प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जापान के कारोबारी समुदाय से ‘मेक इन इंडिया’ का आह्वान करते हुए कहा कि भारत में विनिर्माण की सस्ती लागत से जापानी कारोबारियों को फायदा होगा। उन्होंने जापानी कारोबारियों को भारत में सहूलियत भरा वातावरण का भरोसा दिलाया।
निक्केई और जापान विदेश व्यापार संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने मुख्य वक्ता के तौर पर कहा, “जापान जिस प्रकार की कार्य संस्कृति का आदी है, जापान जिस प्रकार के गवर्नेंस का आदी है, जापान ने जिस प्रकार से कार्यकुशलता और अनुशासन को आत्मसात किया है, अगर उस माहौल को उपलब्ध कराते हैं, तो जापान को भारत में अपनापन महसूस होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा,“आमतौर पर भारत की पहचान रेड टैप की है, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं किआज भारत में रेड टैप नहीं, रेड कार्पेट है और रेड कार्पेट आपका इंतजार कर रही है।”
उन्होंने जापानी उद्यमियों से कहा, “मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं। आप भारत आइए। अपना नसीब आजमाइए। अपना कौशल्य आजमाइए। भारत पूरी तरह आपका स्वागत करने के लिए तैयार है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जापान में विनिर्माण लागत बढ़ रही है। इसलिए एक ऐसी जगह की जरूरत है, जहां सस्ती विनिर्माण लागत की संभावनाएं हों, कारोबार करना आसान हो और कुशल श्रमिक उपलब्ध हों। श्री मोदी ने कहा कि इसके लिए भारत से बेहतर जगह कोई नहीं है।
उन्होंने कहा, “आपकी कंपनी जापान में रहकर जो चमत्कार दस साल में करेगी, वो चमत्कार आप दो साल के भीतर-भीतर हिन्दुस्तान में कर सकते हैं। इतनी संभावनाओं का देश है वो... अगर विश्व में अपने उत्पाद पहुंचाना चाहते हैं तो भारत उसके लिए भगवान के वरदान जैसा है। हमारा समुद्र तक काफी विविधता भरा है। वहीं से आप दुनिया के पश्चिमी हिस्से, मध्य पूर्व और आगे कहीं भी जा सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की पहचान साफ्टवेयर में है और जापान ने हार्डवेयर में अपनी ताकत बनायी है। लेकिन साफ्टवेयर हार्डवेयर के बिना अधूरा है। हार्डवेयर साफ्टवेयर के बिना अधूरा है। भारत जापान के बिना अधूरा है, जापान भारत के बिना अधूरा है।
भारत में कारोबार की अपार संभावनाओं के कुछ उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज हिंदुस्तान के 50 से अधिक छोटे शहर ऐसे हैं, जो मेट्रो रेल के लिए कतार में खड़े हैं। इलेक्ट्रानिक वस्तुओं की भारी मांग है। दुनिया में कोई भी जगह डेमोक्रेसी (लोकतंत्र), डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) और डिमांग (मांग) के लिहाज से भारत का मुकाबला नहीं कर सकती है।
भारत के राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण के बीच विरोधाभास को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि वैश्वीकरण के साथ ही किसी की पहचान बरकरार रह सकती है। उन्होंने कहा कि भारतवसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा में विश्वास रखता है और इसलिए वो वैश्वीकरण और राष्ट्रवाद के बीच कोई विरोधाभास नहीं देखता।