प्रधानमंत्री ने जून 2022 में पिछले सम्मेलन के बाद से विकास के क्षेत्र में देश की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में बताया, जिसमें भारत को जी20 की अध्यक्षता प्राप्त होना, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना, नए स्टार्टअप का तेजी से पंजीकरण होना, अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों के प्रवेश, राष्ट्रीय रसद नीति का शुभारंभ, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की स्वीकृति, आदि जैसे अनेक उदाहरण शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों और केंद्र को मिलकर काम करना चाहिए और प्रगति की रफ्तार को तेज करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए देश बुनियादी ढांचे, निवेश, नवाचार और समावेश (इन्फ्राट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट, इन्नोवेशन और इंक्लूजन) के चार स्तंभों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत में अपना विश्वास जता रही है और हमें एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता ला सकता है। उन्होंने कहा कि देश इसका पूरा फायदा तभी उठा पाएगा जब राज्य पहल करें, गुणवत्ता पर ध्यान बनाए रखें और भारत-प्रथम दृष्टिकोण के साथ निर्णय लें। उन्होंने कहा कि राज्यों को विकास समर्थक शासन, कारोबारी सुगमता, आसान जीवन और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रावधान पर ध्यान देना चाहिए।
आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न आकांक्षी जिलों में हासिल की गई सफलता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला मॉडल को अब एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम के रूप में ब्लॉक स्तर तक ले जाया जाना चाहिए। उन्होंने बैठक में मौजूद अधिकारियों से कहा कि वे अपने-अपने राज्यों में आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम प्रोग्राम को लागू करें।
एमएसएमई पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को एमएसएमई को औपचारिक बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन एमएसएमई को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हमें वित्त, प्रौद्योगिकी, बाजार और कौशल तक पहुंच उपलब्ध कराने की जरूरत है। उन्होंने और भी अधिक एमएसएमई को जीईएम पोर्टल पर लाने के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें एमएसएमई को ग्लोबल चैंपियन और ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। एमएसएमई के विकास में क्लस्टर के दृष्टिकोण की सफलता पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अद्वितीय स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और उनके लिए जीआई टैग पंजीकरण प्राप्त करने के लिए एमएसएमई क्लस्टर और स्वयं सहायता समूहों के लिंकेज का लाभ प्राप्त किया जा सकता है, इसे 'एक जिला एक उत्पाद' के प्रयास से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे ‘वोकल फॉर लोकल' के आह्वान को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्यों को अपने सर्वोत्तम स्थानीय उत्पादों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थित एकता मॉल का उदाहरण भी दिया।
प्रधानमंत्री ने अति-विनियमन और प्रतिबंधों के बोझ को याद किया जो कभी देश के सामने था, और केंद्र और राज्य स्तरों पर हजारों अनुपालनों को समाप्त करने के लिए किए गए सुधारों को याद किया। उन्होंने पुराने कानूनों को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में भी बात की, जिनमें से कुछ आजादी के बाद से कायम हैं।
इस बात पर चर्चा करते हुए कि विभिन्न सरकारी विभाग एक ही दस्तावेज कैसे मांगते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रपत्रों के स्व-प्रमाणन, मान्य स्वीकृति और मानकीकरण की ओर बढ़ना आज समय की आवश्यकता है। उन्होंने पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टरप्लान पर चर्चा करते हुए बताया कि देश किस तरह भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने डेटा सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं के निर्बाध वितरण के लिए एक सुरक्षित टेक्नोलॉजी इन्फ्राट्रक्चर के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों को एक मजबूत साइबर सुरक्षा रणनीति अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह निवेश भविष्य के लिए एक बीमा की तरह है। उनके द्वारा साइबर सुरक्षा ऑडिट प्रबंधन और संकट प्रबंधन योजनाओं के विकास से संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री ने देश के तटीय क्षेत्रों के विकास पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश का विशाल विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र संसाधनों से लैस है और देश के लिए जबरदस्त अवसर प्रदान करता है। सर्कुलर इकोनॉमी के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली) और इसे आगे बढ़ाने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
यह कहते हुए कि भारत की पहल पर, संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटा अनाज न केवल स्मार्ट भोजन है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है और भविष्य में एक स्थायी भोजन बन सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यों को मोटे अनाज के उत्पादों से संबंधित अनुसंधान पर काम करना चाहिए जैसे प्रसंस्करण, पैकेजिंग, विपणन, ब्रांडिंग आदि और मोटे अनाज के उत्पादों के समग्र मूल्यवर्धन को बढ़ावा दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने देश भर के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों और राज्य सरकार के कार्यालयों में 'बाजरा कैफे' स्थापित करने पर भी चर्चा की, यह कहते हुए कि राज्यों में आयोजित होने वाली जी20 बैठकों में पोषक अनाज प्रदर्शित किया जा सकता है।
राज्यों में जी-20 की बैठकों से संबंधित तैयारियों के लिए प्रधानमंत्री ने आम नागरिकों को शामिल करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के 'सिटीजन कनेक्ट' को प्राप्त करने के लिए रचनात्मक समाधानों की परिकल्पना की जानी चाहिए। उन्होंने जी-20 से जुड़ी तैयारियों के लिए एक समर्पित टीम गठित करने की भी सलाह दी। प्रधानमंत्री ने ड्रग्स, अंतर्राष्ट्रीय अपराधों, आतंकवाद और विदेशी धरती से उत्पन्न होने वाली भ्रामक सूचनाओं से उत्पन्न चुनौतियों पर भी राज्यों को आगाह किया।
प्रधानमंत्री ने नौकरशाही की क्षमता बढ़ाने और मिशन कर्मयोगी के शुभारंभ की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अपने प्रशिक्षण सुविधाओं की भी समीक्षा करनी चाहिए और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिवों के इस सम्मेलन को आयोजित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर लगभग 4000 अधिकारियों ने काम किया है, जिसके लिए 1 लाख 15 हजार घंटे से अधिक मैन आवर लगा है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों को जमीनी स्तर पर भी प्रतिबिंबित होना चाहिए, और राज्यों से सम्मेलन से निकलने वाले सुझावों के आधार पर कार्ययोजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करने को कहा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग को इस संबंध में राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतियोगिता भी विकसित करनी चाहिए।