"जब न्याय मिलता दिखाई देता है, तो संवैधानिक संस्थाओं के प्रति देशवासियों का भरोसा मजबूत होता है"
"देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए"
"पिछले 8 वर्षों में, भारत ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है और 32 हजार से अधिक अनुपालन भी कम किए गए हैं"
"हमें यह समझना होगा कि वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को राज्यों में स्थानीय स्तर पर न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा कैसे बनाया जाए"
"हमारा ध्यान ऐसे कानून बनाने पर होना चाहिए जिसे गरीब से गरीब व्यक्ति आसानी से समझ सके"
"न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु न्यायिक व्यवस्था में स्थानीय भाषा एक बड़ी भूमिका निभाती है"
"राज्य सरकारों को विचाराधीन कैदियों के संबंध में मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए ताकि न्यायिक व्यवस्था मानवीय आदर्शों के साथ आगे बढ़े"
"अगर हम संविधान की भावना को देखें, तो विभिन्न कार्यों के बावजूद न्यायपालिका, विधायिका और अदालतों के बीच तर्क या प्रतिस्पर्धा की कोई गुंजाइश नहीं है"
"एक समर्थ राष्ट्र और एक सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए एक संवेदनशील न्याय व्यवस्था आवश्यक है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से विधि मंत्रियों और विधि सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सभी राज्यों के विधि मंत्रियों और सचिवों की महत्वपूर्ण बैठक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की भव्यता के बीच हो रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के इस चरण के दौरान सरदार पटेल की प्रेरणा से हमें सही दिशा में मार्गदर्शन मिलेगा और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने हमारे जैसे विकासशील देश में एक स्वस्थ समाज के लिए और आत्मविश्वास से भरे समाज के लिए एक भरोसेमंद और त्वरित न्याय व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर समाज में न्याय व्यवस्था और विभिन्न प्रक्रियाएं व परंपराएं समय अवधि की जरूरतों के अनुसार विकसित हो रही हैं। श्री मोदी ने कहा, “जब न्याय मिलता दिखाई देता है, तो संवैधानिक संस्थाओं के प्रति देशवासियों का भरोसा मजबूत होता है और जब न्याय मिलता है, तो आम आदमी का भरोसा बढ़ जाता है।” उन्होंने कहा कि देश की कानून व्यवस्था में निरंतर सुधार के लिए इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारतीय समाज की विकास यात्रा हजारों साल पुरानी है और हमने गंभीर चुनौतियों का सामना करने के बावजूद लगातार प्रगति की है। श्री मोदी ने कहा, "हमारे समाज का सबसे बड़ा पहलू प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए आंतरिक रूप से खुद को बेहतर बनाने की प्रवृत्ति है।” निरंतर सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए यह एक अनिवार्य शर्त है। उन्होंने कहा, “हमारा समाज अप्रासंगिक कानूनों और गलत रीति-रिवाजों को मिटाता रहता है। जब कोई परंपरा रूढ़िवादिता में बदल जाती है तो वह समाज पर बोझ बन जाती है।" उन्होंने यह भी कहा, "देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।"

भारत के नागरिकों से सरकार के दबाव को दूर करने पर विशेष जोर देने पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में भारत ने डेढ़ हजार से अधिक पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है और 32 हजार से अधिक अनुपालन भी कम किए गए हैं। नवाचार और जीवन की सुगमता के मार्ग में बाधा डालने वाली कानूनी बाधाओं को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, "इनमें से कई कानून गुलामी के समय से चले आ रहे थे।" प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के समय से कई पुराने कानून अभी भी राज्यों में लागू हैं और इस सम्मेलन में इस तरह के कानूनों को समाप्त करने के लिए इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों से आग्रह किया। श्री मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत काल में गुलामी के समय से चले आ रहे कानूनों को खत्म कर नए कानून बनाने चाहिए। प्रधानमंत्री ने लोगों के लिए जीवन की सुगमता और न्याय की सुगमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्यों के मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने की ओर भी इशारा किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय देने में देरी सबसे बड़ी चुनौती है और न्यायपालिका इस दिशा में पूरी गंभीरता के साथ काम कर रही है। वैकल्पिक विवाद समाधान के तंत्र पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि यह लंबे समय से भारत के गांवों में बेहतर रूप में उपयोग में लाया गया है और अब इसे राज्य स्तर पर प्रचारित किया जा सकता है। श्री मोदी ने कहा, "हमें यह समझना होगा कि इसे राज्यों में स्थानीय स्तर पर न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा कैसे बनाया जाए।"

उस समय को याद करते हुए जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने सायंकालीन अदालतों की अवधारणा पेश की थी। उन्होंने बताया कि जो मामले धाराओं के संदर्भ में कम गंभीर थे, उन्हें सायंकालीन अदालतों द्वारा सुलझाया गया, जिसके परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में गुजरात में 9 लाख से अधिक मामलों का निपटारा होना संभव हुआ। प्रधानमंत्री ने लोक अदालतों के उद्भव पर भी प्रकाश डाला, जिसके कारण विभिन्न राज्यों में लाखों मामलों का निपटारा हुआ और अदालतों का बोझ कम हुआ। उन्होंने कहा, "गांव में रहने वाले लोगों, गरीब लोगों को इससे काफी फायदा हुआ है।"

संसद में कानून बनाने में मंत्रियों की जिम्मेदारी पर ध्यान देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कानून में ही भ्रम है, तो आम नागरिकों को भविष्य में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है, चाहे इरादे कुछ भी हों। उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिए आम नागरिकों को बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है और एक चौकी से दूसरे तक भागना पड़ता है। उन्होंने कहा, ''जब कानून की बात आम आदमी की समझ में आती है तो उसका असर कुछ और ही होता है।''

अन्य देशों का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब संसद या विधानसभा में कोई कानून बनाया जाता है, तो उसे कानून की परिभाषा के भीतर विस्तार से समझाने के लिए तैयार किया जाता है, और दूसरा कानून का मसौदा ऐसी भाषा में तैयार किया जाता है जिसे सामान्य लोग आसानी से समझ सके। कानून के क्रियान्वयन की समय-सीमा भी निर्धारित की जाती है और नई परिस्थितियों में कानून की फिर से समीक्षा की जाती है। उन्होंने कहा, “न्याय में आसानी के लिए कानूनी व्यवस्था में स्थानीय भाषा एक बड़ी भूमिका निभाती है। युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक इको-सिस्टम भी बनाना होगा। कानून के पाठ्यक्रम मातृभाषा में होने चाहिए, हमारे कानून सरल भाषा में लिखे जाने चाहिए, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण मामलों के डिजिटल पुस्तकालय स्थानीय भाषा में होने चाहिए।”

श्री मोदी ने कहा, “जब न्यायिक व्यवस्था समाज के साथ-साथ विकसित होती है, तो उसमें आधुनिकता को अपनाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। परिणामस्वरूप, समाज में होने वाले परिवर्तन न्यायिक व्यवस्था के माध्यम से भी दिखाई देते हैं।” न्यायिक व्यवस्था में टेक्नोलॉजी को शामिल करने के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने ई-कोर्ट और वर्चुअल सुनवाई के उद्भव और ई-फाइलिंग को बढ़ावा देने की ओर इशारा किया। श्री मोदी ने कहा कि देश में 5जी के आने से इन व्यवस्थाओं में और भी तेजी आएगी। उन्होंने कहा, “हर राज्य को अपने सिस्टम को अपडेट और अपग्रेड करना होगा। यह हमारी कानूनी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य भी होना चाहिए कि इसे टेक्नोलॉजी के अनुसार तैयार किया जाए।”

उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त बैठक को याद करते हुए, जहां प्रधानमंत्री ने विचाराधीन कैदियों का मुद्दा उठाया था, उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों से ऐसे मामलों के निपटान के लिए त्वरित सुनवाई की दिशा में काम करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को विचाराधीन कैदियों के संबंध में मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए ताकि हमारी न्यायिक व्यवस्था मानवीय आदर्शों के साथ आगे बढ़े। श्री मोदी ने कहा, "एक समर्थ राष्ट्र और एक सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए एक संवेदनशील न्याय व्यवस्था आवश्यक है।”

संविधान की सर्वोच्चता के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान से ही न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका तीनों का ही जन्म हुआ है। अपने संबोधन के अंत में श्री मोदी ने कहा, “सरकार हो, संसद हो, हमारी अदालतें हों, तीनों एक तरह से एक ही मां की संतान हैं। इसलिए भले ही कार्य अलग-अलग हों, अगर हम संविधान की भावना को देखें, तो तर्क या प्रतिस्पर्धा की कोई गुंजाइश नहीं है। एक मां की संतान की तरह, मां भारती की सेवा करनी है, तीनों को मिलकर उन्हें 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।”

इस अवसर पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू और केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री श्री एस. पी. सिंह बघेल भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

गुजरात के एकता नगर में विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा दो-दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी की जा रही है। इस सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं को भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, नए विचारों का आदान-प्रदान करने और अपने आपसी सहयोग में सुधार करने में सक्षम होंगे।

सम्मेलन में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जैसे त्वरित और किफायती न्याय के लिए पंच-निर्णय और मध्यस्थता, समग्र कानूनी बुनियादी ढांचे का उन्नयन, अप्रासंगिक कानूनों को रद्द करने, न्याय तक पहुंच में सुधार, लंबित मामलों को कम करने और त्वरित निपटारा सुनिश्चित करने, एकरूपता लाने, न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए केंद्र और राज्य के बीच समन्वय कायम करने के लिए राज्य विधेयकों से संबंधित प्रस्ताव सहित अन्य विषयों पर चर्चा होगी।

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."