प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लाल किले में आयोजित पहले भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) 2023 का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लाल किले में 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' और छात्र बिनाले-समुन्नति का उद्घाटन किया। उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। श्री मोदी ने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) दिल्ली में सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय के रूप में काम करेगा।
एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्व धरोहर स्थल लाल किले में सभी का स्वागत किया और इसके प्रांगणों के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला, जो भारत की आजादी से पहले और बाद में अनेक पीढ़ियों के गुजर जाने के बावजूद अटूट और अमिट हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र अपने स्वयं की वांछनीय शक्ति से संपन्न होता है जो दुनिया को देश के अतीत और उसकी जड़ों से परिचित कराते हैं। उन्होंने इन शक्तियों के साथ संबंध स्थापित करने में कला, संस्कृति और वास्तुकला की भूमिका पर जोर दिया। राजधानी दिल्ली को भारत की समृद्ध वास्तुकला विरासत की झलक दिखाने वाली शक्ति का खजाना बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) का आयोजन इसे कई मायनों में विशेष बनाता है। उन्होंने प्रदर्शनी में रखे गए कार्यों की सराहना की और कहा कि यह रंग, रचनात्मकता, संस्कृति और सामुदायिक जुड़ाव का मिश्रण है। उन्होंने आईएएडीबीके सफल आयोजन पर संस्कृति मंत्रालय, उसके अधिकारियों, भाग लेने वाले देशों और सभी को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा, “किताबें दुनिया का विस्तृत परिदृश्य दिखाती हैं, कला मानव मन की महान यात्रा है”।
भारत के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए जब इसकी आर्थिक समृद्धि की चर्चा दुनिया भर में होती थी, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी संस्कृति और विरासत आज भी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करती है। उन्होंने अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ने के विश्वास को दोहराया क्योंकि उन्होंने कला और वास्तुकला के क्षेत्रों से संबंधित किसी भी कार्य में आत्म-गौरव की भावना पैदा होने का उल्लेख किया। श्री मोदी ने केदारनाथ और काशी के सांस्कृतिक केन्द्रों के विकास और महाकाल लोक के पुनर्विकास का उदाहरण दिया और राष्ट्रीय विरासत और संस्कृति की दिशा में आजादी के अमृत काल में नए विस्तार करने के सरकार के प्रयासों पर जोर दिया। इस बात पर जोर देते हुए कि आईएएडीबीइस दिशा में एक नया कदम साबित हो रहा है, प्रधानमंत्री ने भारत में आधुनिक प्रणालियों के साथ वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाने के उद्देश्य से मई 2023 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो और अगस्त 2023 में पुस्तकालय महोत्सव के आयोजन पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने वेनिस, साओ पालो, सिंगापुर, सिडनी और शारजाह बिनाले के साथ-साथ दुबई और लंदन कला मेलों जैसी वैश्विक पहलों के साथ-साथ आईएएडीबीजैसी भारतीय सांस्कृतिक पहलों को नाम देने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने ऐसे संगठनों की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि यह कला और संस्कृति ही है जो अत्यधिक प्रौद्योगिकी पर निर्भर समाज के उतार-चढ़ाव के बीच जीवन जीने का एक तरीका विकसित करती है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "मानव मन को अंतरात्मा से जोड़ने और उसकी क्षमता को पहचानने के लिए कला और संस्कृति आवश्यक हैं।"
आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन के उद्घाटन के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कारीगरों और डिजाइनरों को एक साथ लाने के साथ-साथ भारत के अद्वितीय और दुर्लभ शिल्प को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा ताकि उन्हें बाजार के अनुसार नवाचार करने में मदद मिल सके। प्रधानमंत्री ने कहा, “कारीगर डिजाइन विकास के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ डिजिटल मार्केटिंग में भी कुशल हो जाएंगे”, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आधुनिक ज्ञान और संसाधनों के साथ, भारतीय शिल्पकार पूरी दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर 5 शहरों अर्थात् दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में सांस्कृतिक स्थलों के निर्माण को एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि यह इन शहरों को सांस्कृतिक रूप से और समृद्ध करेगा। उन्होंने बताया कि ये केन्द्र स्थानीय कला को समृद्ध करने के लिए नवीन विचारों को भी सामने रखेंगे। अगले 7 दिनों के लिए 7 महत्वपूर्ण विषयों के बारे में, प्रधानमंत्री ने सभी से 'देशज भारत डिजाइन: स्वदेशी डिजाइन' और 'समत्व: शेपिंग द बिल्ट' जैसे विषयों को एक मिशन के रूप में आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं के लिए स्वदेशी डिजाइन को अध्ययन और अनुसंधान का हिस्सा बनाने के महत्व पर जोर दिया ताकि इसे और समृद्ध किया जा सके। यह देखते हुए कि समानता विषय वास्तुकला के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी की सराहना करता है, उन्होंने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महिलाओं की कल्पना और रचनात्मकता पर विश्वास व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "भारत में कला, स्वाद और रंग जीवन के पर्याय माने जाते हैं।" उन्होंने पूर्वजों के संदेश को दोहराया कि यह साहित्य, संगीत और कला ही है जो मनुष्य और जानवरों के बीच अंतर करता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "कला, साहित्य और संगीत मानव जीवन में रस घोलते हैं और इसे विशेष बनाते हैं।" चतुष्ठ कला यानी 64 कलाओं से जुड़ी जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं और जिम्मेदारियों पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने विशिष्ट कलाओं जैसे 'उदक वाद्यम' या संगीत वाद्ययंत्रों के अंतर्गत पानी की तरंगों पर आधारित वाद्ययंत्र, गीतों के लिए नृत्य और गायन की कला सुगंध या इत्र बनाने के लिए 'गंध युक्ति' की कला, मीनाकारी और नक्काशी के लिए 'तक्षकर्म' कला और कढ़ाई और बुनाई में 'सुचिवन करमानी' का उल्लेख किया। उन्होंने भारत में बने प्राचीन कपड़ों की निपुणता और शिल्प की भी चर्चा की और मलमल के कपड़े का उदाहरण दिया जो एक अंगूठी से होकर गुजर सकता है। उन्होंने तलवारों, ढालों और भालों जैसी युद्ध सामग्री पर अद्भुत कलाकृति की सर्वव्यापकता का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने काशी की अविनाशी संस्कृति पर प्रकाश डाला और कहा कि यह शहर साहित्य, संगीत और कला के अमर प्रवाह की भूमि रही है। उन्होंने कहा, "काशी ने अपनी कला में भगवान शिव को स्थापित किया है, जिन्हें आध्यात्मिक रूप से कला का प्रवर्तक माना जाता है।" “कला, शिल्प और संस्कृति मानव सभ्यता के लिए ऊर्जा प्रवाह की तरह हैं और ऊर्जा अमर है, चेतना अविनाशी है। इसलिए काशी भी अविनाशी है।” प्रधानमंत्री ने हाल ही में शुरू किए गए गंगा विलास क्रूज पर प्रकाश डाला जो यात्रियों को काशी से असम तक गंगा के तट पर स्थित कई शहरों और क्षेत्रों का भ्रमण कराता है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “कला का कोई भी रूप हो, वह प्रकृति के निकट पैदा होती है। इसलिए, कला प्रकृति समर्थक, पर्यावरण समर्थक और जलवायु समर्थक है”। दुनिया के देशों में नदी तट की संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने भारत में हजारों वर्षों से नदियों के किनारे घाटों की परंपरा की समानता की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि भारत के कई त्योहार और उत्सव इन घाटों से जुड़े हुए हैं। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने हमारे देश में कुओं, तालाबों और बावड़ियों की समृद्ध परंपरा पर प्रकाश डाला और गुजरात में रानी की वाव और राजस्थान और दिल्ली में कई अन्य स्थानों का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत की इन बावड़ियों और किलों के डिजाइन और वास्तुकला की सराहना की। उन्होंने कुछ दिन पहले सिंधुदुर्ग किले की अपनी यात्रा को भी याद किया। श्री मोदी ने जैसलमेर में पटुओं की हवेली की चर्चा की, जो प्राकृतिक एयर कंडीशनिंग की तरह काम करने के लिए बनाई गई पांच हवेलियों का एक समूह है। श्री मोदी ने कहा, "यह सभी वास्तुकला न केवल लंबे समय तक चलने वाली थी, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ थी।" उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया को भारत की कला और संस्कृति से बहुत कुछ समझना और सीखना है।
श्री मोदी ने दोहराया, "कला, वास्तुकला और संस्कृति मानव सभ्यता के लिए विविधता और एकता दोनों के स्रोत रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण देश है और विविधता हमें एकजुट होना सिखाती है। तभी फलती-फूलती है जब समाज में विचारों की स्वतंत्रता हो और अपने तरीके से काम करने की स्वतंत्रता हो। “बहस और संवाद की इस परंपरा से विविधता अपने आप पनपती है। हम हर प्रकार की विविधता का स्वागत और समर्थन करते हैं”, प्रधानमंत्री ने दुनिया को यह विविधता दिखाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में जी-20 के आयोजन पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री ने बिना किसी भेदभाव के भारत के विश्वास को दोहराया क्योंकि यहां के लोग स्वयं के बजाय ब्रह्मांड के बारे में बात करते हैं। आज प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, तो हर कोई इसमें अपने लिए बेहतर भविष्य देख सकता है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "भारत की आर्थिक वृद्धि पूरी दुनिया की प्रगति से जुड़ी हुई है और 'आत्मनिर्भर भारत' की उसकी कल्पना नए अवसर लाती है।" इसी तरह, उन्होंने कहा कि कला और वास्तुकला के क्षेत्र में भारत का पुनरुद्धार भी देश के सांस्कृतिक उत्थान में योगदान देगा। श्री मोदी ने योग आयुर्वेद की विरासत को भी छुआ और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक स्थायी जीवन शैली के लिए मिशन लाइफ की नई पहल पर प्रकाश डाला।
संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने सभ्यताओं की समृद्धि के लिए बातचीत और सहयोग के महत्व पर जोर दिया और भाग लेने वाले देशों को उनकी साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि अधिक से अधिक देश एक साथ आएंगे और आईएएडीबीइस दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत साबित होगी।
इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केन्द्रीय संस्कृति मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी और डायना केलॉग आर्किटेक्ट्स में प्रमुख वास्तुकार, सुश्री डायना केलॉग उपस्थित थीं।
पृष्ठभूमि
यह प्रधानमंत्री की ही कल्पना थी कि वेनिस, साओ पालो, सिंगापुर, सिडनी और शारजाह की तरह देश में भी अंतर्राष्ट्रीय बिनाले जैसी एक प्रमुख वैश्विक सांस्कृतिक पहल तैयार कर उसे संस्थागत बनाया जाए। इस कल्पना की तर्ज पर, संग्रहालयों में परिवर्तन कर उनमें नयापन लाने, उसमें बदलाव, पुनर्निर्माण और पुन: स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया था। इसके अलावा, भारत के पांच शहरों कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में सांस्कृतिक स्थलों के विकास की भी घोषणा की गई। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन बिनाले (आईएएडीबी) दिल्ली में सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय के रूप में काम करेगा।
आईएएडीबी का आयोजन 9 से 15 दिसम्बर 2023 तक लाल किला, नई दिल्ली में किया जा रहा है। यह हाल ही में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो (मई 2023) और लाइब्रेरी फेस्टिवल (अगस्त 2023) जैसी प्रमुख पहलों का भी अनुसरण करता है। आईएएडीबी को सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करने के लिए कलाकारों, वास्तुकारों, डिजाइनरों, फोटोग्राफरों, संग्राहकों, कला पेशेवरों और जनता के बीच समग्र बातचीत शुरू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उभरती अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में कला, वास्तुकला और डिजाइन के रचनाकारों के साथ विस्तार और सहयोग करने के रास्ते और अवसर भी प्रदान करेगा।
आईएएडीबी सप्ताह के प्रत्येक दिन विभिन्न विषय-आधारित प्रदर्शनियाँ प्रदर्शित करेगा:
दिन 1: प्रवेश –राइट ऑफ पैसेज: डोर्स ऑफ इंडिया
दिन 2: बाग ए बहार: गार्डन्स एैज़ यूनिवर्स: गार्डन्स ऑफ इंडिया
दिन 3: सम्प्रवाह: कन्फ्लूएंस ऑफ कम्युनीटीज़ :बावलीज ऑफ इंडिया
दिन 4: स्थापत्य: एंटी-फ्रैजाइल एल्गोरिथम: टेम्पल्स ऑफ इंडिया
दिन 5: विस्मय: क्रिएटिव क्रॉसओवर: आर्किटेक्चरल वंडर्स ऑफ इंडीपेंडेंट इंडिया
दिन 6: देशज भारत डिज़ाइन: स्वदेशी डिज़ाइन
दिन 7: समत्व: शेपिंग द बिल्ट: सेलिब्रेटिंग वुमेन इन आर्किटेक्चर
आईएएडीबी में उपरोक्त विषयों पर आधारित मंडप, पैनल चर्चा, कला कार्यशालाएं, कला बाजार, हेरिटेज वॉक और एक समानांतर छात्र बिनाले शामिल होंगे। ललित कला अकादमी में छात्र बिनाले (समुन्नति) छात्रों को अपना काम प्रदर्शित करने, साथियों और पेशेवरों के साथ बातचीत करने और डिजाइन प्रतियोगिताओं, विरासत के प्रदर्शन, स्थापना डिजाइन, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से वास्तुकला समुदाय के भीतर मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा। आईएएडीबी 23 देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित होने वाला है क्योंकि यह भारत के बिनाले परिदृश्य में प्रवेश करने की सूचना देगा।
प्रधानमंत्री की 'वोकल फॉर लोकल' कल्पना के अनुरूप, लाल किले पर 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' स्थापित किया जा रहा है। यह भारत के अद्वितीय और स्वदेशी शिल्प का प्रदर्शन करेगा और कारीगरों और डिजाइनरों के बीच एक सहयोगी स्थान प्रदान करेगा। एक स्थायी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करते हुए, यह कारीगर समुदायों को नए डिजाइन और नवाचारों के साथ सशक्त बनाएगा।
India's vibrant culture and our ancient heritage attract tourists from all over the world. pic.twitter.com/5H0J5MXMws
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आज art और architecture से जुड़े हर क्षेत्र में आत्मगौरव की भावना से काम हो रहा है। pic.twitter.com/OAr4IQYY5G
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'Aatmanirbhar Bharat Centre for Design' will provide a platform to promote the unique and rare crafts of India. pic.twitter.com/AQrVZv6wEy
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The cultural spaces to be built in Delhi, Kolkata, Mumbai, Ahmedabad and Varanasi will enrich these cities culturally. pic.twitter.com/NSHS4WO0eM
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भारत में कला को, रस और रंगों को जीवन का पर्याय, synonym of life माना गया है: PM @narendramodi pic.twitter.com/gE0ID0D62S
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We are the most diverse nation in the world, but that diversity also binds us together: PM @narendramodi pic.twitter.com/R493bkdRgS
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