श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखंड राज्य अस्तित्व में आया
"आजादी के इस अमृत काल में राष्ट्र ने ठाना है कि भारत की जनजातीय परंपराओं और इसकी वीरता गाथाओं को देश और अधिक सार्थक और भव्य पहचान देगा"
"यह संग्रहालय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों और नायिकाओं के योगदान को दर्शाने वाली विविधता से भरी हमारी जनजातीय संस्कृति का जीवंत स्थल बनेगा"
“भगवान बिरसा समाज के लिए जीवन जिए, उन्होंने अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए जीवन का परित्याग कर दिया, इसलिए, आज भी वह हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में विद्मान है”

भारत सरकार ने घोषणा की है कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया। इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परम्पराओं को, इसकी शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया है कि आज से हर वर्ष देश 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाएगा।

प्रधानमंत्री ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जिनकी प्रबल इच्छाशक्ति से झारखंड राज्य अस्तित्व में आया। श्री मोदी ने कहा, "यह अटल जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले एक अलग जनजातीय मंत्रालय का गठन किया और जनजातीय हितों को देश की नीतियों से जोड़ा।"

प्रधानमंत्री ने देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को भगवान बिरसा मुंडा स्मारक उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, "ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी जनजातीय संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा।"

भगवान बिरसा के दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए, प्रधानमत्री ने कहा कि भगवान बिरसा जानते थे कि आधुनिकता के नाम पर विविधता, प्राचीन पहचान और प्रकृति के साथ सामजस्य बिठाने का प्रयास समाज के कल्याण का तरीका नहीं है लेकिन इसके साथ-साथ ही वे आधुनिक शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे और अपने ही समाज की बुराइयों और कमियों के खिलाफ आवाज उठाने का साहस रखते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारतीयों के हाथों में स्थानांतरित करना है। इसके अलावा 'धरती आबा' की लड़ाई भी उस सोच के खिलाफ थी जो भारत के जनजातीय समाज की पहचान मिटाना चाहती थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि "भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग कर दिया। इसलिए, वह आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे लेकिन उन्होंने जीवन के इस छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिखा और भारत की पीढ़ियों को दिशा दी।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.