प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विशिष्ट सांसद के निर्माण में तीन अनिवार्य गुणों के समीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला है। ये हैं – “नेतृत्व, कर्तव्य, वक्तव्य” – यानी लीडरशिप, एक्शन और स्पीच। कल संसद पुस्तकालय में बाल योगी ऑडिटोरियम में आयोजित विशिष्ट सांसद पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष से अपील की कि वे सभी विधानसभाओं के अध्यक्षों की एक बैठक बुलाएं ताकि विशिष्ट सांसद/विधायक को पुरस्क़ृत करने की पद्धति राज्यों में भी शुरू की जा सके।
संसद में योगदान के लिए चुने गए तीन पुरस्कार विजेताओं – श्री अरुण जेटली, श्री कर्ण सिंह और श्री शरद यादव को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि सांसदों की युवा पीढ़ी भी उनका अनुकरण करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता संसद से बड़ी उम्मीदें रखती है। उन्होंने कहा कि संसद के किसी सत्र को लोग कैसा मानते हैं, इस बारे में सर्वेक्षण कराना उचित होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे सर्वेक्षण से सांसदों की आंखें खुल सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने हाल के वर्षों में संसदीय कार्यवाहियों में मनो-विनोद की कमी पर खेद व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीखी टिप्पणियां हमें कुछ समय के लिए महत्व दे सकती हैं लेकिन वे प्रभावित या प्रेरित नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा कि इस बात को समझने की आवश्यकता है कि संसद में बोला गया प्रत्येक वाक्य देश को प्रेरित करे।