प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज बैंकों और एनबीएफसी के हितधारकों के साथ भविष्य के लिए दृष्टि और रोडमैप तैयार करने पर आयोजित चर्चा और विचार-विमर्श सत्र में शामिल हुए।
देश के विकास को सहायता प्रदान करने में वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। इस बात को रेखांकित किया गया कि छोटे उद्यमियों, एसएचजी, किसानों को अपनी ऋण जरूरतों को पूरा करने के लिए संस्थागत ऋण का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। प्रत्येक बैंक को स्थिर ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिरीक्षण करने और अपनी प्रथाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बैंकों को सभी प्रस्तावों के साथ एकसमान व्यवहार नहीं करना चाहिए। बैंक के अनुरूप प्रस्तावों को अलग करने और पहचानने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें अपनी योग्यता के आधार पर धन प्राप्त होगा और पिछले एनपीए के नाम उन्हें परेशानी नहीं उठनी पड़ेगी।
इस बात पर जोर दिया गया कि सरकार बैंकिंग प्रणाली के पीछे मजबूती से खड़ी है। सरकार इनके समर्थन और विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई भी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।
बैंकों को ग्राहकों के डिजिटल संकलन की ओर बढ़ने के लिए केंद्रीकृत डेटा प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल प्रलेखन और सूचना के सहयोगात्मक उपयोग जैसे फिनटेक अपनाने चाहिए। इससे क्रेडिट बढ़ाने, ग्राहकों के लिए आसानी बढ़ाने, बैंकों के लिए कम लागत और धोखाधड़ी को कम करने में मदद मिलेगी।
भारत ने एक मजबूत, कम लागत वाला बुनियादी ढांचा तैयार किया है जो प्रत्येक भारतीय को बड़े डिजिटल लेनदेन को भी आसानी से करने में सक्षम बनाता है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों के बीच रुपे और यूपीआई के उपयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिए।
एमएसएमई के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन, अतिरिक्त केसीसी कार्ड, एनबीएफसी और एमएफआई के लिए धन उपलब्धता जैसी योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की गई। यह रेखांकित किया गया कि अधिकांश योजनाओं में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, बैंकों को संबंधित लाभार्थियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संकट की इस अवधि में उन्हें ऋण समर्थन समय पर उपलब्ध हो।