कोविड के बाद दुनिया को अपनी मानसिकता एवं प्रथाओं को पुनःनिर्धारित करने की आवश्यकता होगी
​​​​​​​100 स्मार्ट सिटीज ने 30 बिलियन डॉलर की परियोजनाएं तैयार की हैं
प्रधानमंत्री ने तीसरे वार्षिक ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निवेशकों को भारतीय शहरीकरण के क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज तीसरे वार्षिक ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “यदि आप शहरीकरण के क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए बेहतर अवसर हैं। यदि आप गतिशीलता में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए बेहतर अवसर हैं। यदि आप नवाचार में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए बेहतर अवसर हैं। यदि आप स्थायी समाधानों में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए बेहतर अवसर हैं। ये अवसर एक जीवंत लोकतंत्र में है। व्यवसाय के एक अनुकूल माहौल में है। एक बहुत बड़ा बाजार है, और एक सरकार जो भारत को वैश्विक निवेश का एक पसंदीदा गंतव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”

श्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 के बाद दुनिया को फिर से शुरुआत करने की आवश्यकता होगी, हालांकि पुनःनिर्धारण के बिना फिर से शुरुआत करना संभव नहीं होगा। मानसिकता को पुनःनिर्धारित करना होगा। प्रकियाओं और प्रथाओं को पुनःनिर्धारित करना होगा। महामारी ने हमें प्रत्येक क्षेत्र में नए प्रोटोकॉल विकसित करने का एक अवसर दिया है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “यदि हम भविष्य के लिए सशक्त प्रणालियों को विकसित करना चाहते हैं, तो इस अवसर का विश्व द्वारा उपयोग किया जाना चाहिए। हमें विश्व की कोविड के बाद की आवश्यकताओं के बारे में सोचना चाहिए। हमारे शहरी केंद्रों का पुनर्जीवन इस दिशा में एक अच्छा प्रारंभिक बिंदु होगा।

शहरी केंद्रों के कायाकल्प विषय पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में लोगों की केंद्रीयता पर जोर दिया। लोगों को सबसे बड़े संसाधन और समुदायों को सबसे बड़ा बिल्डिंग ब्लॉक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “इस महामारी ने फिर से बताया है कि हमारे सबसे बड़े संसाधन, समाज के रूप में और व्यवसाय के रूप में, हमारे लोग हैं। कोविड के बाद की दुनिया को इस महत्वपूर्ण और मूलभूत संसाधन को पोषित करना होगा।”

प्रधानमंत्री ने महामारी की अवधि के सबक को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। लॉकडाउन के दौरान स्वच्छ पर्यावरण के बारे में बात करते हुए उन्होंने इस बात की उत्सुकता व्यक्त की कि क्या हम ऐसे स्थायी शहरों का निर्माण कर सकते हैं जहां एक स्वच्छ वातारण एक मानक हो और अपवाद नहीं? श्री मोदी ने कहा, “भारत में यह प्रयास किया गया है कि हम ऐसे शहरी केंद्रों का निर्माण करें, जिनमें एक शहर की सुविधाएं तो हों, लेकिन भावना एक गांव की हो।”

उन्होंने 27 शहरों में डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, किफायती आवास, रियल एस्टेट (विनियमन), अधिनियम और मेट्रो रेल जैसे भारतीय शहरी परिदृश्य को पुनर्जीवित करने के लिए हाल की पहलों के बारे में फोरम को बताया। प्रधानमंत्री ने फोरम से कहा, “हम 2022 तक देश में 1000 किलोमीटर के करीब मेट्रो रेल प्रणाली प्रदान करने के लिए कार्य कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा “हमने दो चरणों वाली एक प्रक्रिया के माध्यम से 100 स्मार्ट सिटीज का चयन किया है। यह सहयोगी और प्रतिस्पर्धी संघवाद के दर्शन को बनाए रखने वाली एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता थी। इन शहरों ने लगभग दो लाख करोड़ रुपये या 30 बिलियन डॉलर की लागत वाली परियोजनाएं तैयार की हैं और लगभग एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये या 20 बिलियन डॉलर की लागत वाली परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या पूरी होने वाली हैं।”

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साथियों,

आज बजट सत्र के प्रारंभ मैं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम करता हूं। और ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है-

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।

मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं, समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं मां लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्ग समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।

साथियों,

हमारे गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे हुए हैं, और ये हर देशवासी के लिए सर्वाधिक गौरवपूर्ण है, और विश्व के लोकतांत्रिक जगत के लिए भी भारत का ये सामर्थ्य अपनी एक विशेष स्थान बनता है।

साथियों,

ये देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये दायित्व दिया है, और इस तीसरे कार्यकाल का ये पहला पूर्ण बजट है, और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, ये बजट सत्र, ये बजट एक नया विश्वास पैदा करेगा, नई ऊर्जा देगा, कि देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब विकसित होकर रहेगा। 140 करोड़ देशवासी अपने सामूहिक प्रयास से इस संकल्प को परिपूर्ण करेंगे। तीसरी टर्म में हम मिशन मोड में देश को सर्वांगीण विकास की दिशा में, चाहे वो भौगोलिक रूप से हो, सामाजिक रूप से हो या आर्थिक भिन्न-भिन्न स्तर के संदर्भ में हो। हम सर्वांगीण विकास के संकल्प को लेकर के मिशन मोड में आगे बढ़ते जा रहे हैं। इनोवेशन, इंक्लूजन और इन्वेस्टमेंट ये लगातार हमारे आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार रहा है।

इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक दिन, कल सदन में चर्चा होगी और व्यापक मंथन के साथ वो राष्ट्र की ताकत बढ़ाने का काम करने वाला कानून बनेंगे। विशेषकर नारी शक्ति के गौरव को पुन: प्रस्थापित करना, पंथ संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर के हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, उसको भी समान अधिकार मिले, उस दिशा में ये सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म, जब विकास की तेज गति को प्राप्त करना होता है, तो सबसे ज्यादा बल रिफॉर्म पर रहता है, राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर के परफॉर्म करना होता है और जन भागीदारी से हम ट्रांसफॉर्मेशन देख सकते हैं।

हमारा युवा देश है, युवा शक्ति है और आज जो 20-25 साल की आयु के नौजवान हैं, जब वे 45-50 साल के होंगे, तब वो विकसित भारत के सबसे बड़े बेनिफिशियरी होने वाले हैं। उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, नीति निर्धारण की व्यवस्था में उस जगह पर बैठे होंगे, कि वे गर्व के साथ आजादी के बाद जो शताब्दी शुरू होगी, एक विकसित भारत के साथ आगे बढ़ेंगे। और इसलिए ये विकसित भारत के संकल्प की पूर्ति का प्रयास, ये अथाग मेहनत, आज जो हमारी, हमारे टीनएजर्स हैं, हमारी युवा पीढ़ी है, उनके लिए ये बहुत बड़ा तोहफा बनने वाली है। जो लोग 1930 में, 1942 में आजादी के जंग में जुट गए थे, पूरी देश की युवा पीढ़ी खप गई थी, आजादी के जंग में, और उसके फल, 25 साल के बाद जब पीढ़ी आई, उसको नसीब हुए। उस जंग में जो नौजवान थे, उनको नसीब हुए। आजादी के पूर्व के वो 25 साल, आजादी का जश्न बनाने का अवसर बना। वैसे ही ये 25 वर्ष समृद्ध भारत, विकसित भारत, ये संकल्प से सिद्धि और सिद्धि से शिखर तक पहुंचने का देशवासियों का इरादा, और इसलिए इस बजट सत्र में सभी सांसद विकसित भारत को मजबूती देने के लिए अपना योगदान देंगे, विशेषकर के जो युवा सांसद हैं, उनके लिए तो सुनहरा अवसर है, क्योंकि वो आज सदन में जितनी जागरुकता, जितनी भागीदारी बढ़ाएंगे और विकसित भारत के जो फल है, वो तो उनकी नजर के सामने देखने को मिलने वाले हैं। और इसलिए युवा सांसदों के लिए एक अनमोल अवसर है।

साथियों,

मैं आशा करता हूं कि हम देश की आशा-आकांक्षाओं पर इस बजट सत्र में खरे उतरेंगे।

साथियों,

आज एक बात आपने जरूर नोट की होगी, मीडिया के लोगों को तो जरूर करनी चाहिए। शायद 2014 से लेकर अब तक, शायद ये पहला पार्लियामेंट का सत्र है, कि जिसके एक-दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं पकड़ी है, विदेश में से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। 10 साल से, 2014 से देख रहा हूं, हर सत्र के पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे, और यहां इसको हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है। ये पहला सत्र मैं पिछले 10 साल के बाद देख रहा हूं कि जिसमें किसी भी विदेशी कोने से, कोई चिंगारी नहीं हुई।

साथियों बहुत-बहुत धन्यवाद।