एक परस्पर निर्भर और परस्पर जुड़ी दुनिया में कोई भी देश वैश्विक आपदाओं के प्रभाव से सुरक्षित नहीं है : प्रधानमंत्री
महामारी से मिले सबक भूले नहीं जाने चाहिए : प्रधानमंत्री
“लचीली अवसंरचना” का विचार एक जनांदोलन बनना चाहिए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा अनुकूल अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर फिजी, इटली और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में सरकारों की ओर से प्रतिभागियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।

वर्तमान हालात को अप्रत्याशित करार देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “हम ऐसी घटना के गवाह हैं, जिसे 100 साल में एक बार आने वाली आपदा बताया जा रहा है। कोविड19 महामारी ने हमें सिखाया है कि अमीर या गरीब देश हो, पूर्व या पश्चिम, उत्तर या दक्षिण हो, एक परस्पर निर्भर और परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में वैश्विक आपदाओं के प्रभाव से कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, महामारी ने दिखाया है कि कैसे दुनिया एकजुट हो सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “महामारी ने हमें दिखाया है कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान हासिल करने वाले नवाचार किसी भी स्थान से सामने आ सकते हैं।” इसके लिए, श्री मोदी ने एक ऐसे वैश्विक इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का आह्वान किया, जो दुनिया के हर हिस्से में नवाचार और उसे ऐसे स्थानों को हस्तांतरित किए जाने का समर्थन करता हैं, जहां उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2021 महामारी से तेज सुधार का साल होने का भरोसा दिलाता है।

प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि महामारी के सबक भूले नहीं जाने चाहिए। वे न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदाओं बल्कि अन्य आपदाओं पर भी लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए निरंतर और ठोस प्रयास करने होंगे।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अवसंरचना ने भारी निवेश कर रहे भारत जैसे देशों को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह लचीलेपन में निवेश हो, न कि जोखिम में। कई अवसंरचना प्रणालियां – डिजिटल अवसरंचना, शिपिंग लाइन, विमानन नेटवर्क पूरी दुनिया को कवर करती हैं और दुनिया के एक हिस्से में आपदा का प्रभाव तेजी से दुनिया भर में फैल सकता है। वैश्विक व्यवस्था में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए सहयोग जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण साल है। हम सतत् विकास के लक्ष्यों, पेरिस समझौते और सेनदाई फ्रेमवर्क के मध्य तक पहुंच रहे हैं। यूके में होने वाए और इस साल के अंत में इटली में होने वाले सीओपी-26 से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि लचीले ढांचे पर इस भागीदारी को इनमें से कुछ उम्मीदें पूरी करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने प्राथमिकता वाले प्रमुख क्षेत्रों पर विस्तार से विचार रखे। पहला, सीडीआरआई को सतत् विकास के लक्ष्यों के केन्द्रीय वादे के रूप में शामिल कना चाहिए, जो है “कोई भी पीछे न छूटे।” इसका मतलब है कि हमें पहले सबसे ज्यादा कमजोर देशों और समुदायों की चिंता करनी है। दूसरा, कुछ प्रमुख अवसंरचना क्षेत्रों- विशेषकर स्वास्थ्य अवसंरचना और डिजिटल अवसंरचना के प्रदर्शन का जायजा लेना चाहिए, जिन्होंने महामारी के दौरान केन्द्रीय भूमिका निभाई है। इन क्षेत्रों से क्या सबक हासिल हुए हैं? और हम भविष्य के लिए उन्हें कैसे ज्यादा लचीला बना सकते हैं? तीसरा, लचीलेपन की खोज में, किसी भी तकनीक व्यवस्था को ज्यादा प्राथमिक या ज्यादा विकसित के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। सीडीआरआई को तकनीक के उपयोग के प्रदर्शन प्रभाव को अधिकतम बनाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि और आखिर में, “लचीली अवसंरचना” का विचार सिर्फ विशेषज्ञों और औपचारिक संस्थानों को सक्रिय करने के लिए नहीं, बल्कि एक जनांदोलन खड़ा करने वाला होना चाहिए।

 

 

 

 

 

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Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella meets Prime Minister, Shri Narendra Modi
January 06, 2025

Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella met with Prime Minister, Shri Narendra Modi in New Delhi.

Shri Modi expressed his happiness to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. Both have discussed various aspects of tech, innovation and AI in the meeting.

Responding to the X post of Satya Nadella about the meeting, Shri Modi said;

“It was indeed a delight to meet you, @satyanadella! Glad to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. It was also wonderful discussing various aspects of tech, innovation and AI in our meeting.”