सहकारी विपणन, सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल लॉन्च किए गए
"सहयोग का भाव सबके प्रयास का संदेशवाहक"
"किफायती उर्वरक उपलब्ध कराना यह सुनिश्चित करता है कि गारंटी किस प्रकार प्रदान की गई है और किसानों के जीवन को बदलने के लिए बड़े पैमाने पर किन प्रयासों की आवश्यकता है"
“सरकार और सहकार मिलकर विकसित भारत के सपने को दोहरी शक्ति प्रदान करेंगे”
“यह आवश्यक है कि सहकारी क्षेत्र पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का मॉडल बने”
“प्रधानमंत्री ने कहा, 'किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ) छोटे किसानों को सुदृढ़ बनाने जा रहे हैं, ये छोटे किसानों को बाजार में बड़ी ताकत बनाने का माध्यम हैं”
"आज रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती सरकार की एक प्रमुख प्राथमिकता है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित किया। 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का मुख्य विषय 'अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि' है। श्री मोदी ने सहकारी विपणन, सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल लॉन्च किए।

 

उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभी को बधाई दी और कहा कि देश 'विकसित और आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 'सबका प्रयास' की आवश्यकता को दोहराया, जहां सहयोग की भावना सभी के प्रयास का संदेशवाहक बनती है। प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया का अग्रणी दूध उत्पादक देश बनाने में डेयरी सहकारी समिति के योगदान और भारत को दुनिया के शीर्ष चीनी उत्पादक देशों में से एक प्रमुख देश बनाने में सहकारी समितियों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने रेखांकित किया कि देश के कई हिस्सों में सहकारी समितियां छोटे किसानों के लिए एक बड़ी समर्थन प्रणाली बन गई हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि डेयरी क्षेत्र में महिलाओं का योगदान लगभग 60 प्रतिशत है। इसलिए सरकार ने विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने का फैसला किया। इसलिए पहली बार एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया था और सहकारी समितियों के लिए बजट का आवंटन किया गया। इसके परिणामस्वरूप सहकारी समितियों को कॉर्पोरेट क्षेत्र की ही भांति एक मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने के उपायों की भी जानकारी दी और कर की दरों में कमी का उल्लेख किया। उन्होंने सहकारी बैंकों को मजबूत करने के उपायों के बारे में भी जानकारी दी और इनकी नई शाखाएं खोलने और आपके घरों तक सहकारी बैंकिंग सेवाओं (डोरस्टेप बैंकिंग) को पहुंचाने का उदाहरण दिया।

 

इस आयोजन से बड़ी संख्या में जुड़े किसानों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 9 वर्षों में किसानों के कल्याण के लिए किए गए उपायों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अतीत में किसान बिचौलियों के चुंगल में फंसे थे, अब करोड़ों किसानों को सीधे उनके खातों में किसान सम्मान निधि मिल रही है। पिछले 4 वर्षों में पारदर्शी माध्यम से इस योजना के तहत 2.5 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले के 5 वर्षों के कुल कृषि बजट पर विचार करें तो यह राशि 90 हजार करोड़ रुपये से कम थी। इसकी तुलना में 2.5 लाख करोड़ रुपये एक बड़ी राशि है। इसका अर्थ है कि उन पांच वर्षों के कुल कृषि बजट का तीन गुना से अधिक सिर्फ एक योजना पर खर्च किया गया था।

प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के तरीकों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी कि किसानों पर उर्वरकों की बढ़ती वैश्विक कीमतों का बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि “आज एक किसान यूरिया की एक बोरी के लिए लगभग 270 रुपये का भुगतान करता है, जबकि बांग्लादेश में इसी बैग की कीमत 720 रुपये, पाकिस्तान में 800 रुपये, चीन में 2100 रुपये और अमेरिका में 3000 रुपये है।” उन्होंने कहा कि यह प्रमाणित करता है कि किसानों के लिए यह सुविधा गारंटी किस प्रकार प्रदान की गई है और किसानों का जीवन बदलने के लिए बड़े प्रयासों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में सिर्फ उर्वरक सब्सिडी पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं।

किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने की दिशा में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने किसानों की उपज को बढ़ी हुई एमएसपी पर खरीदा और पिछले 9 वर्षों में 15 लाख करोड़ से अधिक की राशि उनकी उपज के बदले में किसानों को दी। श्री मोदी ने कहा कि “सरकार प्रतिवर्ष कृषि और किसानों पर औसतन 6.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही है।” उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि देश के हर किसान को प्रति वर्ष इस प्रकार या किसी अन्य रूप में लगभग 50 हजार रुपये मिलें।

सरकार के किसान कल्याण दृष्टिकोण पर विचार रखते हुए श्री मोदी ने 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के हाल के पैकेज और गन्ना किसानों के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल के उचित और लाभकारी मूल्य के बारे में जानकारी दी। इसका सीधा लाभ 5 लाख गन्ना किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले लोगों को मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल के दौरान गांवों और किसानों के विकास में सहकारी क्षेत्र की भूमिका का विस्तार होने वाला है। उन्होंने जोर देकर कहा, "सरकार और सहकार (सरकार और सहकारी) मिलकर विकसित भारत के सपने को दोहरी शक्ति प्रदान करेंगे।" श्री मोदी ने बताया कि डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाई और लाभार्थियों के लिए लाभ सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा, 'आज निर्धन से निर्धन व्यक्ति यह मानता है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद समाप्त हो गया है। यह महत्वपूर्ण है कि आज हमारे किसान और मवेशी-पालक दैनिक जीवन में इसे महसूस करें। यह जरूरी है कि सहकारी क्षेत्र पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का एक मॉडल बने। इसके लिए सहकारी क्षेत्र में डिजिटल प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।'

प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों और बैंकों से डिजिटल लेन-देन के मामले में अग्रणी रहने का आग्रह करते हुए कहा, "भारत अपने डिजिटल लेन-देन के लिए दुनिया में जाना जाता है।" उन्होंने कहा कि इससे बाजार में पारदर्शिता व दक्षता बढ़ेगी और बेहतर प्रतिस्पर्धा भी संभव होगी।

यह रेखांकित करते हुए कि प्राथमिक स्तर मुख्य सहकारी समितियां और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की पारदर्शिता की मॉडल बनेंगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि 60,000 से अधिक पैक्स का कंप्यूटरीकरण पहले ही हो चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारी समितियों को उनके लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी का पूरा उपयोग करना चाहिए और उल्लेख किया कि सहकारी समितियों द्वारा कोर बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन की स्वीकृति से राष्ट्र को बहुत लाभ होगा।

लगातार बढ़ते रिकॉर्ड निर्यात की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों को भी इस संबंध में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विनिर्माण से संबंधित सहकारी समितियों को विशेष बढ़ावा देने के पीछे यही कारण है। उनका कर बोझ कम किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से अच्छे निर्यात प्रदर्शन के लिए डेयरी क्षेत्र का उल्लेख किया और हमारे गांवों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस संकल्प के एक उदाहरण के रूप में श्री अन्न (मोटा अनाज) के लिए एक नए प्रेरक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका में व्हाइट हाउस में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में श्री अन्न के विषय में प्रमुखता से बात की गयी। उन्होंने सहकारी समितियों का आह्वान किया कि वे भारतीय श्री अन्न को वैश्विक बाजार तक ले जाएं।

प्रधानमंत्री ने गन्ना किसानों की चुनौतियों- विशेष रूप से लाभकारी मूल्य और समय पर भुगतान नहीं मिलने- जैसी चुनौतियों के संबंध में किये गये उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। चीनी मिलों को किसानों का बकाया चुकाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण को प्राथमिकता दी गई और पिछले नौ वर्षों में चीनी मिलों से 70,000 करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च गन्ना कीमतों पर करों को भी समाप्त कर दिया गया। कर संबंधी सुधारों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने पुराने बकाये के निपटान के लिए इस बजट में सहकारी चीनी मिलों को दस हजार करोड़ रुपये की सहायता देने की जानकारी दी। ये सभी प्रयास इस क्षेत्र में स्थायी बदलाव ला रहे हैं और इसे सुदृढ़ बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा गेहूं और चावल तक ही सीमित नहीं है और इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि भारत खाद्य तेल, दालों, मछली आहार और प्रसंस्कृत खाद्य आदि के आयात पर लगभग 2 से 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है। उन्होंने किसानों और सहकारी समितियों से इस दिशा में काम करने और खाद्य तेल के उत्पादन में राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने मिशन मोड में काम किया है और मिशन पाम ऑयल और तिलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में पहल का उदाहरण दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब सहकारी समितियां सरकार के साथ हाथ मिलाएंगी और इस दिशा में काम करेंगी तब राष्ट्र खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है। श्री मोदी ने सुझाव दिया कि सहकारी समितियां किसानों को वृक्षारोपण प्रौद्योगिकी और उपकरणों की खरीद से संबंधित सभी प्रकार की सेवाएं और जानकारी प्रदान कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री ने मत्स्य संपदा योजना की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि यह एक जल निकाय के पास रहने वाले ग्रामीणों और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गया है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र में 25 हजार से अधिक सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं जहां मछली प्रसंस्करण, मछली सुखाने, मछली उपचार, मछली भंडारण, मछली कैनिंग और मछली परिवहन जैसे उद्योगों को सुदृढ़ बनाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 9 वर्षों में अंतर्देशीय मत्स्य पालन भी दोगुना हो गया है और सहकारी क्षेत्र को इस अभियान में योगदान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछली पालन जैसे कई नए क्षेत्रों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की भूमिका का विस्तार हो रहा है और सरकार देश भर में 2 लाख नई बहुउद्देशीय समितियां बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही सहकारी समितियों की शक्ति उन गांवों और पंचायतों तक भी पहुंचेगी जहां यह प्रणाली काम नहीं कर रही है।

पिछले कुछ वर्षों में किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) पर विशेष ध्यान दिये जाने की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 10 हजार नए एफपीओ बनाने पर काम चल रहा है और 5 हजार पहले ही गठित किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा, 'ये एफपीओ छोटे किसानों को बड़ी शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने जा रहे हैं। ये छोटे किसानों को बाजार में बड़ी ताकत बनाने के माध्यम हैं। बीज से लेकर बाजार तक, कैसे छोटा किसान हर व्यवस्था को अपने पक्ष में खड़ा कर सकता है, कैसे बाजार की ताकत को चुनौती दे सकता है- यह उसी का अभियान है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पीएसी के माध्यम से एफपीओ बनाने का भी फैसला किया है, जिससे इस क्षेत्र में असीमित संभावनाओं के द्वार खुलते हैं।

प्रधानमंत्री ने शहद उत्पादन, जैविक खाद्य पदार्थ, सौर पैनल और मृदा परीक्षण जैसे किसानों की आय बढ़ाने के अन्य उपायों का भी उल्लेख किया और सहकारी क्षेत्र से समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने रसायन मुक्त खेती के संदर्भ में हाल ही में पीएम-प्रणाम योजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य रसायन मुक्त खेती का प्रचार करना और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए भी सहकारी समितियों के समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने सहकारी समितियों से आग्रह किया कि वे हर जिले में पांच गांव को गोद लें, ताकि कृषि में रसायनों का उपयोग न हो ।

प्रधानमंत्री ने गोबरधन योजना का उल्लेख किया। यह एक ऐसी योजना है जहां 'कचरे को धन में बदलने' के लिए पूरे देश में कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार ऐसे संयंत्रों का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर रही है जो गोबर और कचरे को बिजली और जैविक उर्वरकों में बदल देते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि कई कंपनियों ने अब तक देश में 50 से अधिक बायोगैस संयंत्र बनाए हैं और सहकारी समितियों से आगे आने और गोबरधन संयंत्रों का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पशुपालकों को लाभ होगा, बल्कि उन पशुओं को भी लाभ होगा जिन्हें सड़कों पर छोड़ दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में किए गए समग्र कार्यों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पशुपालक सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं। खुरपका-मुंहपका रोग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि यह लंबे समय से पशुओं के लिए बहुत परेशानी का कारण रहा है, जबकि पशुपालकों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का भारी नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली बार पूरे देश में निःशुल्क टीकाकरण अभियान शुरू किया है, जहां 24 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि एफएमडी को अभी तक पूर्णतः खत्म नहीं किया जा सका है। उन्होंने सहकारी समितियों से इसके लिए आगे आने का आग्रह किया। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि डेयरी क्षेत्र में पशुपालक अकेले हितधारक नहीं हैं, बल्कि हमारे पशु भी समान हितधारक हैं।

प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों से सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न मिशनों को पूरा करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने अमृत सरोवर, जल संरक्षण, प्रति बूंद अधिक फसल, सूक्ष्म सिंचाई आदि मिशनों में भागीदारी का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने भंडारण के विषय पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भंडारण सुविधाओं की कमी ने बहुत लंबे समय तक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि हम उत्पादित अनाज का 50 प्रतिशत से भी कम भंडारण करने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना लेकर आई है। हमने अगले पांच वर्षों में 700 लाख टन भंडारण क्षमता की योजना तैयार की है, जबकि पिछले कई दशकों में अब तक केवल 1400 लाख टन की भंडारण क्षमता ही उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि कृषि बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है और पिछले 3 वर्षों में उसमें 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा पीएसी से है और उन्होंने कहा कि फार्मगेट बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहकारी समितियों से अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नये भारत में सहकारिता देश के आर्थिक स्रोत का एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी। उन्होंने सहकारी मॉडल का पालन करके आत्मनिर्भर बनने वाले गांवों के निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया। श्री मोदी ने सुझाव दिया कि सहकारिता में सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसे राजनीति के स्थान पर सामाजिक नीति और राष्ट्रीय नीति का वाहक बनना चाहिए।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी एल वर्मा, एशिया प्रशांत के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

'सहकार से समृद्धि' के दृष्टिकोण में प्रधानमंत्री के दृढ़ विश्वास से प्रेरित, सरकार देश में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है। इस प्रयास को बल देने के लिए सरकार द्वारा एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की भागीदारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन 1-2 जुलाई 2023 को सहकारी आंदोलन में विभिन्न प्रवृत्तियों पर चर्चा करने, अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने, सामना की जा रही चुनौतियों को प्रदर्शित करने और भारत के सहकारी आंदोलन के विकास के लिए भविष्य की नीतिगत दिशा तैयार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। 'अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि' के मुख्य विषय पर सात तकनीकी सत्र आयोजित होंगे। इसमें प्राथमिक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के प्रतिनिधियों, मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 3600 से अधिक हितधारक शामिल हो रहे हैं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।