प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्व-भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि विश्व-भारती की 100 वर्ष की यात्रा बहुत विशेष है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है। पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव का विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है, यह अभियान भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।
विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
विश्वभारती, माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है।
भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है: PM
हमारा देश, विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भारत आज international solar alliance के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।
भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो Paris Accord के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है: PM
जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी।
भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी: PM
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भक्ति युग में,
हिंदुस्तान के हर क्षेत्र,
हर इलाके, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण,
हर दिशा में हमारे संतों ने,
महंतों ने,
आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया: PM
भक्ति आंदोलन वो डोर थी जिसने सदियों से संघर्षरत भारत को सामूहिक चेतना और आत्मविश्वास से भर दिया: PM
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
उन्होंने भक्ति का दायरा बढ़ाते हुए हर व्यक्ति में दिव्यता को देखना शुरु किया।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
उन्होंने व्यक्ति और संस्थान के निर्माण पर बल देते हुए कर्म को भी अभिव्यक्ति दी, प्रेरणा दी: PM
भक्ति का ये विषय तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महान काली भक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की चर्चा ना हो।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
वो महान संत, जिनके कारण भारत को स्वामी विवेकानंद मिले।
स्वामी विवेकानंद भक्ति, ज्ञान और कर्म, तीनों को अपने में समाए हुए थे: PM
भक्ति आंदोलन के सैकड़ों वर्षों के कालखंड के साथ-साथ देश में कर्म आंदोलन भी चला।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भारत के लोग गुलामी और साम्राज्यवाद से लड़ रहे थे।
चाहे वो छत्रपति शिवाजी हों, महाराणा प्रताप हों, रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेनम्मा हों, भगवान बिरसा मुंडा का सशस्त्र संग्राम हो: PM
जब भक्ति और कर्म की धाराएं पुरबहार थी तो उसके साथ-साथ ज्ञान की सरिता का ये नूतन त्रिवेणी संगम, आजादी के आंदोलन की चेतना बन गया था।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आजादी की ललक में भाव भक्ति की प्रेरणा भरपूर थी: PM
समय की मांग थी कि ज्ञान के अधिष्ठान पर आजादी की जंग जीतने के लिए वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया जाए और साथ ही उज्ज्वल भावी भारत के निर्माण के लिए नई पीढ़ी को तैयार भी किया जाए।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
और इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई, कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों ने, विश्वविद्यालयों ने: PM
सैकड़ों वर्षों के कालखंड में चले ये आंदोलन त्याग, तपस्या और तर्पण की अनूठी मिसाल बन गए थे।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
इन आंदोलनों से प्रभावित होकर हज़ारों लोग आजादी की लड़ाई में बलिदान देने के लिए आगे आए: PM
इन शिक्षण संस्थाओं ने भारत की आज़ादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलन को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी, नई ऊंचाई दी।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए,
ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मज़बूती दी और
कर्म आंदोलन ने हमें अपने हक के लिए लड़ाई का हौसला और साहस दिया: PM
वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी।
वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी: PM
उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए: विश्व-भारती।
मां भारती और विश्व के साथ समन्वय: PM
विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है।
— PMO India (@PMOIndia) December 24, 2020
आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।
ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है: PM
पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए