राज्यसभा के सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन करने का आग्रह किया
"नई संसद सिर्फ एक नया भवन ही नहीं बल्कि एक नये शुभारंभ का प्रतीक भी है"
“राज्यसभा की चर्चाएं हमेशा कई महान लोगों के योगदान से समृद्ध होती रही हैं। यह प्रतिष्ठित सदन भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा का समावेश करेगा”
"सहकारी संघवाद ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी शक्ति प्रदर्शित की है"
"जब हम नए संसद भवन में आजादी की शताब्दी मनाएंगे, तो यह विकसित भारत की स्वर्ण शताब्दी होगी"
“महिलाओं की क्षमता को अवसर मिलना चाहिए, उनके जीवन में 'किंतु-परंतु' का समय समाप्त हो गया है''
"जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं तो उस सहजता पर पहला हक़ महिलाओं का होता है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नये संसद भवन में राज्यसभा को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज ऐतिहासिक और यादगार अवसर है। उन्होंने लोकसभा में अपने संबोधन को याद किया और इस विशेष अवसर पर राज्यसभा को संबोधित करने का अवसर देने के लिए सभापति के प्रति आभार व्यक्त किया।

यह देखते हुए कि राज्यसभा को संसद का उच्च सदन माना जाता है, प्रधानमंत्री ने संविधान के निर्माताओं के अभिप्राय को रेखांकित किया कि सदन राष्ट्र को एक दिशा देते हुए राजनीतिक चर्चा के उतार-चढ़ाव से ऊपर उठकर गंभीर बौद्धिक चर्चा का केंद्र बने। प्रधानमंत्री ने कहा, "यह देश की स्वाभाविक अपेक्षा है।" उन्होंने कहा कि राष्ट्र के लिए इस तरह के योगदान से कार्यवाही का मूल्य बढ़ता है।

प्रधानमंत्री ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए कहा कि संसद सिर्फ एक विधायी निकाय नहीं बल्कि एक विचार-विमर्श करने वाली संस्था है। श्री मोदी ने कहा कि राज्यसभा में गुणवत्तापूर्ण बहस सुनना हमेशा सुखद होता है। उन्होंने कहा, नई संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा, अमृत काल की सुबह में यह नई इमारत 140 करोड़ भारतीयों में एक नई ऊर्जा का समावेश करेगी।

प्रधानमंत्री ने निर्धारित समय सीमा में लक्ष्य हासिल करने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि देश अब प्रतीक्षा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नई सोच और शैली के साथ आगे बढ़ने का समय आ गया है और इसके लिए कार्य के दायरे और विचार प्रक्रिया का विस्तार करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसदीय शुचिता के संबंध में सदन पूरे देश के विधायी निकायों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है।

पिछले 9 वर्षों में लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया जो दशकों से लंबित थे और जिन्हें महत्वपूर्ण माना जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, "ऐसे मुद्दों को छूना राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ी गलती मानी जाती थी", उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने इस दिशा में बड़े कदम उठाए हैं, भले ही उनके पास राज्यसभा में आवश्यक संख्या नहीं थी। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि देश की भलाई के लिए मुद्दों को उठाया गया और उनका समाधान किया गया। उन्होंने इसके लिए सदस्यों की परिपक्वता और बुद्धिमत्ता को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, "राज्यसभा की गरिमा सदन में संख्याबल के कारण नहीं बल्कि निपुणता और समझ के कारण बरकरार रखी गई।" प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए सदन के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यवस्थाओं में बदलाव के बावजूद राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च रखने का प्रयास किया गया है।

राज्यों के सदन के रूप में राज्यसभा की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी संघवाद पर जोर देने के समय में, देश कई महत्वपूर्ण मामलों पर महान सहयोग के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने केंद्र-राज्य सहयोग का उदाहरण बताते हुए कोरोना महामारी का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि न केवल संकट के समय बल्कि उत्सव के समय में भी भारत ने विश्व को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि इस महान राष्ट्र की विविधता को 60 से अधिक शहरों में जी-20 कार्यक्रमों और दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदर्शित किया गया था। उन्होंने कहा, यह सहकारी संघवाद की शक्ति है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नया भवन संघवाद की भावना का भी प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि राज्यों की कलाकृतियों को नई इमारत की योजना में प्रमुखता से स्थान मिला है।

दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि जिन प्रगति को पूरा करने में 50 वर्षों से अधिक समय लगा, उन्हें अब कुछ ही हफ्तों में देखा जा सकता है। उन्होंने बढ़ती तकनीकी प्रगति के अनुरूप खुद को गतिशील तरीके से ढालने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान सदन में हमने आजादी के 75 साल का उत्सव मनाया। 2047 में जब नए भवन में आजादी की सदी मनाई जाएगी तो यह उत्सव विकसित भारत में होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पुराने संसद भवन में हम विश्व की अर्थव्यवस्था के मामले में 5वें स्थान पर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि नई संसद में हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे।" उन्होंने कहा, "जहां हमने गरीबों के कल्याण के लिए कई उपाय किए, वहीं नई संसद में हम उन योजनाओं की कवरेज की परिपूर्णता हासिल करेंगे।"

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के साथ-साथ नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि यह सदन अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है। उन्होंने सदस्यों से सदन में उपलब्ध नई तकनीक से अभ्यस्त होने में एक-दूसरे की सहायता करने का भी आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, इस डिजिटल युग में, हमें प्रौद्योगिकी को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। मेक इन इंडिया का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश नई ऊर्जा और उत्साह के साथ इस पहल का भरपूर लाभ उठा रहा है।

लोकसभा में पेश नारीशक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं तो उस सहजता पर पहला हक महिलाओं का है। उन्होंने कहा कि कई सेक्टरों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “महिलाओं की क्षमता को अवसर मिलना चाहिए। उनके जीवन में 'किंतु-परंतु' का समय समाप्त हो गया है।”

उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम जन-जन का कार्यक्रम बन गया है। उन्होंने जनधन और मुद्रा योजना में महिलाओं की भागीदारी का भी उल्लेख किया। तीन तलाक को खत्म किए जाने और महिला सुरक्षा के लिए मजबूत कानून का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास जी20 में चर्चा का सबसे बड़ा विषय था।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा दशकों से लंबित रहा है और सभी ने अपनी क्षमता से इसमें योगदान दिया है। यह इंगित करते हुए कि विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था और अटल जी के कार्यकाल के दौरान इस पर कई विचार-विमर्श और चर्चाएं हुईं, लेकिन संख्या की कमी के कारण विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी, प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विधेयक अंततः कानून बन जाएगा और नए भवन की नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में 'नारी शक्ति' सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आज लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संविधान संशोधन विधेयक के रूप में प्रस्तुत करने के सरकार के निर्णय की जानकारी दी, जिस पर कल बहस होगी। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के सदस्यों से सर्वसम्मति से विधेयक का समर्थन करने, ताकि इसकी शक्ति और पहुंच पूरी तरह से बढ़ सके, का आग्रह करते हुए संबोधन का समापन किया।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.