"Shri Narendra Modi speaks on ‘Good Governance Through Democracy’ at launch of Shri Vinay Sahasrabuddhe’s book ‘Beyond a Billion Ballots’ "
"CM launches Shri Vinay Sahasrabuddhe’s book ‘Beyond a Billion Ballots’ "
"Shri Modi stresses on the importance of trust and trusteeship in governance "
"Those who serve in Government are not the rulers but the servants (Sevaks) of the people: Shri Modi "
"Institutions cannot be people centric. The need is to institutionalize ideas and good practices. A person may be there or not but the framework must remain: Shri Modi "
"Those who cannot accept victory and defeat through democratic means are misusing the CBI. And now, it is CBI vs IB. Does it happen in any nation? Institutions are being broken and just see how: Shri Modi "
"Political interference harms good governance but political intervention encourages people’s participation: Shri Modi "
"In Government there is only accountability of commission, no accountability of omission and we need to change that…we need to shift the focus from procedure audit to performance audit: Shri Modi"

स्वराज से सुराज की ओर: श्री मोदी का प्रेरक चिंतन

स्वराज प्राप्ति के बाद अब जन -जन में सुराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, यह मंत्र गूंजना चाहिए: मुख्यमंत्री श्री मोदी

सरकार पर से भरोसा उठ जाए यह स्थिति सवा सौ करोड़

भारतीयों के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट है

लोकतंत्र तभी मजबूत बन सकता है जब नागरिक का दायित्व सार्वजनिक सम्पत्ति को खुद का समझकर उसकी रक्षा करना हो

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज शाम मुम्बई में विनय सहस्र बुद्धे की पुस्तक विमोचन समारोह में स्वराज से सुराज की यात्रा के विषय में मौलिक चिंतन करते हुए कहा कि अब जन जन में स्वराज प्राप्ति के बाद भारत में सुराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है की आवाज उठनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र का कोई दोष नहीं है- गुड गवर्नेंस, सुराज्य के लिए इन्हीं संसाधनों, इसी व्यवस्था, इसी मानवशक्ति और इसी धन से परिवर्तन लाया जा सकता है। यह गुजरात के सुशासन की सफलता ने साबित कर दिया है।

भारतीय जनता पार्टी के अग्रणी और रामभाउ म्हालगी प्रतिष्ठान के महानिदेशक विनय सहस्र बुद्धे की बियॉन्ड ए बिलियन बेलट्स अंग्रेजी पुस्तक का विमोचन आज श्री मोदीने किया।

लोकतंत्र में सरकार अर्थात् सत्तावाहक नहीं बल्कि सेवक का प्रभाव होना चाहिए। यह मौलिक चिंतन पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य में शासन का दायित्व उसके हितों का मकसद स्वराज के बाद शासक का काम लोकशक्ति को सशक्त करने का होना चाहिए। शासक लोकतंत्र में सत्ता और दंड देने वाला नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक्टिविस्ट और एकेडेमिश्यन के संशोधन, मंथन के बीच की भेदरेखा दर्शाते हुए कहा कि विनय सह्स्र बुद्धे ने अपने अनुभवों के निष्कर्षों से संशोधन किया है।

देश में 60 साल के लोकतंत्र में स्थगितता इसलिए आई है कि राजनैतिक नेताओं ने ऐसी मानसिकता बनाई है कि वोट से पांच साल तक सरकार चलाने का ठेका मिल गया है। लोकतंत्र इस ठेका प्रथा की पद्धति नहीं है। जन जन की आकांक्षा की पूर्ति का माध्यम है। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत भूल सुधारने का अवसर है। जिसे शासन सौंपा है अगर वह कसौटी में खरा नहीं उतरता तो जनता उसका विकल्प खोज लेती है।

26 जून 1975 को आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला दबा दिया गया था यह भारत की आजादी का काला दिन था। इसके बावजूद भारत में इस बारे में जागृति नजर नहीं आती। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र की साधना करने वाले समर्पित लोगों को इसके लिए जागृति पैदा करनी चाहिए।

लोकमान्य तिलक का नारा था स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। इसके कारण स्वराज्य के लिए कईयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। हमें स्वराज्य तो मिला मगर सुराज्य नहीं मिला। सुशासन मिला होता तो 100 करोड़ की जनशक्ति का देश आज दुनिया में शक्तिशाली लोक्तांत्रिक शास्न में सर्वोपरी बन गया होता।

लोक्तंत्र में जॉब और सर्विस का चिंतन अलग है। कम्पनी में काम करने वाला कर्मचारी जॉब करता है, यह कहा जाता है, मगर सरकारी कर्मचारी तो सर्विस सेवाभाव से जनता का कर्तव्य चुकाता है। सरकार गरीबों की हितैषी, गरीबों की आशा, आकांक्षा की पूर्ति करने वाली हो, यह गांधीजी का चिंतन था। सरकार को कोई भी निर्णय करना हो तो वह गरीबतम व्यक्ति के लिए खुशी की वजह बने तभी वह निर्णय सही होगा।

देश की वर्तमान दुर्दशा और सभी क्षेत्रों में लोगों का बरोसा टूटा है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पहले डाकिये पर भरोसा था, आज सरकार के डाक विभाग पर भरोसा नहीं रहा। इसी वजह से कुरियर व्यवस्था आई। यह सरकार के प्रति अविश्वास का उदाहरण है। पहले सरकारी स्कूलों में बालकों को पढ़ाते थे, आज सरकारी स्कूलों पर से गरीब लोगों का भरोसा उठ गया है। लोग कर्जा लेकर भी निजी स्कूल खोजते हैं। इस मनोस्थिति ने सरकार की कार्यक्षमता पर से भरोसा उठा दिया है।

इस लोकतंत्र में सुराज्य लाने, जनता की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए हर नागरिक में इस देश की सार्वजनिक सम्पत्ति में अपनेपन की भावना से उसकी रक्षा करने का भाव जरूरी है।

अगर जनता के मन में सरकार और शासन व्यवस्था के प्रति शक पैदा हो तो सुराज्य की भावना नहीं रहेगी।

सवा सौ करोड़ लोगों का सरकार पर से भरोसा और शासकों का जनता पर से भरोसा उठ जाएगा तो अभाव की स्थिति ऐसे संकटों को जन्म देगी कि वही प्रगति की अवरोधक बन जाएगी।

सरकार समाज में सब पर शंका और अविश्वास की नजर से सत्तावाहिनी बन जाए तो जनता जनार्दन के प्रति विश्वास, लोकतंत्र की विभावना नहीं है। सरकार ट्रस्टिशिप की भावना रखे, मालिकीपन की भावना ना रखे तो ही लोकतंत्र मजबूत होगा। ट्रस्ट और ट्रस्टिशिप की भावना ही लोकतंत्र को मजबूती देगी।

लोकतंत्र की एक शर्त यह है कि शासन व्यवस्था में व्यक्ति नहीं, सरकार नहीं बल्कि इंस्टिट्युशनल नेटवर्क- फ्रेमवर्क मजबूत होगा तो लोकतांत्रिक शासन हर समस्या का निराकरण करने में सक्षम बनेगा। व्यक्ति बिगड़ सकता है, संस्था नहीं। संस्थागत व्यवस्था बेहतर हो और कोई समस्या आई तो उसका हल निकल सकता है।

दुर्भाग्य से केन्द्र के शासकों मे साठ साल में इंस्टीट्युशनल व्यवस्थाओं, प्लानिंग कमीशन को अनुपयोगी बनाया अब एनएसी बनाकर अपनी निर्णयशक्ति सरकार के प्रधानमंत्री पर थोप दी है।

संविधान की धारा 365 और सीबीआई का दुरुपयोग करने में दिल्ली में बैठे शासक लोकतांत्रिक मार्ग से विजय –पराजय का सामना नहीं करते, वह सीबीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं। अब तो सीबीआई- आईबी संस्थाओं के बीच संघर्ष का बीज अपने स्वार्थी हितों के लिए बो दिया गया है। इससे देश के लोकतंत्र का भला नहीं होगा।

भारत का संविधान डेमोक्रेटिक फेडरल स्ट्रक्चर है मगर आज पाकिस्तान के साथ लड़ाई से ज्यादा जुनून देश के कांग्रेस विरोधी राज्यों के साथ केन्द्र के वर्तमान शासक दिखा रहे हैं।

लोकतांत्रिक शासन में राजनैतिक हस्तक्षेप चुनी हुई व्यवस्था के लिए संकट है। शासन में निर्वाचित प्रतिनिधि नीति निर्धारक हैं मगर प्रशासक उसका अमल करता है। अगर पॉलिटिक्स लीडरशिप ऐसी मजबूत हो तो पॉलिटिकल इंटर्फियंस नहीं, पॉलिटिकल इंटरवेशन ही लोक्तंत्र में जनशक्ति की भागीदारीका फलक विकसित करेगा।

गुड गवर्नेंस की पूर्व आवश्यकताओं के रूप में जनता जनार्दन को निर्णय में भागीदार बनाने का फार्मूला तैयार करना होगा। सरकार में विभिन्न विभाग भी निर्णय के लिए पारदर्शी नहीं थे मगर गुजरात सरकार ने प्रत्येक पॉलिसी ड्राफ्ट ऑनलाइन रखकर जनता से सुझाव मांगे और सर्वस्वीक्र्त पॉलिसी बनाई है। सरकार पर जनता के बारह साल के भरोसे ने विकास में जनभागीदारी से अभूतपूर्व सफलता हासिल की है।

भूकम्प पुनर्वास और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की जल व्यवस्थापन समिति ने सुन्द्र परिणाम दिए हैं। अवार्ड जीते हैं। कन्या केलवणी कोष में कन्या शिक्षा के लिए जनता पैसा देती है।

महात्मा गांधीजी के रामराज्य की विभावना और धर्मनिर्पेक्षता के ढोंगी ठेकेदारों की रामराज्य की विकृत मानसिकता पर श्री मोदी ने कहा कि जिसके मन में जो रिसीविंग सेंटर होगा वह उसका अथघटन वैसा ही करेगा। रामराज्य को धर्मनिर्पेक्षता के लिए खतरा बताएगा।

युपीए सरकार प्रोसिजरल ऑडिट नहीं, पर्फॉर्मेंस ऑडिट बताए, यह मांग करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार को आउटपुट या आउटलेय नहीं बल्कि आउटकम पर ध्यान देना चाहिए।

कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में उपनेता गोपीनाथ मुंडे, महाराष्ट्र भाजपा के पदाधिकारी, आमंत्रित मेहमान और शुभचिंतक मौजूद रहे।

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प्रधानमंत्री ने डॉ. हरेकृष्ण महताब को उनकी 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
November 22, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज डॉ. हरेकृष्ण महताब जी को एक महान व्यक्तित्व के रूप में स्‍मरण करते हुए कहा कि उन्होंने भारत की स्‍वतंत्रता और प्रत्येक भारतीय के लिए सम्मान और समानता का जीवन सुनिश्चित करने के लिए अपना सम्‍पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनकी 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, श्री मोदी ने डॉ. महताब के आदर्शों को पूर्ण करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

राष्ट्रपति की एक एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा:

"डॉ. हरेकृष्ण महताब जी एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने और हर भारतीय के लिए सम्मान और समानता का जीवन सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ओडिशा के विकास में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वे एक प्रबुद्ध विचारक और बुद्धिजीवी भी थे। मैं उनकी 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके आदर्शों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता हूं।"