भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी भले ही सिर्फ 20 वर्ष पुरानी हो लेकिन हमारी सभ्यता और आध्यात्मिक साझेदारी काफी पुरानी है: प्रधानमंत्री मोदी 
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं: पीएम मोदी 
भारत रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया के तहत फ्रांस के निवेश का स्वागत करता है: प्रधानमंत्री

मोनामी मिस्यु ल प्रेसिदों मेक्रों,

सम्मानीय शिष्ट मंडलो के सदस्यगण,

मीडिया,
नमस्कार।


मैं राष्ट्रपति मेक्रों का, और उनके साथ आए प्रतिनिधि मंडल का, भारत में सहर्ष हार्दिक स्वागत करता हूँ। राष्ट्रपति जी, कुछ महीने पहले पिछले साल आपने पेरिस में खुले दिल से और गले मिलकर बहुत गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया था। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज मुझे भारत की धरती पर आपका स्वागत करने का मौका मिला।

राष्ट्रपति जी,

आप और मैं यहां साथ-साथ खड़े हैं। हम सिर्फ दो सशक्त स्वतंत्र देशों व दो विविधतापूर्ण लोकतंत्रों के ही नेता नहीं हैं। हम दो समृद्ध और समर्थ विरासतों के उत्तराधिकारी हैं।

हमारी strategic partnership भले ही 20 साल पुरानी हो, हमारे देशों और हमारी सभ्यताओं की spiritual partnership सदियों लम्बी है।

18वीं शताब्दी से लेकर आज तक, पंचतंत्र की कहानियों के ज़रिये, वेद, उपनिषद, महाकाव्यों श्री रामकृष्ण और श्री अरबिंद जैसे महापुरुषों के ज़रिये, फ्रांसीसी विचारकों ने भारत की आत्मा में झांककर देखा है। वोल्तेय (Voltaire), विक्टर ह्युगो, रोमाँ रोलाँ, रेने दौमाल, आंद्रे मलरो जैसे असंख्य युगप्रवर्तकों ने भारत के दर्शन में अपनी विचाराधाराओं का पूरक और प्रेरक पाया है।


राष्ट्रपति जी,

आज हमारी यह मुलाक़ात सिर्फ दो देशों के नेताओं की मुलाकात ही नहीं, दो समान विचारवाली सभ्यताओं और उनकी समग्र धरोहरों का समागम है, संगम है। यह संयोग मात्र नहीं है कि Liberty, Equality, Fraternity – की गूंज फ्रांस में ही नहीं, भारत के संविधान में भी दर्ज हैं। हमारे दोनों देशों के समाज इन मूल्यों की नींव पर खड़े हैं। इन मूल्यों के लिए हमारे वीर सैनानियों ने दो विश्व युद्धों में अपनी कुर्बानियाँ दी हैं।

Friends,

फ्रांस और भारत की एक मंच पर उपस्थिति एक समावेशी, खुले, और समृद्ध व शान्तिमय विश्व के लिए सुनहरा संकेत है। हमारे दोनों देशों की स्वायत्त और स्वतंत्र विदेश नीतियाँ सिर्फ अपने-अपने हित पर ही नहीं, अपने देशवासियों के हित पर ही नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को सहेजने पर भी केंद्रित है। और आज, वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यदि कोई दो देश कंधे से कंधा मिला कर चल सकते हैं, तो वे हैं भारत और फ्रांस। राष्ट्रपति जी, आपके नेतृत्व ने यह ज़िम्मेदारी आसान कर दी है। जब 2015 में International Solar Alliance का launch हुआ था, तो Paris में फ्रांस के राष्ट्रपति जी के साथ हुआ था। कल International Solar Alliance Founding Conference का आयोजन साझा ज़िम्मेदरियों के प्रति हमारी कार्यशील जागरुकता का ज्वलंत उदाहरण है। मुझे ख़ुशी है कि यह शुभ कार्य फ्रांस के राष्ट्रपति जी के साथ ही होगा।

Friends,

रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष और high technology में भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय सहयोग का इतिहास बहुत लम्बा है। दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंधों के बारे में bipartisan सहमति है। सरकार किसी की भी हो, हमारे संबंधों का ग्राफ़ सिर्फ़ और सिर्फ़ ऊँचा ही जाता है। आज की हमारी बातचीत में जो निर्णय लिए गए, उनका एक परिचय आपको अभी हुए समझौतों में मिल गया है। और इसलिए, मैं सिर्फ़ तीन specific विषयों पर अपने विचार रखना चाहूँगा। पहला, रक्षा क्षेत्र में हमारे संबंध बहुत गहन हैं, और हम फ्रांस को सबसे विश्वस्त रक्षा साझेदारों में एक मानते हैं। हमारी सेनाओं के सभी अंगों के बीच विचार-विमर्श और युद्ध अभ्यासों का नियमित रूप से आयोजन होता है। रक्षा उपकरणों और उत्पादन में हमारे संबंध मजबूत हैं। रक्षा क्षेत्र में France द्वारा Make in India के committment का हम स्वागत करते हैं।

आज हमारी सेनाओं के बीच reciprocal logistics support के समझौते को मैं हमारे घनिष्ठ रक्षा सहयोग के इतिहास में एक स्वर्णिम क़दम मानता हूँ। दूसरा, हम दोनों का मानना है कि भविष्य में विश्व में सुख-शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए Indian Ocean क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। चाहे पर्यावरण हो, या सामुद्रिक सुरक्षा, या सामुद्रिक संसाधन, या freedom of navigation and overflight, इन सभी विषयों पर हम अपना सहयोग मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। और इसलिए, आज हम Indian Ocean क्षेत्र में अपने सहयोग के लिए एक Joint Strategic Vision जारी कर रहे हैं।

और तीसरा, हम मानते हैं कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के उज्जवल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयाम है हमारे people-to-people संबंध, विशेष रूप से हमारे युवाओं के बीच। हम चाहते हैं कि हमारे युवा एक दूसरे के देश को जानें, एक दूसरे के देश को देखें, समझें, वहां रहें, वहां काम करें, ताकि हमारे संबंधों के लिए हज़ारों Ambassadors तैयार हों। और इसलिए, आज हमने दो महत्वपूर्ण समझौते किये हैं, एक समझौता एक दूसरे की शिक्षा योग्यताओं को मान्यता देने का है, और दूसरा हमारी migration and mobility partnership का है। ये दोनों समझौते हमारे देशवासियों के, हमारे युवाओं के बीच क़रीबी संबंधों का framework तैयार करेंगे।

Friends,

हमारे संबंधों के अन्य कई आयाम हैं। सभी का उल्लेख करूँगा तो शाम हो जाएगी। रेलवे, शहरी विकास, पर्यावरण, सुरक्षा, अंतरिक्ष, यानि ज़मीन से आसमान तक, ऐसा कोई विषय नहीं है जिस पर हम साथ मिल कर काम न कर रहे हों। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी हम सहयोग और समन्वय के साथ काम करते हैं। अफ्रिकी देशों से भारत और फ्रांस के मज़बूत सम्बन्ध रहे हैं। ये हमारे सहयोग का एक और आयाम विकसित करने का मज़बूत आधार प्रदान करते हैं। कल International Solar Alliance की Founding Conference की सह-अध्यक्षता राष्ट्रपति मेक्रों और मैं करेंगे। हमारे साथ कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और मंत्रीगण भी उपस्थित होंगे। Planet Earth के भविष्य की खातिर, हम सभी International Solar Alliance की सफ़लता के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राष्ट्रपति जी, मुझे आशा है कि परसों वाराणसी में आपको भारत की उस प्राचीन और साथ ही चिरनवीन आत्मा का अनुभव होगा जिसकी तरलता ने भारत की सभ्यता को सींचा है। और जिसने फ्रांस के अनेक विचारकों, साहित्यकारों और कलाकरों को प्रेरित भी किया है। आने वाले दो दिनों में राष्ट्रपति मेक्रों और मैं विचारों का आदान-प्रदान जारी रखेंगे। मैं एक बार फ़िर राष्ट्रपति मेक्रों का, और उनके delegation का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

य वू रेमर्सि 

 

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आत्मनिर्भरता और संप्रभुता का प्रमाण है भारत का डिफेंस ट्रांसफॉर्मेशन’
January 31, 2025

हाल के वर्षों में भारत के डिफेंस सेक्टर में अभूतपूर्व वृद्धि और आधुनिकीकरण हुआ है, जो स्वदेशी उत्पादन, रणनीतिक निवेश और आत्मनिर्भरता पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से प्रेरित है। ₹10,000 करोड़ के पिनाका रॉकेट अम्युनिशन डील से लेकर अग्नि V MIRV और प्रलय जैसी उन्नत मिसाइल तकनीकों तक, देश वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है।

भारत की उभरती रक्षा क्षमताओं के बारे में बोलते हुए, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत का डिफेंस ट्रांसफॉर्मेशन आकस्मिक नहीं है; यह रणनीतिक नीतियों, टेक इनोवेशन और हमारी संप्रभुता के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम है। हम न केवल अपने सशस्त्र बलों को सुसज्जित कर रहे हैं; हम आने वाली पीढ़ियों के लिए आत्मनिर्भरता की नींव रख रहे हैं।’

DRDO द्वारा विकसित पिनाका उन्नत रॉकेट सिस्टम भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं का प्रतीक बन गया है। सिंह ने कहा, "पिनाका एक हथियार से कहीं अधिक है - यह भारत के अपने तकनीकी विकास पर भरोसा करने के दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है। यह सुनिश्चित करता है कि हमारे सशस्त्र बल यहीं भारतीय धरती पर बने विश्व स्तरीय सिस्टम से लैस हों।" यह सौदा, जिसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र शामिल हैं, देश के भीतर इनोवेशन को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस अग्नि-5 मिसाइल की भारत द्वारा सफल तैनाती इसकी स्‍ट्रैटेजिक डिटरेंस कैपेबिलिटीज को दर्शाती है। सिंह ने जोर देकर कहा, 'अग्नि-5 एक मजबूत संदेश देता है: भारत किसी भी खतरे के खिलाफ अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है। यह हमारी डिटरेंस कैपेबिलिटीज को बढ़ाता है और आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारी तत्परता को दर्शाता है।'

प्रलय सामरिक मिसाइल के शामिल होने से भारत की मारक क्षमताएं और मजबूत होंगी। तेजी से तैनाती और सटीक निशाना लगाने के लिए डिजाइन की गई यह मिसाइल हाई एल्टीट्यूड और बॉर्डर ऑपरेशंस के लिए आदर्श है। सिंह ने कहा, 'प्रलय एक गेम चेंजर है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत किसी भी संघर्ष परिदृश्य में तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाब दे सकता है।' उन्होंने मिसाइल को आधुनिक युद्ध के लिए DRDO के इनोवेटिव अप्रोच का प्रमाण बताया।

भारत का डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEWs) में प्रवेश भी उतना ही प्रभावशाली है, जो सैन्य टेक्नोलॉजी के भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है। लेजर-आधारित और माइक्रोवेव-आधारित हथियारों सहित ये प्रणालियाँ ड्रोन और मिसाइलों जैसे उन्नत खतरों को बेअसर करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। सिंह ने कहा, ‘DEWs अगली पीढ़ी के युद्ध में नेतृत्व करने की हमारी क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। ये प्रणालियाँ भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं।'

सिंह ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के रक्षा बजट में आए बदलावों पर भी प्रकाश डाला। 2014 से पहले रक्षा खर्च मुख्य रूप से रखरखाव पर केंद्रित था, आधुनिकीकरण में सीमित निवेश था। आज, प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में रक्षा बजट में लगातार वृद्धि हुई है, 2024-25 के लिए आवंटन 6.21 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने कहा, 'हमारे बजट हमारी प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। हमारे रक्षा आधुनिकीकरण बजट का लगभग 75% घरेलू खरीद पर केंद्रित है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक रुपया हमारी आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करे।'

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, श्री सिंह ने कहा, "देश में निजी रक्षा उद्योग के मजबूत विकास की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, इस आधुनिकीकरण बजट आवंटन का 25% निजी रक्षा उद्योग से खरीद के लिए आरक्षित किया गया है। इससे निजी क्षेत्र को मजबूत मांग का आश्वासन मिला है, जिससे उन्हें आगे निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिला है। जहां तक ​​घरेलू रक्षा उद्योग के विकास का सवाल है, यह एक बड़ा बदलाव है।"

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एक और बड़ा परिवर्तन पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों का जारी होना है, जिसमें 500 से अधिक प्रमुख रक्षा वस्तुएं शामिल हैं, जिनका उत्पादन समय के साथ देश के भीतर किया जाना है। इन सूचियों ने रक्षा में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को क्रमबद्ध रूप से साकार करने के लिए एक रोडमैप प्रदान किया है।

इंफ्रास्ट्रक्चर एक और महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को काफी बढ़ाया है। अटल टनल जैसी परियोजनाएं रक्षा तैयारियों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को इंटीग्रेटेड करने की सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं। सिंह ने कहा, 'सभी मौसमों में काम आने वाली सड़कों और सुरंगों का विकास यह सुनिश्चित करता है कि हमारे सैनिक स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाते हुए तेजी से आगे बढ़ सकें। यह सुरक्षा और समावेश की दोहरी उपलब्धि है।'

भारत का डिफेंस ट्रांसफॉर्मेशन सीमाओं की सुरक्षा से कहीं आगे तक फैला हुआ है; यह देश के भविष्य को सुरक्षित करने और इसे वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के बारे में है। सिंह ने कहा, 'हमारी यात्रा इनोवेशन, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प की यात्रा है। हम एक मजबूत भारत का निर्माण कर रहे हैं जो किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।'

भारत का डिफेंस सेक्टर देश की सुदृढ़ता और दूरदर्शिता का उदाहरण है, जो आधुनिकीकरण, स्वदेशी उत्पादन और रणनीतिक निवेश पर केंद्रित है। जैसा कि राजनाथ सिंह ने सटीक रूप से कहा, 'भारत केवल हथियार नहीं बना रहा है; हम आने वाली पीढ़ियों के लिए ताकत, सुरक्षा और संप्रभुता का निर्माण कर रहे हैं।'