आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन (एबीसीडी) और समुन्नति - द स्टूडेंट बिनाले का उद्घाटन किया
कार्यक्रम के 7 विषयों पर आधारित 7 प्रकाशनों का अनावरण किया
स्मारक डाक टिकट जारी किया
"इंडिया आर्ट, आर्किटेक्चर एंड डिज़ाइन बिनाले, देश की विविध विरासत और जीवंत संस्कृति का उत्सव"
“किताबें दुनिया का विस्तृटत परिदृश्यब दिखाती हैं, कला मानव मन की महान यात्रा है"
"कला और संस्कृति मानव मन को अंतरात्मार से जोड़ने और उसकी क्षमता पहचानने के लिए आवश्यक हैं"
"आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन भारत के अद्वितीय और दुर्लभ शिल्प को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा"
"दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में बनाए जाने वाले सांस्कृतिक स्थल इन शहरों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करेंगे"
"भारत में कला, स्वाद और रंग जीवन के पर्याय माने जाते हैं"
"भारत दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण देश है, इसकी विविधता हमें एकजुट करती है"
"कला प्रकृति-समर्थक, पर्यावरण-समर्थक और जलवायु-समर्थक है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लाल किले में आयोजित पहले भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) 2023 का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लाल किले में 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' और छात्र बिनाले-समुन्नति का उद्घाटन किया। उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। श्री मोदी ने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) दिल्ली में सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय के रूप में काम करेगा।

एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्व धरोहर स्थल लाल किले में सभी का स्वागत किया और इसके प्रांगणों के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला, जो भारत की आजादी से पहले और बाद में अनेक पीढ़ियों के गुजर जाने के बावजूद अटूट और अमिट हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र अपने स्वयं की वांछनीय शक्ति से संपन्न होता है जो दुनिया को देश के अतीत और उसकी जड़ों से परिचित कराते हैं। उन्होंने इन शक्तियों के साथ संबंध स्थापित करने में कला, संस्कृति और वास्तुकला की भूमिका पर जोर दिया। राजधानी दिल्ली को भारत की समृद्ध वास्तुकला विरासत की झलक दिखाने वाली शक्ति का खजाना बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) का आयोजन इसे कई मायनों में विशेष बनाता है। उन्होंने प्रदर्शनी में रखे गए कार्यों की सराहना की और कहा कि यह रंग, रचनात्मकता, संस्कृति और सामुदायिक जुड़ाव का मिश्रण है। उन्होंने आईएएडीबीके सफल आयोजन पर संस्कृति मंत्रालय, उसके अधिकारियों, भाग लेने वाले देशों और सभी को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा, “किताबें दुनिया का विस्‍तृत परिदृश्‍य दिखाती हैं, कला मानव मन की महान यात्रा है”।

भारत के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए जब इसकी आर्थिक समृद्धि की चर्चा दुनिया भर में होती थी, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी संस्कृति और विरासत आज भी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करती है। उन्होंने अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ने के विश्वास को दोहराया क्योंकि उन्होंने कला और वास्तुकला के क्षेत्रों से संबंधित किसी भी कार्य में आत्म-गौरव की भावना पैदा होने का उल्लेख किया। श्री मोदी ने केदारनाथ और काशी के सांस्कृतिक केन्द्रों के विकास और महाकाल लोक के पुनर्विकास का उदाहरण दिया और राष्ट्रीय विरासत और संस्कृति की दिशा में आजादी के अमृत काल में नए विस्‍तार करने के सरकार के प्रयासों पर जोर दिया। इस बात पर जोर देते हुए कि आईएएडीबीइस दिशा में एक नया कदम साबित हो रहा है, प्रधानमंत्री ने भारत में आधुनिक प्रणालियों के साथ वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाने के उद्देश्य से मई 2023 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो और अगस्त 2023 में पुस्तकालय महोत्सव के आयोजन पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने वेनिस, साओ पालो, सिंगापुर, सिडनी और शारजाह बिनाले के साथ-साथ दुबई और लंदन कला मेलों जैसी वैश्विक पहलों के साथ-साथ आईएएडीबीजैसी भारतीय सांस्कृतिक पहलों को नाम देने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने ऐसे संगठनों की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि यह कला और संस्कृति ही है जो अत्यधिक प्रौद्योगिकी पर निर्भर समाज के उतार-चढ़ाव के बीच जीवन जीने का एक तरीका विकसित करती है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "मानव मन को अंतरात्‍मा से जोड़ने और उसकी क्षमता को पहचानने के लिए कला और संस्कृति आवश्यक हैं।"

आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन के उद्घाटन के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कारीगरों और डिजाइनरों को एक साथ लाने के साथ-साथ भारत के अद्वितीय और दुर्लभ शिल्प को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा ताकि उन्हें बाजार के अनुसार नवाचार करने में मदद मिल सके। प्रधानमंत्री ने कहा, “कारीगर डिजाइन विकास के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ डिजिटल मार्केटिंग में भी कुशल हो जाएंगे”, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आधुनिक ज्ञान और संसाधनों के साथ, भारतीय शिल्पकार पूरी दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर 5 शहरों अर्थात् दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में सांस्कृतिक स्थलों के निर्माण को एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि यह इन शहरों को सांस्कृतिक रूप से और समृद्ध करेगा। उन्होंने बताया कि ये केन्द्र स्थानीय कला को समृद्ध करने के लिए नवीन विचारों को भी सामने रखेंगे। अगले 7 दिनों के लिए 7 महत्वपूर्ण विषयों के बारे में, प्रधानमंत्री ने सभी से 'देशज भारत डिजाइन: स्वदेशी डिजाइन' और 'समत्व: शेपिंग द बिल्ट' जैसे विषयों को एक मिशन के रूप में आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं के लिए स्वदेशी डिजाइन को अध्ययन और अनुसंधान का हिस्सा बनाने के महत्व पर जोर दिया ताकि इसे और समृद्ध किया जा सके। यह देखते हुए कि समानता विषय वास्तुकला के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी की सराहना करता है, उन्होंने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महिलाओं की कल्पना और रचनात्मकता पर विश्वास व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "भारत में कला, स्वाद और रंग जीवन के पर्याय माने जाते हैं।" उन्होंने पूर्वजों के संदेश को दोहराया कि यह साहित्य, संगीत और कला ही है जो मनुष्य और जानवरों के बीच अंतर करता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "कला, साहित्य और संगीत मानव जीवन में रस घोलते हैं और इसे विशेष बनाते हैं।" चतुष्ठ कला यानी 64 कलाओं से जुड़ी जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं और जिम्मेदारियों पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने विशिष्‍ट कलाओं जैसे 'उदक वाद्यम' या संगीत वाद्ययंत्रों के अंतर्गत पानी की तरंगों पर आधारित वाद्ययंत्र, गीतों के लिए नृत्‍य और गायन की कला सुगंध या इत्र बनाने के लिए 'गंध युक्ति' की कला, मीनाकारी और नक्काशी के लिए 'तक्षकर्म' कला और कढ़ाई और बुनाई में 'सुचिवन करमानी' का उल्लेख किया। उन्होंने भारत में बने प्राचीन कपड़ों की निपुणता और शिल्प की भी चर्चा की और मलमल के कपड़े का उदाहरण दिया जो एक अंगूठी से होकर गुजर सकता है। उन्होंने तलवारों, ढालों और भालों जैसी युद्ध सामग्री पर अद्भुत कलाकृति की सर्वव्यापकता का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने काशी की अविनाशी संस्कृति पर प्रकाश डाला और कहा कि यह शहर साहित्य, संगीत और कला के अमर प्रवाह की भूमि रही है। उन्होंने कहा, "काशी ने अपनी कला में भगवान शिव को स्थापित किया है, जिन्हें आध्यात्मिक रूप से कला का प्रवर्तक माना जाता है।" “कला, शिल्प और संस्कृति मानव सभ्यता के लिए ऊर्जा प्रवाह की तरह हैं और ऊर्जा अमर है, चेतना अविनाशी है। इसलिए काशी भी अविनाशी है।” प्रधानमंत्री ने हाल ही में शुरू किए गए गंगा विलास क्रूज पर प्रकाश डाला जो यात्रियों को काशी से असम तक गंगा के तट पर स्थित कई शहरों और क्षेत्रों का भ्रमण कराता है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “कला का कोई भी रूप हो, वह प्रकृति के निकट पैदा होती है। इसलिए, कला प्रकृति समर्थक, पर्यावरण समर्थक और जलवायु समर्थक है”। दुनिया के देशों में नदी तट की संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने भारत में हजारों वर्षों से नदियों के किनारे घाटों की परंपरा की समानता की ओर ध्‍यान दिलाया। उन्होंने कहा कि भारत के कई त्योहार और उत्सव इन घाटों से जुड़े हुए हैं। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने हमारे देश में कुओं, तालाबों और बावड़ियों की समृद्ध परंपरा पर प्रकाश डाला और गुजरात में रानी की वाव और राजस्थान और दिल्ली में कई अन्य स्थानों का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत की इन बावड़ियों और किलों के डिजाइन और वास्तुकला की सराहना की। उन्होंने कुछ दिन पहले सिंधुदुर्ग किले की अपनी यात्रा को भी याद किया। श्री मोदी ने जैसलमेर में पटुओं की हवेली की चर्चा की, जो प्राकृतिक एयर कंडीशनिंग की तरह काम करने के लिए बनाई गई पांच हवेलियों का एक समूह है। श्री मोदी ने कहा, "यह सभी वास्तुकला न केवल लंबे समय तक चलने वाली थी, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ थी।" उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया को भारत की कला और संस्कृति से बहुत कुछ समझना और सीखना है।

श्री मोदी ने दोहराया, "कला, वास्तुकला और संस्कृति मानव सभ्यता के लिए विविधता और एकता दोनों के स्रोत रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण देश है और विविधता हमें एकजुट होना सिखाती है। तभी फलती-फूलती है जब समाज में विचारों की स्वतंत्रता हो और अपने तरीके से काम करने की स्वतंत्रता हो। “बहस और संवाद की इस परंपरा से विविधता अपने आप पनपती है। हम हर प्रकार की विविधता का स्वागत और समर्थन करते हैं”, प्रधानमंत्री ने दुनिया को यह विविधता दिखाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में जी-20 के आयोजन पर प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने बिना किसी भेदभाव के भारत के विश्वास को दोहराया क्योंकि यहां के लोग स्वयं के बजाय ब्रह्मांड के बारे में बात करते हैं। आज प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, तो हर कोई इसमें अपने लिए बेहतर भविष्य देख सकता है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "भारत की आर्थिक वृद्धि पूरी दुनिया की प्रगति से जुड़ी हुई है और 'आत्मनिर्भर भारत' की उसकी कल्‍पना नए अवसर लाती है।" इसी तरह, उन्होंने कहा कि कला और वास्तुकला के क्षेत्र में भारत का पुनरुद्धार भी देश के सांस्कृतिक उत्थान में योगदान देगा। श्री मोदी ने योग आयुर्वेद की विरासत को भी छुआ और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक स्थायी जीवन शैली के लिए मिशन लाइफ की नई पहल पर प्रकाश डाला।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने सभ्यताओं की समृद्धि के लिए बातचीत और सहयोग के महत्व पर जोर दिया और भाग लेने वाले देशों को उनकी साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि अधिक से अधिक देश एक साथ आएंगे और आईएएडीबीइस दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत साबित होगी।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केन्द्रीय संस्कृति मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी और डायना केलॉग आर्किटेक्ट्स में प्रमुख वास्तुकार, सुश्री डायना केलॉग उपस्थित थीं।

पृष्ठभूमि

यह प्रधानमंत्री की ही कल्‍पना थी कि वेनिस, साओ पालो, सिंगापुर, सिडनी और शारजाह की तरह देश में भी अंतर्राष्ट्रीय बिनाले जैसी एक प्रमुख वैश्विक सांस्कृतिक पहल तैयार कर उसे संस्थागत बनाया जाए। इस कल्‍पना की तर्ज पर, संग्रहालयों में परिवर्तन कर उनमें नयापन लाने, उसमें बदलाव, पुनर्निर्माण और पुन: स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया था। इसके अलावा, भारत के पांच शहरों कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में सांस्कृतिक स्थलों के विकास की भी घोषणा की गई। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) दिल्ली में सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय के रूप में काम करेगा।

आईएएडीबी का आयोजन 9 से 15 दिसम्‍बर 2023 तक लाल किला, नई दिल्ली में किया जा रहा है। यह हाल ही में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो (मई 2023) और लाइब्रेरी फेस्टिवल (अगस्त 2023) जैसी प्रमुख पहलों का भी अनुसरण करता है। आईएएडीबी को सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करने के लिए कलाकारों, वास्तुकारों, डिजाइनरों, फोटोग्राफरों, संग्राहकों, कला पेशेवरों और जनता के बीच समग्र बातचीत शुरू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उभरती अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में कला, वास्तुकला और डिजाइन के रचनाकारों के साथ विस्तार और सहयोग करने के रास्ते और अवसर भी प्रदान करेगा।

आईएएडीबी सप्ताह के प्रत्येक दिन विभिन्न विषय-आधारित प्रदर्शनियाँ प्रदर्शित करेगा:

दिन 1: प्रवेश –राइट ऑफ पैसेज: डोर्स ऑफ इंडिया

दिन 2: बाग ए बहार: गार्डन्‍स एैज़ यूनिवर्स: गार्डन्‍स ऑफ इंडिया

दिन 3: सम्प्रवाह: कन्‍फ्लूएंस ऑफ कम्‍युनीटीज़ :बावलीज ऑफ इंडिया

दिन 4: स्थापत्य: एंटी-फ्रैजाइल एल्गोरिथम: टेम्‍पल्‍स ऑफ इंडिया

दिन 5: विस्मय: क्रिएटिव क्रॉसओवर: आर्किटेक्‍चरल वंडर्स ऑफ इंडीपेंडेंट इंडिया

दिन 6: देशज भारत डिज़ाइन: स्वदेशी डिज़ाइन

दिन 7: समत्व: शेपिंग द बिल्‍ट: सेलिब्रेटिंग वुमेन इन आर्किटेक्‍चर

आईएएडीबी में उपरोक्त विषयों पर आधारित मंडप, पैनल चर्चा, कला कार्यशालाएं, कला बाजार, हेरिटेज वॉक और एक समानांतर छात्र बिनाले शामिल होंगे। ललित कला अकादमी में छात्र बिनाले (समुन्नति) छात्रों को अपना काम प्रदर्शित करने, साथियों और पेशेवरों के साथ बातचीत करने और डिजाइन प्रतियोगिताओं, विरासत के प्रदर्शन, स्थापना डिजाइन, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से वास्तुकला समुदाय के भीतर मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा। आईएएडीबी 23 देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित होने वाला है क्योंकि यह भारत के बिनाले परिदृश्य में प्रवेश करने की सूचना देगा।

प्रधानमंत्री की 'वोकल फॉर लोकल' कल्‍पना के अनुरूप, लाल किले पर 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' स्थापित किया जा रहा है। यह भारत के अद्वितीय और स्वदेशी शिल्प का प्रदर्शन करेगा और कारीगरों और डिजाइनरों के बीच एक सहयोगी स्थान प्रदान करेगा। एक स्थायी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करते हुए, यह कारीगर समुदायों को नए डिजाइन और नवाचारों के साथ सशक्त बनाएगा।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।