प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय पर आयोजित दीपावली मिलन को संबोधित किया। इस मौके पर दीपावली और छठ के पावन पर्व की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि भारतीय पर्व ग्लोबल हो रहे हैं आज हमारी उपलब्धियों के चलते भारत की ओर पूरी दुनिया देख रही है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि आज की जमीनी सच्चाई है। देश 2047 में विकसित बन सकता है, अगर हम सबकी ताकत लग जाए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक गांव में विजिट के दौरान हमने वुमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी दो करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य तय किया है।
कोविड के समय को याद करते हुए पीएम ने कहा कि वह कालखंड बहुत कठिन था। उस कालखंड में हमने कुछ ऐसे साथियों और पत्रकारों के साथ उनके परिवारजनों को भी खोया है जिनकी आयु कम थी। उन्होंने कहा कि आज के आपा-धापी के इस दौर में 40 वर्ष की आयु के बाद कम से कम एक रेगुलर मेडिकल चेकअप होना चाहिए। हम कोई ऐसी व्यवस्था विकसित कर सकते हैं, जिसमें मेडिकल चेकअप के लिए सरकार और बिजनेस हाउसेस कोई व्यवस्था करे। इस बार के उत्सव कोविड कालखंड के दबाव से पूरी तरह मुक्त नजर आए। ये माहौल इन दिनों बहुत विविधता से भरा है।
स्वच्छता अभियान की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि इसको मीडिया ने खूब तवज्जो दी। चाहे वो प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो, एक प्रकार से सभी ने इसे अपनाया और कभी पूर्णविराम नहीं आने दिया। उसमें नए-नए रंग भरते चले गए। सबने लगातार उस व्यवस्था, आंदोलन और भावना को प्राणवान बनाया। इसके लिए मुझे जब भी मौका मिलता है, मीडिया जगत का अभिनन्दन करता हूं।
वर्तमान समय में परिस्थितिजन्य संकटों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी एक नया संकट आया है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। इसके कुप्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि हम लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में एजुकेट कर सकते हैं कि वह कैसे काम कर रहा है? डीप फेक क्या कर सकता है? उन्होंने कहा कि मैंने अभी एक वीडियो देखा है, जिसमें मैं घर में गरबा कर रहा हूं। हालांकि सच्चाई ये है कि स्कूल एज के बाद मुझे कभी मौका मिला ही नहीं ये सब करने का। अभी जैसा वीडियो बनाया है, वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत है। लेकिन इसका दुरपयोग एक चिंता का विषय है।
पीएम ने कहा कि किसी समाज, व्यक्ति या राष्ट्र जीवन में कुछ पल आते हैं, जो हमें बहुत ऊँचाई पर ले जाते हैं। आज जो वैश्विक परिस्थितियां हम देख रहे हैं, उसमें हमारा ये कालखंड भव्यता की तरफ ले जाने वाला है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत केवल शब्द नहीं है, ये जमीनी सच्चाई है। विकसित भारत बनने की पूरी संभावना है। जैसे इस बार वोकल फॉर लोकल के लिए आप सबने भी मदद की है। अगर हम दीपोत्सव से छठ पूजा तक हिसाब लगाएं, तो इस एक वीक में साढ़े चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है। ये देश के लिए बहुत बड़ी बात है। इससे हर व्यक्ति की कमाई हुई है। उन्होंने कहा कि इसी ताकत के आधार पर हम विकसित भारत के संकल्प को बहुत विश्वास के साथ सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सकते हैं। आज विश्व भी हमारा मूल्यांकन कर रहा है और जिस प्रकार से आगे बढ़ रहे हैं, विश्व उसको स्वीकार कर रहा है।
महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर भारतीय मीडिया का ध्यान पहली बार तब गया जब एक विदेशी पत्रकार ने उस पर स्टोरी की। उस पत्रकार ने लिखा था कि ये कोई बहुत बड़े रिवॉल्यूशन का संकेत है। उस स्टोरी ने ही देश में लोगों को चौकन्ना कर दिया कि ये क्या हो रहा है? वरना यही लगता था की छोटे से रूट पर ढाई सौ लोग चल रहे हैं। और एक चुटकी भर नमक उठाकर होना क्या है? लेकिन बाद में हिंदुस्तान के मीडिया ने भी उसे एक ऐसा टर्निंग प्वाइंट बनाया, जिसने देश को विश्वास से भर दिया कि अब आजादी लेकर रहेंगे। उन्होने कहा कि आज दुनिया की तुलना में हमारा जो भी अचीवमेंट है, उसने सभी में यह विश्वास पैदा किया है कि भारत अब रुकने वाला नहीं है।
पीएम ने बताया कि पिछले पांच साल में साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। इतने परिवार जब न्यू मिडिल क्लास बनते हैं तो उनके एस्पिरेशन का लेवल अपर मिडल क्लास का होता है। उन्होंने कहा कि आज दिवाली का जो इतना बड़ा मार्केट है, उसके पीछे एस्पिरेशनल सोसाइटी ही तो है। जो बहुत तेजी से बराबरी करना चाहती है। अब उसका बैंक एकाउंट है, जेब में रुपे कार्ड है। रेहडी-पटरी ठेले वालों को बैंक से सहजता से लोन मिलने से उनका जीवन आसान हो रहा है।
मध्य प्रदेश के शहडोल का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि मैं एक आदिवासी गांव में समय बिताना चाहता था। शहडोल के पास महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप की बहनों को बातचीत के लिए बुलाया। वुमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं ने बताया कि हम सभी लोग एक साल में एक लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाली बहने हैं। ये एक बड़ी खुशी की और इंस्पायर करने वाली बात है। यहीं पर एक आदिवासी महिला ने बताया कि उनका पति साइकिल से मजदूरी करने जाता था। उसने पति के लिए स्कूटी खरीदी। फिर बैंक से लोन लेकर पति को ट्रैक्टर दिलाया। यही एस्पिरेशन मेरे देश की ताकत है। वहीं मैंने भी एक टार्गेट तय किया कि हम दो करोड़ महिलाएं को, जो वुमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी है, लखपति महिलाएं बनाने का लक्ष्य एचीव करेंगे। उन्होंने कहा कि यहीं पर नौजवानों ने मेरा परिचय मिनी ब्राजील गांव से भी कराया। इस गांव में कुछ घर ऐसे हैं, जहां की चार-चार पीढ़ी के लोग फुटबाल से जुड़े हैं। फुटबॉल के नेशनल प्लेयर तक बन रहे हैं। फुटबाल के प्रति ऐसा जुनून है कि गांव में जब फुटबॉल फेस्टिवल होता है, तो अगल-बगल के 20,000 दर्शक यहां एकत्रित होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के समापन पर विकसित भारत के संकल्प पर बात की। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि अगर हम सबकी ताकत लग जाए तो हमारा देश 2047 तक विकसित हो करके रहेगा। यह कोई किसी पार्टी का एजेंडा नहीं है, देश का है और मुझे इसमें मेरे सभी परिवारजनों की मदद चाहिए। जैसे मान लीजिए आप ही तय करेंगे कि 10 ऐसे शहरों में इकोनॉमी को बूस्ट करेंगे। आप कुछ ऐसी योजनाएं बनाइए कि ये 10 शहर अपनी इकोनॉमी को डबल करने के लिए क्या कर सकते हैं? दो साल तक ये मोमेंटम लाइए कि कोई न कोई बिजनेस हाउस एक-दो समिट कर ले। हर महीने इस विषय पर चर्चा हो कि इस शहर को राज्य की इकोनॉमी का ड्राइविंग इंजन बनाना है। इस प्रकार शहरों और राज्यों की बढ़ती इकोनॉमी देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाने के साथ-साथ भारत को विकसित राष्ट्र भी बनाएगी।