प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के होटल ताज पैलेस में ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2024 को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत ग्लोबल बिजनेस समिट 2024 द्वारा चुने गए 'विघटन, विकास और विविधीकरण' विषय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए की। प्रधानमंत्री ने विश्व में भारत के प्रति बढ़ते विश्वास पर गौर करते हुए कहा, “व्यवधान, विकास और विविधीकरण” की इस चर्चा में हर कोई इस बात पर सहमत है कि ये भारत का समय है।” दावोस में भारत के प्रति अभूतपूर्व उत्साह का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत को अभूतपूर्व आर्थिक सफलता की कहानी कहे जाने, उसके डिजिटल और फिजीकल बुनियादी ढांचे के नई ऊंचाई पर होने और दुनिया के हर क्षेत्र में भारत का दबदबा होने के बारे में हुई चर्चा को याद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भारत की क्षमता की तुलना ‘रेजिंग बुल’ से किए जाने को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के हर विकास विशेषज्ञ समूह में चर्चा है कि कैसे 10 साल में भारत परिवर्तित चुका है, यह भारत के प्रति दुनिया के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। श्री मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन - ' यही समय है, सही समय है' को याद करते हुए कहा, “भारत के सामर्थ्य और सफलता को लेकर दुनिया में ऐसी सकारात्मक भावना पहले कभी नहीं थी।”
इस बात को रेखांकित करते हुए कि किसी भी देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब सभी परिस्थितियां उसके पक्ष में होती हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यही वह समय होता है, जब वो देश अपने आपको, आने वाली कई-कई सदियों के लिए मजबूत बना लेता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, “मैं भारत के लिए आज वही समय देख रहा हूं। यह समयावधि अभूतपूर्व है। एक तरह से, देश का पवित्र चक्र शुरू हो गया है।” उन्होंने लगातार बढ़ती विकास दर और घटते राजकोषीय घाटे, निर्यात बढ़ने और चालू खाता घाटा कम रहने, उत्पादक निवेश में रिकॉर्ड ऊंचाई और महंगाई नियंत्रण में होने, अवसर और आय दोनों के बढ़ने, घटती गरीबी, बढ़ती खपत और कॉर्पोरेट लाभप्रदता तथा बैंक एनपीए में रिकॉर्ड कमी आने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ रहे हैं।
इस वर्ष के अंतरिम बजट को आर्थिक विशेषज्ञों और पत्रकारों द्वारा मिली प्रशंसा और उनके द्वारा इसे 'लोकलुभावन बजट' नहीं करार दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने इस समीक्षा के लिए उन्हें धन्यवाद दिया, लेकिन साथ ही बजट के 'प्रथम सिद्धांतों' या समग्र नीति निर्माण की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। "वे प्रथम सिद्धांत हैं - स्थिरता, सामंजस्य और निरंतरता”। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यह बजट इन्हीं सिद्धांतों का विस्तार है।
कोरोना वायरस महामारी को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसके बाद का पूरा कालखंड भी, पूरे विश्व में सरकारों के लिए एक बड़ी परीक्षा बनकर आया था, जहां किसी को कोई अंदाजा नहीं था कि स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की इस दोहरी चुनौती से निपटा कैसे जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस दौरान भारत ने जान बचाने को प्राथमिकता दी। उन्होंने "जान है तो जहान है” का उल्लेख करते हुए जीवन रक्षक संसाधनों को इकट्ठा करने और लोगों को खतरों के बारे में जागरूक करने के सरकार के प्रयासो पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों के लिए मुफ्त राशन उपलब्ध कराने का फैसला किया, मेड इन इंडिया टीकों पर ध्यान केंद्रित किया और टीकों की त्वरित उपलब्धता भी सुनिश्चित की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजने, रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे उद्योगपतियों को वित्तीय सहायता देने और खेती से संबंधित मुद्दों से निपटने के उपायों का उल्लेख करते हुए कहा, "सरकार ने स्वास्थ्य और आजीविका दोनों मांगों को हल किया।" उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री ने मांग बढ़ाने और बड़े व्यवसायों की मदद के लिए अधिक पैसा छापने की उस समय की विशेषज्ञों की राय को याद करते हुए कहा कि दुनिया की कई सरकारों ने यह रास्ता अपनाया लेकिन इस कदम के परिणामस्वरूप वहां महंगाई का स्तर बढ़ गया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पर भी दबाव बनाने के बहुत प्रयास हुए थे, लेकिन हम जमीनी सच्चाइयों को जानते थे और समझते थे। हमने अनुभव के आधार पर अपने विवेक से कुछ निर्णय किए।” प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की आज की मजबूत अर्थव्यवस्था का श्रेय उन नीतियों को दिया, जिन पर कभी सवाल उठाए गए थे, लेकिन वे सही साबित हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत एक कल्याणकारी देश है। सरकार की प्राथमिकता सामान्य नागरिकों के जीवन को आसान बनाना और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।”उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि एक तरफ नई योजनाएं बनाई गईं, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने सुनिश्चित किया कि योजना का लाभ हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचे। उन्होंने कहा, "हमने सिर्फ वर्तमान पर ही नहीं बल्कि देश के भविष्य पर भी निवेश किया। है।” प्रधानमंत्री ने प्रत्येक बजट में चार मुख्य कारकों पर प्रकाश डाला और- पूंजीगत व्यय के रूप में रिकॉर्ड लाभकारी व्यय, कल्याणकारी योजनाओं पर अभूतपूर्व निवेश, फिजूलखर्ची पर नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इनमें संतुलन बनाए रखा गया और इन चारों विषयों में ही निर्धारित लक्ष्य हासिल किए गए। वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने में “एक पैसा बचाना, एक पैसा कमाना है” के मंत्र को श्रेय देते हुए, प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का उल्लेख किया। विलम्ब के कारण परियोजना की लागत बढ़ने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2008 में शुरू की गई ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना का उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले साल पूरा होने पर परियोजना की लागत 16,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। उन्होंने 1998 में शुरु किए गए असम के बोगीबील ब्रिज का भी उल्लेख किया, जिस परियोजना के 2018 में पूरा होने पर उसकी लागत 1100 करोड़ रुपये से बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये हो गई।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए देश के पैसे बचाने के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने 10 करोड़ फर्जी लाभार्थियों से छुटकारा पाने का उल्लेख किया, जो केवल कागजों पर मौजूद थे, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए धन की लीकेज रोकी गई, जिसकी बदौलत 3.25 लाख करोड़ रुपये की राशि को गलत हाथों में जाने से रोका जा सका। सरकारी सामान की खरीद के लिए जीईएम पोर्टल से 65,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकी और तेल खरीद के विविधीकरण से 25,000 करोड़ रुपये की बचत हुई । उन्होंने कहा, “पिछले साल हमने सिर्फ पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर 24,000 करोड़ रुपये बचाए।” उन्होंने स्वच्छता अभियान का भी उल्लेख किया जहां सरकारी भवनों में पड़े कार्यालय के कबाड़ को बेचकर सरकार ने 1100 करोड़ रुपये कमाए।
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि सरकारी योजनाएं इस तरह बनाई गईं , जिनसे नागरिकों का पैसा बच सके । उन्होंने जल जीवन मिशन का जिक्र किया, जिसकी वजह से गरीबों को पीने का शुद्ध पानी मिलना संभव हुआ। जिससे जलजनित बीमारियों पर होने वाला उनका खर्च कम हुआ है। आयुष्मान भारत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि इसने देश के गरीब के 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं, वहीं प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर 80 फीसदी सस्ती दवाओं से 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
श्री मोदी ने दोहराया कि वह वर्तमान पीढ़ी के साथ ही आने वाली अनेकों पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। इसलिए नीतियों और निर्णयों में वित्तीय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने बिजली का उदाहरण देते हुए एक करोड़ घरों के लिए रूफटॉप सोलर स्कीम का जिक्र किया, जहां लोग बिजली उत्पादित करके अपना बिजली बिल शून्य कर सकते हैं और अतिरिक्त बिजली बेचकर पैसा भी कमा सकते हैं। उन्होंने उजाला योजना के तहत प्रदान किए गए एलईडी बल्बों का भी उल्लेख किया जिससे बिजली बिल में 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सात दशक पहले से हमारे यहां गरीबी हटाओ के नारे दिन-रात दिए जाते रहे हैं। लेकिन वे किसी तरह का प्रभाव डालने में विफल रहे और वातानुकूलित कमरों से सुझाव देने वाले लोग करोड़पति बन गए, जबकि गरीब, गरीब ही बने रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद चौतरफा काम शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए। उन्होंने इसका श्रेय अपनी सरकार की नीतियों को दिया। श्री मोदी ने कहा, “मैं गरीबी से निकलकर यहां पहुंचा हूं इसलिए मुझे पता है कि गरीबी से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हम देश की गरीबी कम करेंगे, अपने देश को विकसित बनाएंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का गवर्नेंस मॉडल दो धाराओं पर एक साथ आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक तरफ 20वीं सदी की चुनौतियों से निपटा जा रहा है, तो दूसरी तरफ, सरकार 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करने में जुटी हुई है । विकास मापदंडों की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने 11 करोड़ शौचालयों के निर्माण और अंतरिक्ष क्षेत्र में नई संभावनाएं बनाने, 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब विकसित करने के साथ-साथ गरीबों को 4 करोड़ घर उपलब्ध कराने, 300 से अधिक मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करने, फ्रेट कॉरिडोर और डिफेंस कॉरिडोर काम करने, वंदे भारत ट्रेनों के साथ-साथ दिल्ली समेत कई शहरों में करीब 10,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने डिजिटल इंडिया और फिनटेक के जरिए करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग क्षेत्र से जोड़ने और कई सुविधाएं तैयार करने का भी जिक्र किया
“कर्स ऑफ इंक्रीमेन्टल थिंकिंग” का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सोच दायरे को बांध देती है और किसी को अपनी गति से आगे बढ़ने नहीं देती। उन्होंने बताया कि जब वर्तमान सरकार सत्ता में आई तो नौकरशाही में भी इसी तरह की सोच में फंसी हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलाव लाने के लिए उन्होंने पिछली सरकारों की तुलना में बहुत बड़े पैमाने पर और अधिक गति से काम करने का फैसला किया। 2014 तक किए गए कार्यों की पिछले 10 वर्षों के कार्यों के साथ तुलना पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण को लगभग 20,000 किमी से बढ़ाकर 40,000 किमी से अधिक करने, चार-लेन के राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण को 18,000 किमी से बढ़ाकर लगभग 30,000 किमी करने, 250 किमी से कम मेट्रो रेल नेटवर्क का 650 किमी से अधिक तक विस्तार करने का उल्लेख किया । प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 तक सात दशकों में भारत में 3.5 करोड़ नल से जल के कनेक्शन थे, जबकि जल जीवन मिशन के तहत 2019 से, महज पिछले 5 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में 10 करोड़ घरों को नल से जल के कनेक्शन मिले।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो वाकई देश को कंगाली की राह पर लेकर जा रही थीं। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि इस संबंध में संसद के बजट सत्र में एक श्वेत पत्र भी प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने घोटालों और नीतिगत पंगुता के कारण दुनिया भर के निवेशकों में भारी निराशा की ओर इशारा किया, जिससे निवेशकों का विश्वास खोने का बड़ा खतरा पैदा हो गया था। उन्होंने रेखांकित किया कि अब जब भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, सरकार ने श्वेत पत्र के रूप में देश के सामने पूरी सच्चाई रखी है।
प्रधानमंत्री ने सभी को आश्वस्त करते हुए कहा, “भारत उन्नति की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है।" देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि वर्तमान सरकार के तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसले होंगे और भारत के विकास को नई गति देते हुए गरीबी मिटाने के लिए नई योजनाओं की तैयारी पहले से ही चल रही है। उन्होंने बताया कि 15 लाख से अधिक लोगों के सुझावों पर विचार किया गया है। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “नया भारत सुपर स्पीड से काम करेगा। ये मोदी की गारंटी है।”
This is India’s Time. pic.twitter.com/m8ROtZf0q2
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
Today, every development expert group in the world is discussing how India has transformed in last 10 years. pic.twitter.com/K5qnfp3fRe
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
The world trusts India today. pic.twitter.com/IrvoJfP0v4
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
किसी भी देश की Development Journey में एक समय ऐसा आता है, जब सारी परिस्थितियां उसके favour में होती हैं।
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
ये वो समय होता है जब वो देश अपने आपको, आने वाली कई-कई सदियों के लिए मजबूत बना लेता है।
मैं भारत के लिए आज वही समय देख रहा हूं: PM @narendramodi pic.twitter.com/AK3UqxuMBk
Stability, consistency and continuity... pic.twitter.com/L1R0J4lCRA
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
We ensured that the government itself reaches every eligible beneficiary. pic.twitter.com/Uli9scOj5t
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
Four main factors in each of our budgets... pic.twitter.com/5lkV2x2XCS
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
Completing projects in a time-bound manner has become the identity of our government. pic.twitter.com/fM179inN9I
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
On one hand we are addressing the challenges of the 20th century and on the other hand, we are also fulfilling the aspirations of the 21st century. pic.twitter.com/8d22YiVHyr
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो वाकई देश को कंगाली की राह पर ले जा रही थीं।
— PMO India (@PMOIndia) February 9, 2024
इस बारे में संसद के इसी सेशन में एक White Paper भी रखा गया है: PM pic.twitter.com/lFBSKhbmSk