प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र का आह्वान किया है कि वह ऐसे बैंकों की स्थापना करे, जो विश्व के शीर्ष बैंकों में वरीयता प्राप्त कर सकें।
वे आज पुणे में ज्ञान संगम - द बैंकर्स रीट्रीट को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह संभवतः पहला अवसर है, जबकि बैंकों ने एक प्रेजेंटेशन के जरिए प्रधानमंत्री को कार्य निर्दिष्ट किए हैं। श्री मोदी ने कहा कि ज्ञान संगम ने मुद्दों के समाधान के लिए टीम भावना और सामूहिक इच्छा शक्ति व्यक्त की है। उन्होंने ज्ञान संगम को एक बेजोड़ पहल बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बैंकर्स रीट्रीट का उद्देश्य समस्याओं का समाधान तलाश करना था, और रूपांतरण को प्रेरित करने की दिशा में यह पहला कदम था। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक विचार विमर्श से बौद्धिक चिंतन करने में मदद मिली, जो कार्यनीतिक उद्देश्य तय करने में सक्षम होता है।
प्रधानमंत्री ने जन-धन योजना के सफल कार्यान्वयन में बैंकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस योजना के अनेक लाभ होंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की सफलता के बाद विश्वास का स्तर बढ़ने से जन धन योजना बैंकों के बीच पुनः लक्ष्य निर्धारित करने में मददगार होगी।
श्री मोदी ने कहा कि पहली जनवरी से प्रारंभ की गई एलपीजी सब्सिडी की नकद अंतरण योजना से मात्र तीन दिन में सात करोड़ परिवारों को फायदा पहुंचा है। उन्होंने कहा कि यह संख्या भारत में सभी परिवारों का एक तिहाई हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इससे आत्म विश्वास के स्तर में वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का दर्पण होता है। जापान और चीन ने अपने आर्थिक उत्थान के दौरान ऐसे बैंक कायम किए हैं जिनकी गणना विश्व के दस शीर्ष बैंकों में होती है।
श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बैंक व्यावसायिक ढंग से काम करेंगे और उनके कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन जवाबदेही अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सरकार का कोई निहित स्वार्थ नहीं है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस तथ्य से शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
परंतु, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ हैं, लेकिन जनहित में राजनीतिक हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक हस्तक्षेप सामान्य जन की आवाज को इन संस्थानों तक पहुंचा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे देश में वित्तीय साक्षरता के अभाव का मुद्दा भी उजागर हुआ है। उन्होंने कहा कि आज सामान्य जन को भी वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता है। उन्होंने बैंकों का आह्वान किया कि वे नमूना कृत्रिम संसद प्रतियोगिताओं की तर्ज पर स्कूलों में वित्तीय साक्षरता के बारे में प्रतिस्पर्धाओं को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकों को साइबर अपराधों का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध टीमों का विकास करना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की शाखाएं 81 प्रतिशत और उनमें जमा राशि देश की कुल जमा राशि का 77 प्रतिशत होते हुए उनके लाभ के वर्तमान 45 प्रतिशत के स्तर में वृद्धि अपेक्षित है।
प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों के बीच साझा शक्ति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि साफ्टवेयर और विज्ञापन जैसे क्षेत्रों में यह शक्ति विकसित की जा सकती है। उन्होंने इस बारे में दूरसंचार क्षेत्र की नम्बर पोर्टेबिलिटी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इससे बैंकों के ग्राहक-केंद्रित नजरिए में सुधार आएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक टीम के रूप में इस बात के प्रति सचेत रहना चाहिए कि देश किस दिशा में जा रहा है और उन्हें सामान्य जन को सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने लोगों का आह्वान किया कि वे बैंकों पर भरोसा रखें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ अभियान ने युवा पीढ़ी का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के प्रत्येक बैंक से कहा कि वह 20,000 से 25,000 के बीच स्वच्छ उद्यमों के विकास में मदद करें। श्री मोदी ने बैंकों से कहा कि वे विद्यार्थियों को ऋणों में प्राथमिकता दें, जिससे देश में लाभकारी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश को युवाओं के कौशल विकास की परम आवश्यकता है और बैंकों को इस दिशा में अग्रणी भूमिका अदा करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा वे 2022 में देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को ध्यान में रख कर लक्ष्य तय करें। उन्होंने कहा कि मैंने 2022 तक सब को आवास प्रदान करने का संकल्प लिया है और बैंकों के लिए इसमें व्यापक अवसर पैदा होंगे क्योंकि 11 करोड़ मकानों की आवश्यकता पड़ेगी। प्रधामंत्री ने कहा कि बैंकों को सफलता के मानदंड पुनः निर्धारित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए बैंकों को ऐसे उद्यमों को ऋण देने में प्राथमिकता देनी चाहिए,जिनसे अधिक रोजगार के अवसर पैदा हों।
प्रधानमंत्री ने सुस्त बैंकिंग को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया और बैंकों से कहा कि वे सामान्य जन को मदद पहुंचाने में सक्रिय भूमिका अदा करें। श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कारपोरेट सामाजिक दायित्व के हिस्से के रूप में बैंकों को एक क्षेत्र का चयन रचनात्मक भूमिका अदा करने के लिए करना चाहिए।
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडनवीस, वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा, रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री रघुराम राजन और वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव श्री हंसमुख अड़िया भी इस अवसर पर मौजूद थे।