प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज जी20 नेताओं की रिट्रीट में "सुधारों के अनुभव और आगे की रहा" विषय पर एक हस्तक्षेप किया। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री श्री टोनी एबॉट ने उन्हें इस विषय पर बोलने और अपने अनुभवों के आधार पर सुधारों को लेकर अपने विजन को साझा करने के लिए आमंत्रित किया था।
अपने हस्तक्षेप में प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सुधार तरकीब लगाकर नहीं किए जा सकते, बल्कि ये लोगों द्वारा संचालित और लोगों पर केंद्रित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों को उन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, जिनका सामना लोग कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुधार सतही नहीं हो सकते, बल्कि उन्हें मुद्दों में निहित मूल कारण पर भी ध्यान देना चाहिए। केवल तभी सुधार टिकाऊ और दीर्घजीवी होंगे। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की उपलब्धता और बिजली के बीच के संबंध का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि किसान को जमीन से पानी निकालने के लिए सस्ती बिजली चाहिए, क्योंकि दूसरे किसी जरिए से पानी उपलब्ध नहीं है। हालांकि यदि पानी उन्हें उपलब्ध हो जाए तो किसानों को बिजली पर सब्सिडी की जरूरत नहीं होगी। इसलिए मूल कारणों को ध्यान में रखते हुए ही सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों को लेकर प्रतिरोध होना स्वभाविक है, और इसलिए ये जरूरी है कि सुधार की प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखा जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुधारों को एक संस्थागत प्रक्रिया होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों से प्रक्रियाओं के सरलीकरण को बढ़ावा मिलना चाहिए, और इसमें सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार भी शामिल होने चाहिए।