डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में नवोन्मेष की शक्ति उपयोग में लाने के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार की सराहना की
महानिदेशक ने प्रधानमंत्री से कहा, “आपकी हिमायत परम्परागत औषधियों के इस्तेमाल में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगी”
प्रधानमंत्री ने डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस को गुजराती नाम ‘तुलसी भाई’ दिया
“आयुष के क्षेत्र में निवेश और नवोन्मेष की अपार संभावनाएं”
“आयुष क्षेत्र जो 2014 में 3 बिलियन डॉलर से भी कम था, आज ये बढ़कर 18 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो गया है”
“भारत जड़ी-बूटियों का खज़ाना है, एक तरह से यह हमारा ‘हरित सोना’ है”
“पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न देशों के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों को औपचारिक रूप दिया गया है। हमारे आयुष विशेषज्ञ भारतीय मानक ब्यूरो के सहयोग से आईएसओ मानक विकसित कर रहे हैं, इससे 150 से अधिक देशों में आयुष के लिए विशाल निर्यात बाजार खुलेंगे”
“एफएसएसएआई का आयुष आहार हर्बल पोषणयुक्त सप्लीमेंटों का उत्पादन बढ़ाएगा”
“भारत एक स्पेशल आयुष मार्क भी बनाने जा रहा है, इससे विश्व भर के लोगों को आयुष उत्पादों की गुणवत्ता का भरोसा मिलेगा”
“सरकार देशभर में आयुष उत्पादों को बढ़ावा देने, अनुसंधान और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए आयुष पार्कों का एक नेटवर्क विकसित करेगी”
“भारत एक विशेष आयुष वीजा श्रेणी शुरू करेगा, ताकि आयुष थेरेपी के लिए लोग भारत आ सकें”
“आयुर्वेद की समृद्धि का मुख्य कारण उसका ओपन सोर्स मॉडल”
"अगले 25 वर्ष का अमृत काल पारम्परिक औषधियों का स्वर्णिम काल साबित होगा"

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस उपस्थित थे। केन्द्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, श्री सर्बानंद सोनोवाल, श्री मुंजपारा महेन्द्रभाई और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल उपस्थित थे। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में लगभग 90 प्रख्यात वक्ताओं और 100 प्रदर्शकों की उपस्थिति के साथ 5 पूर्ण सत्र, 8 गोलमेज सम्मेलन, 6 कार्यशालाएं और 2 संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। यह शिखर सम्मेलन निवेश क्षमता को उजागर करने में मदद करेगा, और नवोन्मेष, अनुसंधान और विकास, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और वेलनेस इंडस्ट्री को बढ़ावा देगा। यह उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और विद्वानों को एक साथ लाने में मदद करेगा और भविष्य के सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।

 

डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस ने महात्मा गांधी के राज्य और देश में उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जिसे उन्होंने 'विश्व का गौरव' कहा। उन्होंने कहा कि भारत का 'वसुधैव कुटुम्बकम' का दर्शन जामनगर में कल डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) के शुभारंभ के पीछे प्रेरणा की शक्ति है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की स्थापना ऐतिहासिक है और यह बहुत बड़ा बदलाव लाएगा। उन्होंने बताया कि केन्द्र को साक्ष्य, डेटा और स्थिरता तथा पारम्परिक चिकित्सा के अधिकतम उपयोग के एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए नवाचार के इंजन के रूप में तैयार किया गया है। महानिदेशक ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में नवोन्मेष की शक्ति उपयोग में लाने के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार की सराहना की। उन्होंने भारतीय अस्पतालों में डेटा और एकीकृत सूचना साझा करने की प्रणालियों के उपयोग की सराहना की। उन्होंने पारम्परिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए डेटा संग्रह की भावना को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय की प्रशंसा की। आयुष उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मांग और निवेश को देखते हुए महानिदेशक ने कहा कि पूरी दुनिया भारत आ रही है और भारत पूरी दुनिया में जा रहा है। उन्होंने सामान्य रूप से स्वास्थ्य और विशेष रूप से परम्परागत औषधियों में नवोन्मेष इकोसिस्टम में दीर्घकालिक निवेश; नवोन्मेषकों, उद्योग और सरकार द्वारा पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और उचित तरीके से पारम्परिक दवाएं विकसित करना व उन समुदायों के हितों की रक्षा करना जिन्होंने इन परम्पराओं को विकसित किया है उन्हें भी इन औषधियों के बाजार में आने पर लाभ देने पर जोर दिया, इसमें बौद्धिक संपदा के लाभ को साझा करना भी शामिल है। महानिदेशक ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए समापन किया। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, “इस महत्वपूर्ण पहल की हिमायत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे विश्वास है कि न केवल केन्द्र बल्कि आपकी हिमायत पारम्परिक दवाओं के उपयोग में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी", उन्होंने पारम्परिक चिकित्सा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ की भी प्रशंसा की। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव के वर्ष में डब्ल्यूएचओ के 75 वर्ष पूरे होने के सुखद संयोग का भी उल्लेख किया।

श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने पारम्परिक चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत और गुजरात की प्रशंसा की। उन्होंने अपने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के समर्थन का भी उल्लेख किया। भारत के साथ समान वंशावली को देखते हुए मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने अपने देश में आयुर्वेद को दिए गए महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने मॉरीशस में एक आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थापना की जानकारी दी और पहले लॉकडाउन के दौरान पारम्परिक दवाएं देने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने कहा, "यह एकजुटता उन भाव प्रदर्शनों में से एक थी जिसके लिए हम भारत सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के हमेशा आभारी हैं"।

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन का विचार उन्‍हें महामारी के समय आया था जब आयुष ने लोगों की रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार किया और आयुष उत्पादों में रुचि एवं मांग में वृद्धि देखी गई। महामारी से निपटने के भारतीय प्रयासों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देखा कि जो मॉडर्न फार्मा कंपनियां है, वैक्सीन मैन्यूफैक्चर्स हैं, उन्हें उचित समय पर निवेश मिलने पर उन्होंने कितना बड़ा कमाल करके दिखाया। कौन कल्‍पना कर सकता था कि इतनी जल्दी हम कोरोना की वैक्सीन विकसित कर पाएंगे।”

आयुष क्षेत्र द्वारा की गई प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हम पहले से ही आयुष दवाओं, सप्‍लीमेंटों और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में अभूतपूर्व तेजी देख रहे हैं। 2014 में, जहां आयुष क्षेत्र 3 अरब डॉलर से कम था, आज यह बढ़कर 18 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने पारम्परिक दवाओं के क्षेत्र में स्टार्टअप संस्‍कृति को प्रोत्साहन देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले ही अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा विकसित एक इन्क्यूबेशन सेंटर का उद्घाटन किया गया है। वर्तमान युग को निजी स्‍टार्ट अप कम्‍पनियों (यूनिकॉर्न) का युग बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में ही अब तक भारत के 14 स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की, "मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत ही जल्द आयुष के हमारे स्टार्ट-अप से भी यूनिकॉर्न उभर कर सामने आएंगे।" यह देखते हुए कि जड़ी-बूटियों का उत्पादन किसानों की आय और आजीविका बढ़ाने का एक अच्छा साधन हो सकता है और इसमें रोजगार सृजन की गुंजाइश हो सकती है, प्रधानमंत्री ने कहा, बहुत जरूरी है कि जड़ी-बूटियों की पैदावार से जुड़े किसानों को आसानी से बाजार से जुड़ने की सहूलियत मिले। इसके लिए सरकार आयुष ई-मार्केट प्लेस के आधुनिकीकरण और विस्तार पर भी काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, "भारत जड़ी-बूटियों का खजाना है, यह एक तरह से हमारा 'हरित सोना' है।"

प्रधानमंत्री ने आयुष उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले वर्षों में किए गए अभूतपूर्व प्रयासों के बारे में बताया। अन्य देशों के साथ आयुष दवाओं की पारस्परिक मान्यता पर जोर दिया गया है। इसके लिए पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न देशों के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापन किए गए हैं। उन्होंने कहा, “हमारे आयुष विशेषज्ञ भारतीय मानक ब्यूरो के सहयोग से आईएसओ मानक विकसित कर रहे हैं। यह 150 से अधिक देशों में आयुष के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार खोलेगा।”

श्री मोदी ने यह भी बताया कि एफएसएसएआई ने पिछले सप्ताह अपने नियमों में 'आयुष आहार' नाम की एक नई श्रेणी घोषित की है। इससे हर्बल पोषक तत्वों की खुराक के उत्पादकों को बहुत सुविधा होगी। इसी तरह भारत एक विशेष आयुष मार्क भी बनाने जा रहा है। भारत में बने उच्चतम गुणवत्ता वाले आयुष उत्पादों पर ये मार्क लगाया जाएगा। यह आयुष मार्क आधुनिक टेक्नोलॉजी के प्रावधानों से युक्त होगा। उन्होंने कहा, "इससे विश्व भर के लोगों को आयुष उत्पादों की गुणवत्ता का भरोसा मिलेगा।"

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सरकार देश भर में आयुष उत्पादों के प्रचार, अनुसंधान और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए आयुष पार्कों का एक नेटवर्क विकसित करेगी। ये आयुष पार्क भारत में आयुष निर्माण को नई दिशा देंगे।

पारम्परिक औषधि की क्षमता के बारे में चर्चा जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, केरल के पर्यटन को बढ़ाने में पारम्परिक औषधियों ने मदद की। ये समार्थ्य पूरे भारत में है, भारत के हर कोने में है। 'हील इन इंडिया' इस दशक का बहुत बड़ा ब्रांड बन सकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध आदि विद्याओं पर आधारित स्वास्थ्य केन्द्र बहुत लोकप्रिय हो सकते हैं। जो विदेशी नागरिक, भारत में आकर आयुष चिकित्सा का लाभ लेना चाहते हैं, उनके लिए सरकार एक और पहल कर रही है। शीघ्र ही, भारत एक विशेष आयुष वीजा श्रेणी शुरू करेगा। इससे लोगों को आयुष चिकित्सा के लिए भारत आने-जाने में सहूलियत होगी।

प्रधानमंत्री ने आयुष उपचार के बाद केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री, रैला ओडिंगा की पुत्री रोज़मेरी ओडिंगा की आंखों की रोशनी वापस आने की आयुर्वेद की सफलता की कहानी भी सुनाई। रोज़मेरी ओडिंगा दर्शकों में मौजूद थीं और प्रधानमंत्री ने उनका परिचय कराया व लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने आगे कहा कि 21वीं सदी का भारत अपने अनुभवों और अपने ज्ञान को दुनिया के साथ साझा कर आगे बढ़ना चाहता है। "हमारी धरोहर समूची मानवता के लिए एक विरासत की तरह है।" प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आयुर्वेद की समृद्धि के मुख्य कारणों में से एक इसका ओपन सोर्स मॉडल रहा है। आईटी क्षेत्र में ओपन-सोर्स मूवमेंट के साथ इसकी तुलना करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद की परम्परा अपने ज्ञान के आदान-प्रदान से मजबूती से आगे बढ़ी। उन्होंने अपने पूर्वजों से प्रेरणा लेते हुए ओपन सोर्स की समान भावना के साथ काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले 25 वर्ष का अमृत काल पारम्परिक औषधियों का स्वर्णिम काल साबित होगा।

प्रधानमंत्री का यह संबोधन एक बेहद ही निजी और दिलचस्प टिप्पणी के साथ समाप्त हुआ। डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस के भारत के प्रति प्रेम और अपने भारतीय शिक्षकों के प्रति उनके सम्मान और गुजरात के प्रति उनके स्नेह का वर्णन करते हुए, श्री मोदी ने उन्हें एक गुजराती नाम 'तुलसी भाई' दिया। उन्होंने दर्शकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रफुल्लित महानिदेशक को भारतीय परम्परा में तुलसी की शुभ और उत्कृष्ट स्थिति के बारे में बताया व उन्हें और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया।

 

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."