आदरणीय राष्ट्रपति जी, आदरणीय उपराष्ट्रपति जी, लोकसभा की अध्यक्षा जी, पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय देवगौड़ा जी, मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, सदन के सभी सम्मानित सदस्यगण, और विविध क्षेत्र से पधारे हुए सभी वरिष्ठ महानुभाव,
राष्ट्र के निर्माण में कुछ ऐसे पल आते हैं जिस पल पर हम किसी नए मोड़ पर जाते हैं, नए मुकाम की ओर पहुंचने का प्रयास करते हैं। आज इस मध्य रात्रि के समय हम सब मिल करके देश का आगे का मार्ग सुनिश्चित करने जा रहे हैं।
कुछ देर बाद, देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा। सवा सौ करोड़ देशवासी इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी हैं। GST की ये प्रक्रिया, ये सिर्फ अर्थव्यवस्था के दायरे तक सीमित है, ऐसा मैं नहीं मानता। पिछले कई वर्षों से अलग-अलग महानुभावों के मार्गदर्शन में, नेतृत्व में, अलग-अलग टीमों के द्वारा जो प्रक्रियाएं चली हैं, वो एक प्रकार से भारत के लोकतंत्र की भारत की, संघीय ढांचे की, Co-operative Federalism के हमारे concept की एक बहुत बड़ी मिसाल के रूप में आज ये अवसर हमारा आया है। इस पवित्र अवसर पर आप सब अपना बहुमूल्य समय निकाल करके आए हैं, मैं हृदय से आपका स्वागत करता हूं, आपका आभार व्यक्त करता हूं।
ये जो दिशा हम सबने निर्धारित की है, जो रास्ता हमने चुना है, जिस व्यवस्था को हमने विकसित किया है; यह किसी एक दल की सिद्धि नहीं है, यह किसी एक सरकार की सिद्धि नहीं है, ये हम सबकी सांझी विरासत है, हम सबके सांझे प्रयासों का परिणाम है। और रात्रि को 12 बजे इस Central Hall में हम एकत्र आए हैं। ये वो जगह है जिस जगह पे इस राष्ट्र के अनेक महापुरुषों के पद-चिन्हों से, इस जगह ने अपने-आपको पावन किया हुआ है; ऐसी पवित्र जगह पर हम बैठे हैं। और इसलिए आज Central Hall, इस घटना के साथ हम याद करते हैं, 9 दिसम्बर, 1946, संविधान सभा की पहली बैठक का ये सभागृह साक्षी है। हम उस स्थान पर बैठे हैं, जब संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई। पंडित जवाहलाल नेहरू, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहेब अम्बेडकर, आचार्य कृपलानी, डॉक्टर राजेन्द्र बाबू, सरोजनी नायडू, ये सब महापुरुष पहली कतार में बैठे हुए थे।
उस सदन में जहां कभी 14 अगस्त, 1947, रात को 12 बजे, देश की स्वतंत्रता की उस पवित्र महान घटना; ये स्थान उनका साक्ष्य है।
26 नवम्बर, 1949 देश ने संविधान को स्वीकार किया। यही जगह उस महान घटना का भी साक्षी के रूप में है। और आज वर्षों के बाद एक नई अर्थव्यवस्था के लिए, संघीय ढांचे की एक नई ताकत के लिए GST के रूप में इसी पवित्र स्थान से बढ़ करके मैं समझता हूं कोई और स्थान नहीं हो सकता है, इस काम के लिए।
संविधान का मंथन 2 साल, 11 महीने और 17 दिन तक चला था। हिन्दुस्तान के कोने-कोने से विद्वतजन उस बहस में हिस्सा लेते थे, वाद-विवाद होते थे, राजी-नाराजी होती थी, सब मिल करके बहस करते थे, रास्ते खोजते थे। कभी इस पार, कभी उस पार नहीं जा पाए तो बीच का रास्ता खोज करके चलने का प्रयास करते थे; ठीक उसी तरह ये GST भी एक लम्बी विचार-प्रक्रिया का परिणाम है। सभी राज्यों समान रूप से, केन्द्र सरकार उसी की बराबरी में, और सालों तक चर्चा की है। संसद में इसके पूर्व के भी सांसदों ने, उसके पूर्व के सांसदों ने लगातार इस पर बहस की है। एक प्रकार से best brains of the country, उन्होंने लगातार इस काम को किया है, और उसी का परिणाम है कि आज ये GST को हम साकार रूप में देख सकते हैं।
जब संविधान बना, तो संविधान ने पूरे देश के नागरिकों को समान अवसर, समान अधिकार, उसके लिए सुनिश्चित व्यवस्था खड़ी कर दी थी। और आज GST एक प्रकार से सभी राज्यों के मोतियों को एक धागे में पिरोने का और आर्थिक व्यवस्था के अंदर एक सुचारू व्यवस्था लाने का एक अहम प्रयास है। GST एक Co-operative Federalism की एक मिसाल है, जो हमें हमेशा-हमेशा और अधिक साथ मिलकर चलने की ताकत देगी। GST, ये ‘टीम इंडिया’ का क्या परिणाम हो सकता है, इस ‘टीम इंडिया’ की कर्तव्य शक्ति का, सामर्थ्य का परिचायक है।
ये GST Council केंद्र और राज्य में मिल करके उन व्यवस्थाओं को विकसित किया है, जिसमें गरीबों के लिए जो पहले उपलब्ध सेवाएं थीं, उन सारी सेवाओं को बरकरार रखा है। दल कोई भी हो, सरकार कहीं की भी हो; गरीबों के प्रति संवेदनशीलता इस GST के साथ जुड़े हुए सब लोगों ने समान रूप से उसकी चिंता की है। मैं GST Council को बधाई देता हूँ, अब तक इस काम का नेतृत्व जिन-जिन लोगों ने किया है, अरुण जी ने विस्तार से कहा था, मैं उसका, मैं उसका पुनरावर्तन नहीं करता हूं। मैं उन सबको भी बधाई देता हूं, इस प्रक्रिया को जिन-जिन लोगों ने आगे बढ़ाया, उन सबको मैं बधाई देता हूं।
आज GST Council की 18वीं मीटिंग हुई और थोड़ी देर के बाद GST लागू होगा। ये भी संजोग है कि गीता के भी 18 अध्याय थे और GST Council की भी 18 मीटेंगें हुई और आज हम उस सफलता के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। एक लंबी प्रक्रिया थी, परिश्रम थी, शंकाए, आशंकाए थी, राज्यों के मन में गहरे सवाल थे। लेकिन अथाह पुरूषार्थ, परिश्रम, दिमाग की जितनी भी शक्ति उपयोग में लाई जा सकती है ला कर के इस कार्य को पार किया है। चाणक्य ने कहा था
तत् सर्वम् तपसा साध्यम तपोहिदुर्तिक्रमम।
चाणक्य के इस वाक्य ने हमारी पूरी GST प्रक्रिया को बड़े ही अच्छे ढंग से कहा है। कोई वस्तु कितनी ही दूर क्यों न हो, उसका मिलना कितना ही कठिन क्यों न हो, वो पहुंच से कितनी ही बाहर क्यों न हो, कठिन तपस्या और परिश्रम से उसे भी प्राप्त किया जा सकता है और यह आज हुआ है।
हम कल्पना करें कि देश आज़ाद हुआ, 500 से ज्यादा रियासतें थीं। अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन रियासतों को मिलाकर के देश को एक न किया होता, देश का एकीकरण न किया होता तो भारत का राजनीतिक मानचित्र कैसा होता? कैसा बिखराव होता! आजादी होती लेकिन देश का वो मानचित्र कैसा होता? जिस प्रकार से सरदार वल्लभ भाई पटेल ने रियासतों को मिला करके एक राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत बड़ा काम किया था, आज GST के द्वारा आर्थिक एकीकरण का एक महत्वपूर्ण काम हो रहा है। 29 राज्य, 7 केन्द्र शासित प्रदेश, केन्द्र के 7 Tax, राज्यों के 8 Tax और हर चीजों के अलग-अलग Tax का हिसाब लगाएं, तो 500 प्रकार के Tax कहीं न कहीं अपना Role Play कर रहे थे। आज उन सबसे मुक्ति पाकर के, अब गंगानगर से ले करके ईटानगर तक, लेह से ले करके लक्षद्वीप तक One Nation-One Tax, यह सपना हमारा साकार होकर रहेगा।
और जब इतने सारे Tax, 500, अलग-अलग हिसाब लगाएं 500 Tax। अलबर्ट आइंसटीन प्रखर वैज्ञानिक उन्होंने एक बार बड़ी मज़ेदार बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दुनिया में अगर कोई चीज समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है तो वो है Income Tax, यह अलबर्ट आइंसटीन ने कहा था। मैं सोच रहा था अगर वो यहां होते तो पता नहीं ये सारे Tax देखकर के क्या कहते, क्या सोचते? और इसलिए, और हमने देखा है कि उत्पाद के अंदर के उत्पादन में तो ज्यादा कोई बहुत असमानता नहीं आती है, लेकिन जब Product बाहर जाता है तो राज्यों के अलग-अलग Tax के कारण असमानता दिखती है। एक ही चीज दिल्ली में एक दाम होगा, 25-30 किलोमीटर गुरूग्राम में दूसरा charge लगेगा और उधर नौएड़ा में गए तो तीसरा होगा। क्यों, क्योंकि हरियाणा का Tax अलग, उत्तरप्रदेश का Tax अलग, दिल्ली का अलग। इन सारी विविधताओं के कारण सामान्य नागरिक के मन में सवाल उठता था कि मैं गुरूग्राम में जाता हूं तो यही चीज मुझे इतने में मिल जाती है, वही चीज नौएड़ा में जाऊं तो इतने में मिलती है और दिल्ली में जाता हूं तो इतने में मिलती है। एक प्रकार से हर किसी के लिए Confusion की स्थिति रहती थी। अब पूंजी निवेश में भी विदेशों के लोगों के लिए यह सवाल रहता था कि भई किस, एक व्यवस्था हम समझते हैं और काम कहीं सोचते हैं, तो दूसरे राज्य में दूसरी व्यवस्था सामने आती है और एक Confusion का माहौल बना रहता था, आज उससे मुक्ति की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं।
अरूण जी ने बड़ा विस्तार से वर्णन किया है कि GST के कारण Octroi की व्यवस्था हो, Entry Tax हो, Sale Tax हो, VAT हो, न जाने कितनी चीजे़, सारा वर्णन उन्होंने विस्तार से किया सब खत्म हो जाएगा। हम जानते हैं कि हम Entry के टोल पर घंटों तक हमारे Vehicle खड़े रहते हैं। देश का अरबों खरबों का नुकसान होता है। Fuel के जलने के कारण पर्यावरण का भी उतना ही नुकसान होता है। इस सारी व्यवस्था Similar होने के कारण, एक प्रकार से उन सारी अव्यवस्थाओं में से एक मुक्ति का मार्ग हमें प्राप्त होगा।
कभी-कभार Perishable Goods खास करके समय पर पहुंचना बहुत आवश्यक होता था, लेकिन वो जब नहीं पहुंचता था तो उसके कारण उस पहुंचाने वाले का भी नुकसान होता था और जो Processing करता था उसका भी नुकसान होता था। इन सारी जो व्यवहार जीवन की अव्यवस्थाए थी, उन अव्यवस्थाओं से आज हम मुक्ति पा रहे हैं और हम आगे बढ़ रहे हैं।
GST के तौर पर देश एक आधुनिक Taxation System की ओर आज कदम रख रहा है, बढ़ रहा है। एक ऐसी व्यवस्था है जो ज्यादा सरल है, ज्यादा पारदर्शी है; एक ऐसी व्यवस्था है जो जो काले धन को और भ्रष्टाचार को रोकने में एक अवसर प्रदान करती है; एक ऐसी व्यवस्था है जो ईमानदारी को अवसर देती है, जो ईमानदारी से व्यापार करने के लिए एक उमंग, उत्साह करने की व्यवस्था इससे मिलती है; एक ऐसी व्यवस्था है जो नए Governance के Culture को भी ले करके आती है और जिसके द्वारा GST हम लेकर आए हैं।
साथियों,
Tax Terrorism और Inspector राज, ये बात कोई नई नहीं है। सबदूर ये शब्द हम सुनते आए हैं, परेशानी भुगतने वालो से हमने उस चिंता को अनुभव किया है और GST की इस व्यवस्था के कारण Technologically के लिए सारा Trail होने के कारण, अब अफसरशाही, सब उसके लिए Grey Area बिलकुल समाप्त हो रहा है। उसके कारण जो सामान्य व्यापारियों को, सामान्य कारोबारियों को अफसरों के द्वारा जो परेशानियां होती रही है, उससे मुक्ति का मार्ग इस GST के द्वारा; कोई ईमानदार व्यापारी बेवजह परेशान हो वो दिन इसके साथ खत्म होने की पूरी संभावना इस GST के अंदर है। इस पूरी व्यवस्था में, छोटे व्यापारियों को 20 लाख तक का व्यापार करने वालों को पूरी तरह मुक्ति दे दी गई है। और जो 75 लाख तक हैं, उनको भी कम से कम इस चीजों से जुड़ना पड़े इसकी व्यवस्था की है। ये बात ठीक है कि structure में लाने के लिए कुछ व्यवस्थाएं की हैं लेकिन वो minimum व्यवस्थाएं, नाममात्र की व्यवस्थाएं की गई हैं और उसके कारण सामान्य मानवी जो है, उसके लिए इस नई व्यवस्था से कोई बोझ होने वाला नहीं है।
साथियों,
GST की व्यवस्था, ये बड़ी-बड़ी आर्थिक भाषा में जो बोला जाता है; वहां तक सीमित नहीं है। बड़े-बड़े शब्द इसके साथ जोड़े जाते हैं, लेकिन अगर सरल भाषा में कहो कि देश के गरीबों के हित के लिए ये व्यवस्था सबसे ज्यादा सार्थक होने वाली है। आजादी के 70 साल के बाद भी हम गरीबों तक जो पहुंचा नहीं पाए हैं, ऐसा नहीं कि प्रयत्न नहीं हुए हैं। सब सरकारों ने प्रयत्न किए हैं। लेकिन संसाधनों की मर्यादा रही है कि हम हमारे देश के गरीब की उन आवश्यकताओं की पूर्ति में कहीं न कहीं कम पड़े हैं।
अगर हम संसाधनों को सुव्यस्थित ढंग से और बोझ किसी एक पर न जाएं, बोझ sparred हो जाएं, Horizontal जितना हम sparred करें, उतना ही देश को Vertical ले जाने की सुविधा बढ़ती है। और इसलिए उस दिशा में जाने का काम, अब वो कच्चा बिल, पक्का बिल, ये सारे खेल खत्म हो जाएंगे, बड़ी सरलता हो जाएगी। और मुझे विश्वास है छोटे-मोटे व्यापारी भी, ये जो गरीब को benefit मिलने वाला है, वो जरुर उसको transfer करेंगे, ताकि गरीब का भला, हम लोगों का आगे बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत काम आने वाला है।
कभी-कभी आशंकाएं होती हैं कि ये नहीं होगा, ढिकना नहीं होगा, फलाना नहीं होगा और हमारे देश में हम जानते हैं कि जब XIh और XIIth के रिजल्ट online देने की शुरूआत की और एक साथ सब गए जब, तो सारा hang-up हो गया और दूसरे दिन खबर यही बन गई कि ऐसा हो गया। आज भी काफी ऐसी ही चर्चा होती है।
ये बात ठीक है कि हर किसी को technology नहीं आती है। लेकिन हर परिवार में दसवीं, बारहवीं का अगर विद्यार्थी है, तो उसको ये सारी चीजें आती हैं। कोई मुश्किल काम नहीं, इतना सरल है, घर में 10वीं, 12वीं का विद्यार्थी भी रहता है, वो चीजें छोटे से व्यापारी को भी और वो मदद कर सकता है, एक रास्ता निकल सकता है।
जो लोग आशंकाएं करते हैं, मैं कहता हूं कृपा करके ऐसा मत कीजिए। अरे आपका पुराना डॉक्टर हो, आप उसी से अपनी आंखें लगातार check करवाते हो। वो ही हर बार आपके नंबर निकालता हो, आपका चश्मा बनाने वाला भी निश्चित हो, आप वहां अपने नंबर बनवाते हो, और फिर भी जब नया नंबर वाला चश्मा आता है तो एकाध-दो दिन तो आंख ऊपर-नीचे करके adjust करना पड़ता है; ये बस इतना ही है। और इसलिए थोड़ा सा हम प्रयास करेंगे इस व्यवस्था के साथ हम आसानी से जुड़ जाएंगे। और इसलिए थोडा सा अगर हम प्रयास करेंगे तो इस व्यवस्था से हम आसानी से जुड़ जाएंगे। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अफवाहों के बाजार को बंद करें और अब, जब देश चल पड़ा है तो सफल कैसे हो, देश के गरीब-जनों की भलाई के लिए कैसे काम हो, उस पर हम ले करके चलें और तब जा करके कम होगा।
GST के इस निर्णय का, वैश्विक economic world में एक बहुत सकारात्मक प्रभाव हुआ है। भारत में जो पूंजी निवेश करना चाहते हैं उनके लिए भी एक प्रकार की व्यवस्था बहुत आसानी से वो समझ पाते हैं और उसको चला पाते हैं। मैं समझता हूं भारत में और आज दुनिया का एक प्रिय destination के रूप में; निवेश के लिए प्रिय destination के रूप में भारत को हर प्रकार से स्वीकृति मिली है और इसके लिए मैं समझता हूं कि एक अच्छी सुविधा विश्व–व्यापार से जुड़े हुए लोगों को भी भारत के साथ व्यापार करने के लिए मिलेगी।
GST एक ऐसा catalyst है जो देश के व्यापार को, उसमें जो असंतुलन है, उस असंतुलन को खत्म करेगा। GST एक ऐसा catalyst है जिससे Export Promotion को भी बहुत बल मिलेगा। और GST एक वो व्यवस्था है, जिसके कारण आज हिन्दुस्तान में जो राज्य ठीक से विकसित हुए हैं, उनको विकास के अवसर तुरंत मिलते हैं। लेकिन जो राज्य पीछे रह गए हैं, उनको वो अवसर तलाशने में बहुत दम घोटना पड़ता है। उन राज्यों का कोई दोष नहीं है। प्राकृतिक संपदा से समृद्ध हैं, हमारा बिहार देखें, हमारा पूर्वी उत्तर प्रदेश देखें, हमारा पश्चिम बंगाल देखें, हमारे North-East के देखें, हमारा उड़ीसा देखें, संसाधन, प्राकृतिक संसाधनों से भरे पड़े हैं। लेकिन अगर उनको ये, ये व्यवस्था, जब एक कानून की व्यवस्था मिल जाएगी, मैं साफ देख रहा हूं कि हिन्दुस्तान का पूर्वी हिस्सा के विकास में मैं जो कुछ भी कमी रह गई है, उसको पूरा करने का सबसे बड़ा अवसर, सबसे बड़ा अवसर इससे मिलने वाला है। हिन्दुस्तान के सभी राज्यों को विकास के समान अवसर प्राप्त होना, ये अपने-आप में विकास की राह पर आगे बढ़ने का एक बहुत बड़ा अवसर है।
GST, एक प्रकार से जैसे हमारी Railway है। रेलवे- केंद्र और राज्य मिल करके चलाते हैं, फिर भी भारतीय रेल के रूप में हम देखते हैं। राज्य के अंदर स्थानीय रूप से मदद मिलती है, एक समान रूप से हम देखते हैं। हमारे Central Service के अधिकारी केंद्र और राज्यों में वितरित हैं, फिर भी दोनों तरफ से मिल करके चला सकते हैं। एक GST ऐसी व्यवस्था है कि जिसमें पहली बार केंद्र और राज्य के लोग मिल करके निश्चित दिशा में काम करने वाले हैं। ये अपने-आप में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लिए एक उत्तम से उत्तम व्यवस्था आज हो रही है, और जिसका प्रभाव आने वाले दिनों में, आने वाली पीढियां हमें गर्व के साथ स्वीकार करेंगी।
2022, भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। ‘New India’ का सपना ले करके हम चल पड़े हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी ‘New India’ बनाने के सपनों को ले करके चल रहे हैं। और इसलिए भाइयो, बहनों, GST एक अहम भूमिका अदा करेगी और हम लोगों ने जिस प्रकार से प्रयास किया है। लोकमान्य तिलक जी ने जो गीता रहस्य लिखा है, उस गीता रहस्य के समापन में उन्होंने वेद का एक मंत्र भी उसमें समाहित किया है। उस वेद का मंत्र आज भी हम लोगों के लिए प्रेरणा देने वाला है। और लोकमान्य तिलक जी ने कहा है- उसका उल्लेख किया हुआ है- मूलत: ऋग्वेद का श्लोक है-
समान वस्तु वो मनो यथावा सुसहासिति
आप लोगों का संकल्प, निश्चय और भाव-अभिप्राय एक समान रहे, आप लोगों के हृदय एक समान हों, जिससे आप लोगों का परस्पर कार्य सर्वत्र एक साथ भली प्रकार से हो सके। इस भाव से लोकमान्य तिलक जी ने भी हमें आज परिणाम दिया है।
GST ‘New India’ की एक Tax व्यवस्था है। GST ‘Digital भारत’ की Tax व्यवस्था है। GST सिर्फ ‘Ease of doing Business’ नहीं है, GST ‘Way of Doing Business’ की भी एक दिशा दे रहा है। GST सिर्फ एक Tax Reform नहीं है, लेकिन वो आर्थिक Reform का भी एक अहम कदम है। GST आर्थिक Reform से भी आगे एक सामाजिक Reform का भी एक नया तबका, जो एक ईमानदारी के उत्सव की ओर ले जाने वाला ये बन रहा है। कानून की भाषा में GST-Goods and Service Tax के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन GST से जो लाभ मिलने वाले हैं और इसलिए मैं कहूंगा कि कानून भले ही कहता हो कि Goods and Service Tax, लेकिन हकीकत में ये Good and Simple Tax है और Good इसलिए कि Tax पर Tax, Tax पर Tax जो लगते थे, उससे मुक्ति मिल गई। Simple इसलिए है कि पूरे देश में एक ही Form होगा, एक ही व्यवस्था होगी और उसी व्यवस्था से चलने वाला है और इसलिए उसे हमें आगे बढ़ाना है।
मैं आज इस अवसर पर आदरणीय राष्ट्रपति जी ने समय निकालकर के, क्योंकि इस सारी यात्रा के वे भी एक साथी रहे हैं, सहयात्री रहे हैं; इसके हर पहलु को उन्होंने भली-भांति देखा है, जाना है, प्रयास किया है। उनका मार्गदर्शन इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घड़ी में हम सबके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा का कारण बनेगा। नया उमंग और उत्साह मिलेगा और उसको ले करके हम आगे चलेंगे।
मैं आदरणीय राष्ट्रपति जी से… मैं उनका बहुत आभारी हूं कि वो आज आएं हम सबका मार्गदर्शन करने के लिए और उनकी बातें हम सबको एक नई प्रेरणा देती रहेगी। इसी एक भाव के साथ मैं फिर एक बार इस प्रयत्न के साथ जुड़े हुए हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूँ और श्रद्धेय राष्ट्रपति जी से आग्रह करता हूं कि वो हमारा मार्ग दर्शन करे।