प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद के पाटनचेरु में इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) परिसर का दौरा किया और आईसीआरआईएसएटी की 50वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने पादप संरक्षण पर आईसीआरआईएसएटी के जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र और आईसीआरआईएसएटी के रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट केंद्र का भी उद्घाटन किया। ये दो सुविधाएं एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के छोटे किसानों को समर्पित हैं। प्रधानमंत्री ने आईसीआरआईएसएटी के विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए लोगो का भी अनावरण किया और इस अवसर पर जारी एक स्मारक डाक टिकट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और श्री जी. किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने बसंत पंचमी के पावन अवसर के बारे में चर्चा की और आईसीआरआईएसएटी को 50 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। देश और आईसीआरआईएसएटी दोनों के लिए अगले 25 वर्षों के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने नए लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के लिए काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने भारत सहित दुनिया के बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद करने में आईसीआरआईएसएटी के योगदान के लिए उसकी की सराहना की। उन्होंने पानी एवं मिट्टी के प्रबंधन, फसल की विविधता में सुधार, खेत की विविधता और पशुधन के बीच समन्वय कायम करने में उसके योगदान की सराहना की। उन्होंने किसानों को उनके बाजारों के साथ जोड़ने तथा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में दलहन एवं चना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उनके समग्र दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की। श्री मोदी ने कहा, "आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नोलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं जो कम संसाधनों के साथ विकास के अंतिम पायदान पर हैं। इसीलिए, प्रधानमंत्री ने दुनिया से जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान देने के लिए भारत के अनुरोध को दोहराया। उन्होंने लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट; पी3 - प्रो प्लेनेट पीपल मूवमेंट और 2070 तक भारत नेट जीरो टारगेट के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "भारत ने क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। प्रो-प्लेनेट पीपल एक ऐसा मूवमेंट है जो क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हर कम्युनिटी को, हर इंडिविजुअल को क्लाइमेट रिस्पांसिबिलिटी से जोड़ता है। ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी रिफ्लेक्ट होता है।”
प्रधानमंत्री ने देश के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों और 6 मौसमों की चर्चा करते हुए भारतीय कृषि के समृद्ध प्राचीन अनुभव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत का फोकस, अपने किसानों को जलवायु चुनौती से सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘मौलिकता को फिर से अपनाने’ (बैक टू बेसिक) और ‘भविष्य की ओर बढ़ने’ (मार्च टू फ्यूचर) के तालमेल पर है। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारा ध्यान हमारे 80 प्रतिशत से अधिक किसानों पर है, जो छोटे किसानों की श्रेणी में आते हैं और जिन्हें हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है।"
उन्होंने बदलते भारत के एक और आयाम यानी डिजिटल कृषि का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने भारत का भविष्य बताया और इस बात पर जोर दिया कि प्रतिभाशाली भारतीय युवा इस क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। उन्होंने फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण, ड्रोन द्वारा कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव जैसे क्षेत्रों को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि हम इन कार्यों में प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग को देख रहे हैं। उन्होंने कहा, "डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए भारत के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं।"
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि अमृत काल में, भारत उच्च कृषि विकास के साथ-साथ समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा, “कृषि में आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालने और उन्हें बेहतर जीवन-शैली की ओर ले जाने की क्षमता है। यह अमृत काल भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम क्षेत्रों के किसानों को भी नए साधन उपलब्ध कराएगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दोहरी रणनीति पर काम कर रहा है। एक ओर, जल संरक्षण और नदियों को जोड़ने के माध्यम से भूमि के एक बड़े हिस्से को सिंचाई के दायरे में लाया जा रहा है। दूसरी ओर, सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय मिशन भारत के नए दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस मिशन का लक्ष्य पाम ऑयल के क्षेत्र में छह लाख हेक्टेयर की वृद्धि करना है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह भारतीय किसानों को हर स्तर पर मदद करेगा और आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगा।” उन्होंने फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से 35 मिलियन टन की कोल्ड चेन स्टोरेज क्षमता के निर्माण और एक लाख करोड़ रुपये की कृषि अवसंरचना निधि (एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड) के सृजन जैसे कदमों पर भी प्रकाश डाला।
भारत एफपीओ और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा, “देश के छोटे किसानों को हजारों एफपीओ में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य सिर्फ खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाना नहीं है। भारत के पास विश्व के एक बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को चलाने के लिए पर्याप्त अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध है। उन्होंने कहा, “हम खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर फोकस कर रहे हैं। इसी विजन के साथ बीते 7 वर्षों में हमने अनेक बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित किया है।”
आईसीआरआईएसएटी एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो एशिया और अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में विकास के लिए कृषि अनुसंधान करता है। यह फसल की उन्नत किस्में और संकर प्रदान करके किसानों की मदद करता है और शुष्क भूमि के छोटे किसानों को भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में सहायता करता है।
आपके पास 5 दशकों का अनुभव है।
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इन 5 दशकों में आपने भारत सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद की है।
आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नॉलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है: PM @narendramodi at the Golden Jubilee celebrations of ICRISAT
भारत ने climate challenge से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है।
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भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो का टारगेट तो रखा ही है, हमने LIFE- Lifestyle for Environment की ज़रूरत को भी हाईलाइट किया है: PM @narendramodi
Pro planet people एक ऐसा मूवमेंट है जो क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हर community को, हर Individual को climate responsibility से जोड़ता है।
— PMO India (@PMOIndia) February 5, 2022
ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी रिफ्लेक्ट होता है: PM @narendramodi
भारत में 15 Agro-Climatic Zones हैं।
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हमारे यहां, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, ये 6 ऋतुएं भी होती हैं।
यानि हमारे पास एग्रीकल्चर से जुड़ा बहुत विविध और बहुत प्राचीन अनुभव है: PM @narendramodi
Climate challenge से अपने किसानों को बचाने के लिए हमारा फोकस back to basics और march to future, दोनों के फ्यूजन पर है।
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हमारा फोकस देश के उन 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है, जिनको हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है: PM @narendramodi
बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- डिजिटल एग्रीकल्चर।
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ये हमारा फ्यूचर है और इसमें भारत के टेलेंटेड युवा, बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं।
डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को empower कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं: PM @narendramodi
हम दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
— PMO India (@PMOIndia) February 5, 2022
एक तरफ हम water conservation के माध्यम से नदियों को जोड़कर एक बड़े क्षेत्र को irrigation के दायरे में ला रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ, हम कम सिंचित क्षेत्रों में Water use Efficiency बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन पर जोर दे रहे हैं: PM @narendramodi
आज भारत में हम FPOs और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन के निर्माण पर भी बहुत फोकस कर रहे हैं।
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देश के छोटे किसानों को हज़ारों FPOs में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं: PM @narendramodi
हम food security के साथ-साथ nutrition security पर फोकस कर रहे हैं।
— PMO India (@PMOIndia) February 5, 2022
इसी विजन के साथ बीते 7 सालों में हमने अनेक bio-fortified varieties का विकास किया है: PM @narendramodi