक साजिश के तौर पर लिखा गया था”
“जब कोई राष्ट्र अपने वास्तविक अतीत को जानता है, तभी वह अपने अनुभवों से सीख सकता है और अपने भविष्य के लिए सही दिशा में आगे बढ़ सकता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि इतिहास की हमारी समझ कुछ दशकों और सदियों तक ही सीमित न रहे”
"हमें भारत को विकसित राष्ट्र और पूर्वोत्तर को भारत के विकास का केंद्र बनाना है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के साल भर चलने वाले समारोह के समापन समारोह में संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 'लचित बोरफुकन – असम्स हीरो हू हाल्टेड द मुगल्स' नामक पुस्तक का विमोचन भी किया।

गुमनाम नायकों को उचित तरीके से सम्मानित करने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप, आज का अवसर असम के अहोम साम्राज्य की शाही सेना के उस प्रसिद्ध जनरल लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के सम्मान में मनाया जा रहा है, जिन्होंने मुगलों को पराजित किया और सफलतापूर्वक औरंगजेब के अधीन मुगलों की लगातार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को रोका था।

उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने असम की उस भूमि के प्रति सम्मान व्यक्त करने से अपने संबोधन की शुरुआत की, जिसने वीर लचित जैसे वीर सपूतों को दिया है। “हम उस वीर लचित बोरफुकन को उनकी 400वीं जयंती के अवसर पर नमन करते हैं। जिन्होंने असम की संस्कृति को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई”।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती ऐसे समय में मना रहा है, जब देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है।" वीर लाचित के कारनामों को असम के इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत की सनातन संस्कृति, सनातन शौर्य और सनातन अस्तित्व के उस पर्व के अवसर पर मैं इस महान परंपरा को नमन करता हूं।' प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाने और अपनी विरासत पर गर्व करने की भारत की मनोदशा का उल्लेख किया। भारत न केवल अपनी सांस्कृतिक विविधता का जश्न मना रहा है बल्कि अपने इतिहास के गुमनाम नायकों और नायिकाओं को भी मान्यता प्रदान कर रहा है। “लचित बोरफुकन जैसे माँ भारती के अमर सपूत अमृत काल के संकल्पों को पूरा करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। वे हमें हमारे इतिहास की पहचान और गौरव से परिचित कराते हैं और स्वयं हमें अपने आप को राष्ट्र के प्रति समर्पित करने के लिए भी प्रेरित करते हैं”।

"मानव अस्तित्व के हजार साल पुराने इतिहास के बारे में", प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि इस दौरान कई सभ्यताएं थीं जो पृथ्वी पर चलीं, उनमें कई ऐसी भी थीं जो अविनाशी लगती थीं, लेकिन यह समय का पहिया ही था जिसने उन्हें अपने घुटनों पर ला दिया। अन्य सभ्यताओं और भारत के बीच अंतर की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया आज ऐसी सभ्यताओं के अवशेषों के आधार पर इतिहास का आकलन करती है, लेकिन भारत इतिहास में अप्रत्याशित प्रतिकूलताओं का सामना और विदेशी आक्रमणकारियों के अकल्पनीय आतंक को झेलते हुए आज भी उसी ऊर्जा और चेतना के साथ अमर है। यह इस कारण से हुआ कि जब भी कोई संकट आया तो उससे निपटने के लिए कोई न कोई विशेष चरित्र अवश्य सामने आया। युगों-युगों से संत और विद्वान भारत की आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए पैदा हुए। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि लचित बोरफुकन जैसे बहादुरों ने दिखाया कि कट्टरता और आतंक की ताकतें नष्ट हो जाती हैं लेकिन भारतीय जीवन का अमर प्रकाश शाश्वत रहता है।

प्रधानमंत्री ने असम के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक यात्रा की अनमोल विरासत से संबंधित है। यह विचार और विचारधारा, समाज और संस्कृति, विश्वासों और परंपराओं का एक मिश्रण है। असम और पूर्वोत्तर की भूमि की बेजोड़ बहादुरी पर टिप्पणी करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस भूमि के लोगों ने कई अवसरों पर तुर्क, अफगान और मुगलों को खदेड़ा है। भले ही मुगलों ने गुवाहाटी पर कब्जा कर लिया था, लेकिन लचित बोरफुकन जैसे बहादुरों ने मुगल साम्राज्य के अत्याचारी शासकों के चंगुल से आजादी हासिल की। सराईघाट में वीर लचित बोरफुकन द्वारा दिखाया गया शौर्य और पराक्रम का न केवल मातृभूमि के लिए अद्वितीय प्रेम का उदाहरण था, बल्कि उनमें पूरे असम क्षेत्र को एकजुट करने की शक्ति भी थी, जहां आवश्यकता पड़ने पर हर नागरिक मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहता था। प्रधानमंत्री ने कहा, "लचित बोरफुकन की वीरता और निडरता असम की पहचान है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि "भारत का इतिहास केवल गुलामी के बारे में नहीं है। भारत का इतिहास विजयी होने के बारे में है, यह अनगिनत महापुरुषों की वीरता के बारे में भी है।" उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास अत्याचार के खिलाफ अभूतपूर्व वीरता और साहस के साथ खड़े होने का है। “दुर्भाग्य से, हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया गया, जो गुलामी के दौरान एक साजिश के रूप में लिखा गया था। आजादी के बाद हमें गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडे को बदलने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।' देश के कोने-कोने में अत्याचार के उग्र प्रतिरोध से संबंधित कहानियों को जानबूझकर दबा दिया गया। “दमन की लंबी अवधि के दौरान अत्याचार पर जीत प्राप्त करने की अनगिनत कहानियां हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन घटनाओं को मुख्यधारा में जगह नहीं देने की गलती को अब सुधारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिल्ली में हो रहा है, जो इस बदलाव का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने अपने नायकों की विरासत का समारोह मनाने का कदम उठाने के लिए असम सरकार की सराहना की। उन्होंने असम में अपने नायकों का सम्मान करने के लिए एक संग्रहालय और एक स्मारक जैसी परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदमों से युवा पीढ़ी को देश के बलिदान और वीरता के इतिहास को जानने में सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, "लचित बोरफुकन का जीवन हमें 'राष्ट्र प्रथम' के मंत्र के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है। उनका जीवन हमें स्वयं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की भी प्रेरणा देता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि भाई-भतीजावाद और वंशवाद के बजाय देश सर्वोच्च होना चाहिए। वीर लचित बोरफुकन के जीवन से सबक लेते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "कोई भी व्यक्ति या संबंध राष्ट्र से ऊपर नहीं है"।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब कोई राष्ट्र अपने वास्तविक अतीत को जानता है, तभी वह अपने अनुभवों से सीख सकता है और अपने भविष्य के लिए सही मार्ग पर चल सकता है। उन्होंने कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी है कि इतिहास की हमारी समझ कुछ दशकों और सदियों तक ही सीमित न रहे।" प्रधानमंत्री ने भारत रत्न भूपेन हजारिका की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बार-बार उन्हें याद करके ही हम आने वाली पीढ़ी के सामने इतिहास की सही तस्वीर प्रस्तुत कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह लचित बोरफुकन पर एक भव्य थियेटर नाटक बनाने और उसे देश के हर कोने में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया। इससे 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के संकल्प को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा,“हमें भारत को विकसित करना है और पूर्वोत्तर को भारत के विकास का केंद्र बनाना है। मुझे विश्वास है कि वीर लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती की भावना हमारे संकल्प को शक्ति प्रदान करेगी और यह राष्ट्र अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा”।

प्रधानमंत्री ने अपने आगमन पर विज्ञान भवन के पश्चिमी प्रांगण में चित्रित की जा रही ग्रामीण असम संरचना का अवलोकन किया और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों पर आधारित प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने दीप प्रज्वलित किया और लचित बोरफुकन के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।

असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा शर्मा, केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, संसद सदस्य, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजन गोगोई, श्री तोपोन कुमार गोगोई और असम सरकार के सदस्य सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस समारोह में उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री का गुमनाम नायकों को उचित तरीके से सम्मानित करने का निरंतर प्रयास रहा है। इसी के अनुरूप देश 2022 को लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के रूप में मना रहा है। समारोह का उद्घाटन इस वर्ष फरवरी में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा गुवाहाटी में किया गया था।

लचित बोरफुकन (24 नवंबर 1622 - 25 अप्रैल 1672) असम के अहोम साम्राज्य की शाही सेना के प्रसिद्ध जनरल थे जिन्होंने मुगलों को हराया और औरंगजेब के अधीन मुगलों की लगातार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का सफलतापूर्वक मार्ग रोक दिया था। लचित बोरफुकन ने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया, और मुगलों की करारी और अपमानजनक हार हुई। लचित बोरफुकन और उनकी सेना की वीरतापूर्ण लड़ाई हमारे देश के इतिहास में प्रतिरोध के सबसे प्रेरक सैन्य कारनामों में से एक है।

 

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने पर महिला हॉकी टीम को बधाई दी
November 21, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने पर भारतीय महिला हॉकी टीम को बधाई दी है।

श्री मोदी ने कहा है कि उनकी जीत से उभरते एथलीटों को प्रेरणा मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया:

"एक अभूतपूर्व उपलब्धि!

महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने पर हमारी हॉकी टीम को बधाई। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनकी सफलता कई उभरते एथलीटों को प्रेरित करेगी।"