प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में बी-20 शिखर सम्मेलन भारत 2023 को संबोधित किया। बी-20 शिखर सम्मेलन भारत विश्व भर के नीति निर्माताओं, व्यापारिक नेताओं और विशेषज्ञों को बी-20 भारत विज्ञप्ति पर विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए एकजुट करता है। बी-20 भारत विज्ञप्ति में जी-20 को प्रस्तुत करने के लिए 54 अनुशंसायें और 172 नीतिगत कार्रवाइयां शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, 23 अगस्त को चंद्रयान मिशन की सफल लैंडिंग के बाद समारोह मनाने के क्षण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत में अभी से त्यौहार का मौसम आ गया है और समाज के साथ-साथ व्यवसाय भी समारोह मनाने के मनःस्थिति में हैं। सफल चंद्र मिशन में इसरो की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने मिशन में उद्योग की भूमिका को भी स्वीकार किया क्योंकि चंद्रयान के कई कंपोनेंट निजी क्षेत्र और एमएसएमई द्वारा प्रदान किए गए थे। उन्होंने कहा, "यह विज्ञान और उद्योग दोनों की सफलता है।”
उन्होंने कहा कि भारत के साथ-साथ पूरा विश्व समारोह मना रहा है और यह उत्सव एक जिम्मेदार अंतरिक्ष कार्यक्रम के संचालन से संबंधित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आयोजन उत्तरदायित्व, त्वरित, नवोन्मेषण, निरंतरता और समानता के बारे में हैं, जो आज के बी-20 की विषयवस्तु हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह मानवता और 'एक पृथ्वी, एक परिवार तथा एक भविष्य' के बारे में है।
बी-20 की विषयवस्तु 'आर.ए.आई.एस.ई' की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही 'आई' नवोन्मेषण का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन वह इनक्लूसिवनेस (समावेशिता) के एक और 'आई' को चित्रित करता है। उन्होंने बताया कि जी-20 में स्थायी सीटों के लिए अफ्रीकी संघ को आमंत्रित करते समय समान दृष्टिकोण लागू किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बी-20 में भी अफ्रीका के आर्थिक विकास की पहचान फोकस क्षेत्र के रूप में की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत का मानना है कि इस मंच के समावेशी दृष्टिकोण का इस समूह पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां लिए गए निर्णयों की सफलताओं का वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से निपटने और सतत विकास का सृजन करने पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।
सदियों में एक बार आने वाली आपदा यानी कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक की चर्चा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि महामारी ने हमें सिखाया कि जिस चीज को हमारे निवेश की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह है 'परस्पर विश्वास'। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी ने जहां आपसी विश्वास की इमारत को ध्वस्त कर दिया, भारत परस्पर भरोसे का झंडा बुलंद करते हुए आत्मविश्वास और विनम्रता के साथ खड़ा रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने 150 से अधिक देशों को दवाएं उपलब्ध कराई हैं और दुनिया की फार्मेसी के रूप में अपनी स्थिति पर खरा उतरा है। इसी तरह करोड़ों लोगों की जान बचाने के लिए वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य उसकी कार्रवाई और उसकी प्रतिक्रिया में दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा, "भारत के लोकतांत्रिक मूल्य भारत के 50 से अधिक शहरों में जी-20 की बैठकों में प्रदर्शित होते हैं।
वैश्विक व्यवसाय समुदाय के लिए भारत के साथ साझेदारी के आकर्षण पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के युवा प्रतिभा पूल और इसकी डिजिटल क्रांति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत के साथ आपकी मित्रता जितनी गहरी होगी, दोनों के लिए उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।
उन्होंने कहा, "व्यवसाय क्षमता को समृद्धि में, बाधाओं को अवसरों में, आकांक्षाओं को उपलब्धियों में बदल सकता है। चाहे वे छोटे हों या बड़े, वैश्विक हों या स्थानीय, व्यवसाय सभी के लिए प्रगति सुनिश्चित कर सकता है। इसलिए, प्रधानमंत्री ने कहा, "वैश्विक विकास का भविष्य व्यापार के भविष्य पर निर्भर करता है"।
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ जीवन में आए परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के अपरिवर्तनीय बदलाव का उल्लेख किया। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता, जो तब अस्तित्वहीन हो गया था जब विश्व को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी पर प्रश्न उठाते हुए, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत उन व्यवधानों का समाधान है जिनसे आज दुनिया निपट रही है। उन्होंने आज विश्व में एक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करने में भारत की स्थिति को रेखांकित किया और वैश्विक व्यवसायों के योगदान पर जोर दिया।
इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कि बी20 जी-20 देशों के व्यवसायों के बीच एक मजबूत मंच के रूप में उभरा है, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैश्विक व्यापार को आगे बढ़ने के लिए कहा क्योंकि स्थिरता, अपने आप में, एक अवसर के साथ-साथ एक व्यवसाय मॉडल भी है। उन्होंने पोषक अनाजों, जो एक सुपरफूड, पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ छोटे किसानों के लिए भी अच्छा है, जो इसे अर्थव्यवस्था और जीवन शैली दोनों के दृष्टिकोण से एक समग्र लाभकारी मॉडल बनाता है, का उदाहरण देते हुए इसकी व्याख्या की। उन्होंने चक्रीय अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा का भी उल्लेख किया। विश्व को साथ लेकर चलने का भारत का दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे कदमों में दिखाई देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के बाद के विश्व में, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को लेकर अतिरिक्त जागरूक हो गया है और इसका प्रभाव दिन-प्रतिदिन के कार्यकलापों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग इस तरह के किसी भी कार्यकलाप के भविष्य के प्रभाव की उम्मीद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विश्वास को बल देते हुए व्यवसायों और समाज को धरती के प्रति समान दृष्टिकोण रखना चाहिए और धरती पर उनके निर्णयों के प्रभाव का विश्लेषण करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती का कल्याण भी हमारी जिम्मेदारी है। मिशन लाइफ की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य धरती के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध लोगों के एक समूह का निर्माण करना है। उन्होंने रेखांकित किया कि आधे मुद्दे तब कम हो जाएंगे जब जीवनशैली और व्यवसाय दोनों धरती के अनुकूल होंगे। उन्होंने जीवन और व्यवसाय को पर्यावरण के अनुसार ढालने पर जोर दिया और भारत द्वारा व्यापार के लिए ग्रीन क्रेडिट की रूपरेखा तैयार करने की जानकारी दी, जो धरती के सकारात्मक कार्यों पर जोर देता है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक व्यापार जगत के सभी विख्यात व्यक्तियों से हाथ मिलाने और इसे एक वैश्विक आंदोलन बनाने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने व्यवसाय के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि ब्रांड और बिक्री से आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'एक व्यवसाय के रूप में हमें ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा जिससे दीर्घ अवधि में हमें लाभ हो। अब, पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा लागू की गई नीतियों के कारण, केवल 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं। ये नए उपभोक्ता हैं। यह नव मध्यम वर्ग भारत के विकास को भी गति दे रहा है। यानी सरकार ने गरीबों के लिए जो काम किए हैं, उसके शुद्ध लाभार्थी हमारे मध्यम वर्ग के साथ-साथ हमारे एमएसएमई भी हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि व्यवसायों को अधिक से अधिक लोगों की क्रय शक्ति में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि स्व-केंद्रित दृष्टिकोण सभी को हानि पहुंचाएगा। महत्वपूर्ण सामग्री और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं में असमान उपलब्धता और सार्वभौमिक आवश्यकता की इसी तरह की चुनौती का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, " जिनके पास वे संसाधन हैं यदि वे उन्हें वैश्विक जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखते हैं तो यह उपनिवेशवाद के एक नए मॉडल को बढ़ावा देगा।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि एक लाभदायक बाजार तभी बना रह सकता है जब उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों में संतुलन हो और यह राष्ट्रों पर भी लागू होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्य देशों को केवल एक बाजार के रूप में मानने से काम नहीं चलेगा, उत्पादक देशों को भी कभी न कभी इसका नुकसान होगा। उन्होंने बल देकर कहा कि आगे बढ़ने का रास्ता इस कार्यक्रम में सभी को समान रूप से भागीदार बनाना है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित उद्योगपतियों से आग्रह किया कि वे व्यवसायों को अधिक उपभोक्ता-केंद्रित बनाने पर विचार करें, जहां ये उपभोक्ता व्यक्ति या देश हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनके हितों का ध्यान रखने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्होंने एक वार्षिक अभियान आरंभ करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने पूछा, 'क्या प्रति वर्ष वैश्विक कंपनियां उपभोक्ताओं और उनके बाजारों की भलाई के लिए संकल्प करने के लिए एकजुट हो सकती हैं।
श्री मोदी ने वैश्विक व्यवसायियों से अपील की कि वे उपभोक्ता के हित के बारे में चर्चा करने के लिए एक दिन निर्धारित करें। उन्होंने पूछा, "जब हम उपभोक्ता अधिकारों के बारे में बात करते हैं, तो क्या हमें उपभोक्ता देखभाल के बारे में भी ध्यान नहीं रखना चाहिए जो स्वचालित रूप से कई उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दों का ध्यान रखेगा? हमें निश्चित रूप से 'अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता देखभाल दिवस' के लिए एक प्रणाली के बारे में सोचना चाहिए। इससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास को सुदढ़ बनाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता केवल एक विशेष भूगोल के भीतर खुदरा उपभोक्ताओं तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ऐसे देश भी हैं जो वैश्विक व्यापार, वैश्विक वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ता हैं।
विश्व के उद्योगपतियों की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए और कहा कि इन प्रश्नों के उत्तर से व्यापार और मानवता का भविष्य तय होगा। श्री मोदी ने कहा कि इनका उत्तर देने के लिए परस्पर सहयोग आवश्यक है। उन्होंने रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा क्षेत्र संकट, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला असंतुलन, जल सुरक्षा, साइबर सुरक्षा आदि जैसे मुद्दों का व्यवसाय पर बड़ा प्रभाव पड़ता है, और उन्होंने इसका मुकाबला करने के प्रयासों को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने उन मुद्दों, जिनके बारे में 10-15 वर्ष पहले कोई विचार भी नहीं सकता था, का भी उल्लेख किया और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी चुनौतियों का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने इस मामले में अधिक समेकित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और एक वैश्विक संरचना का निर्माण करने का सुझाव दिया जहां सभी हितधारकों के मुद्दों का समाधान किया जा सके। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के संबंध में आवश्यक एक समान दृष्टिकोण के बारे में भी बात की। एआई को लेकर हो रही चर्चा और उत्साह को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कौशल निर्माण और पुनर्कौशल के बारे में कुछ नैतिक विचारों और एल्गोरिदम पूर्वाग्रहों तथा समाज पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं पर ध्यान केन्द्रित किया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 'इस तरह के मुद्दों को मिलकर सुलझाना होगा। वैश्विक व्यापारिक समुदायों और सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि नैतिक एआई का विस्तार हो" और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में संभावित बाधाओं से अवगत होने पर बल दिया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवसाय सफलतापूर्वक सीमाओं और सरहदों से परे चले गए हैं, लेकिन अब व्यवसायों को निचले स्तर से आगे ले जाने का समय है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करके इसे संभव बनाया जा सकता है। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि बी-20 शिखर सम्मेलन ने सामूहिक रूपांतरण का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि परस्पर रूप से जुड़ा एक विश्व केवल प्रौद्योगिकी के माध्यम से कनेक्शन के बारे में नहीं है। यह न केवल साझा सामाजिक मंचों के बारे में ही नहीं है, बल्कि एक साझा उद्देश्य, साझी धरती, साझी समृद्धि और एक साझा भविष्य के बारे में भी है।
पृष्ठभूमि
बिजनेस 20 (बी-20) वैश्विक व्यापार समुदाय के साथ आधिकारिक जी 20 संवाद मंच है। 2010 में स्थापित, बी20 जी20 में सबसे प्रमुख सहयोग समूहों में से एक है, जिसमें कंपनियां और व्यावसायिक संगठन प्रतिभागियों के रूप में हैं। बी 20 आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्रवाई योग्य नीतिगत अनुशंसायें देने का काम करता है।
तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन 25 से 27 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। इसकी विषयवस्तु आर.ए.आई.एस.ई – उत्तरदायित्व, त्वरित, नवोन्मेषी, दीर्घकालीन और न्यायसंगत व्यवसाय है । इसमें लगभग 55 देशों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
Our space agency @isro has a big role in the success of Chandrayaan-3 mission.
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023
But at the same time, Indian industry has also contributed a lot in this.
Many components used in Chandrayaan have been provided by our industry, private companies, our MSMEs. pic.twitter.com/oGGl7PscVs
In B-20's theme- RAISE, I represents Innovation.
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023
But along with innovation, I also see another I in it.
And this is I, Inclusiveness: PM @narendramodi pic.twitter.com/u3sn8L2GE9
अविश्वास के माहौल में, जो देश, पूरी संवेदनशीलता के साथ, विनम्रता के साथ, विश्वास का झंडा लेकर आपके सामने खड़ा है - वो है भारत। pic.twitter.com/YKpYaYo4xv
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023
Today India has become the face of digital revolution in the era of Industry 4.0 pic.twitter.com/vevk2W3FX5
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023
India holds an important place in building an efficient and trusted global supply chain. pic.twitter.com/7NyWRYxaeg
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023
Making everyone equal partners in progress is the way forward. pic.twitter.com/x2QF9rzXIK
— PMO India (@PMOIndia) August 27, 2023