"ये वेबिनार बजट के दौरान निर्धारित किए गए लक्ष्यों को हासिल करने में उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं"
"हमें लीक से हटकर सोचना होगा और पर्यटन में नई ऊंचाइयों को अर्जित करने के लिए आगे की योजनाएं बनानी होंगी"
"पर्यटन अमीरों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक आकर्षक (फैंसी) शब्द मात्र नहीं है"
"इस वर्ष के बजट में पर्यटन स्थलों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है"
"सुविधाओं में वृद्धि होने से काशी विश्वनाथ, केदार धाम और पावागढ़ में तीर्थयात्रियों के आगमन में कई गुना वृद्धि हुई है"
"प्रत्येक पर्यटन स्थल अपना राजस्व मॉडल विकसित कर सकता है"
"हमारे गांव अपने बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण पर्यटन के केंद्र बन रहे हैं"
इस साल जनवरी में 8 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए हैं, जबकि पिछले साल जनवरी में केवल 2 लाख विदेशी पर्यटक ही भारत आए थे
"भारत के पास अधिक खर्च करने की क्षमता वाले पर्यटकों के लिए भी बहुत कुछ है"
"पर्यटन में कृषि, रियल एस्टेट विकास, बुनियादी ढांचे और कपड़ा के समान ही क्षमता मौजूद है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 'मिशन मोड में पर्यटन का विकास' विषय पर बजट के बाद आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। यह केंद्रीय बजट 2023 में घोषणा की गई पहलों को प्रभावी तरीके से लागू करने के बारे में विचारों और सुझावों को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा आयोजित 12 ‘पोस्ट-बजट वेबिनार’ की श्रृंखला का सातवां वेबिनार है।

उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का नया भारत एक नई कार्य संस्कृति के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने भारत के लोगों द्वारा इस वर्ष के बजट की सराहना करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। पिछली कार्य संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट के बाद आयोजित वेबिनार जैसा कुछ अभिनव कार्य आयोजित नहीं होता यदि वर्तमान सरकार की बजट से पहले और बाद में सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने की भावना नहीं होती। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इन वेबिनारों के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बजट के उत्पादन को अधिकतम करने के साथ-साथ इसे समय पर लागू करना भी है। श्री मोदी ने कहा कि ये वेबिनार बजट के दौरान निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं। 20 से अधिक वर्षों तक सरकार के प्रमुख के रूप में काम करने के अपने अनुभव से प्रधानमंत्री ने यह जोर देकर कहा कि वांछित परिणाम निर्धारित समय के भीतर तभी प्राप्त किए जाते हैं जब सभी हितधारक सरकार द्वारा लिए गए किसी भी रणनीतिक निर्णय के साथ खुद को जोड़ लेते हैं। उन्होंने अब तक बजट के बाद आयोजित वेबिनार के माध्यम से प्राप्त सुझावों पर प्रसन्नता जाहिर की।

प्रधानमंत्री ने भारत में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निर्धारित तरीके से हटकर सोचने और आगे की योजना बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। किसी पर्यटन स्थल के विकसित होने से पहले के मापदंडों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने जगह की क्षमता, गंतव्य स्थल की यात्रा में आसानी और उस गंतव्य स्थल को बढ़ावा देने के नए तरीकों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन मापदंडों पर जोर देने से भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार करने में सहायता मिलती है। प्रधानमंत्री ने देश में पर्यटन की विशाल संभावनाओं के बारे में प्रकाश डालते हुए तटीय पर्यटन, समुद्र तट पर्यटन, मैंग्रोव पर्यटन, हिमालय पर्यटन, साहसिक पर्यटन, वन्यजीव पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन, विरासत पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन, विवाह स्थलों, सम्मेलनों और खेल पर्यटन के माध्यम से होने वाले पर्यटन को सूचीबद्ध किया। उन्होंने रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, पूर्वोत्तर सर्किट, गांधी सर्किट और सभी संतों की तीर्थयात्राओं का भी उदाहरण दिया और कहा कि इस पर सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट में प्रतिस्पर्धी भावना और चुनौती के माध्यम से भारत में कई स्थानों की पहचान की गई है और गंतव्य स्थलों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने विभिन्न हितधारकों को इस कार्य में शामिल करने के लिए विस्तृत चर्चा करने को कहा।

प्रधानमंत्री ने इस मिथक को तोड़ दिया कि पर्यटन एक आकर्षक (फैंसी) शब्द है जो केवल देश के उच्च आय वाले समूहों से ही जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यात्राएं सदियों से भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का हिस्सा रही हैं और लोग तीर्थयात्रा पर तब भी जाते थे जब उनके लिए संसाधन उपलब्ध नहीं थे। उन्होंने चार धाम यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा, 51 शक्तिपीठ यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका उपयोग देश की एकता को मजबूत करने के साथ-साथ हमारी आस्था के स्थानों को भी परस्पर जोड़ने के लिए किया जाता है। यह देखते हुए कि देश के कई बड़े-बड़े शहरों की पूरी अर्थव्यवस्था इन यात्राओं पर निर्भर करती है, प्रधानमंत्री ने यात्राओं की सदियों पुरानी परंपरा के बावजूद समय के अनुकूल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए विकास की कमी होने पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आजादी के बाद के दशकों में इन स्थानों की राजनीतिक उपेक्षा इसका मूल कारण है जिसने देश को बहुत हानि पहुंचाई है। "आज का भारत इस स्थिति को बदल रहा है"। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होने से पर्यटकों के बीच पर्यटन के लिए आकर्षण में वृद्धि होती है। उन्होंने वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का उदाहरण देते हुए बताया कि मंदिर के पुनर्निर्माण से पहले यहां एक साल में लगभग 80 लाख लोग आते थे, लेकिन नवीनीकरण के बाद यहां पिछले साल पर्यटकों की संख्या 7 करोड़ से अधिक हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि केदारघाटी में पुनर्निर्माण का कार्य पूरा होने से पहले यहां आने वाले केवल 4-5 लाख तीर्थयात्रियों की तुलना में 15 लाख श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन करने आए हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि इसी तरह का आगमन गुजरात के पावागढ़ में हुआ है। जीर्णोद्धार से पहले केवल 4 से 5 हजार लोगों के आगमन की तुलना में 80 हजार तीर्थयात्री मां कालिका के दर्शन के लिए आते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुविधाओं में वृद्धि से पर्यटकों की संख्या पर सीधा प्रभाव पड़ता है और पर्यटकों की बढ़ती संख्या का मतलब रोजगार और स्वरोजगार के अधिक अवसर पैदा होना हैं। प्रधानमंत्री ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का भी उल्लेख किया और कहा कि इसके पूरा होने के एक साल के भीतर 27 लाख पर्यटकों ने यहां की यात्रा की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बढ़ती नागरिक सुविधाओं, अच्छी डिजिटल कनेक्टिविटी, अच्छे होटल और अस्पतालों, गंदगी का कोई निशान नहीं होने और उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के साथ भारत का पर्यटन क्षेत्र कई गुना बढ़ सकता है।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद में कांकरिया झील परियोजना का भी उल्लेख किया और बताया कि इस झील के पुनर्विकास के अलावा खाने के स्टालों में काम करने वालों का कौशल विकास भी किया गया। उन्होंने आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ-साथ स्वच्छता पर जोर देते हुए बताया कि प्रवेश शुल्क लागू होने के बावजूद हर दिन लगभग 10,000 लोग इस जगह पर आते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "प्रत्येक पर्यटन स्थल अपना राजस्व मॉडल भी विकसित कर सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे गांव पर्यटन के केंद्र बन रहे हैं और बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण दूर-सुदूर के गांव अब पर्यटन मानचित्र पर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने सीमा के पास स्थित गांवों के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’ शुरू की है और गांवों के अनुकूल होमस्टे, छोटे होटल और रेस्तरां जैसे व्यवसायों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

भारत में विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के प्रति बढ़ते आकर्षण का उल्लेख किया और कहा कि पिछले साल जनवरी में आए केवल 2 लाख पर्यटकों की तुलना में इस साल जनवरी में 8 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए हैं। प्रधानमंत्री ने ऐसे पर्यटकों की प्रोफाइल तैयार करने और उन्हें देश की ओर आकर्षित करने के लिए एक विशेष रणनीति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिनके पास अधिक से अधिक धन खर्च करने की क्षमता है। उन्होंने बताया कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटक औसतन रूप से 1700 डॉलर खर्च करते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय यात्री अमेरिका में औसतन 2500 डॉलर और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 5000 डॉलर खर्च करते हैं। उन्होंने कहा, "भारत के पास अधिक खर्च करने वाले पर्यटकों को देने के लिए बहुत कुछ है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रत्येक राज्य को इस विचार के अनुरूप अपनी पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत है। उन्होंने देश में महीनों तक डेरा डालने वाले पक्षी प्रेमी पर्यटकों का उदाहरण दिया और बताया किया कि ऐसे संभावित पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई जानी चाहिए।

पर्यटन क्षेत्र की बुनियादी चुनौती पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने देश में पेशेवर पर्यटक गाइडों की कमी की ओर इशारा किया और इन गाइडों के लिए स्थानीय कॉलेजों में सर्टिफिकेट कोर्स की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी विशेष पर्यटन स्थल में काम करने वाले गाइडों के पास भी एक विशिष्ट पोशाक या वर्दी होनी चाहिए ताकि पर्यटकों को पहली नज़र में ही इस बारे में पता चल सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक पर्यटक का दिमाग सवालों से भरा होता है और गाइड उन सभी सवालों के उत्तर उपलब्ध कराने में उनकी मदद कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के लिए स्कूलों और कॉलेजों की यात्राओं को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हों और पर्यटकों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का विकास शुरू कर सकें। उन्होंने ‘वेडिंग डेस्टिनेशंस’ के साथ-साथ ‘स्पोर्ट्स डेस्टिनेशंस’ को बढ़ावा देने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने ऐसे 50 पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर जोर दिया, जहां दुनिया का हर पर्यटक भारत की यात्रा पर आने के लिए बाध्य हो जाए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में पर्यटन स्थलों के लिए ऐप विकसित करने का भी उल्लेख किया।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह विश्वास व्यक्त किया कि यह वेबिनार पर्यटन से जुड़े हर पहलू पर गंभीरता से विचार करेगा और बेहतर समाधान लेकर आएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पर्यटन में कृषि, रियल एस्टेट विकास, बुनियादी ढांचे और कपड़ा क्षेत्र जैसी ही संभावनाएं मौजूद हैं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।