“इस वर्ष का बजट शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और उद्योगोन्मुख बनाकर उसकी बुनियाद को मजबूत करता है”
“नई शिक्षा नीति के अंग के रूप में शिक्षा और निपुणता, दोनों पर समान जोर दिया जा रहा है”
“वर्चुअल प्रयोगशालायें और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय जैसे भविष्यगामी पहलें हमारी शिक्षा, कौशल और ज्ञान-विज्ञान के पूरे परिप्रेक्ष्य को बदल देंगी”
“केंद्र सरकार देश के युवाओं को ‘कक्षा से बाहर का अनुभव’ देने के लिये इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रदान करने पर ध्यान दे रही है”
“नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रोमोशन स्कीम” के तहत लगभग 50 लाख युवाओं के लिये वजीफे का प्रावधान किया गया है”
“सरकार, उद्योग 4.0 के एआई, रोबोटिक्स, आईओटी और ड्रोन जैसे सेक्टरों के लिये कुशल श्रमशक्ति बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘हार्नेसिंग यूथ पॉवर – स्किलिंग एंड एजुकेशन’ (युवाशक्ति का सदुपयोग–निपुणता और शिक्षा) पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह तीसरा वेबिनार है।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि कौशल और विकास, भारत के अमृत काल के दौरान दो प्रमुख उपकरण हैं तथा ये युवा ही हैं, जो विकसित भारत का सपना लेकर देश की अमृत यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। अमृत काल के पहले बजट में युवा और उनके भविष्य पर दिये जाने वाले विशेष बल को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष का बजट शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और उद्योगोन्मुख बनाकर उसकी बुनियाद को मजबूत करता है। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्षों में शिक्षा प्रणाली में लचीलेपन के अभाव पर अफसोस प्रकट किया और इसमें बदलाव लाने के लिये सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “युवाओं की सहज योग्यता और भविष्य की मांग को ध्यान में रखकर शिक्षा और निपुणता को नई दिशा दी जा रही है।” उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति के अंग के रूप में शिक्षा और निपुणता, दोनों पर समान जोर दिया जा रहा है तथा उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस पहल से शिक्षकों का समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत के नियम-कानून के बोझ से छात्रों को मुक्त करने के साथ-साथ सरकार शिक्षा और कौशल विकास सेक्टरों में आगे और सुधार करेगी।

कोविड महामारी के दौरान के अनुभवों को मद्देनजर रखते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि नई प्रौद्योगिकी नये स्वरूप की कक्षायें बनाने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार उन उपायों पर गौर कर रही है, जो ‘हर स्थान से ज्ञान तक सुगमता’ सुनिश्चित करें। उन्होंने ‘स्वयम्’ नामक ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उदाहरण दिया, जिसके 3 करोड़ सदस्य हैं। उन्होंने इस संभावना का संकेत दिया कि वर्चुअल प्रयोगशालायें और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय ज्ञान का विशाल माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने डीटीएच चैनलों के जरिये स्थानीय भाषाओं में पढ़ने के अवसर का भी उल्लेख किया और कहा कि देश में ऐसी अनेक डिजिटल व प्रौद्योगिकी आधारित पहलें हो रही हैं, जिन्हें राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय से अधिक से अधिक ताकत मिलेगी। “भविष्यगामी पहलें हमारी शिक्षा, कौशल और ज्ञान-विज्ञान के पूरे परिप्रेक्ष्य को बदल देंगी,” प्रधानमंत्री ने कहा, “अब हमारे शिक्षकों की भूमिका कक्षाओं तक सिमट के नहीं रहेगी।” उन्होंने उल्लेख किया कि देशभर से शिक्षा संस्थानों के लिये विविध शिक्षण सामग्रियां उपलब्ध हो जायेंगी, जो गांव व शहरी स्कूलों के बीच के अंतराल को पाटते हुये शिक्षकों के लिये अवसरों के नये द्वार खोलेंगी।

‘ऑन-द-जॉब लर्निंग’ पर प्रकाश डालते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर अनेक देश विशेष जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के युवाओं को ‘कक्षा से बाहर का अनुभव’ देने के लिये इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रदान करने पर ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री ने बताया, “आज नेशनल इंटर्नशिप पोर्टल” पर लगभग 75 हजार नियोक्ता उपस्थित हैं, जहां अब तक 25 लाख इंटर्नशिप की आवश्यकताओं को पोस्ट किया गया है।” उन्होंने उद्योगों और शिक्षा संस्थानों से आग्रह किया कि वे इस पोर्टल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें तथा देश में इंटर्नशिप संस्कृति को और विस्तार दें।

प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि अप्रेंटिसशिप हमारे युवाओं को भविष्य के लिये तैयार करेगी। उन्होंने भारत में अप्रेंटिसशिप को प्रोत्साहित करने में सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इससे उद्योगों को ऐसी श्रमशक्ति की पहचान करने में मदद मिलेगी, जो उसके लिये सही कौशल से लैस हो। इस वर्ष के बजट पर प्रकाश डालते हुये प्रधानमंत्री ने वजीफे के प्रावधान का उल्लेख किया, जो नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रोमोशन स्कीम के तहत लगभग 50 लाख युवाओं को उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि इससे अप्रेंटिसशिप के लिये माहौल बन रहा है तथा भुगतान के मामले में उद्योग को भी मदद मिल रही है।

कुशल श्रमशक्ति की आवश्यकता को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत को निर्माण केंद्र की तरह देख रही है। उन्होंने देश में निवेश करने के लिये आज विश्व के उत्साह का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में निपुणता पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 का उल्लेख किया जो आने वाले वर्षों में लाखों युवाओं को ‘स्किल, री-स्किल और अप-स्किल’ करेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के जरिये जनजातियों, दिव्यांगों और महिलाओं के लिये उनके अनुरूप सटीक कार्यक्रम तैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार, उद्योग 4.0 के एआई, रोबोटिक्स, आईओटी और ड्रोन जैसे सेक्टरों के लिये कुशल श्रमशक्ति बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस तरह री-स्किलिंग पर ज्यादा ऊर्जा व संसाधन खर्च किये बिना अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिये प्रतिभाओं की तलाश करना आसान हो जायेगा। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का भी उदाहरण दिया और पारंपरिक शिल्पकारों, दस्तकारों तथा कलाकारों के कौशल विकास पर जोर दिया, ताकि उन्हें नये बाजार के लिये तैयार किया जा सके और उन्हें उनके उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद की जा सके।

प्रधानमंत्री ने भारत में शिक्षा सेक्टर में तेजी से बदलाव लाने के लिये अकादमिक जगत और उद्योग के बीच साझेदारी की भूमिका के महत्‍व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान उद्योग से उचित वित्तपोषण के लिये संभावनायें बनाते हुये बाजार की जरूरतों के मुताबिक अनुसंधान किया जाना चाहिये। इस वर्ष के बजट को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने कृत्रिम बौद्धिकता के लिये 3 उत्कृष्टता केंद्रों का उल्लेख किया और कहा कि इनसे उद्योग जगत-अकादमिक जगत की साझेदारी मजबूत होगी। उन्होंने आईसीएमआर प्रयोगशालाओं के बारे में बताया कि ये प्रयोगशालायें अब मेडिकल कॉलेजों और निजी क्षेत्र की अनुसंधान व विकास टीमों के लिये भी उपलब्ध कराई जायेंगी। प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे देश में अनुसंधान व विकास इको-प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये उठाये गये सभी कदमों का भरपूर लाभ उठायें।

प्रधानमंत्री ने ‘समस्त सरकारी तंत्र की संयुक्त गतिविधि’ पर जोर देने की सरकार की सोच का हवाला देते हुये कहा कि शिक्षा और निपुणता सिर्फ सम्बंधित मंत्रालय या विभाग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनकी संभावनायें हर सेक्टर में मौजूद हैं। प्रधानमंत्री ने सभी निपुणता और शिक्षा से जुड़े हितग्राहियों से आग्रह किया कि वे विभिन्न सेक्टरों में उत्पन्न होने वाले अवसरों का अध्ययन करें तथा जरूरती श्रमशक्ति तैयार करने में मदद करें। भारत के तेजी से विस्तृत होने वाले नागर विमानन सेक्टर का उदाहरण देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे भारत के विकसित होते यात्रा व पर्यटन उद्योग का पता चलता है; साथ ही रोजगार के विशाल संसाधनों के दरवाजे भी खुलते हैं। प्रधानमंत्री ने उन युवाओं का अपडेटेड डाटाबेस तैयार किये जाने की इच्छा प्रकट की, जिन्हें ‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत प्रशिक्षित किया गया है। अपने सम्बोधन का समापन करते हुये प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि डिजिटल प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बौद्धिकता के आने के बाद भारत की प्रशिक्षित श्रमशक्ति कहीं पीछे न छूट जाये। उन्होंने उद्योग विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे इस दिशा में काम करें।

 

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.