सीवीसी का नया शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल लॉन्च किया
"एक विकसित भारत के लिए, विश्वास और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है"
"पहले की सरकारों ने न केवल लोगों का विश्वास खोया, बल्कि वे लोगों पर भरोसा करने में भी विफल रहीं"
“हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं”
"भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं, एक आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता है, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य है और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता है”
"विकसित भारत के लिए हमें एक ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव इकोसिस्टम विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखता हो"
"भ्रष्टाचार के लंबित मामलों के आधार पर विभागों की रैंकिंग का एक तरीका तैयार करें और मासिक या त्रैमासिक आधार पर संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करें"
"किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक-सामाजिक समर्थन नहीं मिलना चाहिए"
“कई बार भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट साबित होने के बाद भी, जेल जाने के बाद भी महिमामंडित किया जाता है यह स्थिति भारतीय समाज के लिए अच्छी नहीं है"
"भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले सीवीसी जैसे संगठनों को डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है"
"जब आप दृढ़ विश्वास के साथ कार्रवाई करते हैं, तो पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है"


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सीवीसी का नया शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल भी लॉन्च किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह सरदार साहब की जन्म जयंती से शुरू हुआ है। उन्होंने कहा, “सरदार साहब का पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित पब्लिक सर्विस के निर्माण के लिए समर्पित रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जागरूकता और सतर्कता के इर्द-गिर्द घूमने वाला अभियान इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सतर्कता जागरूकता सप्ताह का अभियान हो रहा है और प्रत्येक नागरिक के जीवन में इसका काफी महत्व है

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लिए विश्वास और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार पर लोगों का भरोसा लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। प्रधानमंत्री ने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि पहले की सरकारों ने न केवल लोगों का विश्वास खो दिया, बल्कि वे लोगों पर भरोसा करने में भी विफल रहीं। गुलामी के लंबे कालखंड से हमें भ्रष्टाचार की, शोषण की, संसाधनों पर कंट्रोल की जो लीगेसी मिली, उसको दुर्भाग्य से आजादी के बाद और विस्तार मिला। उन्होंने कहा कि इसने इस देश की कम से कम चार पीढ़ियों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "लेकिन आजादी के इस अमृत काल में हमें दशकों से चली आ रही इस परिपाटी को पूरी तरह बदल देना है।"

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से अपने आह्वान के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त को लाल किले से भी मैंने कहा है कि बीते 8 वर्षों की श्रम-साधना के बाद अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार और लोगों की प्रगति में बाधा के दो प्रमुख कारण हैं - यानी सुविधाओं की कमी और सरकार का अनावश्यक दबाव। उन्होंने कहा कि हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक बुनियादी सुविधाओं और अवसरों की इस कमी को जानबूझकर कायम रखा गया और इस अंतर को और चौड़ा होने दिया गया, जिससे एक अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा हुई जिसका कोई परिणाम नहीं मिलने वाला था। इस दौड़ ने भ्रष्टाचार को पोषित किया। इस अभाव से पैदा हुआ भ्रष्टाचार गरीब और मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा, "अगर गरीब और मध्यम वर्ग बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए अपनी ऊर्जा खर्च करते हैं, तो देश कैसे प्रगति करेगा?" प्रधानमंत्री ने कहा, “इसीलिए हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, सरकार की ओर से डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं - एक आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता है, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य है, और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता है।”

प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में, प्रधानमंत्री ने पीडीएस को प्रौद्योगिकी से जोड़ने और करोड़ों फर्जी लाभार्थियों को हटाने और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को अपनाकर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक को गलत हाथों में जाने से रोके जाने के बारे में बताया। इसी तरह, पारदर्शी डिजिटल लेनदेन को अपनाने और जीईएम के माध्यम से पारदर्शी सरकारी खरीद से बहुत बड़ा फर्क पड़ रहा है।

आधारभूत सुविधाओं को सैचुरेशन के स्तर तक ले जाने के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकारी योजना के हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचना, सैचुरेशन के लक्ष्य को प्राप्त करना समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी खत्म कर देता है। हर योजना के वितरण के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए सैचुरेशन के सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हर घर जल, पक्के घर, बिजली कनेक्शन और गैस कनेक्शन का उदाहरण दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी वस्तुओं पर अत्यधिक निर्भरता भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण रही है। उन्होंने रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार द्वारा जोर दिए जाने के बारे में कहा कि इससे घोटालों का स्कोप भी कम हो गया है, क्योंकि राइफल से लेकर फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तक आज भारत खुद बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

सीवीसी को एक ऐसी संस्था बताते हुए जो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी के प्रयासों को प्रोत्साहित करती है, प्रधानमंत्री ने पिछली बार 'निवारक सतर्कता' के अपने अनुरोध को याद किया और उस दिशा में सीवीसी के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने सतर्कता समुदाय से अपने ऑडिट और निरीक्षण के आधुनिकीकरण के बारे में सोचने के लिए भी कहा। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार जो इच्छाशक्ति दिखा रही है, वही इच्छाशक्ति सभी विभागों में भी दिखनी जरूरी है। विकसित भारत के लिए हमें एक ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव इकोसिस्टम विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखता हो।

प्रधानमंत्री ने एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की मांग की है जहां भ्रष्टाचार से संबंधित अनुशासनात्मक कार्यवाही समयबद्ध मिशन मोड में पूरी हो। उन्होंने आपराधिक मामलों की निरंतर निगरानी का भी सुझाव दिया और लंबित भ्रष्टाचार के मामलों के आधार पर विभागों की रैंकिंग करने और संबंधित रिपोर्टों को मासिक या त्रैमासिक आधार पर प्रकाशित करने का एक तरीका तैयार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी की मदद से सतर्कता संबंधी मंजूरी की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए भी कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जन शिकायतों के आंकड़ों का ऑडिट करने की जरूरत है ताकि हम संबंधित विभाग में भ्रष्टाचार के मूल कारणों तक पहुंच सकें।

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने के काम में आम नागरिकों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री मोदी ने कहा, “भ्रष्ट लोग कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, उन्हें किसी भी परिस्थिति में नहीं बचाना चाहिए, यह आप जैसे संगठनों की जिम्मेदारी है। किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक-सामाजिक समर्थन न मिले, हर भ्रष्ट व्यक्ति को समाज कटघरे में खड़ा करे, ऐसा माहौल बनाना भी जरूरी है।" प्रधानमंत्री ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति के बारे में बताते हुए कहा, "हमने देखा है कि कई बार भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट साबित होने के बाद भी, जेल जाने के बावजूद महिमामंडित किया जाता है। यह स्थिति भारतीय समाज के लिए अच्छी नहीं है। आज भी कुछ लोग दोषी पाए गए भ्रष्टाचारियों के पक्ष में तर्क देते हैं। ऐसे लोगों, ऐसी ताकतों को समाज द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसमें भी आपके विभाग द्वारा की गई ठोस कार्रवाई की बड़ी भूमिका होती है।”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले सीवीसी जैसे संगठनों को डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी राजनीतिक एजेंडे पर काम करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा, "जिनके निहित स्वार्थ हैं वे कार्यवाही में बाधा डालने और इन संस्थानों से जुड़े व्यक्तियों को बदनाम करने की कोशिश करेंगे, लेकिन जनता जनार्दन भगवान का रूप है, वे सत्य को जानते हैं और परीक्षण करते हैं और जब समय आता है, तो वे सच्चाई के समर्थन में लोगों के साथ खड़े होते हैं।” प्रधानमंत्री ने सभी से समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सत्य के मार्ग पर चलने का आग्रह किया और जोर देकर कहा, "जब आप दृढ़ विश्वास के साथ कार्रवाई करते हैं, तो पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है।"

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और चुनौतियां भी बदलती रहती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे विश्वास है कि आप अमृत काल में एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।" उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए कार्यप्रणाली में निरंतर गतिशीलता की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं के साथ बातचीत करने में प्रसन्नता व्यक्त की और भविष्य में भाषण प्रतियोगिताएं शुरू करने का सुझाव दिया। यह देखते हुए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के पांच विजेताओं में से चार लड़कियां हैं, प्रधानमंत्री ने लड़कों से भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अपना समर्थन देने की अपील की। उन्होंने कहा, 'स्वच्छता का महत्व तभी समझ में आता है, जब गंदगी खत्म हो जाए।' भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में जितना संभव हो सके प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "कानून के दायरे से बाहर काम करने वालों पर नजर रखने की बात आती है, तो प्रौद्योगिकी निश्चित रूप से एक कागजी कार्रवाई से जुड़ी कमियों को पीछे छोड़ रही है।"

इस अवसर पर प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा, कार्मिक एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त श्री सुरेश एन. पटेल और सतर्कता आयुक्त श्री पी. के. श्रीवास्तव और श्री अरविंद कुमार उपस्थित थे।

 

पृष्ठभूमि

नागरिकों को उनकी शिकायतों की स्थिति पर नियमित अपडेट के माध्यम से शुरू से अंत तक जानकारी प्रदान करने के लिए पोर्टल की परिकल्पना की गई है। श्री मोदी "नैतिकता और अच्छे व्यवहार" पर सचित्र पुस्तिकाओं की एक श्रृंखला; "निवारक सतर्कता" पर सर्वोत्तम प्रथाओं का संकलन और सार्वजनिक खरीद पर एक विशेष अंक "विजआई-वाणी" का भी विमोचन करेंगे।

जीवन के सभी क्षेत्रों में सत्यनिष्ठा का संदेश फैलाने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए सीवीसी हर साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है। इस वर्ष, यह 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक "एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत" विषय के साथ मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सतर्कता जागरूकता सप्ताह के उपरोक्त विषय पर सीवीसी द्वारा आयोजित एक राष्ट्रव्यापी निबंध प्रतियोगिता के दौरान सर्वश्रेष्ठ निबंध लिखने वाले पांच छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किए।

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