प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव पर राष्ट्रीय समिति की तीसरी बैठक को संबोधित किया। इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपालों, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, अधिकारियों, मीडिया के दिग्गजों, आध्यात्मिक गुरुओं, कलाकारों, फिल्मी हस्तियों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों सहित राष्ट्रीय समिति के विभिन्न सदस्यों ने हिस्सा लिया। कई प्रतिभागी बैठक में ऑनलाइन भी शामिल हुए। संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने आजादी का अमृत महोत्सव के शुभारंभ से लेकर अब तक की गतिविधियों पर एक प्रस्तुति दी।
12 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री के आजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ करने से पहले, 8 मार्च 2021 को राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक आयोजित की गई थी। समिति की दूसरी बैठक 22 दिसंबर 2021 को हुई।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक के योगदान के चलते आजादी का अमृत महोत्सव सफल रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर समितियां दिन रात काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव का भावनात्मक जुड़ाव इस अभियान का मूल है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जो देशभक्ति का जज्बा देखा गया, वह अभूतपूर्व था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उसी जोश को हमें अपनी आज की पीढ़ी में आत्मसात करने और राष्ट्र निर्माण के लिए आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव देशभक्ति के जोश का माहौल तैयार कर रहा है और यह राष्ट्र निर्माण के साथ हमारे युवाओं के भावनात्मक जुड़ाव को स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर है।
इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) युवाओं के लिए एक संस्कार उत्सव है, जो देश के लिए योगदान करने के लिए उन्हें कभी न कम होने वाले जुनून से भर देगा। आज की पीढ़ी कल की लीडर होगी और इसलिए हमें उनमें भारत@100 के सपने और विजन को साकार करने के लिए कर्तव्य और जिम्मेदारी की भावना पैदा करनी होगी। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि तकनीकी क्रांति ने परिवर्तन की गति को काफी तेज कर दिया है। जो पीढ़ियों में हासिल किया जा सकता था, अब वह दशकों में संभव हो सकता है। हम अपने देश के सपनों को साकार करने के लिए पुरानी तकनीकों पर निर्भर नहीं रह सकते। इसलिए युवाओं की क्षमता का निर्माण करना और उन्हें आने वाले समय की तकनीकी चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशल से परिपूर्ण करना महत्वपूर्ण है।
जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें स्थानीय जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण कर उन्हें श्रद्धांजलि देनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि देश के अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों के जीवन से परिचित कराने को युवाओं के लिए सीमावर्ती ग्राम कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए। इसी प्रकार, हर जिले में 75 सरोवर बनाने का कार्यक्रम और अन्य ऐसे कार्यक्रम जमीनी स्तर पर शुरू किए जाने चाहिए जो पानी और पर्यावरण संरक्षण के हित में हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जमीनी हकीकत को समझने में मदद के लिए युवाओं को ऐसे कार्यक्रमों से परिचित होना चाहिए।
आखिर में, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एकजुटता की भावना को मजबूत करते हुए भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत के रूप में बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि संगठित राष्ट्र एक प्रगतिशील राष्ट्र होता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह, हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा एकता का प्रतीक है, एक ऐसी एकता जो राष्ट्र के लिए सकारात्मकता और समृद्धि लाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम संकल्प से सिद्धि की भावना के साथ अमृत काल के ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जो अगले 25 वर्षों में हमारे देश को सफलता के शिखर पर ले जाएगा। उन्होंने एक बार फिर समिति के सदस्यों से आजादी का अमृत महोत्सव को और शानदार बनाने के लिए अपने सुझाव भेजने का अनुरोध किया।
समिति के सदस्यों ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने अमृत महोत्सव के तहत हुई गतिविधियों की जानकारी दी व अभियान को और मजबूत बनाने के लिए अपने सुझाव भी दिए। केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव की राष्ट्रीय समिति की तीसरी बैठक में समिति के सदस्यों का स्वागत किया। श्री अमित शाह ने बताया कि देश में अब तक 60 हजार से अधिक कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए जा चुके हैं और एकेएएम कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य, जिला और कोने-कोने तक पहुंच चुका है। आखिर में उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव और समय देने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
सचिव श्री गोविंद मोहन ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव में पूरे समाज का दृष्टिकोण और जन भागीदारी उच्च स्तर की है जिससे यह देश के कोने-कोने में पहुंच गया है।