Quote“अमृत काल में भारत जल को भविष्य के रूप में देख रहा है”
Quote“भारत जल को देव और नदियों को मां मानता है”
Quote“जल संरक्षण हमारे समाज की संस्कृति और हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है”
Quote“नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा है”
Quote“देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से ब्रह्मकुमारियों के 'जल-जन अभियान' को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ब्रह्मकुमारियों के 'जल जन अभियान' के शुभारंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि उनसे सीखना हमेशा ही एक विशेष अनुभव होता है। प्रधानमंत्री ने कहा, "स्वर्गीय राजयोगिनी दादी जानकी जी से मिला आशीर्वाद मेरी सबसे बड़ी संपदा है।" उन्होंने याद किया जब वे 2007 में दादी प्रकाश मणि जी के निधन के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आबू रोड आए थे। प्रधानमंत्री ने बीते वर्षों में ब्रह्मकुमारी बहनों की ओर से मिले गर्मजोशी भरे आमंत्रणों का उल्लेख किया और कहा कि वे इस आध्यात्मिक परिवार के एक सदस्य के रूप में उनके बीच हमेशा उपस्थित रहने की कोशिश करते हैं। उन्होंने 2011 में अहमदाबाद में 'भविष्य की शक्ति' कार्यक्रम, इस संस्था की स्थापना के 75वें वर्ष के कार्यक्रम, 2013 में संगम तीर्थधाम, 2017 में ब्रह्मकुमारी संस्थान के 80वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम और अमृत महोत्सव के कार्यक्रम को याद किया तथा उन्हें उनके प्रेम व स्नेह के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने ब्रह्मकुमारीज़ के साथ अपने विशेष संबंध पर जोर दिया और कहा कि स्वयं से ऊपर उठकर समाज को सब कुछ समर्पित कर देना इन सभी के लिए साधना का एक रूप रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल-जन अभियान ऐसे समय में शुरू किया जा रहा है जब पूरी दुनिया में जल की कमी को भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की दुनिया अब पृथ्वी पर सीमित जल संसाधनों की गंभीरता को महसूस करने लगी है और अपनी बड़ी आबादी के चलते भारत के लिए जल सुरक्षा एक बहुत बड़ा सवाल है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अमृत काल में भारत जल को भविष्य के रूप में देख रहा है। अगर जल है तो ही कल होगा" और उन्होंने रेखांकित किया कि इस सिलसिले में आज से ही संयुक्त प्रयास शुरू करने होंगे। प्रधानमंत्री ने देश में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदलने पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि ब्रह्मकुमारियों का जल-जन अभियान जनभागीदारी के इस प्रयास को नई ताकत देगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण अभियानों की पहुंच को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे इसके असर में इज़ाफा होगा।

प्रधानमंत्री ने भारत के उन ऋषि-मुनियों का उल्लेख किया जिन्होंने हजारों साल पहले प्रकृति, पर्यावरण और जल को लेकर संयमित, संतुलित और संवेदनशील व्यवस्था बनाई थी। उन्होंने सदियों पुरानी कहावत को याद किया कि पानी को नष्ट मत करो, संरक्षित करो। उन्होंने रेखांकित किया कि ये भावना हजारों वर्षों से भारत की आध्यात्मिकता और धर्म का हिस्सा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, "जल संरक्षण हमारे समाज की संस्कृति और हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है, इसलिए हम जल को देव और नदियों को मां मानते हैं।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब समाज प्रकृति के साथ ऐसा भावनात्मक जुड़ाव बनाता है तो सतत विकास उसके जीवन का स्वाभाविक तरीका बन जाता है। उन्होंने अतीत की चेतना को फिर से जागृत करते हुए भविष्य की चुनौतियों का समाधान तलाशने की जरूरत को दोहराया। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति देशवासियों में भरोसा जगाने और जल प्रदूषण का कारण बनने वाली हर बाधा को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में ब्रह्मकुमारियों जैसे भारत के आध्यात्मिक संस्थानों की भूमिका को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने बीते दशकों को लेकर दुख व्यक्त किया जब एक नकारात्मक विचार प्रक्रिया विकसित हो गई थी और जल संरक्षण व पर्यावरण जैसे विषयों को कठिन माना गया था। प्रधानमंत्री ने पिछले 8-9 वर्षों में आए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये मानसिकता और स्थिति दोनों ही पूरी तरह बदल चुके हैं। नमामि गंगे अभियान का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि न केवल गंगा बल्कि उसकी सभी सहायक नदियां भी साफ हो रही हैं। वहीं गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल के तौर पर उभरा है।"

'कैच द रेन कैंपेन' पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गिरता भूजल स्तर भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि अटल भूजल योजना के माध्यम से देश की हजारों ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के अभियान का भी जिक्र किया और कहा कि ये जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

जल संरक्षण में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों की महिलाएं जल समितियों के माध्यम से जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्रह्मकुमारी बहनें देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी इसी तरह की भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने जल संरक्षण के साथ पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को उठाने की जरूरत पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारा देश कृषि में पानी के संतुलित उपयोग के लिए ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है और ब्रह्मकुमारियों से आग्रह किया कि वे इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित करें।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष भी मना रही है। उन्होंने सभी से बाजरा और मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने रेखांकित किया कि श्री अन्न बाजरा और श्री अन्न ज्वार सदियों से भारत की कृषि और खाद्य आदतों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाजरा पोषक तत्वों से भरपूर होता है और खेती के दौरान पानी की कम खपत करता है।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने भरोसा व्यक्त किया कि जल-जन अभियान एक संयुक्त प्रयास से सफल होगा और बेहतर भविष्य के साथ बेहतर भारत के निर्माण में मदद करेगा।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
India Inc gets faster: Work-in-progress cycle drops to decade low at 14 days

Media Coverage

India Inc gets faster: Work-in-progress cycle drops to decade low at 14 days
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
सोशल मीडिया कॉर्नर 23 जुलाई 2025
July 23, 2025

Citizens Appreciate PM Modi’s Efforts Taken Towards Aatmanirbhar Bharat Fuelling Jobs, Exports, and Security