प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार ने लगभग 1700 पुराने एवं अप्रचलित कानूनों को ख़त्म करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। मुंबई में पश्चिमी भारत अधिवक्ता संघ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा विश्व बड़ी उम्मीद के साथ भारत को देख रहा है और इसका बहुत बड़ा कारण है - दुनिया भर के निवेशक समुदाय का भारत के न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता पर भरोसा। उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे से जुड़े सभी लोगों का इसमें बहुत बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री ने 150 साल से अधिक तक पश्चिमी भारत अधिवक्ता संघ, जिसमें कभी महात्मा गांधी और सरदार पटेल दोनों ही शामिल थे, की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस संघ के संस्थापकों ने उत्कृष्ट पेशे को ध्यान में रखकर इस बार को बनाया होगा। कानून और शिक्षा के क्षेत्रों से संबंधित लोगों ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था।
प्रधानमंत्री ने अधिवक्ता संघ को इस बारे में सोचने के लिए कहा कि यह बार अपने 150 वर्ष पूरे करने के बाद और आगे कैसे जाएगा। उन्होंने कहा कि आज त्वरित न्याय के साथ-साथ “सत्य एवं दोषरहित न्याय” की जरुरत है और यह मूल रूप से मुकदमे में बहस कर रहे वकीलों पर निर्भर करता है। उन्होंने अधिवक्ताओं के लिए विशेषज्ञता की जरूरत पर बल दिया, खासकर मुकदमेबाजी में उभर रहे नए क्षेत्रों, जैसे - अंतरराष्ट्रीय कानून और साइबर अपराध में। उन्होंने कहा कि अब कानूनी पेशे से जुड़े लोगों के लिए यह जरुरी हो गया है कि वे न्याय-संबंधी विज्ञान (फॉरेंसिक साइंस) के साथ परिचित हों। इन नए क्षेत्रों से निपटने के लिए अधिवक्ताओं की क्षमता को बढ़ाने की शक्ति बार में है। मुक़दमे में की गई सही बहस से अधिवक्ताओं को संतुष्टि मिलती है और संस्था में लोगों का विश्वास भी बढ़ता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी कानून अच्छी तरह से तैयार नहीं किये जाते हैं जिसकी वजह से इसके कई अर्थ निकलते हैं। बार एसोसिएशन अच्छे कानूनों का प्रारूप तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जिसमें गलतियों की गुंजाइश बिल्कुल कम होगी। कानून का प्रारूप तैयार करने के लिए प्रशिक्षण देना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने बंबई उच्च न्यायालय संग्रहालय का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि संग्रहालय देखने के लिए आने वाले लोग भारत के न्यायिक इतिहास के बारे में बहुत कुछ सीख सकेंगे। प्रधानमंत्री ने संग्रहालय के आगंतुक रजिस्टर में दी गई अपनी टिपण्णी में लिखा, “उच्च न्यायालय का संग्रहालय इस संस्था की समृद्ध विरासत को बनाये रखने एवं इसके संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।” उन्होंने संग्रहालय का डिजिटल संस्करण भी तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में संग्रहालय रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा है। उन्होंने चीन का उदाहरण दिया जो वर्तमान में कई संग्रहालयों का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत भी गौरवशाली है जिसे बनाए रखने और प्रदर्शित करने की जरुरत है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नविस और केन्द्रीय मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा उपस्थित थे।