Quoteपहली कार्यवाही में, प्रधानमंत्री ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम प्रस्तुत किया
Quote"अमृत काल की भोर में, भारत नए संसद भवन की ओर अग्रसर होकर भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है"
Quote"यह संकल्पों को पूरा करने और नए उत्साह तथा ऊर्जा के साथ नई यात्रा आरंभ करने का समय है"
Quote"सेंगोल हमें हमारे अतीत के एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्से से जोड़ता है"
Quote“नए संसद भवन की भव्यता आधुनिक भारत का गौरव बढ़ाती है; इसमें हमारे इंजीनियरों और श्रमिकों का पसीना लगा है”
Quote"नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और सुदृढ़ बनाएगा"
Quote"भवन बदल गया है, भाव भी बदलने चाहिए"
Quote"हम सभी को संसदीय परंपराओं की लक्ष्मण रेखा का अनुसरण करना चाहिए"
Quote“केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था; 19 सितम्बर 2023 का यह ऐतिहासिक दिन भारत के इतिहास में अमर रहने वाला है”
Quote“महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, हमारी सरकार आज एक प्रमुख संवैधानिक संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर रही है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है''
Quote"मैं देश की सभी माताओं, बहनों और बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज संसद के नये भवन में लोकसभा को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आज नए संसद भवन में ऐतिहासिक प्रथम सत्र है। इस अवसर पर उन्होंने शुभकामनाएं दीं। उन्होंने नई संसद के पहले दिन विशेष सत्र में सदन को संबोधित करने का अवसर प्रदान करने के लिए अध्यक्ष के प्रति आभार व्यक्त किया और सदन के सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि यह अमृत काल की सुबह है क्योंकि भारत नई संसद भवन की ओर अग्रसर होकर भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने विज्ञान क्षेत्र में चंद्रयान 3 की सफलताओं और जी-20 के आयोजन तथा वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए एक अनूठा अवसर उपस्थित हुआ है और इसी आलोक में देश का नया संसद भवन आज कार्यशील हो रहा है। गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान गणेश समृद्धि, शुभता, तर्क और ज्ञान के देवता हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "यह संकल्पों को पूरा करने और नए उत्साह तथा ऊर्जा के साथ नई यात्रा शुरू करने का समय है।" प्रधानमंत्री ने गणेश चतुर्थी और नई शुरुआत के अवसर पर लोकमान्य तिलक का स्मरण करते हुए कहा कि लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गणेश चतुर्थी को पूरे देश में स्वराज की अलख जलाने का माध्यम बना दिया था। श्री मोदी ने कहा, आज हम उसी प्रेरणा से आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि आज क्षमा का त्योहार संवत्सरी पर्व भी है। प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि यह त्योहार किसी भी जानबूझकर और अनजाने कृत्यों के लिए क्षमा मांगने के बारे में है जिसके कारण किसी को ठेस पहुंची हो। प्रधानमंत्री ने भी त्योहार की भावना से सभी को मिच्छामि दुक्कडं कहा और अतीत की सभी कड़वाहटों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने पुराने और नए के बीच एक कड़ी और स्वतंत्रता की पहली रोशनी के साक्षी के रूप में पवित्र सेनगोल की उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस पवित्र सेनगोल को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्पर्श किया था। श्री मोदी ने कहा कि इसलिए, सेनगोल हमें हमारे अतीत के एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्से से जोड़ता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नये भवन की भव्यता अमृत काल का अभिषेक करती है और उन्होंने उन श्रमिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत को याद किया जो महामारी के दौरान भी भवन के लिए काम करते रहे। प्रधानमंत्री सहित पूरे सदन में इन श्रमिकों और इंजीनियरों के लिए तालियां बजाईं। उन्होंने बताया कि 30 हजार से अधिक श्रमिकों ने निर्माण में योगदान दिया और श्रमिकों का पूरा विवरण देने वाली एक डिजिटल पुस्तक की उपस्थिति का उल्लेख किया।

हमारे कार्यों पर अनुभूतियों और भावनाओं के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारी भावनाएं हमारे आचरण में हमारा मार्गदर्शन करेंगी। उन्होंने कहा, ''भवन बदल गया है, भाव भी बदलना चाहिए।''

प्रधानमंत्री ने कहा, "देश की सेवा करने के लिए संसद सर्वोच्च पद है।" उन्होंने रेखांकित किया कि सदन किसी राजनीतिक दल के लाभ के लिए नहीं है, बल्कि केवल राष्ट्र के विकास के लिए है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदस्यों के रूप में, हमें अपने शब्दों, विचारों और कार्यों से संविधान की भावना को बनाए रखना चाहिए। श्री मोदी ने अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि प्रत्येक सदस्य सदन की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा और उनके मार्गदर्शन में काम करेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि सदन में सदस्यों का व्यवहार उन कारकों में से एक होगा जो यह निर्धारित करेगा कि वे सत्ता पक्ष का हिस्सा होंगे या विपक्ष का क्योंकि सभी कार्यवाही जनता की दृष्टि के समक्ष हो रही है।

सामान्य कल्याण के लिए सामूहिक संवाद और कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने लक्ष्यों की एकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, ''हम सभी को संसदीय परंपराओं की लक्ष्मण रेखा का पालन करना चाहिए।''

समाज के प्रभावी परिवर्तन में राजनीति की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष से लेकर खेल तक के क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं के योगदान पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने स्मरण किया कि किस प्रकार विश्व ने जी-20 के दौरान महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की अवधारणा को अपनाया था। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार के कदम सार्थक रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनधन योजना के 50 करोड़ लाभार्थियों में से अधिकतर खाते महिलाओं के हैं। उन्होंने मुद्रा योजना, पीएम आवास योजना जैसी स्कीमों में महिलाओं के लिए लाभ का भी उल्लेख किया।

यह देखते हुए कि किसी भी राष्ट्र की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब इतिहास रचा जाता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर भारत की विकास यात्रा में वह क्षण है जब इतिहास रचा जा रहा है। महिला आरक्षण पर संसद में हुई चर्चा और विचार-विमर्श पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इस मुद्दे पर पहला विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसे कई बार सदन में पेश किया गया था लेकिन सरकार, महिलाओं के सपनों को वास्तविकता में परिणत करने के लिए अपेक्षित संख्या में समर्थन नहीं जुटा सकी। श्री मोदी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि भगवान ने मुझे इस काम को पूरा करने के लिए चुना है", उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया, "19 सितंबर 2023 का यह ऐतिहासिक दिन भारत के इतिहास में अमर रहेगा।" हर सेक्टर में महिलाओं के बढ़ते योगदान को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने नीति-निर्माण में अधिक महिलाओं को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि राष्ट्र में उनका योगदान और बढ़ सके। उन्होंने सदस्यों से इस ऐतिहासिक दिन पर महिलाओं के लिए अवसरों के द्वार खोलने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने समापन करते हुए कहा, “महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, हमारी सरकार आज एक प्रमुख संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है। नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और सुदृढ़ करेगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारीशक्ति वंदन अधिनियम के लिए बधाई देता हूं। मैं देश की सभी माताओं, बहनों और बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं इस सदन में सभी साथियों से अनुरोध भी करता हूं और अपील भी करता हूं कि एक शुभ मांगलिक शुरुआत हो रही है, अगर सर्वसम्मति से ये विधेयक कानून बन जाता है तो इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी। इसलिए, मैं दोनों सदनों से अनुरोध करता हूं कि विधेयक को पूर्ण सर्वसम्मति से पारित किया जाए।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

  • Ravi Shankar September 23, 2023

    नरेंद्र मोदी जी जिंदाबाद
  • Aakash Kumar September 23, 2023

    #मोदी_है_तो_मुमकिन_है 🚩जयतु हिन्दुराष्ट्रम्🚩 🚩जय श्री राम🚩🙏
  • Mahendra singh Solanky Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp September 22, 2023

    नवभारत में नारी शक्ति तेरा वंदन!
  • Rajshekhar Hitti September 22, 2023

    Jai Bharat mata
  • CHANDRA KUMAR September 22, 2023

    बीजेपी सोच रहा होगा, सिक्ख "खालिस्तान" मांगता है, कश्मीरी "आजाद काश्मीर" मांगता है, नगा जनजाति "नागालैंड" मांगता है, दक्षिणी भारतीय राज्य "द्रविड़ लैंड" मांगता है। यह सब क्या हो रहा है। भारत के राज्य स्वतंत्रता क्यों मांग रहा है? किससे स्वतंत्रता मांग रहा है? शिवसेना के संजय राऊत ने कहा कि जिस तरह से यूरोपीय संघ में बहुत सारे देश हैं, उसी तरह से भारत भी एक संघ है जिसमें बहुत सारे राज्य है, यहां सिर्फ वीजा नहीं लग रहा है, लेकिन बात बराबर है। ममता बनर्जी चिल्लाते रहती है, बीजेपी संघीय ढांचे को तोड़ रहा है, हम इसे बर्दास्त नहीं करेंगे, सीबीआई को पश्चिम बंगाल नहीं आने देंगे। बीजेपी सोचती है की धारा 370 हटाकर हमने कश्मीर को भारत से जोड़ दिया। यह एक गलतफहमी है। मेरा प्रश्न है, क्या भारत जुड़ा हुआ है? पहले जानते हैं, राज्य किसे कहते हैं, संघ किसे कहते हैं, प्रांत किसे कहते हैं, देश किसे कहते हैं? 1. संघ : दो या दो से अधिक पृथक एवं स्वतंत्र इकाइयों से एकल राजनीतिक इकाई का गठन। 2. राज्य : राज्य शब्द का अर्थ एक निश्चित क्षेत्र के भीतर एक स्वतंत्र सरकार के तहत राजनीतिक रूप से संगठित समुदाय या समाज है। इसे ही कानून बनाने का विशेषाधिकार है। कानून बनाने की शक्ति संप्रभुता से प्राप्त होती है, जो राज्य की सबसे विशिष्ट विशेषता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।" 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने एक संकल्प के माध्यम से संविधान सभा के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पेश किया था कि भारत, "स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य" में शामिल होने के इच्छुक क्षेत्रों का एक संघ होगा। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने,एक मज़बूत संयुक्त देश बनाने के लिये विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों के एकीकरण और संधि पर जोर दिया गया था। संविधान सभा के सदस्य संविधान में 'केंद्र' या 'केंद्र सरकार' शब्द का प्रयोग न करने के लिये बहुत सतर्क थे क्योंकि उनका उद्देश्य एक इकाई में शक्तियों के केंद्रीकरण की प्रवृत्ति को दूर रखना था। अर्थात् एक इकाई अपने स्वतंत्र क्षेत्र में दूसरी इकाई के अधीन नहीं है और एक का अधिकार दूसरे के साथ समन्वित है। हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने अपने आधिकारिक पत्राचार या संचार में 'केंद्र सरकार' (Central Government) शब्द के उपयोग को बंद करने एवं इसके स्थान पर 'संघ सरकार' (Union Government) शब्द का उपयोग करने का फैसला किया है। 3. प्रांत : प्रान्त एक प्रादेशिक इकाई है, जो कि लगभग हमेशा ही एक देश या राज्य के अन्तर्गत एक प्रशासकीय खण्ड होता है। 4. देश : एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। अर्थात् देश एक भौगोलिक क्षेत्र है, जबकि राज्य एक राजनीतिक क्षेत्र है। निष्कर्ष : 1. वर्तमान समय में भारत एक संघ (ग्रुप) है। इस संघ में कोई भी राज्य शामिल हो सकता है और कोई भी राज्य अलग हो सकता है। क्योंकि संप्रभुता राज्य में होती है, संघ में नहीं। संघ राज्यों को सम्मिलित करके रखने का एक प्रयास मात्र है। जिस तरह यूरोपीय संघ से ब्रिटेन बाहर निकल गया, उसी तरह से भारतीय संघ से पाकिस्तान बाहर निकल गया। 2. यदि भारत को "संघ" के जगह पर "राज्य" बना दिया जाए, और भारत के सभी राज्य को प्रांत घोषित कर दिया जाए। तब भारत एक केंद्रीयकृत सत्ता में परिवर्तित हो जायेगा। जिससे सभी प्रांत स्वाभाविक रूप से, भारतीय सत्ता का एक शासकीय अंग बन जायेगा, और प्रांतों की संप्रभुता भारत राज्य में केंद्रित हो जायेगा। फिर कोई भी प्रांत भारत राज्य से अलग नहीं हो सकेगा। प्रांतों की सभी प्रकार की राजनीतिक स्वायत्तता स्वतः समाप्त हो जायेगा। फिर भारत का विभाजन बंद हो जायेगा। 3. जब भारत स्वतंत्र हो रहा था, तब इसमें कई राजाओं को मनाकर शामिल करने की जरूरत थी, सभी राजाओं ने कई तरह की स्वायत्तता और प्रेवीपर्स मनी लेने के बाद भारतीय संघ का सदस्य बनना स्वीकार किया। अब भारत का लोकतंत्र काफी विकसित हो गया है, राजाओं का प्रेवीपर्स मनी खत्म कर दिया गया है। ऐसे में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों और क्षेत्रीय विभाजनकारी संगठनों के भारत विभाजन के लालसा को खत्म करने के लिए, अब भारत को एक संघ की जगह, एक राज्य घोषित कर दिया जाए। और भारत के राज्यों को प्रांत घोषित कर दिया जाए। राज्यसभा को प्रांतसभा घोषित कर दिया जाए। राज्य के मुख्यमंत्री को प्रांतमंत्री घोषित कर दिया जाए। इससे क्षेत्रीय विभाजनकारी तत्वों को हतोत्साहित किया जा सकेगा। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के दबंग आचरण को नियंत्रित किया जा सकेगा। जब संप्रभुता केंद्र सरकार में केंद्रित होगा , तभी खालिस्तान, नागालैंड , आजाद काश्मीर जैसी मांगें बंद होंगी। और तभी तमिलनाडु जैसे राज्य , खुद को द्रविड़ देश समझना बंद करेगा और केंद्र सरकार को संघ सरकार कहने का साहस नहीं कर पायेगा। और तभी ममता बनर्जी जैसी अधिनायकवादी राजनीतिज्ञ, केंद्रीय जांच एजेंसी को अपने प्रांत में प्रवेश करने से रोक नहीं पायेगा। 4. कानून बनाने का अधिकार तब केवल भारत राज्य को होगा। कोई भी प्रांत, जैसे बंगाल प्रांत, बिहार प्रांत, कानून नहीं बना सकेगा। क्योंकि प्रांत कोई संप्रभु ईकाई नहीं है। प्रांत भारत राज्य से कानून बनाने का आग्रह कर सकता है, सलाह दे सकता है। भारत राज्य का कानून ही अंतिम और सर्वमान्य होगा। केवल लोकसभा में ही बहुमत से कानून बनाया जायेगा। 5. राज्यसभा का अर्थ होता है, संप्रभुता प्राप्त राज्यों का सभा। इसीलिए राज्य सभा का नाम बदल कर प्रांत सभा कर दिया जाए। लोकसभा को उच्च सदन और प्रांत सभा को निम्न सदन घोषित किया जाए। प्रांत सभा केवल कानून बनाने का प्रस्ताव बनाकर लोकसभा को भेज सकता है। प्रांत सभा किसी कानून के बनते समय केवल सुझाव दे सकता है। प्रांत सभा को किसी भी स्थिति में मतदान द्वारा कानून बनाने में भागीदारी करने का अधिकार नहीं दिया जाए। तभी जाकर केंद्र सरकार वास्तव में प्रभुत्व संपन्न बनेगा। तभी जाकर केंद्र सरकार संप्रभुता को प्राप्त करेगा। तभी जाकर राष्ट्र के विभाजन कारी तत्व की मंशा खत्म होगी। तभी जाकर भारत एक शक्तिशाली राज्य बनकर उभरेगा। 6. अभी भारत का कोई भी राज्य, कोई भी कानून बना सकता है। अभी राज्यसभा किसी भी कानून को पारित होने से रोक सकता है। अभी राज्य सभा उच्च सदन बनकर बैठा है। सोचिए राज्यों ने कितना संप्रभुता हासिल करके रखा है। वह केंद्र सरकार से आजाद होने का सपना देखे, तब इसमें आश्चर्य की क्या बात है। केंद्र सरकार का लोकसभा निम्न सदन बनकर, यह चाहत रखता है की सभी राज्य उसकी बात माने। यह कैसे संभव है। लोकसभा के कानून को राज्यसभा निरस्त करके खुशी मनाता है। कांग्रेस पार्टी कहती है, लोकसभा में बीजेपी बहुमत में है, सभी विपक्षी पार्टी राज्यसभा में बीजेपी के खिलाफ काम करेंगे। और बीजेपी के बनाए कानून को रोक राज्यसभा में रोक देंगे। ऐसे में केंद्र सरकार के पास संप्रभुता कहां है। दरअसल जिस तरह यूरोपीय संघ से ज्यादा यूरोप के राज्यों के पास संप्रभुता है। उसी तरह भारत संघ से ज्यादा भारत के राज्यो के पास संप्रभुता ज्यादा है। 7. अतः भारत को संघ की जगह राज्य बना और राज्यों को प्रांत बना दीजिए। 8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन करना चाहिए। वर्तमान में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।" इसे संशोधित करते हुए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा जाए, " जम्बूद्वीप, जो की भारत है, प्रांतों का एक राज्य होगा।" 9. दूसरा संशोधन यह करना चाहिए की, "भारतीय संविधान में जहां - जहां पर राज्य शब्द का प्रयोग हुआ है, उन्हें संशोधन के उपरांत प्रांत समझा जाए। क्योंकि भारत संघ की जगह राज्य का स्थान ले चुका है। 10. भारत राजनीतिक रूप से राज्य है और भौगोलिक रूप से देश है। भारत राज्य में से किसी भी प्रांत को स्वतंत्र होकर राज्य बनाने की स्वीकार्यता नहीं दी जायेगी। अर्थात अब कोई खालिस्तान , कोई नागालैंड, कोई आजाद काश्मीर या कोई द्रविड़ प्रदेश बनाने की मांग नहीं कर सकेगा। भारत सरकार वास्तव में तभी एक संप्रभु राज्य, संप्रभु शासक होगा। अभी भारत सरकार, एक तरह से, बहुत सारे संप्रभु राज्यों के समूह का संघ बनाकर शासन चला रहा है। जिस संघ (Group) से सभी राज्य अलग होने की धमकी देते रहता है। यदि भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाना है तो भारत में एक शक्तिशाली केंद्र सरकार होना चाहिए। न की एक कमजोर संघीय सरकार। अब संविधान के संघीय ढांचे का विदाई कर देना चाहिए और उपरोक्त दोनों संविधान संशोधन शीघ्र ही कर देना चाहिए।
  • HARGOVIND JOSHI September 20, 2023

    आपश्री का भाषण पूरा सुना हमने दिल और आत्मा प्रसन्न हो गये।
  • HARGOVIND JOSHI September 20, 2023

    भारत की नयी संसद भवन का लोकार्पण करने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी एवं हमारी भारत सरकार को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
  • Arun Potdar September 20, 2023

    अमृत वाणी
  • Neeraj Khatri September 20, 2023

    जय हो 🙏
  • Raj kumar September 20, 2023

    Namaskar 🙏 Prime Minister Shri Narendra Modi Ji. Welcome in the new building of the Parliament.
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February 23, 2025

जिन महिलाओं ने उपलब्धियां हासिल की हैं, इनोवेशंस का नेतृत्व किया है या सार्थक प्रभाव डाला है, उन्हें अब इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी कहानियां, दुनिया के साथ साझा करने का अनूठा अवसर मिला है।

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम सभी क्षेत्रों की महिलाओं की शक्ति, दृढ़ता और उपलब्धियों का उत्सव मनाते हैं। ‘मन की बात’ के विशेष एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रेरक पहल की घोषणा की है- वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (X और इंस्टाग्राम) एक दिन के लिए उन असाधारण महिलाओं को सौंपेंगे, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में विशेष पहचान बनाई है।

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